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पाइथागोरस प्रमेय और रैखिक बीजगणित

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

पाइथागोरस प्रमेय और रैखिक बीजगणित के बीच अंतर

पाइथागोरस प्रमेय vs. रैखिक बीजगणित

'''बौधायन का प्रमेय''': समकोण त्रिभुज की दो भुजाओं की लम्बाइयों के वर्गों का योग कर्ण की लम्बाई के वर्ग के बराबर होता है। पाइथागोरस प्रमेय (या, बौधायन प्रमेय) यूक्लिडीय ज्यामिति में किसी समकोण त्रिभुज के तीनों भुजाओं के बीच एक सम्बन्ध बताने वाला प्रमेय है। इस प्रमेय को आमतौर पर एक समीकरण के रूप में निम्नलिखित तरीके से अभिव्यक्त किया जाता है- जहाँ c समकोण त्रिभुज के कर्ण की लंबाई है तथा a और b अन्य दो भुजाओं की लम्बाई है। पाइथागोरस यूनान के गणितज्ञ थे। परम्परानुसार उन्हें ही इस प्रमेय की खोज का श्रेय दिया जाता है,हेथ, ग्रंथ I,p. रैखिक बीजगणित (Linear algebra) गणित की एक शाखा है जो सदिश आकाश (वेक्टर स्पेस) तथा उन आकाशों के बीच रैखिक प्रतिचित्रण से सम्बन्धित है। रैखिक बीजगणित का आरम्भ अनेकों अज्ञात राशियों वाले युगपत समीकरणों के हल से हुआ। ऐसे समीकरण प्रायः मैट्रिक्स और सदिशों का उपयोग करके निरूपित किए जाते हैं। शुद्ध गणित और अनुप्रयुक्त गणित- दोनों में ही रैखिक बीजगणित की केन्द्रीय भूमिका है। कैलकुलस और रैखिक गणित के सम्मिलित प्रयोग से रैखिक अवकल समीकरण हल किए जाते हैं। रैखिक बीजगणित की तकनीकें (विधियाँ) वैश्लेषिक ज्यामिति, इंजीनियरी, भौतिकी, प्राकृतिक विज्ञान, संगणक विज्ञान, कम्प्यूतर एनिमेशन और सामाजिक विज्ञान (मुखयतः अर्थशास्त्र) में प्रयुक्त होती हैं। रैखिक बीजगणित के सिद्धान्त और विधियाँ अत्यन्त विकसित हैं। इसी लिए अरैखिक गणितीय मॉडलों को भी कभी-कभी सन्निकट रैखिक मॉडलों से निरूपित कर दिया जाता है जिससे उन्हें हल करने में सुविधा हो जाती है। श्रेणी:रैखिक बीजगणित.

पाइथागोरस प्रमेय और रैखिक बीजगणित के बीच समानता

पाइथागोरस प्रमेय और रैखिक बीजगणित आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): समीकरण, गणित, कलन

समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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कलन

कलन (Calculus) गणित का प्रमुख क्षेत्र है जिसमें राशियों के परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाता है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं- अवकल गणित (डिफरेंशियल कैल्कुलस) तथा समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस)। कैलकुलस के ये दोनों शाखाएँ कलन के मूलभूत प्रमेय द्वारा परस्पर सम्बन्धित हैं। वर्तमान समय में विज्ञान, इंजीनियरी, अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्र में कैल्कुलस का उपयोग किया जाता है। भारत में कैल्कुलस से सम्बन्धित कई कॉन्सेप्ट १४वीं शताब्दी में ही विकसित हो गये थे। किन्तु परम्परागत रूप से यही मान्यता है कि कैलकुलस का प्रयोग 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ तथा आइजक न्यूटन तथा लैब्नीज इसके जनक थे। .

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पाइथागोरस प्रमेय और रैखिक बीजगणित के बीच तुलना

पाइथागोरस प्रमेय 37 संबंध है और रैखिक बीजगणित 12 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 6.12% है = 3 / (37 + 12)।

संदर्भ

यह लेख पाइथागोरस प्रमेय और रैखिक बीजगणित के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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