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नाटक और शतपथ ब्राह्मण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

नाटक और शतपथ ब्राह्मण के बीच अंतर

नाटक vs. शतपथ ब्राह्मण

नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। . शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मणग्रन्थ है। ब्राह्मण ग्रन्थों में इसे सर्वाधिक प्रमाणिक माना जाता है। .

नाटक और शतपथ ब्राह्मण के बीच समानता

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नाटक और शतपथ ब्राह्मण के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख नाटक और शतपथ ब्राह्मण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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