16 संबंधों: नारायण दास की बावड़ी, पहाड़ी बाबा आश्रम, राजस्थान, शिव मंदिर की बावड़ी, श्री देवादास जी महाराज की छतरी, श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर, श्री बगीची वाले हनुमान जी का मंदिर, श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदिर, श्री विजय हनुमान मंदिर, श्री खेड़ाखूंट हनुमान मंदिर, श्री गोपाल जी का मंदिर, जयपुर, जयपुर का वृंदावन, जगन्नाथ सागर, गोनेर का प्राचीन गढ़, कपिल मुनि आश्रम।
नारायण दास की बावड़ी
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास गोनेर-सिरोली सड़क पर स्थित पुरामहत्व की कलात्मक बावड़ी.
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पहाड़ी बाबा आश्रम
गोनेर - रलावता मार्ग पर स्थित आश्रम.
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राजस्थान
राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .
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शिव मंदिर की बावड़ी
नीलकण्ठेश्वर महादेव मंदिर जोकि लगभग 450 ई. से भी अधिक प्राचीन है इसी बावड़ी पर स्थित है.
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श्री देवादास जी महाराज की छतरी
गोनेर के आराध्य श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदिर के स्वामी के प्रकटकर्ता श्री देवादास जी महाराज की छतरी समाधि स्थल जगन्नाथ सागर की पाल पर स्थित है.
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श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर
गोनेर-सिरोली मार्ग पर नारायण दास की बावड़ी के समीप स्थित मंदिर.
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श्री बगीची वाले हनुमान जी का मंदिर
भूडाला बस स्टैण्ड के पास पूर्व मुखी हनुमान जी का मंदिर.
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श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदिर
श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदिर लक्ष्मी ऍवम जगदीश का सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर गोनेरमें स्थित है। श्रेणी:मन्दिर.
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श्री विजय हनुमान मंदिर
जगन्नाथ सागर की पाल पर पश्चिम दिशा में स्थित श्री हनुमान जी का मंदिर.
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श्री खेड़ाखूंट हनुमान मंदिर
गोनेर - पदमपुरा मार्ग पर सैनी मौहल्ले एवं देव नारायण जी के मंदिर के समीप स्थित है.
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श्री गोपाल जी का मंदिर
गोनेर के श्री लक्ष्मी जगदीश महाराज मंदिर के मुख्य मार्ग के बाजार में स्थित मंदिर.
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जयपुर
जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। .
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जयपुर का वृंदावन
वृंदावन भगवान श्री कृष्ण से संबंधित है.
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जगन्नाथ सागर
गोनेर नगरी के मध्य भाग में जगन्नाथ सागर स्थित है.
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गोनेर का प्राचीन गढ़
रियासत कालीन ठाकुरों का प्राचीन गढ़ जो वर्तमान में राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के नियन्त्रण में है.
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कपिल मुनि आश्रम
गोनेर - खेड़ाजगन्नाथपुरा मार्ग के पास स्थित संत दादू दयाल जी का आश्रम.
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