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कुबलई ख़ान और ख़ागान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कुबलई ख़ान और ख़ागान के बीच अंतर

कुबलई ख़ान vs. ख़ागान

कुबलई ख़ान कुबलई ख़ान या 'खुबिलाई ख़ान' (मंगोल: Хубилай хаан; चीनी: 忽必烈; २३ सितम्बर १२१५ – १८ फ़रवरी १२९४) मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सबसे बड़ा ख़ान शासक) था। उसने १२६० से १२९४ तक शासन किया। वह पूर्वी एशिया में युआन वंश का संस्थापक था। उसका राज्य प्रशान्त महासागर से लेकर यूराल तक और साइबेरिया से वर्तमान अफगानिस्तान तक फैला हुआ था जो विश्व के रहने योग्य क्षेत्रफल का २० प्रतिशत है। कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य से संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पोता और उसके सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। उसकी माता सोरग़ोग़तानी बेकी (तोलुइ ख़ान की पत्नी) ने उसे और उसके भाइयों को बहुत निपुणता से पाला और परवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण रखा कि कुबलई मंगोल साम्राज्य के एक बड़े भू-भाग का शासक बन सका।, Kathy Sammis, Walch Publishing, 2002, ISBN 978-0-8251-4369-4,... कुबलई ख़ान मंगोल साम्राज्य का पाँचवा ख़ागान (सर्वोच्च ख़ान) था ख़ागान या ख़ाक़ान (मंगोल: хаган, फ़ारसी) मंगोलियाई और तुर्की भाषाओँ में 'सम्राट' के बराबर की एक शाही उपाधि थी। इसी तरह ख़ागानत इन्ही भाषाओँ में 'साम्राज्य' के लिए शब्द था। ख़ागान को कभी-कभी 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना' भी अनुवादित किया जाता है, जो 'महाराजाधिराज' (यानि 'राजाओं का राजा') या 'शहनशाह' (यानि 'शाहों का शाह') के बराबर है। जब मंगोल साम्राज्य विस्तृत हो गया था तो उसके भिन्न हिस्सों को अलग-अलग ख़ानों के सुपुर्द कर दिया था। इन सब ख़ानों से ऊपर के 'सर्वोच्च ख़ान' को 'ख़ागान' कहा जाता था।, Donald Ostrowski, Cambridge University Press, 2002, ISBN 978-0-521-89410-4,...

कुबलई ख़ान और ख़ागान के बीच समानता

कुबलई ख़ान और ख़ागान आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मंगोल भाषा, मंगोल साम्राज्य, ख़ान (उपाधि)

मंगोल भाषा

मंगोल भाषा बोलने वाले क्षेत्र मंगोल भाषा अलताइक भाषाकुल की तथा योगात्मक बनावट की भाषा है। यह मुख्यत: अनतंत्र मंगोल, भीतरी मंगोल के स्वतंत्र प्रदेश, बुरयात (Buriyad) मंगोल राज्य में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अरिरिक्त इसके बोलनेवाले मंचूरिया, चीन के कुछ क्षेत्र और तिब्बत तथा अफगानिस्तान आदि में भी पाए जाते हैं। अनुमान है कि इन सब क्षेत्रों में मंगोल भाषा बोलनेवालों की संख्या कोई 40 लाख होगी। इन विशाल क्षेत्रों में रहनेवाले मंगोल जाति के सब लोगों के द्वारा स्वीकृत कोई एक आदर्श भाषा नहीं है। परंतु तथाकथित मंगोलिया के अंदर जनतंत्र मंगोल की हलहा (Khalkha) बोली धीरे-धीरे आदर्श भाषा का पद ग्रहण कर रही है। स्वयं मंगोलिया के लोग भी इस हलहा बोली को परिष्कृत बोली मानते हैं और इसी बोली के निकट भविष्य में आदर्श भाषा बनने की संभावना है। प्राचीन काल में मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक मंगोल पढ़े-लिखे लोगों में आदर्श भाषा मानी जाती थी। परंतु अब यह मंगोल लिपि जनतंत्र मंगोलिया द्वारा त्याग दी गई है और इसकी जगह रूसी लिपि से बनाई गई नई मंगोल लिपि स्वीकार की गई है। इस प्रकार अब मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक भाषा कम और नव मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली हलहा बोली अधिक मान्य समझी जाने लगी है। .

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मंगोल साम्राज्य

हलाकू (बायें), खलीफा अल-मुस्तसिम को भूख से मारने के लिये उसके खजाने में कैद करते हुए मांगके खान की मृत्यु के समय (१२५९ ई में) मंगोल साम्राज्य मंगोल साम्राज्य 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों के दौरान एक विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य का आरम्भ चंगेज खान द्वारा मंगोलिया के घूमन्तू जनजातियों के एकीकरण से हुआ। मध्य एशिया में शुरू यह राज्य अंततः पूर्व में यूरोप से लेकर पश्चिम में जापान के सागर तक और उत्तर में साइबेरिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैल गया। आमतौर पर इसे दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य माना जाना जाता है। अपने शीर्ष पर यह 6000 मील (9700 किमी) तक फैला था और 33,000,000 वर्ग कि॰मी॰ (12,741,000 वर्ग मील) के क्षेत्र को कवर करता था। इस समय पृथ्वी के कुल भू क्षेत्रफल का 22% हिस्सा इसके कब्ज़े में था और इसकी आबादी 100 करोड़ थी। मंगोल शासक पहले बौद्ध थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे तुर्कों के सम्पर्क में आकर उन्होंने इस्लाम को अपना लिया। .

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ख़ान (उपाधि)

ओगदाई ख़ान, चंग़ेज़ ख़ान का तीसरा पुत्र ख़ान या ख़ाँ (मंगोल: хан, फ़ारसी:, तुर्की: Kağan) मूल रूप से एक अल्ताई उपाधि है तो शासकों और अत्यंत शक्तिशाली सिपहसालारों को दी जाती थी। यह समय के साथ तुर्की-मंगोल क़बीलों द्वारा पूरे मध्य एशिया में इस्तेमाल होने लगी। जब इस क्षेत्र के सैन्य बलों ने भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, अफ़्ग़ानिस्तान और अन्य क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर के अपने साम्राज्य बनाने शुरू किये तो इसका प्रयोग इन क्षेत्रों की कई भाषाओँ में आ गया, जैसे कि हिन्दी-उर्दू, फ़ारसी, पश्तो, इत्यादि। इसका एक और रूप 'ख़ागान' है जिसका अर्थ है 'ख़ानों का ख़ान' या 'ख़ान-ए-ख़ाना', जो भारत में कभी प्रचलित नहीं हुआ। इसके बराबरी की स्त्रियों की उपाधियाँ ख़ानम और ख़ातून हैं।, Elena Vladimirovna Boĭkova, R. B. Rybakov, Otto Harrassowitz Verlag, 2006, ISBN 978-3-447-05416-4 .

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कुबलई ख़ान और ख़ागान के बीच तुलना

कुबलई ख़ान 13 संबंध है और ख़ागान 7 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 15.00% है = 3 / (13 + 7)।

संदर्भ

यह लेख कुबलई ख़ान और ख़ागान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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