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कर्ण और गाण्डीव

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कर्ण और गाण्डीव के बीच अंतर

कर्ण vs. गाण्डीव

जावानी रंगमंच में कर्ण। कर्ण महाभारत के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती थी। कर्ण का जन्म कुन्ती का पाण्डु के साथ विवाह होने से पूर्व हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ा। वह सूर्य पुत्र था। कर्ण को एक आदर्श दानवीर माना जाता है क्योंकि कर्ण ने कभी भी किसी माँगने वाले को दान में कुछ भी देने से कभी भी मना नहीं किया भले ही इसके परिणामस्वरूप उसके अपने ही प्राण संकट में क्यों न पड़ गए हों। कर्ण की छवि आज भी भारतीय जनमानस में एक ऐसे महायोद्धा की है जो जीवनभर प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ता रहा। बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि कर्ण को कभी भी वह सब नहीं मिला जिसका वह वास्तविक रूप से अधिकारी था। तर्कसंगत रूप से कहा जाए तो हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कर्ण ही था क्योंकि वह कुरु राजपरिवार से ही था और युधिष्ठिर और दुर्योधन से ज्येष्ठ था, लेकिन उसकी वास्तविक पहचान उसकी मृत्यु तक अज्ञात ही रही। कर्ण की छवि द्रौपदी का अपमान किए जाने और अभिमन्यु वध में उसकी नकारात्मक भूमिका के कारण धूमिल भी हुई थी लेकिन कुल मिलाकर कर्ण को एक दानवीर और महान योद्धा माना जाता है। . गाण्डीव महाभारत काल में बहुत ही प्रसिद्ध धनुष था। एक समय, घोर कानन के अंदर, कण्व मुनि कठोर तपस्या कर रहे थे। तपस्या करते–करते, समाधिस्थ होने के कारण उन्हें भान हीं नहीं रहा कि सारा शरीर दीमक के द्वारा बाँबी बना दिया गया। उस मिट्टी के ढे़र पर हीं एक सुन्दर बाँस उग आया। तपस्या जब पूर्ण हुई तब ब्रह्मा जी प्रकट हुए। उन्होने अपने अमोघ जल के द्वारा कण्व की काया को कुन्दन बना दिया। उन्हें अनेक वरदान दिये और जब जाने लगे तो ध्यान आया कि कण्व की मूर्धा पर उगी हुई बाँस कोई सामान्य नहीं हो सकती। इसका सदुपयोग करना चाहिए। उसे काट कर ब्रह्मा जी ने विश्वकर्मा को दे दिया और विश्वकर्मा ने उससे तीन धनुष बनाए– पिनाक, शागर्ङ, गाण्डीव। और इन तीनों धनुषों को ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर को समर्पित कर दिया। इसे भगवान शंकर ने इन्द्र को दिया और फिर बाद वरुण देव से यह अर्जुन के पास पहुँचा, अर्जुन ने इस धनुष के साथ असंख्य युद्ध जीते, यह धनुष बहुत ही मजबुत और सुदृढ था। .

कर्ण और गाण्डीव के बीच समानता

कर्ण और गाण्डीव आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): शिव

शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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कर्ण और गाण्डीव के बीच तुलना

कर्ण 51 संबंध है और गाण्डीव 3 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.85% है = 1 / (51 + 3)।

संदर्भ

यह लेख कर्ण और गाण्डीव के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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