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इंगलैण्ड में धर्मसुधार और यूरोपीय धर्मसुधार

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

इंगलैण्ड में धर्मसुधार और यूरोपीय धर्मसुधार के बीच अंतर

इंगलैण्ड में धर्मसुधार vs. यूरोपीय धर्मसुधार

सोलहवीं शताब्दी में इंगलैण्ड में एक के बाद एक अनेक घटनाएँ हुईं जिनके परिणामस्वरूप इंगलैण्ड का चर्च, रोमन कैथलिक चर्च से अलग हो गया। इसे ही इंगलैण्ड का धर्मसुधार (English Reformation) कहते हैं। ये घटनाएँ यूरोप में हो रहे प्रोटेस्टैण्ट धर्मसुधार से कुछ अंशों में जुड़ी हुईं थीं। हेनरी का उत्तराधिकारी एडवर्ड छठा अवयस्क था, इसलिए उसके शासनकाल (1547 ई.-1553 ई.) में उसके संरक्षक ड्यूक ऑफ सामरसेट और ड्यूक ऑफ नार्बम्बरलैण्ड ने प्रोटेस्टेंट धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया और इंग्लैण्ड के चर्च को इन सिद्धांतों के आधार पर संगठित किया तथा अंग्रेजी भाषा में 42 सिद्धांतों वाली "सामान्य प्रार्थना पुस्तक" प्रचलित की। इससे इंग्लैण्ड के चर्च की आराधना पद्धति में कई परिवर्तन किये गये। इन सब कारणों से अब इंग्लैण्ड का चर्च 'एंग्लिकन चर्च' कहा जाने लगा। एडवर्ड की मृत्यु के बाद मेरी ट्यूडर (1553 ई.-1558 ई.) के शासनकाल में कैथोलिक धर्म और पोप की सर्वोच्चता को पुनः इंग्लैण्ड में प्रतिष्ठित करने के प्रयास किये गये और लगभग 300 धर्मसुधारकों, जिनमें आर्कबिशप क्रेनमर, लेटिमर और रिडल प्रमुख थे, को मृत्यु दंड भी दिया। किंतु प्रोटेस्टेंट आंदोलन और धर्म प्रचार का पुर्णरूपेण दमन नहीं हो सका। इंग्लैण्ड और यूरोपीय देशों में हुए धर्म सुधार आंदोलनों में अंतर है। यूरोप के देशं में हुआ धर्म सुधार आंदोलन पूर्णरूपेण धार्मिक था। इसके विपरीत इंग्लैण्ड का धर्म सुधार आंदोलन व्यक्तिगत और राजनीतिक था। यूरोप में धर्म सुधार का प्रारंभ धार्मिक नेताओं ओर उनके बहुसंख्यक अनुयायियों ने किया। कालांतर में जनता ने उसे अपना लिया। प्रारंभ में अनेक राजाओं ने धर्म सुधार आंदोलन का विरोध कर उसका दमन किया। इसके विपरीत इंग्लैण्ड में राजा हेनरी अष्टम ने धर्म सुधार आंदोलन प्रारंभ किया और उसके उत्तराधिकारी एडवर्ड षष्ठम के मंत्रियों ने और रानी एजिलाबेथ ने नवीन धर्म को प्रजा के लिए अनिवार्य कर दिया और पोप के स्थान पर राजा इंग्लैण्ड के चर्च का संरक्षक और सर्वोच्च अधिकारी बन गया। हेनरी अष्टम ने अपनी पत्नी केवराइन के तलाक की अनुमति पोप द्वारा नहीं दिये जाने पर पोप का विरोध किया और एक्ट ऑफ सुप्रीमेसी पारित कर वह इंग्लैण्ड के चर्च का सर्वोच्च अधिकारी हो गया। इस प्रकार उसने पोप से संबंध विच्छेद कर लिये और कैथोलिक मठों की धन सम्पित्त भी हथिया ली। हेनरी अष्टम का उद्देश्य धर्म में सुधार नहीं था। उसने पोप से संबंध विच्छेद करने पर भी कैथोलिक धर्म के सिद्धांतों को बनाये रखा। उसकी सहानुभूति न तो लूथरवाद के प्रति थी और न कैल्विनवाद के प्रति। उसका विरोध तो केवल पोप से था, इसलिए इंग्लैण्ड में उसने पोप की सत्त को नष्ट कर दिया। धर्म सुधार का यह कारण व्यक्तिगत था। हेनरी अष्टम ने कैथोलिकों और प्रोटेस्टेंटों दोनों को दंडित किया। उसने कैथोलिकों को इसलिए दंडित किया कि वे उसे चर्च का प्रमुख और सर्वेसर्वा नहीं मानते थे और प्रोटेस्टेंटों को इसलिए दंडित किया किया कि वे कैथोलिक धर्म के सिद्धांतों को नहीं मान ते थे। इंग्लैण्ड में धर्म सुधार का प्रसार धीरे-धीरे एडवर्ड षष्ठ के शासनकाल में प्रारंभ हुआ। श्रेणी:यूरोप का इतिहास श्रेणी:ईसाई धर्म. 16वीं शताब्दी के प्रारंभ में समस्त पश्चिमी यूरोप धार्मिक दृष्टि से एक था - सभी ईसाई थे; सभी रोमन काथलिक चर्च के सदस्य थे; उसकी परंपरगत शिक्षा मानते थे और धार्मिक मामलों में उसके अध्यक्ष अर्थात् रोम के पोप का शासन स्वीकार करते थे। यूरोपीय धर्मसुधार अथवा रिफॉरमेशन 16वीं शताब्दी के उस महान आंदोलन को कहते हैं जिसके फलस्वरूप पाश्चात्य ईसाइयों की यह एकता छिन्न-भिन्न हुई और प्रोटेस्टैंट धर्म का उदय हुआ। चर्च के इतिहस में समय-समय पर सुधारवादी आंदोलन होते रहे किंतु वे चर्च के धार्मिक सिद्धातों अथवा उसके शासकों को चुनौती न देकर उनके निर्देश के अनुसार ही नैतिक बुराइयों का उन्मूलन तथा धार्मिक शिक्षा का प्रचार अपना उद्देश्य मानते थे। 16वीं शताब्दी में जो सुधार का आंदोलन प्रवर्तित हुआ वह शीघ्र ही चर्च की परंपरागत शिक्षा और उसके शासकों के अधिकार, दोनों का विरोध करने लगा। धर्मसुधार आंदोलन के परिणामस्वरूप यूरोप में कैथोलिक सम्प्रदाय के साथ-साथ लूथर सम्प्रदाय, कैल्विन सम्प्रदाय, एंग्लिकन सम्प्रदाय और प्रेसबिटेरियन संप्रदाय प्रचलित हो गये। .

इंगलैण्ड में धर्मसुधार और यूरोपीय धर्मसुधार के बीच समानता

इंगलैण्ड में धर्मसुधार और यूरोपीय धर्मसुधार आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पोप

पोप

बेनेडिक्ट सोलहवें - २६५वें तथा वर्तमान पोप रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु, रोम के बिशप एवं वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहते हैं। 'पोप' का शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है। यह लैटिन के "पापा" (papa) से व्युत्पन्न हा है जो स्वयं ग्रीक के पापास् (πάπας, pápas) से व्युत्पन्न है। इस समय (फरवरी, २००९) बेनेडिक्ट सोलहवें (Benedict XVI) इस पद पर आसीन हैं जिन्हें १९ अप्रैल २००५ को चुना गया था। वे २६५वें पोप हैं। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को संत पापा (पिता) 'होली फादर' अथवा पोप कहते हैं। ईसा से अपने महाशिरूय संत पीटर को अपने चर्च का आधार तथा प्रधान 'चरवाहा' नियुक्त किया था और उनको यह भी सुस्पष्ट आश्वासन दिया था कि उनपर आधारित चर्च शताब्दियों तक बना रहेगा। अत: ईसा के विधान से संत पीटर का देहांत रोम में हुआ था, इसलिये प्रारंभ ही से संत पीटर के उत्तराधिकारी होने के कारण रोम के बिशप समूचे चर्च के अध्यक्ष तथा पृथ्वी पर ईसा के प्रतिनिधि माने गए थे। इतिहास इसका साक्षी है कि रोम के बिशप के अतिरिक्त किसी ने कभी संत पीटर का उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं किया। किंतु प्राच्य चर्च के अलग होते जाने से तथा प्रोटेस्टैंट धर्म के उद्भव से पोप के अधिकारी के विषय में शताब्दियों तक वाद विवाद होता रहा, अंततोगत्वा वैटिकन की प्रथम अधिकार रखते हैं। वे ईसा की शिक्षा के सर्वोच्च व्याख्याता हैं और चर्च के परमाधिकारी की हैसियत से धर्मशिक्षा की व्याख्या करते समय भ्रमातीत अर्थात्‌ अचूक हैं। पोप वैटिकन राज्य के अध्यक्ष हैं तथा उनके देहांत पर कार्डिनल उनके उत्तराधिकारी को चुनते हैं .

इंगलैण्ड में धर्मसुधार और पोप · पोप और यूरोपीय धर्मसुधार · और देखें »

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इंगलैण्ड में धर्मसुधार और यूरोपीय धर्मसुधार के बीच तुलना

इंगलैण्ड में धर्मसुधार 2 संबंध है और यूरोपीय धर्मसुधार 24 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.85% है = 1 / (2 + 24)।

संदर्भ

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