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अतिनूतन युग और भूवैज्ञानिक समय-मान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अतिनूतन युग और भूवैज्ञानिक समय-मान के बीच अंतर

अतिनूतन युग vs. भूवैज्ञानिक समय-मान

अतिनूतन युग (Pliocene epoch) नूतनजीवी महाकल्प के तृतीय कल्प का नवीनतम युग है। इसका विस्तार आज से 5.332 मिलियन वर्ष पूर्व से लेकर 2.588 मिलियन वर्ष पूर्व तक है। सन्‌ 1833 ई. में प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक लायल महोदय ने प्लायोसीन इपोक शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया था। प्लायोसीन शब्द की उत्पत्ति ग्रीक धातुओं (प्लाइआन अधिक, कइनास नूतन) से हुई है जिसका तात्पर्य यह है कि मध्यनूतन की अपेक्षा, इस युग में पाए जाने वाले जीवों की जातियाँ और प्रजातियाँ आज भी अधिक संख्या में जीवित हैं। यूरोप में इस युग के शैल इंग्लैंड, फ्रांस, बेल्जियम, इटली आदि देशों में पाए जाते हैं। अफ्रीका में इस युग के शैल कम मिलते हैं और जो मिलते हैं वे समुद्र तट पर पाए जाते हैं। आस्ट्रेलिया में इस युग के स्तरों का निर्माण मुख्यत नदियों और झीलों में हुआ। अमरीका में भी इस युग के शैल पाए जाते हैं। इस युग में कई स्थानों पर की भूमि समुद्र से बाहर निकली। उत्तरी और दक्षिणी अमरीका, जो इस युग के पहले अलग-अलग थे, बीच में भूमि उठ आने के कारण जुट गए। इस युग में उत्तरी अमरीका यूरोप से जुड़ा था। इस युग के आरंभ में भूमध्यसागर (मेडिटरेनियन समुद्र) यूरोप के निचले भागों में चढ़ आया था, परंतु युग के अंत में वह फिर हट गया और भूमि की रूपरेखा बहुत कुछ वैसी हो गई जैसी अब है। आरंभ में लंदन के पड़ोस की भूमि समुद्र के भीतर थी, परंतु इस युग के अंत में समुद्र हट गया। कई अन्य स्थानों में भी थोड़ी बहुत उथल पुथल हुई। इन सबका ब्योरा यहाँ देना संभव नहीं है। कई स्थानों में समुद्र का पेंदा धँस गया, जिससे पानी खिंच गया और किनारे की भूमि से समुद्र हट गया। तृतीयक युग में जो दूसरी मुख्य घटना घटित हुई, वह भारत, आस्ट्रेलिया, अफ्रका और दक्षिण अमरीका का पृथक्करण है। मध्य कल्प (मेसोजोइक एरा) तक ये सारे देश एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, परंतु जिस समय हिमालय का उत्थान प्रारंभ हुआ उसी समय भूगतियों ने इन देशों को एक-दूसरे से पृथक्‌ कर दिया। . यह घड़ी भूवैज्ञानिक काल के प्रमुख ईकाइयों के के साथ-साथ पृथ्वी के जन्म से लेकर आज तक की प्रमुख घटनाओं को भी दिखा रही है। भूवैज्ञानिक समय-मान (geologic time scale) कालानुक्रमिक मापन की एक प्रणाली है जो स्तरिकी (stratigraphy) को समय के साथ जोड़ती है। यह एक स्तरिक सारणी (stratigraphic table) है। भूवैज्ञानिक, जीवाश्मवैज्ञानिक तथा पृथ्वी का अध्ययन करने वाले अन्य वैज्ञानिक इसका प्रयोग धरती के सम्पूर्ण इतिहास में हुई सभी घटनाओं का समय अनुमान करने के लिये करते हैं। जिस प्रकार चट्टानो के अधिक पुराने स्तर नीचे होते हैं तथा अपेक्षाकृत नये स्तर उपर होते हैं, उसी प्रकार इस सारणी में पुराने काल और घटनाएँ नीचे हैं जबकि नवीन घटनाएँ उपर (पहले) दी गई हैं। विकिरणमितीय प्रमाणों (radiomeric evidence) से पता चलता है पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 अरब वर्ष है। .

अतिनूतन युग और भूवैज्ञानिक समय-मान के बीच समानता

अतिनूतन युग और भूवैज्ञानिक समय-मान आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): तृतीय कल्प, नूतनजीव महाकल्प, यूरोप

तृतीय कल्प

तृतीय कल्प (Tertiary) पृथ्वी के भौमिकीय इतिहास से सम्बन्धित पुराना शब्द है किन्तु अब भी बहुत से लोग इसका प्रयोग करते हैं। यह पृथ्वी के भौमिकीय इतिहास का अंतिम प्रकरण हैं। मध्यजीव महाकल्प (Mesozoc era) का अंत खटीयुग या क्रिटेशस युग के पश्चात्‌ हो गया। यूरोप में खटीयुग के बाद भौमिकीय इतिहास में एक विषम विन्यास (Unconformity) आता है, जिससे यह विदित होता है कि इस युग का अंत हो चुका था। भारत में यद्यपि खटीयुग के पश्चात्‌ ऐसा कोई विषम विन्यास नहीं मिलता, फिर भी अन्य लक्ष्ण इतने पर्याप्त हैं कि उनके आधार पर यह प्राय: विदित हो जाता है कि मध्यजीव महाकल्प समाप्त हो चला था। मध्यजीव महाकल्प के जीव एवं वनस्पति शनै: शनै: लुप्त हो गए और उनका स्थान नवीन श्रेणी के जीवों ने ले लिया। ऐमोनाइडिया वर्ग (Ammonoidea) और वेलेमनिटिडी (Belemnitidae) कुल का ह्रास हो गया। रेंगनेवाले जीव, जिनकी प्रधानता पूरे मध्यजीव महाकल्प में रही, अब प्राय: विलुप्त हो गए। इस काल की वनस्पति भी बदलने लगी और अनेक पौधे, जिनका पहले बाहुल्य था अब समाप्त हो गए। जीवों एवं वनस्पतियों में इतना परिवर्तन एक नए युग के आगमन की सूचना देने लगा। जीवविकास के इतिहास में एक नया प्रकरण आरंभ हो गया। स्तनधारी जीवों ने अब मध्यजीव महाकल्प के रेंगनेवाले जीवों का स्थान ले लिया और धीरे धीरे उनकी प्रधानता सारे संसार के अन्य जीवों में हो गई। वनस्पति में फूलनेवाले पौधों की बहुलता हो गई। इन परिवर्तनों के साथ साथ भूपटल पर इतने अधिक परिवर्तन हुए कि मध्यजीव महाकल्प के समय की पृथ्वी की आकृति का पूरा कायापलट हो गया। यूरोप में आल्पस और एशिया में हिमालय ने अपनी प्रधानता जमा ली और मध्यजीव महाकल्प के भूमध्यसागर का अंत हो गया। इस प्रकार भौमकीय इतिहास में तृतीय कल्प का विशेष स्थान है, क्योंकि इसी युग में भारत की वर्तमान सीमाओं का विस्थापन हुआ। उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का अब जाकर अपने वर्तमान रूपाकर में निरूपण हुआ। .

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नूतनजीव महाकल्प

नूतनजीव महाकल्प (Cenozoic Era; /sɛnɵˈzoʊɪk/ या /ˌsiːnɵˈzoʊɪk/) वर्तमान (और नवीनतम) महाकल्प है। इसकी आयु ६६० लाख वर्ष है। इसके पहले मध्यजीवी महाकल्प था। इस काल को 'स्तनपायी प्राणियों का युग' भी कहा जाता है। श्रेणी:भौमिकी.

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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अतिनूतन युग और भूवैज्ञानिक समय-मान के बीच तुलना

अतिनूतन युग 5 संबंध है और भूवैज्ञानिक समय-मान 42 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 6.38% है = 3 / (5 + 42)।

संदर्भ

यह लेख अतिनूतन युग और भूवैज्ञानिक समय-मान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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