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हेलमंद नदी

सूची हेलमंद नदी

हेलमंद नदी के मार्ग का मानचित्र अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रान्त में हेलमंद नदी एक तंग घाटी से गुज़रती हुई हेलमंद नदी पर लगा कजकी बाँध हेलमंद नदी (पश्तो: हीरमंद दरिया या हेलमंद दरिया) अफ़्गानिस्तान की सबसे लम्बी नदी है.

22 संबंधों: तंग घाटी, दश्त-ए-मारगो, पश्तो भाषा, पारसी, बौद्ध धर्म, सरस्वती नदी, सजातीय शब्द, संगलाख़, सीस्तान द्रोणी, हामून-ए-हेलमंद, हिन्दु कुश, हिन्दू, हेलमंद प्रान्त, ज़ाबोल, ईरान, घग्गर-हकरा नदी, काबुल, कजकी बाँध, अफ़ग़ानिस्तान, अवेस्ता, उनई दर्रा, ऋग्वेद

तंग घाटी

अमेरिका के यूटाह राज्य में स्थित ग्लेन कैन्यन एक तंग घाटी है जिसे कॉलोरैडो नदी ने लाखों साल लगाकर तराशा है मोरक्को की तोद्रा वादी, जो तोद्रा नदी द्वारा काटी गयी तंग घाटी है तंग घाटी पहाड़ों या चट्टानों के बीच में स्थित ऐसी घाटी होती है जिसकी चौड़ाई आम घाटी की तुलना में कम हो और जिसकी दीवारों की ढलान भी साधारण घाटियों के मुक़ाबले में अधिक सीधी लगे (यानि धीमी ढलान की बजाए जल्दी ही गहरी होती जाए)। तंग घाटियाँ अक्सर तब बन जाती हैं जब कोई नदी सदियों तक चलती हुई किसी जगह पर धरती में एक घाटी काट दे। भारत में चम्बल नदी की घाटियाँ ऐसी ही तंग घाटियों की मिसालें हैं। .

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दश्त-ए-मारगो

सीस्तान द्रोणी क्षेत्र में दश्त-ए-मारगो दश्त-ए-मारगो (फ़ारसी) दक्षिण-पश्चिमी अफ़्ग़ानिस्तान के हेलमंद और नीमरूज़ प्रान्तों में स्थित एक रेगिस्तान है। इस मरुस्थल का कुल क्षेत्रफल १,५०,००० वर्ग किमी है और इसकी ऊंचाई ५०० से ७०० मीटर के बीच है। .

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पश्तो भाषा

कोई विवरण नहीं।

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पारसी

पारसी धर्म के अनुयायियों को पारसी कहा जाता है। यह ईरान (फ़ारस) के प्राचीन जरदोश्त धर्म को मानते है और आज ईरान तथा भारत के कुछ क्षेत्रों में पाए जाते हैं। श्रेणी:पारसी धर्म.

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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सरस्वती नदी

सरस्वती एक पौराणिक नदी जिसकी चर्चा वेदों में भी है। ऋग्वेद (२ ४१ १६-१८) में सरस्वती का अन्नवती तथा उदकवती के रूप में वर्णन आया है। यह नदी सर्वदा जल से भरी रहती थी और इसके किनारे अन्न की प्रचुर उत्पत्ति होती थी। कहते हैं, यह नदी पंजाब में सिरमूरराज्य के पर्वतीय भाग से निकलकर अंबाला तथा कुरुक्षेत्र होती हुई कर्नाल जिला और पटियाला राज्य में प्रविष्ट होकर सिरसा जिले की दृशद्वती (कांगार) नदी में मिल गई थी। प्राचीन काल में इस सम्मिलित नदी ने राजपूताना के अनेक स्थलों को जलसिक्त कर दिया था। यह भी कहा जाता है कि प्रयाग के निकट तक आकार यह गंगा तथा यमुना में मिलकर त्रिवेणी बन गई थी। कालांतर में यह इन सब स्थानों से तिरोहित हो गई, फिर भी लोगों की धारणा है कि प्रयाग में वह अब भी अंत:सलिला होकर बहती है। मनुसंहिता से स्पष्ट है कि सरस्वती और दृषद्वती के बीच का भूभाग ही ब्रह्मावर्त कहलाता था। .

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सजातीय शब्द

सजातीय शब्द, जिन्हें अंग्रेजी में काग्नेट (cognate) शब्द कहा जाता है, भिन्न भाषाओं के वे शब्द होते हैं जो अलग भाषाओं से होने के बावजूद एक ही प्राचीन जड़ रखते हैं। इस कारण से इन शब्दों को जिनका रूप और अर्थ अक्सर मिलता-जुलता होता है सजातीय शब्द कहते हैं, हालाँकि ये आवश्यक नहीं है कि उनका अर्थ बिल्कुल सामान हो। उदहारण के रूप में मातृ (संस्कृत), मादर (फ़ारसी), मातर (लातिन) और मदर (अंग्रेजी) का रूप सामान सा है और सब का अर्थ माँ है क्योंकि यह सारी भाषाएँ एक ही आदिम-हिन्द-यूरोपीय (Proto-Indo-European) भाषा से उपजी संतानें हैं। .

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संगलाख़

अफ़्ग़ानिस्तान के नक़्शे पर उनई दर्रा संगलाख़ (Sanglakh) हिन्दु कुश पर्वत शृंखला की एक शाखा है। इस से अफ़्ग़ानिस्तान की दो महत्वपूर्ण नदियाँ - हेलमंद नदी और काबुल नदी - उत्पन्न होती हैं। संगलाख़ शृंखला के सब से प्रमुख दर्रे का नाम 'उनई दर्रा' या 'उनई कोतल' है।, Cambridge University Press, 1911,...

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सीस्तान द्रोणी

सीस्तान द्रोणी क्षेत्र सीस्तान क्षेत्र का अंतरिक्ष से नज़ारा - एक रेतीला तूफ़ान चलता हुआ दिख रहा है सीस्तान द्रोणी या सीस्तान बेसिन (अंग्रेज़ी: Sistan Basin) दक्षिण-पश्चिमी अफ़्ग़ानिस्तान और दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित एक बंद जलसंभर इलाका है। यह दुनिया के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक है और यहाँ अक्सर सूखा पड़ता है। यहाँ पर अफ़्ग़ानिस्तान के पर्वती क्षेत्रों से बहुत से नदी-झरने पानी लाते हैं तो अफ़्ग़ानिस्तान की गोदज़रेह द्रोणी में जाते हैं (यह सीस्तान द्रोणी का एक धंसा हुआ क्षेत्र है)। यहाँ पर हिन्दु कुश पर्वतों से उभरने वाली हेलमंद नदी भी अपना पानी लाती है।, World Book, Inc, World Book.com, 2002, ISBN 978-0-7166-1295-7,...

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हामून-ए-हेलमंद

सन् १९७६ में अंतरिक्ष से ली गई तस्वीर जिसमें ऊपर-दाएँ में हामून-ए-पुज़क, बाएँ में हामून-ए-सबरी, नीचे-बाएँ में हामून-ए-हेलमंद नज़र आ रहे हैं सन् २००१ में ली गई तस्वीर में तीनों हामून सूखे पड़े हैं हामून-ए-हेलमंद (अंग्रेज़ी: Hamun-e Helmand), जिसे दरियाचेह-ए-हामून (फ़ारसी) भी कहते हैं, पूर्वी ईरान के सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत में अफ़ग़ानिस्तान की सरहद के नज़दीक मौसमी तौर पर बन जानी वाली एक कम गहराई की दलदली झील है। यह हेलमंद नदी के पानी से बनती है जो अफ़ग़ानिस्तान के हिन्दू कुश पर्वतों से शुरू होती है। ईरान के पठार पर ऐसी अधिक प्रवाह वाले मौसम में भर जाने वाली झीलों को हामून कहा जाता है। १९७६ में अफ़ग़ानिस्तान से नदियाँ पूरे प्रवाह पर चला करती थी, जिस से यह झील भी फैलकर लगभग ४,००० वर्ग किमी तक विस्तृत हो जाया करती थी। १९९९ से २००१ के काल में सूखा पड़ा और झील क़रीब-क़रीब ग़ायब ही हो गई। उसके बाद से कभी बन जाती है और कभी नहीं। जब अफ़ग़ानिस्तान में सूखा पड़ता है या वहाँ हेलमंद का पानी रोक देने से प्रवाह कम होता है जो यहाँ रेत के बड़े टीले बन जाते हैं और पूरा रेगिस्तान लौट आता है। इस झील के किनारे कुछ मछुआरे गाँव हैं और इसके सूख जाने पर वह भी कभी-कभी रेत से ढके जाते हैं।, John Whitney, U.S. Geological Survey, 2006, Accessed 2010-08-31 .

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हिन्दु कुश

हिन्दु कुश उत्तरी पाकिस्तान के विवादीत भाग से मध्य अफ़्ग़ानिस्तान तक विस्तृत एक ८०० किमी चलने वाली पर्वत शृंखला है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में स्थित ७,७०८ मीटर (२५,२८९ फ़ुट) लम्बा तिरिच मीर पर्वत है।, Michael Palin, Basil Pao, Macmillan, 2005, ISBN 978-0-312-34162-6,...

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हिन्दू

शब्द हिन्दू किसी भी ऐसे व्यक्ति का उल्लेख करता है जो खुद को सांस्कृतिक रूप से, मानव-जाति के अनुसार या नृवंशतया (एक विशिष्ट संस्कृति का अनुकरण करने वाले एक ही प्रजाति के लोग), या धार्मिक रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ मानते हैं।Jeffery D. Long (2007), A Vision for Hinduism, IB Tauris,, pages 35-37 यह शब्द ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में स्वदेशी या स्थानीय लोगों के लिए एक भौगोलिक, सांस्कृतिक, और बाद में धार्मिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त किया गया है। हिन्दू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है। प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए फारसी और ग्रीक संदर्भों के साथ, मध्ययुगीन युग के ग्रंथों के माध्यम से, हिंदू शब्द सिंधु (इंडस) नदी के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों के लिए भौगोलिक रूप में, मानव-जाति के अनुसार (नृवंशतया), या सांस्कृतिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त होने लगा था।John Stratton Hawley and Vasudha Narayanan (2006), The Life of Hinduism, University of California Press,, pages 10-11 16 वीं शताब्दी तक, इस शब्द ने उपमहाद्वीप के उन निवासियों का उल्लेख करना शुरू कर दिया, जो कि तुर्किक या मुस्लिम नहीं थे। .

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हेलमंद प्रान्त

अफ़्ग़ानिस्तान का हेलमंद प्रान्त (लाल रंग में) हेलमंद प्रान्त में कुछ बच्चे हेलमंद (पश्तो:, अंग्रेजी: Helmand) अफ़्ग़ानिस्तान का एक प्रांत है जो उस देश के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है। इस प्रान्त का क्षेत्रफल ५८,५८४ वर्ग किमी है और इसकी आबादी सन् २००६ में लगभग १४.४ लाख अनुमानित की गई थी। हेलमंद के लगभग ९०% लोग पश्तून समुदाय के हैं।, Central Intelligence Agency (सी आइ ए), Accessed 27 दिसम्बर 2011 इस प्रान्त की राजधानी लश्कर गाह शहर है। वैसे तो यह इलाक़ा रेगिस्तानी है लेकिन हेलमंद नदी यहाँ से निकलती है और उसका पानी फ़सलों के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह ग़ैर-क़ानूनी अफ़ीम की पैदावार का भी बहुत बड़ा केंद्र है और विश्व की ७५% अफ़ीम यहीं पैदा होती है। .

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ज़ाबोल

ईरान के शहर ज़ाबोल (फारसी: زابل) ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत प्रांत का एक शहर है। इस शहर की जनसंख्या वर्ष २००६ अनुसार १३६,९५६ है। श्रेणी:सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत.

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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घग्गर-हकरा नदी

पंचकुला, हरियाणा से गुज़रती घग्गर नदी घग्गर-हकरा नदी भारत और पाकिस्तान में वर्षा-ऋतु में चलने वाली एक मौसमी नदी है। इसे हरयाणा के ओटू वीयर (बाँध) से पहले घग्गर नदी के नाम से और उसके आगे हकरा नदी के नाम से जाना जाता है।, Britannica, Dale Hoiberg, Indu Ramchandani, Popular Prakashan, 2000, ISBN 978-0-85229-760-5,...

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काबुल

काबुल अफगानिस्तान की राजधानी है। काबुल अफगानिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यह अफगानिस्‍तान का आर्थिक और सांस्‍कृतिक केंद्र भी है। यह शहर समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। काबुल सफेद खो पहाड़ी और काबुल नदी के बीच बसा हुआ है। यह पर्यटन की दृष्‍िट से मध्‍य एशिया का एक महत्‍पपूर्ण केंद्र माना जाता है। यहां कई प्रमुख पर्यटन स्‍थल हैं। जिसमें अफगान नेशनल म्‍यूजियम, दारुल अमन पैलेस, बाग-ए-बाबर, ईदगाह मस्जिद, ओमर माइन म्‍यूजियम यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल है। .

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कजकी बाँध

कजकी बाँध कजकी बाँध (फ़ारसी:, सद कजकी; अंग्रेजी: Kajaki Dam), जिसे कजकई बाँध भी कहा जाता है दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रान्त में हेलमंद नदी पर स्थित एक बड़ा जलविद्युत बाँध है। यह कंदहार शहर से १६१ किमी पश्चिमोत्तर में स्थित है। इस से ३३ मेगावाट बिजली बनाई जाती है और इसके पानी के ज़रिये ६,५०,००० हेकटर ज़मीन सींची जाती है जो इस बाँध के बिना बंजर होती। बाँध की ऊंचाई १०० मीटर है और नदी को २७० मीटर की चौड़ाई पर लांघता है। यह सीस्तान द्रोणी में पानी पहुँचाने वाले मुख्य जलसम्भर को नियंत्रित करता है।, Jon Boone, The Guardian, Accessed 14 दिसम्बर 2009 .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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अवेस्ता

जिस भाषा के माध्यम का आश्रय लेकर जरथुस्त्र धर्म (पारस इरान) का मूल धर्म) का विशाल साहित्य निर्मित हुआ है उसे अवेस्ता कहते हैं। अवेस्ता या "ज़ेंद अवेस्ता" नाम से भी धार्मिक भाषा और धर्म ग्रंथों का बोध होता है। उपलब्ध साहित्य में इसका प्रमाण नहीं मिलता कि पैंगंबर अथवा उनके समकालीन अनुयायियों के लेखन अथवा बोलचाल की भाषा का नाम क्या था। परंतु परंपरा से यह सिद्ध है कि उस भाषा और साहित्य का भी नाम "अविस्तक" था। अनुमान है कि इस शब्द के मूल में "विद्" (जानना) धातु है जिसका अभिप्राय ज्ञान अथवा बुद्धि है। .

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उनई दर्रा

अफ़्ग़ानिस्तान के नक़्शे पर उनई दर्रा उनई दर्रा (Unai Pass) या उनई कोतल अफ़्ग़ानिस्तान में हिन्दु कुश पर्वतों की संगलाख़ उपशाखा में ३००० मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक प्रमुख पहाड़ी दर्रा है। यह राष्ट्रीय राजधानी काबुल से पश्चिम में है और इसमें से काबुल को हज़ाराजात क्षेत्र के बामियान शहर से जोड़ने वाला मुख्य राजमार्ग निकलता है।, Cambridge University Press, 1911,...

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ऋग्वेद

ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। ऋक् संहिता में १० मंडल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त हैं। वेद मंत्रों के समूह को सूक्त कहा जाता है, जिसमें एकदैवत्व तथा एकार्थ का ही प्रतिपादन रहता है। ऋग्वेद में ही मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र या मृत्युंजय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित है, ऋग्विधान के अनुसार इस मंत्र के जप के साथ विधिवत व्रत तथा हवन करने से दीर्घ आयु प्राप्त होती है तथा मृत्यु दूर हो कर सब प्रकार का सुख प्राप्त होता है। विश्व-विख्यात गायत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) भी इसी में वर्णित है। ऋग्वेद में अनेक प्रकार के लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७), श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त (ऋग्वेद के परिशिष्ट सूक्त के खिलसूक्त में), तत्त्वज्ञान के नासदीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) और विवाह आदि के सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित हैं, जिनमें ज्ञान विज्ञान का चरमोत्कर्ष दिखलाई देता है। ऋग्वेद के विषय में कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित है-.

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