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हिरनगाँव

सूची हिरनगाँव

हिरनगाँव उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले की फिरोजाबाद तहसील का एक छोटा-सा गाँव है। किन्तु यह गाँव ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह जरौली खुर्द ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आता है। घनी वसाबट वाली वस्ती से दूर बसे होने तथा खुले एवम् शांतिपूर्ण स्वछ हरियाली युक्त वातावरण व् ट्रैफिक की समस्या से दूर होने के कारण ब्राह्मणों का गाँव कहे जाने वाले इस गाँव में अनेक समुदाय के लोग निवास करते है। इनमे ब्राहम्ण, जाटव, नाई, कोरी, काछी, वाल्मीकि है ब्राह्म्णों में तिवारी, स्रोतीय, मुदगल, पाठक, जोशी, तेनुगुरिया, दीक्षित गौत्र के व्यक्ति है हिरन गाँव चार मौहल्लो में विभाजित है जिसमे "तिवारी मौहल्ला, स्रोतीय मौहल्ला, दीक्षित मौहल्ला, एवम जाटव मोहल्ला "सभी समुदाय के व्यक्ति मिलजुल कर घनिस्ट प्रेमता के साथ रहते है। फ़िरोज़ाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर पूर्वी दिशा में स्थित है। यहाँ पर अधिकांश व्यक्ति सरकारी सेवा में कार्यरत थे परंतु वर्तमान में अधिकांश व्यक्ति कारख़ानों/फैक्ट्रीयो पर निर्भर है। वर्तमान में जो व्यक्ति सरकारी सेवा में कार्यरत है वो गाँव से बाहर शहर में निवास कर रहे हैं।हिरनगाँव का पिन कोड 283103 है यहाँ पत्रो के आने जाने हेतु भारत सरकार द्वारा स्थापित हिरनगाँव डाकखाना भी है एवम् प्रधान डाकखाना फ़िरोज़ाबाद में स्थित है। जो कि लगभग 8 किलो मीटर दूरी पर है। हिरनगाँव के चारों तरफ देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं जो कि इस गांव की विपत्तियों से रक्षा करते हैं इस गांव में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति कादा संस्कार उसको बैठा कर किया जाता है योग क्रिया की तरह जबकि अन्य गांव में इस तरह की प्रथा नहीं है अन्य गांव में किसी भी मृत व्यक्ति का दाह संस्कार लिटाकर किया जाता है इस प्रथा को इस गांव हिरनगाँव के व्यक्ति पूर्वज ऋषि मुनि की योगसाधना से जोड़ते हैं क्योंकि प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपनी योग साधना ऋषि मुद्रा में लीन होकर करते थे हिरनगाँव के उत्तर मे नारखी तहसील, दक्षिण में फ़तेहाबाद, पश्चिम में टूण्डला तहसील और पूर्व में शिकोहाबाद तहसील है।आगरा मंडल 42 किलो मीटर दूरी पर है जिसमे कई मुगलकालीन ऐतहासिक इमारते सुशोभित है। .

25 संबंधों: चंद्रवार गेट, टूण्डला, तोताराम सनाढ्य, धीरपुरा, नीम करौली बाबा, प्रशान्त महासागर, पृथ्वीराज चौहान, फतेहाबाद, फ़िरोज़ाबाद, फ़िरोज़ाबाद ज़िला, फ़िजी, भारती भवन, भारती भवन पुस्तकालय, महात्मा गांधी, मोहम्मद ग़ोरी, रपड़ी, राजा का ताल, शिकोहाबाद, हिन्दी, हिरनगाँव, हिरनगाँव रेलवे स्टेशन, गिरमिटिया, आगरा मंडल, , उत्तर प्रदेश

चंद्रवार गेट

चंद्रवार गेट फ़िरोज़ाबाद जिला के अंतर्गत आता है यहाँ पर मुहम्मद गोरी और जयचंद का युद्ध हुआ था चंद्रवार फ़िरोज़ाबाद नगर से 5 किलो मीटर दूर यमुना तट पर वसा हुआ है। वर्तमान में चंद्रवार किसी समय एक महत्व पूर्ण और सुसम्पन नगर था जिसके विसय में कतिपय जैन विद्वानों की यह मान्यता थी कि ये क्षत्र भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव द्वारा शासित रहा है। कहा जाता है कि चंद्र वार नगर की स्थापना चंद्रसेन ने की थी। 1392 ई0 अथवा 1397 ई0 में धनपाल द्वारा रचित ग्रन्थ बाहुबली चरित में चंद्रवार के संभरी राय, सारंग नरेंद्र, अभय चंद्र और रामचंद्र राजाओ का विवरण मिलता है। .

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टूण्डला

टुंडला उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले का एक कस्बा है। यह आगरा से २४ किमी दूर है। टूंडला एक प्रमुख रेलवे जंक्शन भी है। यहाँ पर अभिनेता राजबब्बर का मकान भी है। .

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तोताराम सनाढ्य

फिजी में बंधुआ मजदूरी के विरुद्ध संघर्ष करने वाले '''तोताराम सनाढ्य तोताराम सनाढ्य (१८७६ - १९४७) भारत से धोखा देकर १८९३ में फिजी ले जाये गये एक करारबद्ध श्रमिक थे। उनसे ५ वर्ष तक बंधुआ मजदूर के रूप में काम कराया गया किन्तु वे अपने अधिकारों के लिये निडर होकर संघर्ष करते रहे। करार की अवधि समाप्त होने पर उन्होने एक छोटे किसान और पुजारी का जीवन शुरू किया और उसके साथ-साथ अपना अधिकांश समय उन लोगों की सहायता में लगे रहे जो बंधुआ मजदूर के रूप में वहाँ काम कर रहे थे। वे भारत की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष कर रहे भारतीय नेताओं के सम्पर्क में रहे और भारत से अधिक संख्या में शिक्षक, वकील, कार्यकर्ता आदि भेजने का अनुरोध किया ताकि फिजी के भारतीय लोगों की दुर्दशा को कम किया जा सके। फिजी में २१ वर्ष रहने के बाद १९१४ में वे भारत लौटे तथा फिजी मेम किये अनुभवों को 'फिजीद्वीप में मेरे इक्कीस वर्ष' नाम से एक पुस्तक लिखी। फिजी की करारबद्ध मजदूरी की प्रथा को समाप्त करने के लिये इस पुस्तक में वर्णित अनुभव बहुत सहायक सिद्ध हुए। इस पुस्तक को भारती भवन द्वारा प्रकाशित कराकर भवन की ख्याति को बढ़ाया। इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद कराकर दीनबंधु एंड्रूज फिजी ले गए। .

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धीरपुरा

धीरपुरा एक बड़ा ग्राम है जो हिरनगाँव से लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित है यह पहले एत्मादपुर तहसील में आता था वर्ष 1989 में टूंडला विकासखंड फिरोजाबाद जिले में सम्मिलित किया गया तब यह ग्राम फिरोजाबाद तहसील में आ गया .

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नीम करौली बाबा

नीम करौली बाबा नीम करौली बाबा, समाधि मन्दिर, वृन्दावन. नीम करौली बाबा या नीब करौरी बाबा या महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है।इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है जो किहिरनगाँव से 500 मीटर दूरी पर है। कैंची, नैनीताल, भुवाली से ७ कि॰मी॰ की दूरी पर भुवालीगाड के बायीं ओर स्थित है। कैंची मन्दिर में प्रतिवर्ष १५ जून को वार्षिक समारोह मानाया जाता है। उस दिन यहाँ बाबा के भक्तों की विशाल भीड़ लगी रहती है। महाराजजी इस युग के भारतीय दिव्यपुरुषों में से हैं।‎ .

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प्रशान्त महासागर

श्रेणी:प्रशान्त महासागर प्रशान्त महासागरप्रशान्त महासागर अमेरिका और एशिया को पृथक करता है। यह विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा महासागर है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि इस महासागर में पृथ्वी का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है। .

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पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान (भारतेश्वरः पृथ्वीराजः, Prithviraj Chavhan) (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में १२ वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु) और दिल्ली पर राज्य करते थे। वे भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा इत्यादि नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में प्रसिद्ध पृथ्वीराज १२३५ विक्रम संवत्सर में पंद्रह वर्ष (१५) की आयु में राज्य सिंहासन पर आरूढ हुए। पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ थी। उन में से संयोगिता प्रसिद्धतम मानी जाती है। पृथ्वीराज ने दिग्विजय अभियान में ११७७ वर्ष में भादानक देशीय को, ११८२ वर्ष में जेजाकभुक्ति शासक को और ११८३ वर्ष में चालुक्य वंशीय शासक को पराजित किया। इन्हीं वर्षों में भारत के उत्तरभाग में घोरी (ग़ोरी) नामक गौमांस भक्षण करने वाला योद्धा अपने शासन और धर्म के विस्तार की कामना से अनेक जनपदों को छल से या बल से पराजित कर रहा था। उसकी शासन विस्तार की और धर्म विस्तार की नीत के फलस्वरूप ११७५ वर्ष से पृथ्वीराज का घोरी के साथ सङ्घर्ष आरंभ हुआ। उसके पश्चात् अनेक लघु और मध्यम युद्ध पृथ्वीराज के और घोरी के मध्य हुए।विभिन्न ग्रन्थों में जो युद्ध सङ्ख्याएं मिलती है, वे सङ्ख्या ७, १७, २१ और २८ हैं। सभी युद्धों में पृथ्वीराज ने घोरी को बन्दी बनाया और उसको छोड़ दिया। परन्तु अन्तिम बार नरायन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् घोरी ने पृथ्वीराज को बन्दी बनाया और कुछ दिनों तक 'इस्लाम्'-धर्म का अङ्गीकार करवाने का प्रयास करता रहा। उस प्रयोस में पृथ्वीराज को शारीरक पीडाएँ दी गई। शरीरिक यातना देने के समय घोरी ने पृथ्वीराज को अन्धा कर दिया। अन्ध पृथ्वीराज ने शब्दवेध बाण से घोरी की हत्या करके अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहा। परन्तु देशद्रोह के कारण उनकी वो योजना भी विफल हो गई। एवं जब पृथ्वीराज के निश्चय को परिवर्तित करने में घोरी अक्षम हुआ, तब उसने अन्ध पृथ्वीराज की हत्या कर दी। अर्थात्, धर्म ही ऐसा मित्र है, जो मरणोत्तर भी साथ चलता है। अन्य सभी वस्तुएं शरीर के साथ ही नष्ट हो जाती हैं। इतिहासविद् डॉ.

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फतेहाबाद

फतेहाबाद भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले का एक नगर है। यह आगरा से लगभग ३५ किमी दक्षिण-पूर्व में बसा है। .

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फ़िरोज़ाबाद

फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है।यह शहर चूड़ियों के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है। यह आगरा से 40 किलोमीटर और राजधानी दिल्ली से 250 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की तरफ स्थित है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यहाँ से लगभग 250 किमी पूर्व की तरफ है। फिरोज़ाबाद ज़िले के अन्तर्गत दो कस्बे टुंडला और शिकोहाबाद आते हैं। टुंडला पश्चिम तथा शिकोहाबाद शहर के पूर्व में स्थित है। फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं। इस शहर की आबो हवा गरम है। यहाँ की आबादी बहुत घनी है। यहाँ के ज्यादातर लोग कोरोबार से जुडे हैं। घरों के अन्दर महिलाएं भी चूडियों पर पालिश और हिल लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। बाल मज़दूरी यहाँ आम है। सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद उन पर अंकुश नहीं लगा सकी है। जबकि पंडित तोताराम सनाढय द्वारा बंधुआ मजदूरी/गिरमिटिया प्रथा को फिजी में समाप्त किया।जिनकी जन्म स्थली फीरोजाबाद से लगभग 8 किलो मीटर दूर गाओं हिरन गाओं में है !फिरोजाबाद को प्राचीन समय में चन्द्रनगर के नाम से जाना जाता था .

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फ़िरोज़ाबाद ज़िला

फिरोज़ाबाद भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। यह पंजाब के फ़िरोज़पुर नामक ज़िले से अलग है। ज़िले का मुख्यालय फ़िरोज़ाबाद है। सन् २०११ में इसकी आबादी लगभग कुवैत के पूरे राष्ट्र के बराबर थी। २०११ में इसका साक्षरता दर ७४% था। इसका एस.टी.डी (STD) कोड ०५६१२ है। .

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फ़िजी

फ़िजी जो कि आधिकारिक रूप से फ़िजी द्वीप समूह गणराज्य (फ़िजीयाई: Matanitu Tu-Vaka-i-koya ko Viti) के नाम से जाना जाता है, दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया मे एक द्वीप देश है। यह न्यू ज़ीलैण्ड के नॉर्थ आईलैण्ड से करीब २००० किमी उत्तर-पूर्व मे स्थित है। इसके समीपवर्ती पड़ोसी राष्ट्रों मे पश्चिम की ओर वनुआतु, पूर्व में टोंगा और उत्तर मे तुवालु हैं। १७वीं और १८वीं शताब्दी के दौरान डच एवं अंग्रेजी खोजकर्तओं ने फ़िजी की खोज की थी। १९७० तक फ़िजी एक अंग्रेजी उपनिवेश था। प्रचुर मात्रा मे वन, खनिज एवं जलीय स्रोतों के कारण फ़िजी प्रशान्त महासागर के द्वीपों मे सबसे उन्नत राष्ट्र है। वर्तमान मे पर्यटन एवं चीनी का निर्यात इसके विदेशी मुद्रा के सबसे बड़े स्रोत हैं। यहाँ की मुद्रा फ़िजी डॉलर है। फ़िजी के अधिकांश द्वीप १५ करोड़ वर्ष पूर्व आरम्भ हुए ज्वालामुखीय गतिविधियों से गठित हुए। इस देश के द्वीपसमूह में कुल ३२२ द्वीप हैं, जिनमें से १०६ स्थायी रूप से बसे हुए हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ लगभग ५०० क्षुद्र द्वीप हैं जो कुल मिला कर १८,३०० वर्ग किमी के क्षेत्रफल का निर्माण करते हैं। द्वीपसमूह के दो प्रमुख द्वीप विती लेवु और वनुआ लेवु हैं जिन पर देश की लगभग ८,५०,००० आबादी का ८७% निवास करती है। .

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भारती भवन

भारती भवन एक शैक्षणिक प्रकाशन संस्थान है जिसकी शुरुआत पटना में सन् १९४३ में हुई थी। इस समूह ने विद्यालयों और प्रतियोगिताओं के लिए कई पुस्तकें छापी हैं। आज इसके कार्यालय पटना के अलावे दिल्ली, राँची, बेंगलुरु जैसी जगहों पर हैं। प्रसिद्ध प्रोफ़ेसर एच सी वर्मा की 'कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स' इस प्रकाशन की सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है। इनकी पुस्कें अंग्रेज़ी और हिन्दी में होती हैं। पंडित तोताराम सनाढ्य की पुस्तक फिजी द्वीप में मेरे इक्कीश वर्ष भारती भवन द्वारा प्रकाशित कराकर भवन की ख्याति को बढाया। जिनका जन्म 1876 में हिरनगाँव फ़िरोज़ाबाद में हुआ था। .

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भारती भवन पुस्तकालय

भारती भवन पुस्तकालय इलाहाबाद स्थित हिन्दी और उर्दू का पुस्तकालय है। इसकी स्थापना पण्डित मदन मोहन मालवीय और बालकृष्ण भट्ट ने की थी। पंडित तोताराम सनाढ्य की पुस्तक फिजी द्वीप में मेरे इक्कीश वर्ष भारती भवन द्वारा प्रकाशित कराकर भवन की ख्याति को बढाया। जिनका जन्म 1876 में हिरनगाँव फ़िरोज़ाबाद में हुआ था। श्रेणी:भारत के पुस्तकालय.

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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मोहम्मद ग़ोरी

सोहावा झेलम, पाकिस्तान में मोहम्मद ग़ौरी का मकबरा शहाब-उद-दीन मुहम्मद ग़ोरी १२वीं शताब्दी का अफ़ग़ान सेनापति था जो १२०२ ई. में ग़ोरी साम्राज्य का शासक बना। सेनापति की क्षमता में उसने अपने भाई ग़ियास-उद-दीन ग़ोरी (जो उस समय सुल्तान था) के लिए भारतीय उपमहाद्वीप पर ग़ोरी साम्राज्य का बहुत विस्तार किया और उसका पहला आक्रमण मुल्तान (११७५ ई.) पर था। पाटन (गुजरात) के शासक भीम द्वितीय पर मोहम्मद ग़ौरी ने ११७८ ई. में आक्रमण किया किन्तु मोहम्मद ग़ौरी बुरी तरह पराजित हुआ। मोहम्मद ग़ोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तराईन के मैदान में दो युद्ध हुए। ११९१ ई. में हुए तराईन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई किन्तु अगले ही वर्ष ११९२ ई. में पृथ्वीराज चौहान को तराईन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद ग़ोरी ने बुरी तरह पराजित किया। मोहम्मद ग़ोरी ने चंदावर के युद्ध (११९४ ई.) में दिल्ली के गहड़वाल वंश के शासक जयचंद को पराजित किया। मोहम्मद ग़ौरी ने भारत में विजित साम्राज्य का अपने सेनापतियों को सौप दिया और वह गज़नी चला गया। बाद में गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम राजवंश की नीव डाली। .

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रपड़ी

शिकोहाबाद से दक्षिण किनारे यमुना नदी के निकट रपडी जागीर के अवशेष आज भी विधमान है कहा जाता है कि राव जोरावर सिंह ने रपडी को वसाय था उनके वंशजों को मोहम्मद गौरी से 1194 ईश्वर में युद्ध करना पड़ा रबड़ी जागीर के अवशेष आज भी यमुना नदी किनारे है| राव जोरावर सिंह के राज्य का विस्तार यमुना के कारण और प्रभाव आग मुस्तफाबाद घिरोर और बरनाहल के परगने तक था राजा जयचंद को पराजित करने के पश्चात मुस्लिम सेना चंद बाहर से सन 1194 में दक्षिण की ओर चली तब उसने रबड़ी के राजा पर आक्रमण किया तथा करता में पराजित किया राजा रतन सेन के पराभव के उपरांत रबड़ी मुसलमान शासन की जागीर के रूप में रहे परंतु मुस्लिम शासकों के पराभव तथा मराठा शासकों के अभ्युदय के साथ रपड़ी का भी पराभव प्रारंभ हो गया विभिन्न मस्जिदें कब्रे कुएं बावली रपड़ी के प्राचीन वैभव के मुंह प्रमाण है अनेक खंडहरों के अवशेषों से प्राप्त शिलालेखों ने स्थानीय इतिहास पर पर्याप्त प्रकाश डाला | इनमें से सबसे महत्वपूर्ण शिलालेख अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल का है यहां शेरशाह सूरी एवं सलीम शाह के शासन काल में अनेक भवन निर्मित हुए शाही भवनों में से एक के द्वार के चिन्ह अब भी विद्वान है जो यह संकेत देते हैं कि रपड़ी बहुत बड़ा एवं संपन्न कस्बा था एक सुविख्यात संत किट्टू शाह की दरगाह पर वार्षिक उर्स लगता है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैंे यह संत एक ईश्वर के उपासक थे वह अपनी शक्ति से अनेक चमत्कार दिखाते थे यमुना को पार करने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल रहा है यह नावों का एक अस्थाई पुल है जो आगरा जिले के बटेश्वर में महान पशु मेला जाने के लिए मुख्य मार्गों में से एक है मोहम्मद खा नामक व्यक्ति द्वारा मोहम्मदाबाद जो बाद में शिकोहाबाद जाना गया की स्थापना के कारण रपड़ी महत्व होता गया के लिए के समस्त चिन्ह समाप्त हो गए और वह मत देखती रह गया है रपड़ी के लिए के खंडहर पर यमुना के किनारे एक कच्छ में दो कपड़े बनी है यह टीला शिकोहाबाद बटेश्वर मार्ग के दक्षिण की ओर है इस शताब्दी के आठवें दशक के मस्त मध्य जब सड़क पक्की हो गई थी तब इसे चौड़ा किया गया इस निर्माण की प्रक्रिया में किले का द्वार गिर गया इसी खुदाई के समय सोने की ईट प्राप्त हुई थी वहां एक ईदगाह है, यहाँ वुजुर्ग फरीदउद्दीन चिस्ती की दरगाह भी है चैत्र की फसल कटने क बाद यहाँ उर्ष का मेला लगता है दरगाह के पीछे एक ईदगाह भी है जिसकी दीवारो पर अरवी में कुरान की आयते भी लिखी हुई है पुराने समय में एक किलो मीटर के दायरे में विशाल किला बना होगा जिसके टूटे हुए पत्थर व् ईटे आज भी भिखरी हुई है एक मस्जिद तथा एक पक्का कुआ के अवशेष आज भी मौजूद है। .

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राजा का ताल

राजा का ताल- हिरनगाँव से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर राजा का ताल बसा हुआ है फिरोजाबाद गजट द्वारा राजा के ताल का निर्माण सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक मंत्री राजा टोडरमल द्वारा कराया गया था आगरा मार्ग के किनारे लाल पत्थर से बना बड़ा राजा का ताल राजा टोडरमल का स्मरण कराता है इस ताल के विषय में एक रुचिकर तथ्य है कि यहां ताल के मध्य में पत्थर का बना एक मंदिर है जहां एक बांध पुल द्वारा पहुंचा जा सकता है परंतु वर्तमान में अब यह ताल नाम मात्र का रह गया है और यहां पर ज्यादातर मकान बन चुके हैं परंतु कहीं कहीं पर लाल ककरी की दीवार नाममात्र के रूप में नजर आती है .

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शिकोहाबाद

नगला भाट शिकोहाबाद का महत्त्वपूर्ण गाँव हैं।इसी गांव में रहते हैं नगेन्द्र यादव पुत्र स्व.श्री मुकुट सिंह यादव (ex प्रधान) वह एक CFL&LED Light के व्यापारी हैं तथा वह GNP Lights के एमडी हैं। उनका मो.

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हिरनगाँव

हिरनगाँव उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले की फिरोजाबाद तहसील का एक छोटा-सा गाँव है। किन्तु यह गाँव ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह जरौली खुर्द ग्राम पंचायत के अन्तर्गत आता है। घनी वसाबट वाली वस्ती से दूर बसे होने तथा खुले एवम् शांतिपूर्ण स्वछ हरियाली युक्त वातावरण व् ट्रैफिक की समस्या से दूर होने के कारण ब्राह्मणों का गाँव कहे जाने वाले इस गाँव में अनेक समुदाय के लोग निवास करते है। इनमे ब्राहम्ण, जाटव, नाई, कोरी, काछी, वाल्मीकि है ब्राह्म्णों में तिवारी, स्रोतीय, मुदगल, पाठक, जोशी, तेनुगुरिया, दीक्षित गौत्र के व्यक्ति है हिरन गाँव चार मौहल्लो में विभाजित है जिसमे "तिवारी मौहल्ला, स्रोतीय मौहल्ला, दीक्षित मौहल्ला, एवम जाटव मोहल्ला "सभी समुदाय के व्यक्ति मिलजुल कर घनिस्ट प्रेमता के साथ रहते है। फ़िरोज़ाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर पूर्वी दिशा में स्थित है। यहाँ पर अधिकांश व्यक्ति सरकारी सेवा में कार्यरत थे परंतु वर्तमान में अधिकांश व्यक्ति कारख़ानों/फैक्ट्रीयो पर निर्भर है। वर्तमान में जो व्यक्ति सरकारी सेवा में कार्यरत है वो गाँव से बाहर शहर में निवास कर रहे हैं।हिरनगाँव का पिन कोड 283103 है यहाँ पत्रो के आने जाने हेतु भारत सरकार द्वारा स्थापित हिरनगाँव डाकखाना भी है एवम् प्रधान डाकखाना फ़िरोज़ाबाद में स्थित है। जो कि लगभग 8 किलो मीटर दूरी पर है। हिरनगाँव के चारों तरफ देवी देवताओं के मंदिर बने हुए हैं जो कि इस गांव की विपत्तियों से रक्षा करते हैं इस गांव में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति कादा संस्कार उसको बैठा कर किया जाता है योग क्रिया की तरह जबकि अन्य गांव में इस तरह की प्रथा नहीं है अन्य गांव में किसी भी मृत व्यक्ति का दाह संस्कार लिटाकर किया जाता है इस प्रथा को इस गांव हिरनगाँव के व्यक्ति पूर्वज ऋषि मुनि की योगसाधना से जोड़ते हैं क्योंकि प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपनी योग साधना ऋषि मुद्रा में लीन होकर करते थे हिरनगाँव के उत्तर मे नारखी तहसील, दक्षिण में फ़तेहाबाद, पश्चिम में टूण्डला तहसील और पूर्व में शिकोहाबाद तहसील है।आगरा मंडल 42 किलो मीटर दूरी पर है जिसमे कई मुगलकालीन ऐतहासिक इमारते सुशोभित है। .

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हिरनगाँव रेलवे स्टेशन

हिरनगाँव रेलवे स्टेशन की स्थापना व्रिटिश काल में हुई थी यहाँ पूर्व में कई माल भाड़ा गाड़ीयो से कोयला आया करता था क्युकि उत्तर प्रदेश में काँच का सर्वप्रथम कारखाना यहाँ स्थापित है। जो कि वर्तमान में बंद है। .

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गिरमिटिया

सत्रहवीं सदी में आये अंगरेज़ों ने आम भारतीयों को एक-एक रोटी तक को मोहताज कर दिया। फिर उन्होंने गुलामी की शर्त पर लोगों को विदेश भेजना प्रारंभ किया। इन मज़दूरों को गिरमिटिया कहा गया। गिरमिट शब्द अंगरेजी के `एग्रीमेंट' शब्द का अपभ्रंश बताया जाता है। जिस कागज पर अंगूठे का निशान लगवाकर हर साल हज़ारों मज़दूर दक्षिण अफ्रीका या अन्य देशों को भेजे जाते थे, उसे मज़दूर और मालिक `गिरमिट' कहते थे। इस दस्तावेज के आधार पर मज़दूर गिरमिटिया कहलाते थे। हर साल १० से १५ हज़ार मज़दूर गिरमिटिया बनाकर फिजी, ब्रिटिश गुयाना, डच गुयाना, ट्रिनीडाड, टोबेगा, नेटाल (दक्षिण अफ्रीका) आदि को ले जाये जाते थे। यह सब सरकारी नियम के अंतर्गत था। इस तरह का कारोबार करनेवालों को सरकारी संरक्षण प्राप्त था। .

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आगरा मंडल

आगरा भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक मंडल है। इसमें आगरा फ़िरोज़ाबाद मैनपुरी और मथुरा जिले आते हैं।.

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thumb अ देवनागरी लिपि का पहला वर्ण तथा संस्कृत, हिंदी, मराठी, नेपाली आदि भाषाओं की वर्णमाला का पहला अक्षर एवं ध्वनि है। यह एक स्वर है। यह कंठ्य वर्ण है।। इसका उच्चारण स्थान कंठ है। इसकी ध्वनि को भाषाविज्ञान में श्वा कहा जाता है। यह संस्कृत तथा भारत की समस्त प्रादेशिक भाषाओं की वर्णमाला का प्रथम अक्षर है। इब्राली भाषा का 'अलेफ्', यूनानी का 'अल्फा' और लातिनी, इतालीय तथा अंग्रेजी का ए (A) इसके समकक्ष हैं। अक्षरों में यह सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं। उपनिषदों में इसकी बडी महिमा लिखी है। तंत्रशास्त्र के अनुसार यह वर्णमाला का पहला अक्षर इसलिये है क्योंकि यह सृष्टि उत्पन्न करने के पहले सृष्टिवर्त की आकुल अवस्था को सूचित करता है। श्रीमद्भग्वद्गीता में कृष्ण स्वयं को अक्षरों में अकार कहते हैं- 'अक्षराणामकारोस्मि'। अ हिंदी वर्णमाला का स्वर वर्ण है उच्चारण की दृष्टि से अ निम्नतर,मध्य,अगोलित,हृस्व स्वर है कुछ स्थितियों में अ का उच्चारण स्थान ह वर्ण से पूर्वभी होता है जैसे कहना में वह में अ का उच्चारण स्थानभी है अ हिंदी में पूर्व प्रत्यय के रूप में भी बहुप्रयुक्त वर्ण है अ पूर्व प्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होकर प्रायः मूल शब्द के अर्थ का नकारात्मक अथवा विपरीत अर्थ देता है,जैसे-अप्रिय,अन्याय,अनीति ऊ अन्यत्र मूल शब्द के पूर्ण न होने की स्थिति भी दर्शाता है,जैसे-अदृश्य,अकर्म अ पूर्व प्रत्यय की एक अन्य विशेषता यह भी है कि वह मूल शब्द के भाव के अधिकार को सूचित करता है,जैसे-अघोर अक्स उतारने वाला अक्कास कहलाता है चित्रकार;अक्कास कहलाता है .

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्राथमिक विद्यालय हिरनगाँव, हिरन गाँव, हिरनगाँव डाकखाना, हिरनगांव

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