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हिमशैल

सूची हिमशैल

हिमशैल (iceberg) मीठे जल के ऐसे बड़े टुकड़े को कहते हैं जो किसी हिमानी (ग्लेशियर) या हिमचट्टान (आइस-शेल्फ़) से टूटकर खुले पानी में तैर रहा हो। उत्प्लावन बल के कारण किसी भी हिमशैल का लगभग दसवाँ हिस्सा ही समुद्री पानी के ऊपर नज़र आता है जबकि उसका बाक़ी नौ-गुना बड़ा भाग जल के नीचे होता है। .

4 संबंधों: मीठा जल, हिमचट्टान, हिमानी, उत्प्लावन बल

मीठा जल

मीठा जल अथवा ताजा जल प्राकृतिक रूप से पृथ्वी पर पाया जाने वाला वह पानी है जो समुद्री और समुद्रतटीय लैगूनों के नमक मिश्रित जल से अलग है। इसे ऐसे जल के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें 0.5 भाग प्रति हजार से कम लवण घुले हुए हों। यह पृथ्वी पर कई रूपों में पाया जाता है जैसे हिम टोपियों के रूप में ध्रुवीय क्षेत्रों में या ऊंचे पर्वतों पर, नदियों में प्रवाहित धरातलीय जल, जमीन के नीचे स्थित भूगर्भिक जल, मिट्टी में उपलब्ध नमी के रूप में मृदा जल, झीलों तालाबों और पोखरों में स्थित जल इत्यादि के रूप में। वस्तुतः मीठा जल या ताजा जल शब्द समुद्री खारे जल से अलग सारा जल है जो पृथ्वी पर पाया जाता है। यह पेय जल का समानार्थी नहीं है और पेय जल इसका एक हिस्सा मात्र है। वास्तव में पृथ्वी पर उपलब्ध मीठे जल का काफ़ी हिस्सा पीने योग्य नहीं है क्योंकि उसमें रासायनिक अथवा जैविक दूषण पाया जाता है। .

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हिमचट्टान

हिमचट्टान (ice shelf) बर्फ़ का एक तैरता हुआ तख़्ता होता है जो किसी हिमानी (ग्लेशियर) या हिमचादर के ज़मीन से समुद्र की सतह पर बह जाने से बन जाता है। हिमचट्टाने केवल अंटार्कटिका, ग्रीनलैण्ड और कनाडा में मिलती हैं। हिमचट्टानों की मोटाई १०० से १००० मीटर तक की होती है। पृथ्वी के ठंडे समुद्री क्षेत्रों पर (जैसे कि आर्कटिक महासागर में) स्वयं भी बर्फ़ बनती है लेकिन इसकी मोटाई लेवल ३ मीटर तक की होती है। जब साधारण बर्फ़ पानी पर तैरती है तो उसका एक-सातवाँ (१/७) हिस्सा पानी के ऊपर होता है, लेकिन हिमानियों की बर्फ़ साधारण बर्फ़ से अधिक घनी होने के कारण हिमचट्टानों का केवल एक-नौवाँ (१/९) भाग ही पानी से ऊपर होता है। .

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हिमानी

काराकोरम की बाल्तोरो हिमानी हिमानी या हिमनद (अंग्रेज़ी Glacier) पृथ्वी की सतह पर विशाल आकार की गतिशील बर्फराशि को कहते है जो अपने भार के कारण पर्वतीय ढालों का अनुसरण करते हुए नीचे की ओर प्रवाहमान होती है। ध्यातव्य है कि यह हिमराशि सघन होती है और इसकी उत्पत्ति ऐसे इलाकों में होती है जहाँ हिमपात की मात्रा हिम के क्षय से अधिक होती है और प्रतिवर्ष कुछ मात्रा में हिम अधिशेष के रूप में बच जाता है। वर्ष दर वर्ष हिम के एकत्रण से निचली परतों के ऊपर दबाव पड़ता है और वे सघन हिम (Ice) के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। यही सघन हिमराशि अपने भार के कारण ढालों पर प्रवाहित होती है जिसे हिमनद कहते हैं। प्रायः यह हिमखंड नीचे आकर पिघलता है और पिघलने पर जल देता है। पृथ्वी पर ९९% हिमानियाँ ध्रुवों पर ध्रुवीय हिम चादर के रूप में हैं। इसके अलावा गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों के हिमनदों को अल्पाइन हिमनद कहा जाता है और ये उन ऊंचे पर्वतों के सहारे पाए जाते हैं जिन पर वर्ष भर ऊपरी हिस्सा हिमाच्छादित रहता है। ये हिमानियाँ समेकित रूप से विश्व के मीठे पानी (freshwater) का सबसे बड़ा भण्डार हैं और पृथ्वी की धरातलीय सतह पर पानी के सबसे बड़े भण्डार भी हैं। हिमानियों द्वारा कई प्रकार के स्थलरूप भी निर्मित किये जाते हैं जिनमें प्लेस्टोसीन काल के व्यापक हिमाच्छादन के दौरान बने स्थलरूप प्रमुख हैं। इस काल में हिमानियों का विस्तार काफ़ी बड़े क्षेत्र में हुआ था और इस विस्तार के दौरान और बाद में इन हिमानियों के निवर्तन से बने स्थलरूप उन जगहों पर भी पाए जाते हैं जहाँ आज उष्ण या शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है। वर्तमान समय में भी उन्नीसवी सदी के मध्य से ही हिमानियों का निवर्तन जारी है और कुछ विद्वान इसे प्लेस्टोसीन काल के हिम युग के समापन की प्रक्रिया के तौर पर भी मानते हैं। हिमानियों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये जलवायु के दीर्घकालिक परिवर्तनों जैसे वर्षण, मेघाच्छादन, तापमान इत्यादी के प्रतिरूपों, से प्रभावित होते हैं और इसीलिए इन्हें जलवायु परिवर्तन और समुद्र तल परिवर्तन का बेहतर सूचक माना जाता है। .

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उत्प्लावन बल

किसी द्रव में रखी वस्तु पर लगने वाले बल किसी तरल (द्रव या गैस) में आंशिक या पूर्ण रूप से डूबी किसी वस्तु पर उपर की ओर लगने वाला बल उत्प्लावन बल कहलाता है। उत्प्लावन बल नावों, जलयानों, गुब्बारों आदि के कार्य के लिये जिम्मेदार है। .

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