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हिन्दू वृद्धि-दर

सूची हिन्दू वृद्धि-दर

भारतीय अर्थव्यवस्था की 1950 से लेकर 1980 तक निम्न वृद्धि दर को हिन्दू वृद्धि दर (Hindu rate of growth) कहा जाता है। इस शब्द में "हिंदू" शब्द का प्रयोग कुछ शुरुआती अर्थशास्त्रीों द्वारा किया गया था जिसका अर्थ यह है कि हिंदुओं का भाग्यवाद में विश्वास और किसी भी चीज से संतोष करने की प्रवृत्ति भारत की अर्थव्यवस्था की धीमी गति के लिए जिम्मेदार थी। बाद के अर्थशास्त्री भारत सरकार के संरक्षणवादी और हस्तक्षेपवादी नीतियों को कम वृद्धि दर का कारण मानते हैं। यह शब्द दक्षिण कोरिया के हान नदी पर चमत्कार और ताइवान की उच्च वृद्धि दर के विपरीत स्थिति को दर्शाता है। इन एशियाई टाइगर्स की 1950 के दशक में भारत के समान आय स्तर था, तब से तेज आर्थिक विकास ने आज उन्हें विकसित देशों में बदल दिया है। यह टिप्पणी/नामकरण भारत के अर्थशास्त्री प्रो० राजकृष्णा ने व्यंग्यात्मक रूप में एक सभा में की थी। "हिंदू वृद्धि-दर" के प्रयोग की आलोचना भी की गई है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की निम्न विकास दर धर्मनिरपेक्ष नेहरूवादी समाजवाद के कारण रही, जिसका हिंदू धर्म से कोई संबंध नहीं है।http://www.livemint.com/Money/76l5Klit1s3nWARdEbD4LI/The-Nehruvian-rate-of-growth.html .

7 संबंधों: चार एशियाई चीते, ताइवान, दक्षिण कोरिया, दैववाद, समाजवाद, हान नदी पर चमत्कार, हिन्दू धर्म

चार एशियाई चीते

चार एशियाई चीते या एशियाई ड्रैगन एशिया की चार अतिविकसित अर्थव्यवस्थाएं है जो हैं ताइवान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और हांग कांग। ये चार क्षेत्र एशिया के प्रथम औद्योगिकृत क्षेत्रों में से थे जिन्होंने आरम्भिक १९६० से लेकर १९९० के दशक तक अभूतपूर्व प्रगति की थी। २१वीं सदी में चारों क्षेत्र अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं और उच्च आय वाले बन गए हैं। हालांकि, अब अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाएं केन्द्र में आ गई हैं जहाँ आर्थिक वृद्धि दर अधिक है। चारों एशियाई चीतों के पास योग्य, उच्च शिक्षा प्राप्त कार्यबल है और इन्होंने कई क्षेत्रों में कौशल प्राप्त कर लिया हैं जहाँ इनके पास प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है। जैसे, हांगकांग और सिंगापुर विश्व के दो अग्रणी वित्तीय केन्द्र हैं, जबकि दक्षिण कोरिया और ताइवान सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में अग्रणी हैं। बाद के दो क्षेत्रों की उन्नति की कहानी को हान नदी पर चमत्कार और ताइवानी चमत्कार कहा जाता है और ये दोनों देश बहुत से विकासशील देशों के लिए आदर्श माने जाते हैं, विशेषतः टागर क्लब की अर्थव्यवस्थाओं के लिए। .

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ताइवान

ताइवान द्वीप की स्थिति ताइवान का मानचित्र ताइवान या ताईवान (चीनी: 台灣) पूर्व एशिया में स्थित एक द्वीप है। यह द्वीप अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का अंग है जिसका मुख्यालय ताइवान द्वीप ही है। इस कारण प्रायः 'ताइवान' का अर्थ 'चीनी गणराज्य' से भी लगाया जाता है। यूं तो ऐतिहासिक तथा संस्कृतिक दृष्टि से यह मुख्य भूमि (चीन) का अंग रहा है, पर इसकी स्वायत्ता तथा स्वतंत्रता को लेकर चीन (जिसका, इस लेख में, अभिप्राय चीन का जनवादी गणराज्य से है) तथा चीनी गणराज्य के प्रशासन में विवाद रहा है। ताइवान की राजधानी है ताइपे। यह देश का वित्तीय केन्द्र भी है और यह नगर देश के उत्तरी भाग में स्थित है। यहाँ के निवासी मूलत: चीन के फ्यूकियन (Fukien) और क्वांगतुंग प्रदेशों से आकर बसे लोगों की संतान हैं। इनमें ताइवानी वे कहे जाते हैं, जो यहाँ द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व में बसे हुए हैं। ये ताइवानी लोग दक्षिण चीनी भाषाएँ जिनमें अमाय (Amoy), स्वातोव (Swatow) और हक्का (Hakka) सम्मिलित हैं, बोलते हैं। मंदारिन (Mandarin) राज्यकार्यों की भाषा है। ५० वर्षीय जापानी शासन के प्रभाव में लोगों ने जापानी भी सीखी है। आदिवासी, मलय पोलीनेशियाई समूह की बोलियाँ बोलते हैं। .

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दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया (कोरियाई: 대한민국 (देहान् मिन्गुक), 大韩民国 (हंजा)), पूर्वी एशिया में स्थित एक देश है जो कोरियाई प्रायद्वीप के दक्षिणी अर्धभाग को घेरे हुए है। 'शान्त सुबह की भूमि' के रूप में ख्यात इस देश के पश्चिम में चीन, पूर्व में जापान और उत्तर में उत्तर कोरिया स्थित है। देश की राजधानी सियोल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र और एक प्रमुख वैश्विक नगर है। यहां की आधिकारिक भाषा कोरियाई है जो हंगुल और हंजा दोनो लिपियों में लिखी जाती है। राष्ट्रीय मुद्रा वॉन है। उत्तर कोरिया, इस देश की सीमा से लगता एकमात्र देश है, जिसकी दक्षिण कोरिया के साथ २३८ किलिमीटर लम्बी सीमा है। दोनो कोरियाओं की सीमा विश्व की सबसे अधिक सैन्य जमावड़े वाली सीमा है। साथ ही दोनों देशों के बीच एक असैन्य क्षेत्र भी है। कोरियाई युद्ध की विभीषिका झेल चुका दक्षिण कोरिया वर्तमान में एक विकसित देश है और सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति) के आधार पर विश्व की तेरहवीं और सकल घरेलू उत्पाद (संज्ञात्मक) के आधार पर पन्द्रहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।कोरिया मे १५ अंतराष्ट्रीय बिमानस्थल है और करीब ५०० विश्वविद्यालय है लोग बिदेशो यहा अध्ययन करने आते है। यहा औद्योगिक विकास बहुत हुऐ है और कोरिया मे चीन सहित १५ देशो के लोग रोजगार अनुमति प्रणाली(EPS) के माध्यम से यहा काम करते है। जिसमे दक्षिण एशिया के ४ देशो नेपाल बांग्लादेश श्रीलंका पाकिस्तान है। .

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दैववाद

भगवद्गीता के अनुसार, प्रत्येक क्रिया के पाँच कारण होते हैं- अधिष्ठान, कर्ता, करण, चेष्टा और दैव। दैव कारण का वह भाग है जो मनुष्य के उद्योग से सबंद्ध नहीं। दैववाद के अनुसार यह अंश क्रिया का संपूर्ण कारण है; मनुष्य भी कर्ता नहीं, करण ही है, हमारा सारा जीवन भाग्यवश व्यतीत होता है। प्रकृतिवाद प्रकृतिनियम को इस भाग्य का विधाता बताता है। विकसित धर्मों में कुछ देव को ईश्वरेच्छा के अर्थ में लेते हैं। प्रकृतिवाद कहता है कि जब सारा विश्व नियमाधीन चल रहा है, तो इसका अति अल्प भाग नियम की उपेक्षा नहीं कर सकता। सेंट आगस्तिन ने कहा कि सर्वज्ञ होने के कारण ईश्वर भविष्य में होनेवाले कर्मों को भी जानता है। परंतु ज्ञान का विषय कोई ऐसा पदार्थ ही हो सकता है जिसका वास्तविक अस्तित्व हो; इसलिए ऐसे कर्म पहले ही ईश्वर की ओर से निर्णीत हो चुके होते हैं। अनुभव बताता है कि हमारी स्वाधीनता परिमित तो है, परंतु हम यह नहीं मान सकते कि हम सर्वथा पराधीन हैं। किसी वस्तु को देखने में ही हमारा मन उपलब्धों को संयुक्त करता है और अपनी स्वाधीनता की घोषणा करता है। नैतिक जीवन का तो आधार ही स्वाधीनता है। अभाव में उत्तरदायित्व के लिए कोई स्थान नहीं। स्वंय धर्म के लिए भी दैववाद कठिनाइयाँ खड़ी कर देता है। यदि हमारा भाग्य पूर्ण रूप से ईश्वर ने निश्चित किया है, तो पुण्य पाप हमारे कर्म ही नहीं; उनका फल हमें क्यों मिलेगा? इस कठिनाई से बचने के लिए कुछ विचारक कहते हैं कि दैव हमारे पूर्वजन्मों के कर्मों का संस्कार ही है; हमारा भाग्य, हमारा अपना बनाया हुआ है। .

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समाजवाद

समाजवाद (Socialism) एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन है। समाजवादी व्यवस्था में धन-सम्पत्ति का स्वामित्व और वितरण समाज के नियन्त्रण के अधीन रहते हैं। आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक प्रत्यय के तौर पर समाजवाद निजी सम्पत्ति पर आधारित अधिकारों का विरोध करता है। उसकी एक बुनियादी प्रतिज्ञा यह भी है कि सम्पदा का उत्पादन और वितरण समाज या राज्य के हाथों में होना चाहिए। राजनीति के आधुनिक अर्थों में समाजवाद को पूँजीवाद या मुक्त बाजार के सिद्धांत के विपरीत देखा जाता है। एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में समाजवाद युरोप में अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में उभरे उद्योगीकरण की अन्योन्यक्रिया में विकसित हुआ है। ब्रिटिश राजनीतिक विज्ञानी हैरॉल्ड लॉस्की ने कभी समाजवाद को एक ऐसी टोपी कहा था जिसे कोई भी अपने अनुसार पहन लेता है। समाजवाद की विभिन्न किस्में लॉस्की के इस चित्रण को काफी सीमा तक रूपायित करती है। समाजवाद की एक किस्म विघटित हो चुके सोवियत संघ के सर्वसत्तावादी नियंत्रण में चरितार्थ होती है जिसमें मानवीय जीवन के हर सम्भव पहलू को राज्य के नियंत्रण में लाने का आग्रह किया गया था। उसकी दूसरी किस्म राज्य को अर्थव्यवस्था के नियमन द्वारा कल्याणकारी भूमिका निभाने का मंत्र देती है। भारत में समाजवाद की एक अलग किस्म के सूत्रीकरण की कोशिश की गयी है। राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और नरेन्द्र देव के राजनीतिक चिंतन और व्यवहार से निकलने वाले प्रत्यय को 'गाँधीवादी समाजवाद' की संज्ञा दी जाती है। समाजवाद अंग्रेजी और फ्रांसीसी शब्द 'सोशलिज्म' का हिंदी रूपांतर है। 19वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तिवाद के विरोध में और उन विचारों के समर्थन में किया जाता था जिनका लक्ष्य समाज के आर्थिक और नैतिक आधार को बदलना था और जो जीवन में व्यक्तिगत नियंत्रण की जगह सामाजिक नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे। समाजवाद शब्द का प्रयोग अनेक और कभी कभी परस्पर विरोधी प्रसंगों में किया जाता है; जैसे समूहवाद अराजकतावाद, आदिकालीन कबायली साम्यवाद, सैन्य साम्यवाद, ईसाई समाजवाद, सहकारितावाद, आदि - यहाँ तक कि नात्सी दल का भी पूरा नाम 'राष्ट्रीय समाजवादी दल' था। समाजवाद की परिभाषा करना कठिन है। यह सिद्धांत तथा आंदोलन, दोनों ही है और यह विभिन्न ऐतिहासिक और स्थानीय परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करता है। मूलत: यह वह आंदोलन है जो उत्पादन के मुख्य साधनों के समाजीकरण पर आधारित वर्गविहीन समाज स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है और जो मजदूर वर्ग को इसका मुख्य आधार बनाता है, क्योंकि वह इस वर्ग को शोषित वर्ग मानता है जिसका ऐतिहासिक कार्य वर्गव्यवस्था का अंत करना है। .

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हान नदी पर चमत्कार

दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था लगभग अविरल रूप से बढ़ती रही और मात्र पचास वर्षों के दौरान शून्य से एक खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन गई। हान नदी पर चमत्कार (हंगुल: 한강의 기적 उच्चारण: हांगान्गीउइ किजिओक) दक्षिण कोरिया के चमत्कारिक उत्थान के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला पद है। यह पद हालांकि समूचे दक्षिण कोरिया के लिए प्रयुक्त होता है लेकिन यह विशेषतः, सियोल के लिए प्रयुक्त किया जाता है, जहाँ से होकर हान नदी बहती है। यह चमत्कार मुख्यतः १९५३ से १९९६ के दौरान दक्षिण कोरिया में हुई आश्चर्यजनक प्रगति को दर्शाता है। इस काल के दौरान दक्षिण कोरिया एक अत्यन्त निर्धन और पिछड़े देशों की श्रेणी से निकलकर विश्व के प्रमुख औद्योगिक देशों में सम्मिलित हो गया। इस दौरान दक्षिण कोरिया की निर्यात-समर्थित अर्थव्यवस्था का तीव्र औद्योगिकरण और प्रौद्योगिकीकरण हुआ और जीवन-स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इसके साथ-साथ नगरीकरण, आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण में भी आश्चर्यजनक वृद्धि हुई। इन सबके चलते दक्षिण कोरिया कोरियाई युद्ध की विभीषिका से निकलकर ५० वर्षों के अन्तराल में एक खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन गया। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

हिन्दू वृद्धि दर, हिन्दू ग्रोथ रेट

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