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हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी

सूची हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी

जिस देश के पास अपनी २२ संवैधानिक भाषाएँ हों, जहां पर कोस कोस पे पानी और चार कोस पे बानी की बात कही जाती है, जहां १७९ भाषाओं ५४४ बोलिया हैं बावजूद इसके देश का राजकाज सात समंदर पार एक अदने से देश की भाषा में हो रहा है, इस तथ्य पर मंथन होना चाहिए | भारतीय भाषायें अभी भी खुले आकाश में सांस लेने की बाट जोह रही हैं | हिन्दी को इसके वास्तविक स्थान पर स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि इसकी सर्व स्वीकार्यता हो | यह स्वीकार्यता आंदोलनों या क्रांतियों से नही आने वाला है | इसके लिए हिन्दी को रोजगारपरक भाषा के रूप में विकसित करना होगा साथ ही अनुवादों और मानकीकरण के जरिए इसे और समृद्धता और परिपुष्टता की ओर ले जाना होगा | हिन्दी भाषा सहित देश की लगभग सभी भाषाओँ के लिए कार्य करने वाली बहुत सी सरकारी और गैर- सरकारी संस्थायें लंबे समय से अपने-अपने स्तर उनके प्रचार-प्रसार और उत्थान के लिए कार्य कर रही है किन्तु इन संस्थाओं में आपसी समन्वय का अभाव है | इसी अभाव को दूर करने के लिए हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी का गठन किया गया है | हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी भारत की ऐसी संस्था है जो हिन्दी समेत अभी हिन्दुस्तानी भाषाओं के विकास एवं प्रचार प्रसार के लिए निरंतर कार्य कर रही है | संस्था एक एक हिन्दुस्तानी भाषा को उसका दर्जा व उनका समुचित अधिकार दिलवाने हेतु कटिबद्ध है हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी देश के विभिन्न जिम्मेदार व्यक्तियों और अधिकरणों के साथ संवाद स्थापित कर रही है ताकि हिन्दुस्तानी भाषाओं के रास्ते में आई रुकावटो दूर कर इसे वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार किया जाए | अगर इतिहास के बीते वर्षो को देखे तो हम देखेंगे की इंसान ने सबसे ज्यादा जो खोया है वह है सृजनात्मक मन,सृजनात्मक होने का अर्थ अगर ठीक-ठीक लगाया जाये तो वो है सकारात्मक होना और सकारात्मक होने का अर्थ है जिन्दगी के प्रति सृजनात्मक द्रष्टि रखना। सृजनात्मक सिर्फ गीत,संगीत,कविता आदि नहीं है ये तो मन की ऐसी स्थिति है जिससे एकाग्रता,लगन, धर्य आदि आते है जिससे इसका निर्माण होता है। भाषा भारती पत्रिका कुछ ऐसे ही भाव लेकर आप के समक्ष उपस्थित हुई है। ये पत्रिका न सिर्फ हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी का एक स्तम्भ है बल्कि सृजन की ऐसी आधारशिला है जिससे हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओँ के उत्थान के लिए एक ऐसा सृजनात्मक द्दष्टिकोण विकसित होगा जो न सिर्फ हिंदी व क्षेत्रीय भाषाओँ को पुष्ट करेगा बल्कि उन भाषाओ को एक दूसरे का पूरक भी बनाएगा। इससे भाषा की गुणवता तो बढ़ेगी ही उसकी गरिमा फिर से स्थापित होगी। आज के दौर में हिंदी को लेकर जो नकारात्मकता चल रही है उसे सकारात्मक मूल्यों के साथ अर्थवान बनाने के लिए हम प्रयासरत है। सिर्फ हिंदी ही बोली जाये ये सोच ले कर हम आप के बीच नहीं आये है बल्कि सारी दुनिया में हिन्दुस्तानी भाषाएं भी चहचहाये इस भावना के साथ आप के बीच आये है। हम चाहते है की हम सब की पत्रिका भाषा भारती ऐसी ज्योति प्रकाशित करें कि लोगों मे हिंदी भाषा की समग्रता का बोध हो और उन्हें विदेशी भाषा की दिमागी गुलामी से मुक्ति मिले। हम रूपांतरण करना चाहते है। हम चाहते है कि इस रूपांतरण में आप की भागेदारी सौ प्रतिशत हो। इसे आप अपना गांधी की तरह सामूहिक अहं बना ले तभी हिन्दुस्तानी भाषाओं को आजादी मिलेगी। यही हमारा भारतीय भाषाओं के उत्थान के लिए दृष्टिकोण है और यही लक्ष्य भी है। हम आने वाले समय में हिन्दुस्तानी भाषाओं के लिए एक ऐसा मंच देंगे जिस पर खड़े होकर हर बोली हर प्रांत का व्यक्ति हिन्दुस्तानी भाषाओं को विश्व पटल पर सितारों की तरह टांक देगा। .

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