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हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची

सूची हिन्द-आर्य भाषाओं की सूची

हिन्द-आर्य भाषाओं में लगभग २१० (एसआईएल अनुमान) भाषाएँ और बोलियाँ आती हैं जो एशिया में बहुत से लोगों द्वारा बोली जाती हैं; यह भाषा परिवार हिंद-इरानी भाषा परिवार का भाग है। .

69 संबंधों: चकमा, चीलीस्सो भाषा, ऍथनोलॉग, एशिया, डोमाकी भाषा, डोगरी भाषा, तोरवाली भाषा, तीराही भाषा, दामेली भाषा, दार्दी भाषाएँ, नागपुरी भाषा, नंगलामी भाषा, नेपाली भाषा, पालूला भाषा, पाशाई भाषा, फ़ीजी हिन्दी, बटेरी भाषा, बल्तिस्तान, बघेली, बुंदेली भाषा, भीली, मराठी भाषा, महाराष्ट्री प्राकृत, मारवाड़ी, मालदीव, माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, मगही, मैथिली भाषा, राजस्थानी भाषा, राजवंशी, रोहिंग्या भाषा, लद्दाख़, शुमश्ती भाषा, शीना भाषा, सिंधी, सिंहली भाषा, सौराष्ट्र, हरियाणवी भाषा, हल्बी, हिन्द-ईरानी भाषाएँ, हिन्द-आर्य भाषाएँ, हिन्दको भाषा, हैजोंग लोग, घेरा, वरली, वैदिक संस्कृत, वेद्दा, वोटापूरी-कटारक़लाई भाषा, खोवार भाषा, गढ़वाली भाषा, ..., गद्दी, गुजराती भाषा, ग्वार-बती भाषा, गोवरो भाषा, ओड़िया भाषा, कलश भाषा, कलकोटी भाषा, कश्मीरी भाषा, काँगड़ी, कालामी भाषा, कुमाऊँनी भाषा, कैरेबियाई हिंदुस्तानी, कोहिस्तानी भाषा, कोंकणी भाषा, असमिया भाषा, अहिराणी भाषा, अवधी, उशोजी भाषा, छत्तीसगढ़ी भाषा सूचकांक विस्तार (19 अधिक) »

चकमा

चकमा से आपका अर्थ निम्न लिखित में से कोई एक हो सकता है.

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चीलीस्सो भाषा

चीलीस्सो (Chilisso) कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले के पूर्वी भाग में बोली जाती है। .

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ऍथनोलॉग

ऍथनोलॉग (अंग्रेज़ी: Ethnologue) विश्व की भाषाओँ की एक सूची है जिसका प्रयोग भाषाविज्ञान में अक्सर किया जाता है। इसमें हर भाषा और उपभाषा को अलग तीन अंग्रेज़ी अक्षरों के साथ नामांकित किया गया है। इस नामांकन को "सिल कोड" (SIL code) कहा जाता है। उदाहरण के लिए मानक हिंदी का सिल कोड 'hin', ब्रज भाषा का 'bra', बुंदेली का 'bns' और कश्मीरी का 'kas' है। हर भाषा और उपभाषा का भाषा-परिवार के अनुसार वर्गीकरण करने का प्रयास किया गया है और उसके मातृभाषियों के वासक्षेत्र और संख्या का अनुमान दिया गया है। इस सूची का १६वाँ संस्करण सन् २००९ में छपा और उसमें ७,३५८ भाषाएँ दर्ज थीं। .

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एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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डोमाकी भाषा

डोमाकी (Domaaki) पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में कुछ सैंकड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। यह डूमा समुदाय के सदस्यों द्वारा बोली जाती है जिनकी लोकमान्यता है कि वे कहीं दक्षिण में मध्य भारत से आकर कश्मीर घाटी से गुज़रते हुए नगर और हुन्ज़ा की घाटियों में पहुंचकर बस गए थे। यहाँ से वे आगे काश्गर तक भी पहुँच गए। अधिकतर डूमा लोगों ने अपनी मातृभाषा छोड़कर शीना भाषा बोलना शुरू कर दिया और केवल नगर व हुन्ज़ा वादियों में ही डोमाकी चलती आ रही है। डूमा लोग पेशे से लोहार और मरासी (संगीतकार) हुआ करते थे लेकिन आजकल यह भिन्न व्यवसायों में लग गए हैं। १९८९ में केवल ५०० लोग डोमाकी मातृभाषी गिने गए थे और इनकी गिनती कम होती जा रही थी। इनमें से अधिकतर हुन्ज़ा में और कुछ नगर में हैं। हुन्ज़ा की डोमाकी और नगर की डोमाकी में कुछ अंतर हैं लेकिन इनके बोलने वाले एक-दूसरे को समझ सकते हैं। सभी डोमाकी बोलने वाले अपने आसपास के बहुसंख्यक बुरुशसकी या शीना लोगों की ज़बाने भी बोल लेते हैं। .

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डोगरी भाषा

डोगरी भारत के जम्मू और कश्मीर प्रान्त में बोली जाने वाली एक भाषा है। वर्ष 2004 में इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। पश्चिमी पहाड़ी बोलियों के परिवार में, मध्यवर्ती पहाड़ी पट्टी की जनभाषाओं में, डोगरी, चंबयाली, मडवाली, मंडयाली, बिलासपुरी, बागडी आदि उल्लेखनीय हैं। डोगरी इस विशाल परिवार में कई कारणों से विशिष्ट जनभाषा है। इसकी पहली विशेषता यह है कि दूसरी बोलियों की अपेक्षा इसके बोलनेवालों की संख्या विशेष रूप से अधिक है। दूसरी यह कि इस परिवार में केवल डोगरी ही साहित्यिक रूप से गतिशील और सम्पन्न है। डोगरी की तीसरी विशिष्टता यह भी है कि एक समय यह भाषा कश्मीर रियासत तथा चंबा राज्य में राजकीय प्रशासन के अंदरूनी व्यवहार का माध्यम रह चुकी है। इसी भाषा के संबंध से इसके बोलने वाले डोगरे कहलाते हैं तथा डोगरी के भाषाई क्षेत्र को सामान्यतः "डुग्गर" कहा जाता है। .

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तोरवाली भाषा

तोरवाली (Torwali), जिसे तूरवाली भी कहते हैं, कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान और स्वात ज़िलों में बोली जाती है। इसे तोरवाली समुदाय के लोग बोलते हैं जो स्वात वादी में मदयान शहर के पश्तो बोलने वालों से ऊपरी ऊँचाइयों में छोटी पर्वतीय बस्तियों में बिखरे हुए हैं। यहाँ से यह समुदाय कालाम नामक शहर तक विस्तृत हैं जहाँ से आगे फिर कालामी भाषा बोली जाती है। तोरवाली बोली की दो उपभाषाएँ हैं - बहरेन और चैल।, Sir George Abraham Grierson, Sir Aurel Stein, Asian Educational Services, 1929, ISBN 978-81-206-1605-9 .

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तीराही भाषा

तीराही (Tirahi) कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान के नंगरहार प्रान्त प्रान्त के नंगरहार नामक गाँव के आसपास बोली जाती है। इसे मूल रूप से बोलने वाले समुदाय की जनसंख्या ५,००० है लेकिन उनमें से १०० के अलावा बाक़ी सभी अब अन्य भाषाएँ बोलते हैं। भाषावैज्ञानिकों को डर है कि यह भाषा विलुप्त होने वाली है। .

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दामेली भाषा

दामेली या दामेड़ी (Dameli) कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के चित्राल ज़िले की दोमेल वादी में बोली जाती है। इसे लगभग ५,००० लोग मातृभाषा के रूप में बोलते हैं। इनमें से पुरुष अक्सर पश्तो भी बोलना जानते हैं और बहुतों को खोवार और उर्दू भाषाएँ आती हैं। इसके बावजूद यह भाषा जीवित है और बच्चे भी इसे सीखते-बोलते हैं। .

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दार्दी भाषाएँ

दार्दी या दार्दिक भाषाएँ (ज़बान दार्दी) हिन्द-आर्य भाषाओं की एक उपशाखा है जिसकी सबसे जानी-मानी भाषा कश्मीरी है। दार्दी भाषाएँ उत्तरी पाकिस्तान, उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान और भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में बोली जातीं हैं।, Peter K. Austin, University of California Press, ISBN 0-520-25560-7,...

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नागपुरी भाषा

नागपुरी या सादरी झारखंड व कुछ अन्य राज्यों में बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे सदानी समुदाय बोलता है, जिस कारणवश इसे सदानी भाषा भी कहते हैं। ये सदानी बोलने वाले ही सदान कहलाते हैं। सदानों की मूल जाति है नाग जाति। नागजाति या नागवंश के शासन स्थापित होने पर (64 ई.) इसकी राजभाषा नागपुरी, छोटानागपुर (झारखंड) में सर्वमान्य हुई। नागपुरी के राजभाषा होने पर झारखंड में बसने वाली नागजाति (सदान) के अतिरिक्त मुण्डा, खड़िया, उराँव आदि की यह सम्पर्क भाषा अर्थात सर्वसाधारण की बोली हो गई है। नागपुरी के पूर्व नाम, सदानी, सदरी या सादरी, गँवारी भी प्रचलित रहे हैं। अब यह नागपुरी नाम पर विराम पा गई है। फादर पीटर शांति नवरंगी ने इसके उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रश्न उठाया कि नागपुरी छोटानागपुर की आर्य भिन्न बोलियों के मध्य में कैसे पड़ी? कहाँ से आई? कब आई?3 नागपुरी के प्रथम वैयाकरण रेव.

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नंगलामी भाषा

नंगलामी (Nangalami), जिसे ग्रंगाली (Grangali) भी कहते हैं, कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान​ के कुनर प्रान्त और नंगरहार प्रान्त की सीमा पर विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है जहाँ निंगलाम गाँव भी पड़ता है। यह पेच नदी और वाएगल नदी के संगम स्थल के पास है। इसकी तीन उपभाषाएँ है - नंगलामी, ग्रंगाली और ज़ेमियाकी - हालांकि ज़ेमियाकी के बारे में कुछ विवाद है कि यह वास्तव में इसकी उपभाषा है कि नहीं। .

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नेपाली भाषा

नेपाली भाषा के क्षेत्र नेपाली भाषा या खस कुरा नेपाल की राष्ट्रभाषा था। यह भाषा नेपाल की लगभग ४४% लोगों की मातृभाषा भी है। यह भाषा नेपाल के अतिरिक्त भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्वी राज्यों (आसाम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय) तथा उत्तराखण्ड के अनेक भारतीय लोगों की मातृभाषा है। भूटान, तिब्बत और म्यानमार के भी अनेक लोग यह भाषा बोलते हैं। .

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पालूला भाषा

पालूला (Palula), जिसे फालूला, फालूरा और अशरेती भी कहते हैं, शीना उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले की अशरेत​, बेयोड़ी, शीम्शी और कल्कटक​ वादियों में बोली जाती है। खोवार भाषा बोलने वाले चित्राली लोग इस भाषा को डंगरीक्वार​ और इसे बोलने वाले समुदाय को 'डंगरीक' बुलाते हैं। इस से मिलती-जुलती बोलियाँ अफ़ग़ानिस्तान के साऊ गाँव में और पाकिस्तान के ही दीर ज़िले के खलकोट गाँव में बोली जाती है। .

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पाशाई भाषा

पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की एक पाशाई भाषीय लड़की पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान का एक पाशाई भाषीय लड़का अफ़ग़ानिस्तान के ज़िलों का नक्शा - पाशाई भाषा पूर्वोत्तर में गुलाबी रंग वाले केवल चार ज़िलों में बोली जाती है पाशाई अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी नूरिस्तान, नंगरहार और कुनर राज्यों में बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। अनुमान है के १९९८ में इसे २१६,८४२ लोग बोलते थे। पाशाई बोलने वालों को पाशाई समुदाय का सदस्य माना जाता है, जिसके अधिकतर लोग धर्म से मुसलमान हैं। २००३ से पहले पाशाई का कोई लिखित रूप नहीं था। बहुत से पाशाई बोलने वाले पश्तो भी बोलते हैं और उनमें साक्षरता का दर २५% है। .

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फ़ीजी हिन्दी

जिन देशों में फिजी हिन्दी बोली जाती है फिजी हिन्दी फिजी में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसे फ़िजियन हिन्दी या फ़िजियन हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। यह फिजी की आधिकारिक भाषाओं मे से एक है। यह अधिकांशतः भारतीय मूल के फिजी लोगों द्वारा बोली जाती है। फिजी हिन्दी देवनागरी लिपि और रोमन लिपि दोनों में लिखी जाती है। यह मुख्य रूप से अवधी और हिन्दीकी अन्य बोलियों से व्युत्पन्न है, जिसमें अन्य भारतीय भाषाओं का भी समावेश है। इसमें फिजी और अंग्रेजी से बड़ी संख्या में शब्द उधार लिए गए हैं। फिजी हिन्दी में बड़ी संख्या में ऐसे अनूठे शब्द भी हैं, जो फिजी में रह रहे भारतीयों के नए माहौल में ढलने के लिए जरूरी थे। फिजी भारतीयों की पहली पीढी़, जिसने इस भाषा को बोलचाल के रूप में अपनाया इसे 'फिजी बात' कहते थे। भाषाविदों के हाल के अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि फिजी हिन्दी भारत में बोली जाने वाली हिन्दी भाषा पर आधारित एक विशिष्ट भाषा है, जिसमें फिजी के अनुकूल विशेष व्याकरण और शब्दावली हैं। कुछ प्रमुख देश जहाँ फिजी हिन्दी बोलने वाले लोग हैं- .

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बटेरी भाषा

बटेरी (Bateri) कोहिस्तानी शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अधिकतर पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले बोली जाती है। इसके लगभग १,००० मातृभाषी भारत में रहते हैं। .

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बल्तिस्तान

बल्तिस्तान (गहरा नीला एवं हल्का नीला) स्कर्दू नगर कारगिल की बलती बालिकायें बल्तिस्तानतान (बलती, लद्दाख़ी व तिब्बती: སྦལ་ཏི་སྟཱན) राजनैतिक रूप से विवादित क्षेत्र है जो काराकोरम के दक्षिण तथा सिन्धु नदी के उत्तर में स्थित है। यह अत्यन्त पर्वतीय क्षेत्र है और इस क्षेत्र की औसत ऊँचाई ३३५० मीटर से अधिक है। इसे 'लघु तिब्बत' भी कहते हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग 27,400 किमी2 है। इस क्षेत्र में बलती भाषा बोली जाती है जो तिब्बती लिपि में लिखी जाती है। इस क्षेत्र के अधिकांश लोग मुसलमान हैं। स्कर्दू तथा कारगिल यहाँ के मुख्य कस्बे हैं। इस क्षेत्र का अधिकांश भाग पाकिस्तान के अधीन (गिलगित-बल्तिस्तान) है और कुछ भाग भारत के अधीन (जम्मू और कश्मीर)। यह क्षेत्र सिन्धु नदी की घाटियों से बना है। बल्तिस्तान के दक्षिण-पूर्व में भारत और पाकिस्तान के बीच की नियन्त्रण रेखा है। .

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बघेली

बघेली या बाघेली, हिन्दी की एक बोली है जो भारत के बघेलखण्ड क्षेत्र में बोली जाती है। यह मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, उमरिया, एवं अनूपपुर में; उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद एवं मिर्जापुर जिलों में तथा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर एवं कोरिया जनपदों में बोली जाती है। इसे "बघेलखण्डी", "रिमही" और "रिवई" भी कहा जाता है। .

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बुंदेली भाषा

बुंदेलखंड के निवासियों द्वारा बोली जाने वाली बोली बुंदेली है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में हैं। केवल संस्कृत या हिंदी पढ़ने वालों को उनके अर्थ समझना कठिन हैं। ऐसे सैकड़ों शब्द जो बुंदेली के निजी है, उनके अर्थ केवल हिंदी जानने वाले नहीं बतला सकते किंतु बंगला या मैथिली बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं। प्राचीन काल में बुंदेली में शासकीय पत्र व्यवहार, संदेश, बीजक, राजपत्र, मैत्री संधियों के अभिलेख प्रचुर मात्रा में मिलते है। कहा तो यह‍ भी जाता है कि औरंगजेब और शिवाजी भी क्षेत्र के हिंदू राजाओं से बुंदेली में ही पत्र व्यवहार करते थे। ठेठ बुंदेली का शब्दकोश भी हिंदी से अलग है और माना जाता है कि वह संस्कृत पर आधारित नहीं हैं। एक-एक क्षण के लिए अलग-अलग शब्द हैं। गीतो में प्रकृति के वर्णन के लिए, अकेली संध्या के लिए बुंदेली में इक्कीस शब्द हैं। बुंदेली में वैविध्य है, इसमें बांदा का अक्खड़पन है और नरसिंहपुर की मधुरता भी है। डॉ॰ वीरेंद्र वर्मा ने हिंदी भाषा का इतिहास नामक ग्रंथ में लिखा है कि बुंदेली बुंदेलखंड की उपभाषा है। शुद्ध रूप में यह झांसी, जालौन, हमीरपुर, ग्वालियर, ओरछा, सागर, नरसिंहपुर, सिवनी तथा होशंगाबाद में बोली जाती है। इसके कई मिश्रित रूप दतिया, पन्ना, चरखारी, दमोह, बालाघाट तथा छिंदवाड़ा विदिशा के कुछ भागों में पाए जाते हैं।कुछ कुछ बांदा के हिस्से में भी बोली जाती है .

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भीली

भीली भाषा भारत में भील आदिवासी द्वारा बोली जाने वाली बोली है!.

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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महाराष्ट्री प्राकृत

महाराष्ट्री प्राकृत उस प्राकृत शैली का नाम है जो मध्यकाल में महाराष्ट्र प्रदेश में विशेष रूप से प्रचलित हुई। प्राचीन प्राकृत व्याकरणों में - जैसे चंडकृत प्राकृतलक्षण, वररुचि कृत प्राकृतप्रकाश, हेमचंद्र कृत प्राकृत व्याकरण एवं त्रिविक्रम, शुभचँद्र आदि के व्याकरणों में - महाराष्ट्री का नामोल्लेख नहीं पाया जाता। इस नाम का सबसे प्राचीन उल्लेख दंडीकृत काव्यादर्श (6ठी शती ई) में हुआ है, जहाँ कहा गया है कि "महाराष्ट्रीयां भाषां प्रकृष्टं" प्राकृत विदु:, सागर: सूक्तिरत्नानां सेतुबंधादि, यन्मयम्।" अर्थात् महाराष्ट्र प्रदेश आश्रित भाषा प्रकृष्ट प्राकृत मानी गई, क्योंकि उसमें सूक्तियों के सागर सेतुबंधादि काव्यों की रचना हुई। दंडी के इस उल्लेख से दो बातें स्पष्ट ज्ञात होती हैं कि प्राकृत भाषा की एक विशेष शैली महाराष्ट्र प्रदेश में विकसित हो चुकी थी और उसमें सेतुबँध तथा अन्य भी कुछ काव्य रचे जा चुके थे। प्रवरसेन कृत "सेतुबंध" काव्य सुप्रसिद्ध है, जिसकी रचना अनुमानत: चौथी पाँचवीं शती की है। इसमें प्राकृत भाषा का जो स्वरूप दिखाई देता है उसकी प्रमुख विशेषता यह है कि शब्दों के मध्यवर्ती क् ग् च् ज् त् द् प् ब् य् इन अल्पप्राण वर्णों का लोप होकर केवल उनका संयोगी स्वर (उद्वृत्त स्वर) मात्र शेष रह जाता है। जैसे मकर ऊ मअर, नगर ऊ नअर, निचुल ऊ निउल, परिजन ऊ परिअण, नियम ऊ णिअम, इत्यादि। भाषा-विज्ञान-विशारदों का मत है कि प्राकृत भाषा में यह वर्ण लोप की विधि क्रमश: उत्पन्न हुई। आदि में क् च् त् इन अघोष वर्णों के स्थान में क्रमश: संघोष ग् ज् द् का आदेश होना प्रारंभ हुआ। यह प्रवृत्ति साहित्यिक शौ.

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मारवाड़ी

मारवाड़ी भारत का एक प्रमुख व्यापारिक समुदाय है, जो भारत के राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से निकला दक्षिण एशियाई जातीय-भाषाई समूह हैं। इनकी भाषा, जिसे मारवाड़ी भी कहा जाता है, राजस्थानी भाषा का अंग है। मारवाड़ी राजपूत साम्राज्यों के काल से ही अंतर्देशीय व्यापारियों के रूप में और बाद में औद्योगिक उत्पादन और अन्य क्षेत्रों में निवेशकों के रूप में एक बेहद सफल व्यापारिक समुदाय रहा है। आज, वे देश के कई बड़े मीडिया समूहों को नियंत्रित करते हैं। हालांकि आज ये समुदाय पूरे भारत और नेपाल में फैल गया, लेकिन ऐतिहासिक रूप से ये कलकत्ता और मध्य और पूर्वी भारत के पहाड़ी इलाकों में सबसे अधिक केंद्रित थे। .

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मालदीव

मालदीव या (Dhivehi: ދ ި ވ ެ ހ ި ރ ާ އ ް ޖ ެ Dhivehi Raa'je) या मालदीव द्वीप समूह, आधिकारिक तौर पर मालदीव गणराज्य, हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है, जो मिनिकॉय आईलेंड और चागोस अर्किपेलेगो के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन, जिसका फेलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है, से बना है। यह लक्षद्वीप सागर में स्थित है, श्री लंका की दक्षिण-पश्चिमी दिशा से करीब सात सौ किलोमीटर (435 mi) पर.

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माइक्रोसॉफ्ट वर्ड

माइक्रोसॉफ्ट वर्ड (Microsoft Word) माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सुइट में शामिल एक लोकप्रिय शब्द संसाधक है। यह हमें टाइपिंग, एडिटिंग, फॉर्मैटिंग एवं प्रिंटिंग की सुविधा प्रदान करता है। कार्यालय के दस्तावेजों को माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के माध्यम से सहेज कर रख सकते हैं। .

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मगही

मगही या मागधी भाषा भारत के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका निकट का संबंध भोजपुरी और मैथिली भाषा से है और अक्सर ये भाषाएँ एक ही साथ बिहारी भाषा के रूप में रख दी जाती हैं। इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। मगही बोलनेवालों की संख्या (2002) लगभग १ करोड़ ३० लाख है। मुख्य रूप से यह बिहार के गया, पटना, राजगीर,नालंदा,जहानाबाद,अरवल,नवादा,शेखपुरा,लखीसराय,जमुई और औरंगाबाद के इलाकों में बोली जाती है। मगही का धार्मिक भाषा के रूप में भी पहचान है। कई जैन धर्मग्रंथ मगही भाषा में लिखे गए हैं। मुख्य रूप से वाचिक परंपरा के रूप में यह आज भी जीवित है। मगही का पहला महाकाव्य गौतम महाकवि योगेश द्वारा 1960-62 के बीच लिखा गया। दर्जनो पुरस्कारो से सम्मानित योगेश्वर प्रसाद सिन्ह योगेश आधुनिक मगही के सबसे लोकप्रिय कवि माने जाते है। 23 अक्तुबर को उनकी जयन्ति मगही दिवस के रूप मे मनाई जा रही है। मगही भाषा में विशेष योगदान हेतु सन् 2002 में डॉ॰रामप्रसाद सिंह को दिया गया। ऐसा कुछ विद्वानों का मानना है कि मगही संस्कृत भाषा से जन्मी हिन्द आर्य भाषा है, परंतु महावीर और बुद्ध दोनों के उपदेश की भाषा मागधी ही थी। बुद्ध ने भाषा की प्राचीनता के सवाल पर स्पष्ट कहा है- ‘सा मागधी मूल भाषा’। अतः मगही ‘मागधी’ से ही निकली भाषा है। .

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मैथिली भाषा

मैथिली भारत के उत्तरी बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की सदस्य है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगता है। मैथिली भारत में मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर जिलों में बोली जाती है| नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है। बँगला, असमिया और ओड़िया के साथ साथ इसकी उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुई है। कुछ अंशों में ये बंगला और कुछ अंशों में हिंदी से मिलती जुलती है। वर्ष २००३ में मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की ८वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। सन २००७ में नेपाल के अन्तरिम संविधान में इसे एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थान दिया गया है। .

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राजस्थानी भाषा

हिन्दी, ब्रजभाषा, मेवाती, मारवाड़ी, जैसी कई भाषाओं के मिश्रित झुंड को राजस्थानी भाषा का नाम दिया गया इसे वर्तमान में देवनागरी में लिखा जाता है। राजस्थानी भाषा भारत के राजस्थान प्रान्त व मालवा क्षेत्र तथा पाकिस्तान के कुछ भागों में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। इस भाषा में प्राचीन साहित्य विपुल मात्रा में उपलब्ध है। इस भाषा में विपुल मात्रा में लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी आदि उपलब्ध हैं। इस भाषा को सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण इसे स्कूलों में पढाया नहीं जाता है। इस कारण शिक्षित वर्ग धीरे धीरे इस भाषा का उपयोग छोड़ रहा है, परिणामस्वरूप, यह भाषा धीरे धीरे ह्रास की और अग्रसर है। कुछ मातृभाषा प्रेमी अच्छे व्यक्ति इस भाषा को सरकारी मान्यता दिलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। .

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राजवंशी

राजवंशी भारत का एक प्राचीन राजवंशी (Rajvanshi) यह लोग प्राचीन काल मेंं शिवलिंग को कंधा पर रखा करते थे। नाग कुल के नाग राजाओं ने अपने धार्मिक अनुष्ठान के समय मेंं शिवलिंग को अपने कन्धोंं पर उठाकर शिव को सम्मानित करते थे| उत्तर भारत गंगा घाटी विंध्य क्षेत्र कान्तिपुर और मिर्ज़ापुर मेंं इनकी राजधानी थी। काशी (वाराणसी) मेंं गंगा तट पर दश अश्व मेघ यज्ञ किये जिसके कारण भार वहन करने से इनका नाम भारशिव पड़ा और काशी (वाराणसी मेंं) दशाश्वमेघ घाट आज भी प्रसिध्द एवं मौजूद है। साधारण जनता ने अज्ञानता एवं मूर्खता से इनको भर कहने लगी। कालान्तर युग में ये लोग राजभर क्षत्रिय नाम से प्रचलित हुये |.

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रोहिंग्या भाषा

रोहिंग्या (अथवा), या रुऐंग्गा, राखीन राज्य के रोहिंग्या लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। रोहिंग्या बंगाली-असमिया भाषासमूह में से एक है। यह भाषा चटगाँवी भाषा से काफ़ी मिलती-जुलती है, जो पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में बोली जाती है। .

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लद्दाख़

नेपाल में लद्दाख़ का स्थान |- style.

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शुमश्ती भाषा

शुमश्ती (Shumashti), जिसे शुमश्त भी कहते हैं, कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान​ के कुनर प्रान्त में बोली जाती है। यह कुनर नदी के पश्चिमी किनारे पर ग्वार-बती बोलने वाले इलाक़े से लगभग ६० किमी दूर बोली जाती है। १९९४ में अनुमान लगाया गया कि इसे केवल १,००० लोग बोलते हैं। अनुमान लगाया गया है कि शुमश्ती के लगभग ६३% शब्द​ नंगलामी भाषा से और ४७% ग्वार-बती भाषा से मिलते हैं। इस भाषा पर पाशाई भाषा का भारी प्रभाव पड़ा है। .

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शीना भाषा

शीना एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान-नियंत्रित गिलगित-बल्तिस्तान और भारत के लद्दाख़ और कश्मीर क्षेत्रों में बोली जाती है। जिन पाकिस्तान-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती है उनमें अस्तोर, चिलास, दरेल, तंगीर, गिलगित, ग़िज़र और बल्तिस्तान और कोहिस्तान के कुछ हिस्से शामिल हैं। जिन भारत-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती हैं उनमें गुरेज़, द्रास, करगिल और लद्दाख़ के कुछ पश्चिमी हिस्से शामिल हैं। अंदाजा लगाया जाता है के १९८१ में इसे कुल मिलकर क़रीब ३,२१,००० लोग बोलते थे। शीना एक सुरभेदी भाषा है जिसमे दो सुर हैं - उठता हुआ और समतल (यानि बिना किसी बदलाव वाला)। .

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सिंधी

सिंधी शब्द सिंध के विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसलिये सिंधी का अर्थ सिंध में रहने वाले या वहाँ से संबंध रखने वाले लोगों से भी लगाया जाता है और सिंधी भाषा से भी।.

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सिंहली भाषा

सिंहली भाषा श्रीलंका में बोली जाने वाली सबसे बड़ी भाषा है। सिंहली के बाद श्रीलंका में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली भाषा तमिल है। प्राय: ऐसा नहीं होता कि किसी देश का जो नाम हो, वही उस दश में बसने वाली जाति का भी हो और वही नाम उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा का भी हो। सिंहल द्वीप की यह विशेषता है कि उसमें बसने वाली जाति भी "सिंहल" कहलाती चली आई है और उस जाति द्वारा व्यवहृत होने वाली भाषा भी "सिंहल"। .

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सौराष्ट्र

सौराष्ट्र भारत के गुजरात प्रान्त का एक उपक्षेत्र है जो ज्यादातर अर्धमरुस्थलीय है। सौराष्ट्र, वर्तमान काठियावाड़-प्रदेश, जो प्रायद्वीपीय क्षेत्र है। महाभारत के समय द्वारिकापुरी इसी क्षेत्र में स्थित थी। सुराष्ट्र या सौराष्ट्र को सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में विजित किया था। विष्णुपुराण में अपरान्त के साथ सौराष्ट्र का उल्लेख है। विष्णुपुराण में सौराष्ट्र में शूद्रों का राज्य बताया गया है, 'सौराष्ट्र विषयांश्च शूद्राद्याभोक्ष्यन्ति'। .

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हरियाणवी भाषा

हरियाणवी भारत के हरियाणा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। वैसे तो हरियाणवी में कई लहजे हैं साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में बोलियों की भिन्नता है। लेकिन मोटे रूप से इसको दो भागों में बाँटा जा सकता है। एक उत्तर हरियाणा में बोली जाने वाली तथा दूसरी दक्षिण हरियाणा में बोली जाने वाली। उत्तर हरियाणा में बोली जाने वाली हरियाणवी थोड़ा सरल होती है तथा हिन्दी भाषी व्यक्ति इसे थोड़ा बहुत समझ सकते हैं। दक्षिण हरियाणा में बोली जाने वाली बोली को ठेठ हरियाणवी कहा जाता है। यह कई बार उत्तर हरियाणा वालों को भी समझ में नहीं आती। इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में हरियाणवी के कई रूप प्रचलित हैं जैसे बाँगर, राँघड़ी आदि। .

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हल्बी

हल्बी या हल्बा, छत्तीसगढ़ राज्य में बहुतायात में पायी जाने वाली एक जनजाति है।यह जनजाति छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी पाई जाती है। .

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हिन्द-ईरानी भाषाएँ

हिन्द ईरानी शाखा हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की एक शाखा है। ये सातम वर्ग के अन्दर आती है। इसकी दो उपशाखाएँ हैं.

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हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

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हिन्दको भाषा

हिन्दको (Hindko) पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के हिन्दकोवी लोगों और अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में हिन्दकी लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक हिंद-आर्य भाषा है। कुछ भाषावैज्ञानिकों के अनुसार यह पंजाबी की एक पश्चिमी उपभाषा है हालांकि इसपर कुछ विवाद भी रहा है। कुछ पश्तून लोग भी हिन्दको बोलते हैं। पंजाबी के मातृभाषी बहुत हद तक हिन्दको समझ-बोल सकते हैं।, Aydin Yücesan Durgunoğlu, Ludo Th Verhoeven, pp.

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हैजोंग लोग

हैजोंग लोग उत्तर-पूर्वी भारत और बंगाल के जनजातीय लोग होते हैं। ये मेघालय की चौथी सबसे बडी जाति हैं।हैजोंग लोग पूर्वोत्तर भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फ़ैले हुए हैं। अधिकांश हैजोंग लोग भारत में ही बसे हुए हैं। वर्तमाण में इनकी संख्या १,५०,००० भारत में और ५०,००० बांग्लादेश में है। The Joshua Project www.joshuaproject.net 2011 हैजोंग मुख्य रूप से चावल किसान होते हैं।Ahmad, S., A. Kim, S. Kim, and M. Sangma.

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घेरा

कुस्तुंतुनिया का घेरा येरुशलम की जीत (१०९९ ई) घेरा (siege) का अर्थ है किसी नगर या दुर्ग को सैनिकों द्वारा घेरना ताकि इसको जीता जा सके। घेरा डालकर युद्ध करना एक प्रकार का लगातार चलने वाला किन्तु कम तीव्रता का युद्ध है जिसमें एक पक्ष रक्षात्मक रवैया अपनाते हुए किसी दुर्ग या दीवार के अन्दर 'मजबूत' स्थिति में होता है और दूसरा पक्ष उसे चारों ओर से घेरे रहता है ताकि बाहर से अन्दर कोई न जा पाये न ही अन्दर से कोई भाग निकलने में सफल हो। इस तरह की घेराबन्दी के द्वारा शत्रु की भोजन सामग्री, जलापूर्ति, एवं अन्य सभी सुविधाएँ रोक दी जातीं हैं। इसके अलावा 'घेरा इंजनों' (सीज इंजन), तोप, सुरंग आदि के द्वारा शत्रु पर प्रहार किया जाता है। श्रेणी:युद्ध.

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वरली

यह भारत की प्रमुख लोककलाओं में से एक है। .

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वैदिक संस्कृत

ऋग्वेद में वैदिक संस्कृत का सब से प्राचीन रूप मिलता है ऋग्वेद १०.९०:२ का श्लोक: यह पुरुष वह सर्वस्व है जो हुआ है (भूतं) या होगा (भव्यं)। अमरता का ईश्वर (ईशानः) अन्न से और भी विस्तृत (अतिऽरोहति) होता है। वैदिक संस्कृत २००० ईसापूर्व (या उस से भी पहले) से लेकर ६०० ईसापूर्व तक बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा थी। यह संस्कृत की पूर्वज भाषा थी और आदिम हिन्द-ईरानी भाषा की बहुत ही निकट की संतान थी। उस समय फ़ारसी और संस्कृत का विभाजन बहुत नया था, इसलिए वैदिक संस्कृत और अवस्ताई भाषा (प्राचीनतम ज्ञात ईरानी भाषा) एक-दूसरे के बहुत क़रीब हैं। वैदिक संस्कृत हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की हिन्द-ईरानी भाषा शाखा की सब से प्राचीन प्रमाणित भाषा है।, Alain Daniélou, Kenneth Hurry, Inner Traditions / Bear & Co, 2003, ISBN 978-0-89281-923-2,...

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वेद्दा

वेद्दा, भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। .

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वोटापूरी-कटारक़लाई भाषा

वोटापूरी-कटारक़लाई (Wotapuri-Katarqalai) कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान के नूरिस्तान प्रान्त की वोटापूरी और कटारक़लाई नामक बस्तियों में बोली जाती थी। सन् १९३५ में कटारक़लाई में इसे ६० घरों में बोला जाता था लेकिन १९५५ में इसे बोलने वाला एक ही व्यक्ति मिला। भाषावैज्ञानिक अनुमान लगते हैं कि यह भाषा विलुप्त हो चुकी है। .

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खोवार भाषा

खोवार भाषा (Khowar), जिसे चित्राली भाषा भी कहते हैं, पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के चित्राल ज़िले में और गिलगित-बालतिस्तान के कुछ पड़ोसी इलाकों में लगभग ४ लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। शीना, कश्मीरी और कोहिस्तानी जैसी अन्य दार्दी भाषाओँ के मुक़ाबले में खोवार पर ईरानी भाषाओँ का प्रभाव ज़्यादा है और इसमें संस्कृत के तत्व कम हैं। खोवार बोलने वाले समुदाय को 'खो लोग' कहा जाता है। खोवार आम तौर पर अरबी-फ़ारसी लिपि की नस्तालीक़ शैली में लिखी जाती है।, Colin P. Masica, Cambridge University Press, 1993, ISBN 978-0-521-29944-2 .

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गढ़वाली भाषा

गढ़वाली भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। .

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गद्दी

गद्दी गद्दी जनजाति हिमाचल प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर पाई जाती है। इनकी क़द-काठी राजस्थान की मरुभूति के राजपूत समाज से मिलती है। यह भी अपने आप को राजस्थान के 'गढवी' शासकों के वंशज बातते हैं। इस जनजाति का विश्वास है कि मुग़लों के आक्रमण काल में धर्म एवं समाज की पवित्रता बनाये रखने के लिए यह राजस्थान छोड़कर पवित्र हिमालय की शरण में यहाँ के सुरक्षित भागों में आकर बस गये। .

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गुजराती भाषा

गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .

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ग्वार-बती भाषा

ग्वार-बती (Gawar-Bati) कुनर (कुनड़) शाखा की एक दार्दी भाषा है जो अफ़ग़ानिस्तान​ के कुनर प्रान्त और उसके साथ लगे पाकिस्तान के चित्राल ज़िले के कुछ भागों में बोली जाती है। इसके लगभग ९,००० मातृभाषी अफ़ग़ानिस्तान​ में और १,५०० पाकिस्तान में रहते हैं। .

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गोवरो भाषा

गोवरो (Gowro), जिसे गाबरो भी कहते हैं, कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले में बोली जाती है। यह इस जिले के कोलाई नामक क्षेत्र में महरीन गाँव में बोली जाती है। इसके ६५% शब्द चीलीस्सो भाषा से, ६५% सिन्धु कोहिस्तानी भाषा से, ६०% बटेरी भाषा से और ४०% शीना भाषा से मिलते-जुलते हैं। .

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ओड़िया भाषा

ओड़िआ, उड़िया या ओडिया (ଓଡ଼ିଆ, ओड़िआ) भारत के ओड़िशा प्रान्त में बोली जाने वाली भाषा है। यह यहाँ के राज्य सरकार की राजभाषा भी है। भाषाई परिवार के तौर पर ओड़िआ एक आर्य भाषा है और नेपाली, बांग्ला, असमिया और मैथिली से इसका निकट संबंध है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में उड़िया शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप "ओड़िया" होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं: ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है: "शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।" भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्राविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। .

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कलश भाषा

कलश स्त्रियाँ कलश लड़की कलश (Kalash) एक हिन्द-आर्य भाषा-परिवार की दार्दी भाषाओँ वाली शाखा की एक भाषा है जो पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा राज्य के चित्राल ज़िले में बसने वाले कलश लोगों द्वारा बोली जाती है। सन् २०१० में इसे बोलने वालों की संख्या लगभग ६,००० अनुमानित की गई थी। .

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कलकोटी भाषा

कलकोटी (Kalkoti), जिसे तूरवाली भी कहते हैं, कोहिस्तानी उपशाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के ऊपरी दीर ज़िले के कोहिस्तानी (पहाड़ी) क्षेत्र के कलकोट गाँव के आसपास के क्षेत्र में बोली जाती है। इसके आसपास के विस्तृत ऊँचे इलाक़े को आमतौर से 'दीर कोहिस्तान' कहा जाता है (यह कोहिस्तान ज़िले से अलग है)। इसे बोलने वाले बहुत से लोग कालामी भाषा और पश्तो भाषा भी बोलते हैं हालांकि उनके मातृभाषियों को कलकोटी बोलनी नहीं आती।, pp.

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कश्मीरी भाषा

कश्मीरी भाषा एक भारतीय-आर्य भाषा है जो मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है। वर्ष २००१ की जनगणना के अनुसार भारत में इसके बोलने वालों की संख्या लगभग ५६ लाख है। पाक-अधिकृत कश्मीर में १९९८ की जनगणना के अनुसार लगभग १ लाख कश्मीरी भाषा बोलने वाले हैं। कश्मीर की वितस्ता घाटी के अतिरिक्त उत्तर में ज़ोजीला और बर्ज़ल तक तथा दक्षिण में बानहाल से परे किश्तवाड़ (जम्मू प्रांत) की छोटी उपत्यका तक इस भाषा के बोलने वाले हैं। कश्मीरी, जम्मू प्रांत के बानहाल, रामबन तथा भद्रवाह में भी बोली जाती है। प्रधान उपभाषा किश्तवाड़ की "कश्तवाडी" है। कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) है ये कश्मीर में वर्तमान समय में बोली जाने वाली भाषा है। कश्मीरी भाषा के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग किया गया है, जिसमें मुख्य लिपियां हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन और परशो-अरबी है। कश्मीर वादी के उत्तर और पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएं - दर्ददी, श्रीन्या, कोहवाड़ कश्मीरी भाषा के उलट थीं। यह भाषा इंडो-आर्यन और हिंदुस्तानी-ईरानी भाषा के समान है। भाषाविदों का मानना ​​है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागावासी जैसे गंधर्व, यक्ष और किन्नर आदि,बहुत पहले ही मूल आर्यन से अलग हो गए। इसी तरह कश्मीरी भाषा को आर्य भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा। नागा भाषा स्वतः ही विकसित हुई है इस सब के बावजूद, कश्मीरी भाषा ने अपनी विशिष्ट स्वर शैली को बनाए रखा और 8 वीं-9 वीं शताब्दी में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह, कई चरणों से गुजरना पड़ा। .

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काँगड़ी

कोई विवरण नहीं।

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कालामी भाषा

कालामी (Kalami), जिसे कालाम कोहिस्तानी या गावरी (Gawri) भी कहते हैं, कोहिस्तानी शाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान ज़िले बोली जाती है। .

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कुमाऊँनी भाषा

कुमांऊँनी भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक बोली है। इस बोली को हिन्दी की सहायक पहाड़ी भाषाओं की श्रेणी में रखा जाता है। कुमांऊँनी भारत की ३२५ मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक है और २६,६०,००० (१९९८) से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। उत्तराखण्ड के निम्नलिखित जिलों - अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर के अतिरिक्त असम, बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी बोली जाती है। .

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कैरेबियाई हिंदुस्तानी

कैरेबियाई हिंदुस्तानी सूरीनाम, गयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो में बोली जाने वाली भोजपुरी की एक बोली है। इन तीन देशों में भाषा के नाम के आगे विशेषण जोड़ दिया जाता है जिस से उदहारण के लिए सूरीनाम में स्थानीय भाषा के संस्करण को सारनामी हिन्दूस्तानी कहा जाता है। अधिकांश लोग अभी भी भाषा को 'हिंदुस्तानी' कहते हैं। .

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कोहिस्तानी भाषा

कोहिस्तानी भाषा ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा के कोहिस्तान ज़िले (लाल रंग) में बोली जाती है कोहिस्तानी या सिन्धु-कोहिस्तानी हिन्द-आर्य भाषा-परिवार की दार्दी भाषाओँ वाली शाखा की एक भाषा है जो पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा राज्य के कोहिस्तान ज़िले में बोली जाती है। सन् १९९३ में इसे बोलने वालों की संख्या लगभग २,२०,००० अनुमानित की गई थी। .

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कोंकणी भाषा

कोंकणी गोवा, महाराष्ट्र के दक्षिणी भाग, कर्नाटक के उत्तरी भाग, केरल के कुछ क्षेत्रों में बोली जाती है। भाषायी तौर पर यह 'आर्य' भाषा परिवार से संबंधित है और मराठी से इसका काफी निकट का संबंध है। राजनैतिक तौर पर इस भाषा को अपनी पहचान के लिये मराठी भाषा से काफी संघर्ष करना पड़ा है। अब भारतीय संविधान के तहत कोंकणी को आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त है। १९८७ में गोवा में कोंकणी को मराठी के बराबर राजभाषा का दर्जा दिया गया किन्तु लिपि पर असहमति के कारण आजतक इस पर अमल नहीं किया जा सका। कोंकणी अनेक लिपियों में लिखी जाती रही है; जैसे - देवनागरी, कन्नड, मलयालम और रोमन। गोवा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद दवनागरी लिपि में कोंकणी को वहाँ की राजभाषा घोषित किया गया है। .

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असमिया भाषा

आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .

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अहिराणी भाषा

अहिराणी महाराष्ट्र के उत्तर में स्थित खानदेश भूभाग में बोली जाने वाली एक हिन्द-आर्य भाषा है। इसे कभी-कभी खानदेशी भी कहा जाता है, लकिन इसका नाम स्थानीय अहीर समुदाय पर पड़ा है। अहिराणी मराठी भाषा की एक उपभाषा समझी जाती है लेकिन व्याकरण और शब्दावली की दृष्टि से इसमें गुजराती भाषा और राजस्थानी भाषा के भी कई लक्षण पाये जाते हैं। अहीरों की विशिष्ट संस्कृति के कारण उनके द्वारा प्रचलित भाषा है अहिराणी आधुनिक हिंदी की खड़ी बोली का निकास है भी अहिराणी भाषा ही है .

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अवधी

अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश में "अवध क्षेत्र" (लखनऊ, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, फैजाबाद, प्रतापगढ़), इलाहाबाद, कौशाम्बी, अम्बेडकर नगर, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती तथा फतेहपुर में भी बोली जाती है। इसके अतिरिक्त इसकी एक शाखा बघेलखंड में बघेली नाम से प्रचलित है। 'अवध' शब्द की व्युत्पत्ति "अयोध्या" से है। इस नाम का एक सूबा के राज्यकाल में था। तुलसीदास ने अपने "मानस" में अयोध्या को 'अवधपुरी' कहा है। इसी क्षेत्र का पुराना नाम 'कोसल' भी था जिसकी महत्ता प्राचीन काल से चली आ रही है। भाषा शास्त्री डॉ॰ सर "जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन" के भाषा सर्वेक्षण के अनुसार अवधी बोलने वालों की कुल आबादी 1615458 थी जो सन् 1971 की जनगणना में 28399552 हो गई। मौजूदा समय में शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 6 करोड़ से ज्यादा लोग अवधी बोलते हैं। उत्तर प्रदेश के 19 जिलों- सुल्तानपुर, अमेठी, बाराबंकी, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, कौशांबी, फतेहपुर, रायबरेली, उन्नाव, लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद व अंबेडकर नगर में पूरी तरह से यह बोली जाती है। जबकि 6 जिलों- जौनपुर, मिर्जापुर, कानपुर, शाहजहांपुर, बस्ती और बांदा के कुछ क्षेत्रों में इसका प्रयोग होता है। बिहार के 2 जिलों के साथ पड़ोसी देश नेपाल के 8 जिलों में यह प्रचलित है। इसी प्रकार दुनिया के अन्य देशों- मॉरिशस, त्रिनिदाद एवं टुबैगो, फिजी, गयाना, सूरीनाम सहित आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व हॉलैंड में भी लाखों की संख्या में अवधी बोलने वाले लोग हैं। .

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उशोजी भाषा

उशोजी (Ushoji), जिसे उशोजो (Ushojo) भी कहते हैं, शीना शाखा की एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान के ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के कोहिस्तान और स्वात ज़िलों में बोली जाती है। .

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छत्तीसगढ़ी भाषा

'छत्तीसगढ़ी शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त होता है। 1.

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