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हार्मोनिक विश्लेषण

सूची हार्मोनिक विश्लेषण

हार्मोनिक विश्लेषण गणित की वह शाखा है जो फलनों या संकेतों को मौलिक तरंगों योग (superposition) के रूप में व्यक्त करने की विधियों एवं अन्य पक्षों का अध्ययन करती है। चूंकि भौतिकी में मौलिक सरल तरंगोंको हर्मोनिक कहा जाता है इसलिये इस विषय का नाम हार्मोनिक विश्लेषण पडा। पिछली दो शताब्दियों में एक विस्तृत विषय बनकर उभरा है। संकेत प्रसंस्करण, क्वांटम यांत्रिकी एवं तंत्रिकाविज्ञान आदि विविध विषयों में इसका उपयोग होता है। हार्मोनिक विश्लेषण, फुरिअर विश्लेषण का अधिक व्यापक रूप है। .

9 संबंधों: तरंग, तंत्रिका विज्ञान, प्रमात्रा यान्त्रिकी, फलन, फुरिअर विश्लेषण, भौतिक शास्त्र, संकेत प्रसंस्करण, विद्युत संकेत, गणित

तरंग

---- तरंग (Wave) का अर्थ होता है - 'लहर'। भौतिकी में तरंग का अभिप्राय अधिक व्यापक होता है जहां यह कई प्रकार के कंपन या दोलन को व्यक्त करता है। इसके अन्तर्गत यांत्रिक, विद्युतचुम्बकीय, ऊष्मीय इत्यादि कई प्रकार की तरंग-गति का अध्ययन किया जाता है। .

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तंत्रिका विज्ञान

तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) तन्त्रिका तन्त्र के वैज्ञानिक अध्ययन को कहते हैं। पारम्परिक रूप से यह जीवविज्ञान की शाखा माना जाता था लेकिन अब रसायन शास्त्र, संज्ञान शास्त्र, कम्प्यूटर विज्ञान, अभियान्त्रिकी, भाषाविज्ञान, गणित, आयुर्विज्ञान, आनुवंशिकी और अन्य सम्बन्धित विषयों (जैसे कि दर्शनशास्त्र, भौतिकी और मनोविज्ञान) के अंतर्विषयक सहयोग द्वारा परिभाषित है। तंत्रिका जीवविज्ञान (neurobiology) और तंत्रिका विज्ञान (neuroscience) को अक्सर एक ही अर्थ वाला माना जाता है हालाँकि यह सम्भव है कि भविष्य में जीवों से बाहर भी तंत्रिका व्यवस्था बनाई जा सके और उस सन्दर्भ में इन दोनों नामों में अंतर होगा। .

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प्रमात्रा यान्त्रिकी

प्रमात्रा यान्त्रिकी (Quantum mechanics) कुछ वैज्ञानिक सिद्धान्तों का एक समुच्चय है जो परमाणवीय पैमाने पर उर्जा एवं पदार्थ के ज्ञात गुणधर्मों की व्याख्या करते हैं। इसमें उप-परमाणु पैमाने पर जो प्रकाश और उप-परमाण्वीय कणों में तरंग-कण द्विरूप देखा जाता है, उसका गणित आधार सम्मिलित है। क्वाण्टम यान्त्रिकी में उर्जा और पदार्थ के गहरे सम्बन्ध का भी गणित आधार सम्मिलित है। .

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फलन

''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.

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फुरिअर विश्लेषण

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में किसी फलन (फंक्शन) को छोटे-छोटे सरल फलनों के योग के रूप में व्यक्त करने को विश्लेषण कहा जाता है एवं इसकी उल्टी प्रक्रिया को संश्लेषण कहते हैं। हमें ज्ञात है कि फुरिअर श्रेणी के प्रयोग से किसी भी आवर्ती फलन को उचित आयाम, आवृत्ति एवं कला की साइन तरंगो (sine waves) के योग के रूप मे व्यक्त करना सम्भव है। इसके सामान्यीकरण के रूप में यह भी कह सकते हैं किं किसी भी समय के साथ परिवर्तनशील संकेत को उचित आयाम, आवृत्ति एवं कला की साइन तरंगो (sine waves) के योग के रूप में व्यक्त करना सम्भव है। फुरिअर विश्लेषण (Fourier analysis) वह तकनीक है जिसका प्रयोग करके बताया जा सकता है कि कोई संकेत (सिग्नल) किन साइन तरंगों से मिलकर बना हुआ है। फलनों (या अन्य वस्तुओं) को सरल टुकड़ों में तोडकर समझने का प्रयास फुरिअर विश्लेषण का सार है। आजकल फुरिअर विश्लेषण का विस्तार होकर यह एक अधिक सामान्य हार्मोनिक विश्लेषण के अंग के रूप में जाना जाने लगा है। .

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भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

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संकेत प्रसंस्करण

संकेत प्रक्रमण (सिग्नल प्रोसेसिंग) यद्यपि संकेत गैर-विद्युत प्रकृति के भी हो सकते हैं किन्तु अधिकांश संकेत विद्युत संकेत होते हैं या उन्हें संवेदक (सेंसर), संसूचक (डिटेक्टर) या परिवर्तक (ट्रन्स्ड्यूसर) की मदद से विद्युत स्वरूप में बदल दिया जाता है। इसके बाद विद्युत संकेतों को अधिक उपयोगी बनाने के लिये उन्हें अनेक प्रकार से परिवर्तित एवं संस्कारित किया जाता है। इस क्रिया को संकेत प्रसंस्करण (Signal processing) कहते हैं। .

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विद्युत संकेत

संचार, संकेत प्रसंस्करण और सामान्य रूप से विद्युत इंजीनियरी के सन्दर्भ में समय के साथ परिवर्तनशील या अवकाश के साथ परिवर्तनशील (spatial-varying) कोई भी राशि संकेत (signal) कहलाती है। उदाहरण के लिये किसी तापयुग्म से प्राप्त वोल्टता एक संकेत है जो तापमान की सूचना देती है। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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