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हवाई पत्र

सूची हवाई पत्र

हवाई पत्र या ऐरोग्राम पतले कागज से बने उस कागज के टुकड़े को कहते है जिसका प्रयोग पत्र लिखने और फिर उसे हवाईडाक द्वारा भेजने में किया जाता है। इसके किनारों पर गोंद लगा रहता है ताकि पत्र लिखने के बाद इसे निश्चित मोड़ों से मोड़ कर चिपकाया जा सके। यह एक पत्र और लिफाफे का संगम है और इसके लिए किसी अतिरिक्त लिफाफे की आवश्यकता नहीं होती। इन पत्रों पर डाक टिकट अंकित होती हैं और अलग से टिकट चिपकाने की आवश्यकता नहीं होती। अधिकतर डाक सेवायें इन हल्के भार के पत्रों में किसी भी प्रकार की अन्य सामग्री रख कर भेजने की अनुमति नहीं देतीं, क्योंकि इन्हें अक्सर विदेश में एक विशेष दर पर भेजा जाता है। .

3 संबंधों: लिफाफा, गोंद, काग़ज़

लिफाफा

लिफाफा लिफाफा पते की खिड़की के साथलिफाफा एक संवेष्ठ (पैकेजिंग) उत्पाद है, जिसको आमतौर पर कागज या गत्ते जैसी सामग्री से बनाया जाता है। इसका प्रयोग चपटी या सपाट वस्तु के संवेष्ठन के लिए किया जाता है, डाक सेवा के संदर्भ में यह वस्तु, एक पत्र, कार्ड या बिल हो सकती है। पारंपरिक प्रकार के लिफाफे एक कागज की चादर को निम्न तीन आकारों में से किसी एक में काट कर बनाया जा सकता है: समचतुर्भुज (इसे विषमकोण या हीरे का आकार भी कहा जाता है) शॉर्ट-आर्म क्रास और पतंग। यह डिजाइन सुनिश्चित करते हैं कि लिफाफा को बनाते समय जब कटाई के पश्चात कागज को चारों ओर से मोड़ा जाता है तब सामने की ओर एक आयताकार पक्ष तथा दूसरी ओर चार त्रिभुजाकार (या आयताकार) बाहु प्राप्त होती हैं। आमने सामने की बाहु सममित होती हैं। इनमें से तीन बाहुओं को आपस में चिपका कर लिफाफा बनाया जाता है। चौथी बाहु लिफाफे मे पत्र या कार्ड आदि डालने के पश्चात बाकी तीन बाहुओं के ऊपर चिपका दी जाती है या उसे यूं ही छोड़ दिया जाता है। 1876 में विलियम इरविन मार्टिन ने लेखन सामग्री विक्रेता की पुस्तिका प्रकाशित की। वो न्यूयॉर्क में सैमुएल रेनर एंड कंपनी के लिए काम किया करते थे। उन्होने लिफाफों के लिए पहली बार वाणिज्यिक आकारों का सृजन किया और उन्हें 0 से 12 क्रमांक के आधार पर वर्गीकृत किया। .

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गोंद

एक वृक्ष से स्रावित होता गोंद गोंद पौधा का एक उत्सर्जी पदार्थ है जो कोशिका भित्ति के सेलूलोज के अपघटन के फलस्वरूप बनता है। सूखी अवस्था में यह रवा के रूप में पाया जाता है, किन्तु पानी में डालने पर यह फूलकर चिपचिपा बन जाता है। इसका उपयोग कागज आदि विभिन्न पदार्थों को चिपकाने में होता है। अकेशिया सेनीगल से हमें सबसे अच्छा गोंद मिलता है। बबूल, आम और नीम आदि पौधों से भी गोंद निकलता है इसका उपयोग दवा बनाने एवं विभिन्न उद्योग धंधों में होता है। श्रेणी:उत्सर्जन.

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काग़ज़

कागज का पुलिन्दा चीन में कागज का निर्माण कागज एक पतला पदार्थ है जिस पर लिखा या प्रिन्ट किया जाता है। कागज मुख्य रूप से लिखने और छपाई के लिए प्रयुक्त होता है। यह वस्तुओं की पैकेजिंग करने के काम भी आता है। मानव सभ्यता के विकास में कागज का बहुत बड़ा योगदान है। गीले तन्तुओं (फाइबर्स्) को दबाकर एवं तत्पश्चात सुखाकर कागज बनाया जाता है। ये तन्तु प्राय: सेलुलोज की लुगदी (पल्प) होते हैं जो लकड़ी, घास, बांस, या चिथड़ों से बनाये जाते हैं। पौधों में सेल्यूलोस नामक एक कार्बोहाइड्रेट होता है। पौधों की कोशिकाओं की भित्ति सेल्यूलोज की ही बनी होतीं है। अत: सेल्यूलोस पौधों के पंजर का मुख्य पदार्थ है। सेल्यूलोस के रेशों को परस्पर जुटाकर एकसम पतली चद्दर के रूप में जो वस्तु बनाई जाती है उसे कागज कहते हैं। कोई भी पौधा या पदार्थ, जिसमें सेल्यूलोस अच्छी मात्रा में हो, कागज बनाने के लिए उपयुक्त हो सकता है। रुई लगभग शुद्ध सेल्यूलोस है, किंतु कागज बनाने में इसका उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि यह महँगी होती है और मुख्य रूप से कपड़ा बनाने के काम में आती है। परस्पर जुटकर चद्दर के रूप में हो सकने का गुण सेल्यूलोस के रेशों में ही होता है, इस कारण कागज केवल इसी से बनाया जा सकता है। रेशम और ऊन के रेशों में इस प्रकार परस्पर जुटने का गुण न होने के कारण ये कागज बनाने के काम में नहीं आ सकते। जितना अधिक शुद्ध सेल्यूलोस होता है, कागज भी उतना ही स्वच्छ और सुंदर बनता है। कपड़ों के चिथड़े तथा कागज की रद्दी में लगभग शतप्रतिशत सेल्यूलोस होता है, अत: इनसे कागज सरलता से और अच्छा बनता है। इतिहासज्ञों का ऐसा अनुमान है कि पहला कागज कपड़ों के चिथड़ों से ही चीन में बना था। पौधों में सेल्यूलोस के साथ अन्य कई पदार्थ मिले रहते हैं, जिनमें लिग्निन और पेक्टिन पर्याप्त मात्रा में तथा खनिज लवण, वसा और रंग पदार्थ सूक्ष्म मात्राओं में रहते हैं। इन पदार्थों को जब तक पर्याप्त अंशतक निकालकर सूल्यूलोस को पृथक रूप में नहीं प्राप्त किया जाता तब तक सेल्यूलोस से अच्छा कागज नहीं बनाया जा सकता। लिग्निन का निकालना विशेष आवश्यक होता है। यदि लिग्निन की पर्याप्त मात्रा में सेल्यूलोस में विद्यमान रहती है तो सेल्यूलोस के रेशे परस्पर प्राप्त करना कठिन होता है। आरंभ में जब तक सेल्यूलोस को पौधों से शुद्ध रूप में प्राप्त करने की कोई अच्छी विधि ज्ञात नहीं हो सकी थी, कागज मुख्य रूप से फटे सूती कपड़ों से ही बनाया जाता था। चिथड़ों तथा कागज की रद्दी से यद्यपि कागज बहुत सरलता से और उत्तम कोटि का बनता है, तथापि इनकी इतनी मात्रा का मिल सकना संभव नहीं है कि कागज़ की हामरी पूरी आवश्यकता इनसे बनाए गए कागज से पूरी हो सके। आजकल कागज बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का उपयोग मुख्य रूप से होता है: चिथड़े, कागज की रद्दी, बाँस, विभिन्न पेड़ों की लकड़ी, जैसे स्प्रूस और चीड़, तथा विविध घासें जैसे सबई और एस्पार्टो। भारत में बाँस और सबई घास का उपयोग कागज बनाने में मुख्य रूप से होता है। .

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