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पवन वेग

सूची पवन वेग

पवन वेग (विन्ड स्पीड) एक मौलिक वायुमंडलीय राशि है। वायु का प्रवाह, उच्च दाब से निम्न दाब की ओर होता है। अलग-अलग स्थानों का वायुमंडलीय दाब अलग-अलग होता है, जो ताप के अन्तर के कारण होता है। पवन के वेग से कई कार्य प्रभावित होते हैं, जैसे मौसम की भविष्यवाणी, वायुयान तथा जलयानों का संचालन, निर्माण कार्य, कई पादप जातियों के विकास और उपापचय की गति आदि। पवन के वेग को पवनवेगमापी या एनीमोमीटर के द्वारा मापा जाता है। .

7 संबंधों: पवन ऊर्जा, पवन चक्की, पवन टर्बाइन, पवन की दिशा, पवन-वेग-मापी, मौसम विज्ञान, वायुमंडलीय दाब

पवन ऊर्जा

बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है। .

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पवन चक्की

पवन चक्कियों का इस्तेमाल सदियों से होता आया है, लेकिन बिजली पैदा करने के लिए इसका विकास पिछली सदी में ही हुआ। पवन चक्की कई तरह की होती हैं, लेकिन जो सबसे अधिक प्रचलित हैं उनमें एक विशाल खंभे के ऊपरी भाग पर एक सिलेंडर लगा होता है जिसके मुंह पर 20 से 30 फ़ुट लम्बे और 3 से 4 फ़ुट चौड़े पंखे लगे रहते हैं। जब हवा चलती है तो ये पंखे घूमने लगते हैं। इससे पैदा हुई ऊर्जा को जेनेरेटर द्वारा बिजली में परिवर्तित किया जाता है। हमारे वायुमंडल में इतनी पवन ऊर्जा है जो दुनिया की वर्तमान बिजली खपत से पांच गुना अधिक बिजली पैदा कर सकती है। वर्ष 2008 में दुनिया की कुल बिजली खपत का 1.5 प्रतिशत हिस्सा पवन ऊर्जा से पैदा किया गया। लेकिन इस दिशा में तेज़ी से प्रगति हो रही है और बड़े स्तर पर विंड फ़ार्म बनाए जा रहे हैं। ऐसे काम करती है पवन चक्की डेनमार्क में 19 प्रतिशत बिजली इसी तरह पैदा की जाती है। भारत में इस समय पवन ऊर्जा से 9587.14 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता है और 2012 तक इसमें 6000 मेगावॉट की बढ़ोतरी की जाएगी.

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पवन टर्बाइन

बेल्जियम के उत्तरी सागर में अपतटीय पवन फार्म 5 मेगावॉट टर्बाइन आरई-पॉवर एम5 (REpower M5) का उपयोग करते हुए पवन टर्बाइन एक रोटरी उपकरण है, जो हवा से ऊर्जा को खींचता है। अगर यांत्रिक ऊर्जा का इस्तेमाल मशीनरी द्वारा सीधे होता है, जैसा कि पानी पंप करने लिए, इमारती लकड़ी काटने के लिए या पत्थर तोड़ने के लिए होता है, तो वह मशीनपवन-चक्की कहलाती है। इसके बदले अगर यांत्रिक ऊर्जा बिजली में परिवर्तित होती है, तो मशीन को अक्सर पवन जेनरेटर कहा जाता है। .

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पवन की दिशा

वायु की दिशा यह बताती है कि वह किस ओर से किस ओर जा रही है। इससे मौसम का पूर्वानुमान लगाने में सरलता होती है। हवा की गति और दिशा के द्वारा कुछ समय में होने वाले मौसम में बदलाव आदि को जाना जा सकता है। मौसम विज्ञान में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। वायु की दिशा एवं गति जानने के लिए वायुवेगमापी का उपयोग किया जाता है। .

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पवन-वेग-मापी

जिस उपकरण से पृथ्वीतल पर के पवन का वेग नापा जाता है, उसे पवन-वेग-मापी (Anemometer) कहते हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के पवन-वेग-मापियों से पवन के बल एवं वेग के मापन को पवन-वेग-मापन (Anemometry) कहते हैं। मौसमविज्ञान के अध्ययन में पवन का वेगमापन महत्व का स्थान रखता है। .

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मौसम विज्ञान

वायुवेगमापी ऋतुविज्ञान या मौसम विज्ञान (Meteorology) कई विधाओं को समेटे हुए विज्ञान है जो वायुमण्डल का अध्ययन करता है। मौसम विज्ञान में मौसम की प्रक्रिया एवं मौसम का पूर्वानुमान अध्ययन के केन्द्रबिन्दु होते हैं। मौसम विज्ञान का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है किन्तु अट्ठारहवीं शती तक इसमें खास प्रगति नहीं हो सकी थी। उन्नीसवीं शती में विभिन्न देशों में मौसम के आकड़ों के प्रेक्षण से इसमें गति आयी। बीसवीं शती के उत्तरार्ध में मौसम की भविष्यवाणी के लिये कम्प्यूटर के इस्तेमाल से इस क्षेत्र में क्रान्ति आ गयी। मौसम विज्ञान के अध्ययन में पृथ्वी के वायुमण्डल के कुछ चरों (variables) का प्रेक्षण बहुत महत्व रखता है; ये चर हैं - ताप, हवा का दाब, जल वाष्प या आर्द्रता आदि। इन चरों का मान व इनके परिवर्तन की दर (समय और दूरी के सापेक्ष) बहुत हद तक मौसम का निर्धारण करते हैं। .

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वायुमंडलीय दाब

ऊँचाई बढ़ने पर वायुमण्डलीय दाब का घटना (१५ डिग्री सेल्सियस); भू-तल पर वायुमण्डलीय दाब १०० लिया गया है। वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है। अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुमान मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाए गए द्रवस्थैतिक दबाव द्वारा लगाया जाता है। कम दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता है, जबकि अधिक दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर अधिक वायुमंडलीय द्रव्यमान होता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है उस स्तर के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता जाता है, इसलिए बढ़ती ऊंचाई के साथ दबाव घट जाता है। समुद्र तल से वायुमंडल के शीर्ष तक एक वर्ग इंच अनुप्रस्थ काट वाले हवा के स्तंभ का वजन 6.3 किलोग्राम होता है (और एक वर्ग सेंटीमीटर अनुप्रस्थ काट वाले वायु स्तंभ का वजन एक किलोग्राम से कुछ अधिक होता है)। .

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