3 संबंधों: तारों का विकास, तारों की श्रेणियाँ, निरपेक्ष कांतिमान।
तारों का विकास
तारों का बेध करते समय हमें बहुत-सी नीहारिकाएँ उपलब्ध होती हैं, जिनके विश्लेषण से हमें पता चला है कि उनमें से बहुत-सी गैस या धूल के मेघ हैं। तारों के वर्णक्रम की रखाओं में भी सामान्य वर्णक्रम से कुछ भिन्ऩताएँ होती हैं, जिसका कारण तारामध्यवर्ती गैस या धूल समझा गया है। यह तारामध्यवर्ती गैस या धूल ही हमारी तारा प्रणालियों को जन्म देने वाली है। जब तक विश्व में ये पदार्थ विद्यमान रहेंगे, नए तारों तथा ताराप्रणालियों का जन्म होता रहेगा। इनका मूल तत्व प्राय: हाइड्रोजन है। इन मेघों का व्यास 10 पारसेक या उससे कम होता है। विश्व में गैस या धूल की कुल द्रव्य मात्रा अनुमानत: सूर्य की द्रव्य मात्रा की 20 अरब गुनी है। .
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तारों की श्रेणियाँ
अभिजीत (वेगा) एक A श्रेणी का तारा है जो सफ़ेद या सफ़ेद-नीले लगते हैं - उसके दाएँ पर हमारा सूरज है जो G श्रेणी का पीला या पीला-नारंगी लगने वाला तारा है खगोलशास्त्र में तारों की श्रेणियाँ उनसे आने वाली रोशनी के वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) के आधार पर किया जाता है। इस वर्णक्रम से यह ज़ाहिर हो जाता है कि तारे का तापमान क्या है और उसके अन्दर कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। अधिकतर तारों कि वर्णक्रम पर आधारित श्रेणियों को अंग्रेज़ी के O, B, A, F, G, K और M अक्षर नाम के रूप में दिए गए हैं-.
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निरपेक्ष कांतिमान
निरपेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के अपने चमकीलेपन को कहते हैं। मिसाल के लिए अगर किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है कि यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता तो वह कितना चमकीला लगता। इस तरह से "निरपेक्ष कांतिमान" और "सापेक्ष कांतिमान" में गहरा अंतर है। अगर कोई तारा सूरज से बीस गुना ज़्यादा मूल चमक रखता हो लेकिन सूरज से हज़ार गुना दूर हो तो पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के लिए सूरज का सापेक्ष कांतिमान अधिक होगा, हालाँकि दूसरे तारे का निरपेक्ष कांतिमान सूरज से अधिक है। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .
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