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हरि सिंह (बहुविकल्पी)

सूची हरि सिंह (बहुविकल्पी)

कोई विवरण नहीं।

7 संबंधों: महाराज हरि सिंह, सरदार हरि सिंह नलवा, हरि सिंह, हरि सिंह (पंजाब विधायक), हरिसिंह गौर, हरी सिंह, हरी सिंह थापा

महाराज हरि सिंह

महा राजा हरि सिंह महाराज हरि सिंह (जन्म: 21 सितंबर 1895, जम्मू; निधन: 26 अप्रैल 1961 मुंबई) जम्मू और कश्मीर रियासत के अंतिम शासक महाराज थे। वे महाराज रणबीर सिंह के पुत्र और पूर्व महाराज प्रताप सिंह के भाई, राजा अमर सिंह के सबसे छोटे पुत्र थे। इन्हें जम्मू-कश्मीर की राजगद्दी अपने चाचा, महाराज प्रताप सिंह से वीरासत में मिली थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में चार विवाह किये। उनकी चौथी पत्नी, महारानी तारा देवी से उन्हें एक बेटा था जिसका नाम कर्ण सिंह है। हरि सिंह, डोगरा शासन के अन्तिम राजा थे जिन्होंने जम्मु के रज्य को एक सदी तक जोड़े रखा।जम्मु राज्य ने 1947 तक स्वायत्ता और आंतरिक सपृभुता का मज़ा उठाया। यह राज्य न केवल बहुसांस्कृतिक और बहुधमी॔ था, इसकी दूरगामी सीमाएँ इसके दुर्जेय सैन्य शक्ति तथा अनोखे इतिहास का सबूत हैं। .

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सरदार हरि सिंह नलवा

सरदार हरि सिंह (1791 - 1837), सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह के सेनाध्यक्ष थे जिन्होने पठानों से साथ कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से हरि सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेनानायकों से की जा सकती है। हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया। यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले अफगान आक्रमणों से देश को मुक्त किया। इतिहास में पहली बार हुआ था कि पेशावरी पश्तून, पंजाबियों द्वारा शासित थे। महाराजा रणजीत सिंह के निर्देश के अनुसार हरि सिंह नलवा ने सिख साम्राज्य की भौगोलिक सीमाओं को पंजाब से लेकर काबुल बादशाहत के बीचोंबीच तक विस्तार किया था। महाराजा रणजीत सिंह के सिख शासन के दौरान 1807 ई. से लेकर 1837 ई. तक हरि सिंह नलवा लगातार अफगानों के खिलाफ लड़े। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर नलवा ने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की व्यवस्था की थी। सर हेनरी ग्रिफिन ने हरि सिंह को "खालसाजी का चैंपियन" कहा है। ब्रिटिश शासकों ने हरि सिंह नलवा की तुलना नेपोलियन से भी की है। .

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हरि सिंह

हरि सिंह,भारत के उत्तर प्रदेश की तीसरी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1962 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के 405 - मेरठ ग्रामीण विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

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हरि सिंह (पंजाब विधायक)

हरि सिंह (पंजाब विधायक) भारत के पंजाब राज्य की ज़ीरा सीट से शिअद के विधायक हैं। 2012 के चुनावों में वे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 11967 वोटों के अंतर से हराकर निर्वाचित हुए। .

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हरिसिंह गौर

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक '''डॉ हरिसिंह गौर''' डॉ॰ हरिसिंह गौर, (२६ नवम्बर १८७० - २५ दिसम्बर १९४९) सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षाशास्त्री, ख्यति प्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद्, समाज सुधारक, साहित्यकार (कवि, उपन्यासकार) तथा महान दानी एवं देशभक्त थे। वह बीसवीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों में से थे। वे दिल्ली विश्वविद्यालय तथा नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। वे भारतीय संविधान सभा के उपसभापति, साइमन कमीशन के सदस्य तथा रायल सोसायटी फार लिटरेचर के फेल्लो भी रहे थे।उन्होने कानून शिक्षा, साहित्य, समाज सुधार, संस्कृति, राष्ट्रीय आंदोलन, संविधान निर्माण आदि में भी योगदान दिया। उन्होने अपनी गाढ़ी कमाई से 20 लाख रुपये की धनराशि से 18 जुलाई 1946 को अपनी जन्मभूमि सागर में सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की तथा वसीयत द्वारा अपनी पैतृक सपत्ति से 2 करोड़ रुपये दान भी दिया था। इस विश्वविद्यालय के संस्थापक, उपकुलपति तो थे ही वे अपने जीवन के आखिरी समय (२५ दिसम्बर १९४९) तक इसके विकास व सहेजने के प्रति संकल्पित रहे। उनका स्वप्न था कि सागर विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड जैसी मान्यता हासिल करे। उन्होंने ढाई वर्ष तक इसका लालन-पालन भी किया। डॉ॰ सर हरीसिंह गौर एक ऐसा विश्वस्तरीय अनूठा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना एक शिक्षाविद् के द्वारा दान द्वारा की गई थी। .

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हरी सिंह

हरी सिंह,भारत के उत्तर प्रदेश की प्रथम विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1952 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के 72 - हापुड़ (उत्‍तर) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

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हरी सिंह थापा

हरि सिंह थापा भारतीय अन्तराष्ट्रीय बक्सर एवम् राष्ट्रिय कोच हैं। हरि भारतीय बक्सिंगके पितामह उपाधि से परिचत हैं। भारत के ललात हिमालय के वृक्षस्थल एवं कूमार्चल की वीर प्रसविनी श्स्य श्यामला भूमी अनंत काल से ही देश भक्तो, वैज्ञानिको तथा वीर सेनानियो की जन्मदात्री रही है। इसी उत्तरांचल कि पावन धरती ने क्रीड़ा क्ष्रेत्र मै भी ऐसे अनेक ज्वाज्वल्यमान रत्नों को जन्म दिया है जिनकी आभा ने देश ही नहीं बाल्कि विदेशो को भी आलोकित किया है। जहां एक ओर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद चीन और पाकिस्तान से युध मै एवं उसके बाद बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई के मैदान में यहां के जांबांजो ने अपने अद् भुत यूध कौशल एंव शोर्य से जनपद का नाम रोशन किया, वहीं दूसरी ओर जनपद पिथौरागढ़ के खिलाड़ियो ने खेल के मैदनों में भी अपने उत्कृष्ट खेल क प्रदर्शन से अन्तराष्ट्रीय खेल जगत के इतिहास में पिथौरागढ़ क नाम स्वणाक्षरों में अन्कित करवाया गया है। इन्हीं विशिष्ट खिलाड़ियो मै एक नाम है -अन्तराष्ट्रीय मुक्केबाज श्री हरी सिंह थापा का, जिन्होने अपनी लगन एवं मेहनत से मुक्केबाज क ऊंचे सपनों को पारकर भारत का श्रेष्ठ मुक्केबाज होने क गौरव प्राप्त किया। .

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