लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

हरदत्त

सूची हरदत्त

हरदत्त नाम से मध्यकाल में संस्कृत के अनेक विद्वान हुए हैं-.

7 संबंधों: पदमंजरी, मिताक्षरा, संस्कृत भाषा, गणकारिका, गौतम, आपस्तम्ब धर्मसूत्र, काशिकावृत्ति

पदमंजरी

पदमंजरी काशिकावृत्ति का भाष्य है। इसके रचयिता हरदत्त हैं जिन्होंने आपदस्तम्ब के धर्मसूत्र का भी भाष्य लिखा है। यह ग्यारहवीं शताब्दी की रचना है। इसका प्रकाशन बनारस से हुआ था। .

नई!!: हरदत्त और पदमंजरी · और देखें »

मिताक्षरा

मिताक्षरा याज्ञवल्क्य स्मृति पर विज्ञानेश्वर की टीका है जिसकी रचना 11वीं शताब्दी में हुई। यह ग्रन्थ 'जन्मना उत्तराधिकार' (inheritance by birth) के सिद्धान्त के लिए प्रसिद्ध है। हिंदू उत्तराधिकार संबंधी भारतीय कानून को लागू करने के लिए मुख्य रूप से दो मान्यताओं को माना जाता है- पहला है दायभाग स्कूल, जो बंगाल और असम में लागू है। दूसरा है मिताक्षरा, जो शेष भारत में मान्य है। मिताक्षरा के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से ही अपने पिता की संयुक्त परिवार सम्पत्ति में हिस्सेदारी हासिल हो जाती है। इसमें 2005 में कानून में हुए संशोधन के बाद लड़कियों को भी शामिल किया गया। .

नई!!: हरदत्त और मिताक्षरा · और देखें »

संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

नई!!: हरदत्त और संस्कृत भाषा · और देखें »

गणकारिका

गणकारिका पाशुपत दर्शन का एक महत्वपूर्ण मौजूदा ग्रन्थ है। यह एक पुस्तिका है जो पाशुपत दर्शन के गणों के लिये दर्शन के सिद्धांतों और मुख्य विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन करता है। .

नई!!: हरदत्त और गणकारिका · और देखें »

गौतम

संस्कृत साहित्य में गौतम का नाम अनेक विद्याओं से संबंधित है। वास्तव में गौतम ऋषि के गोत्र में उत्पन्न किसी व्यक्ति को 'गौतम' कहा जा सकता है अत: यह व्यक्ति का नाम न होकर गोत्रनाम है। वेदों में गौतम मंत्रद्रष्टा ऋषि माने गए हैं। एक मेधातिथि गौतम, धर्मशास्त्र के आचार्य हो गए हैं। बुद्ध को भी 'गौतम' अथवा (पाली में 'गोतम') कहा गया है। न्यायसूत्रों के रचयिता भी गौतम माने जाते हैं। उपनिषदों में भी गौतम नामधारी अनेक व्यक्तियों का उल्लेख मिलता है। पुराणों, महाभारत तथा रामायण में भी गौतम की चर्चा है। यह कहना कठिन है कि ये सभी गौतम एक ही है। रामायण में ऋषि गौतम तथा उनकी पत्नी अहल्या की कथा मिलती है। अहल्या के शाप का उद्धार राम ने मिथिला के रास्ते में किया था। अत: गौतम का निवास मिथिला में ही होना चाहिए और यह बात मिथिला में 'गौतमस्थान' तथा 'अहल्यास्थान' नाम से प्रसिद्ध स्थानों से भी पुष्ट होती है। चूँकि न्यायशास्त्र के लिये मिथिला विख्यात रही है अत: गौतम (नैयायिक) का मैथिल होना इसका मुख्य कारण हो सकता है। .

नई!!: हरदत्त और गौतम · और देखें »

आपस्तम्ब धर्मसूत्र

आपस्तम्बीय कल्प के 30 प्रश्नों में से 28वें तथा 29वें प्रश्नों को आपस्तम्ब धर्मसूत्र नाम से अभिहित किया जाता है। ये दोनों प्रश्न 11–11 पटलों में विभक्त है, जिनमें क्रमशः 32 और 29 कण्डिकायें प्राप्त हैं। .

नई!!: हरदत्त और आपस्तम्ब धर्मसूत्र · और देखें »

काशिकावृत्ति

संस्कृत व्याकरण के अध्ययन की दो शाखाएँ हैं - नव्य व्याकरण, तथा प्राचीनव्याकरण। काशिकावृत्ति प्राचीन व्याकरण शाखा का ग्रन्थ है। इसमें पाणिनिकृत अष्टाध्यायी के सूत्रों की वृत्ति (संस्कृत: अर्थ) लिखी गयी है। इसके सम्मिलित लेखक जयादित्य और वामन हैं। सिद्धान्तकौमुदी से पहले काशिकावृत्ति बहुत लोकप्रिय थी, फिर इसका स्थान सिद्धान्तकौमुदी ने ले लिया। आज भी आर्यसमाज के गुरुकुलों मे इसी के माध्यम से अध्ययन होता है। .

नई!!: हरदत्त और काशिकावृत्ति · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »