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स्वामीअवधेश आनंद सरस्वती

सूची स्वामीअवधेश आनंद सरस्वती

अवधेशानंद महाराज की संक्षिप्त जीवनी: स्वामी अवधेशानंद गिरी जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक विद्वान ब्राह्मण परिवार में हुआ। बालपन में उन्हें न खिलौनों में दिलचस्पी थी, न दोस्ती आदि में। अपने परिजनों से अकसर वह पूर्व जन्म की घटनाओं की चर्चा करते थे। ढाई साल की उम्र से उन्होंने बैराग धारण कर घर छोड़ दिया था, मगर परिवार के लोग समझा बुझाकर घर ले आये। जब वे हाई स्कूल की नौवीं कक्षा में थे तब  के क्षेत्र में एक साधु की सिद्धियो का साक्षी बनने का  पहली बार अवसर मिला। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान उस वर्ष स्वामी जी आध्यात्मिक अध्ययन और योग का अभ्यास के लिए कुछ समय बिताने एक आश्रम का चले गए। एक रात के बीच में इस आश्रम में, उन्होंने  लगभग एक फुट जमीन के ऊपर हवा में उड़ते एक योगी देखा, आश्रम के अधिकारियों को जब इस युवा लड़के के बारे में पता चला की उसने सिद्ध योगी की साधना को देख लिया है तो उनको दुबारा ऐसा न करने को चेताया, परन्तु उस सिद्ध योगी ने कहा कि इस बच्चे ने क्या गलत किया है ? वैसे भी एक साधु बनने जा रहा है। इस तरह उन्होंने पहले ही बता दिया था की ये भी आगे चल कर सिद्ध गुरु ही बनेगे | कालेज में उनकी सक्रियता वाद-विवाद, कविताओं अथवा प्रार्थना आदि में होती थी। सन् 1980  में हिमालय की कंदराओं में उन्होंने गहन साधना की और इसके साथ ही उन्होंने संन्यास जीवन में पूरी तरह से कदम रखा। हिमालय के निचले पर्वतमाला में महीनो भटक कर उन्होंने पाया की उन्हें मार्गदर्शन करने के लिए एक गुरु की आवश्यकता है। इसी दौरान उनका स्वामी अवधूत प्रकाश महाराज  से मिलना हुआ जिन्होंने अपने आपको खोज लिया था और योग में विशेषज्ञ, और वेद और अन्य   के बारे में ज्ञान में बहुमुखी हो चुके थे, अवधेशानन्द जी भगवन मिल गए हो मानो, वही से उनकी स्वयं से मिलान की यात्रा की शुरुआत हुई।.

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