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स्वामी विशुद्धानन्द

सूची स्वामी विशुद्धानन्द

स्वामी विशुद्धानन्द रामकृष्ण मिशन के ८वें अध्यक्ष थे। स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज जिस प्रकार सनातन धर्म के उच्च आध्यात्मिक ज्ञान के ज्वलन्त प्रतीक थे उसी प्रकार नक्षत्र विज्ञान, गन्धविज्ञान, वायुविज्ञान आदि उच्च विज्ञान के भी वे प्रामाणिक उदाहरण हैं। सूर्य रश्मियों के किरण द्वारा संसार के किसी भी कार्य की सृष्टि कर, उन्होंने तत्कालीन अनेक वैज्ञानिक, पत्रकार एवं विख्यात लोगों को दिखाया था, जिससे प्राचीन भारत में उच्चतम वैज्ञानिक ज्ञान का होना प्रमाणित होता है। साथ ही सनातन धर्म में प्रतिपादित सृष्टि सिद्धान्तों की सत्यता भी प्रमाणित होती है क्योंकि उसी ज्ञान के आधार पर स्वामी जी आत्म बल द्वारा एवं विज्ञान द्वारा भौतिक पदार्थों की रचना एवं अन्य आश्चर्यजनक विभूतियों को प्रत्यक्ष दिखाते थे, जो अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अकल्पनीय हैं। .

2 संबंधों: रामकृष्ण मिशन, सनातन धर्म

रामकृष्ण मिशन

रामकृष्ण मिशन की स्थापना १ मई सन् १८९७ को रामकृष्ण परमहंस के परम् शिष्य स्वामी विवेकानंद ने की। इसका मुख्यालय कोलकाता के निकट बेलुड़ में है। रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है जो कि हिन्दु धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। रामकृष्ण मिशन का ध्येयवाक्य है - आत्मनो मोक्षार्थं जगद् हिताय च (अपने मोक्ष और संसार के हित के लिये) रामकृष्ण मिशन को १९९८ में भारत सरकार द्वारा गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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सनातन धर्म

सनातन धर्म: (हिन्दू धर्म, वैदिक धर्म) अपने मूल रूप हिन्दू धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है।वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये 'सनातन धर्म' नाम मिलता है। 'सनातन' का अर्थ है - शाश्वत या 'हमेशा बना रहने वाला', अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त।सनातन धर्म मूलत: भारतीय धर्म है, जो किसी ज़माने में पूरे वृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है। सिन्धु नदी के पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते, जो 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे। भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई १००० वर्ष पूर्व ही मिलता है, उसके पहले नहीं। हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था। .

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