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स्वामी रामानन्द तीर्थ

सूची स्वामी रामानन्द तीर्थ

स्वामी रामानन्द तीर्थ स्वामी रामानन्द तीर्थ (1903–1972) भारत के शिक्षाविद तथा सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होने हैदराबाद मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया। वे हैदराबाद प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। .

2 संबंधों: भारत, हैदराबाद मुक्ति संग्राम

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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हैदराबाद मुक्ति संग्राम

हैदराबाद राज्य, ब्रिटिश भारत की रियासत थी। इसमें वर्तमान तेलंगाना, मराठवाडा, उत्तर कर्नाटक, विदर्भ के कुछ भाग सम्मिलित थे। सन् १७२४ से सन् १९४८ तक निजाम हैदराबाद राज्य के शासक थे। स्वतंत्रता सेनानियों के प्रदीर्घ हैदराबाद मुक्ति संग्राम के उपरान्त १९४८ में भारत सरकार द्वारा निजाम शासन के विरुद्ध पुलीस कारवाई करके हैदराबाद को भारत में समाहित कर लिया गया। 17 सितम्बर 1948 का दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वास्तव में एक निर्णायक मोड़ था। हैदराबाद की जनता की सामूहिक इच्छा-शक्ति ने न केवल इस क्षेत्र को एक स्वतंत्र देश बनाने हेतु निजाम के प्रयासों को निष्फल कर दिया बल्कि इस प्रांत को भारत संघ में मिलाने का भी निश्चय किया। जब 15 अगस्त 1947 को पूरा भारत स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तो निजाम के राजसी शासन के लोग हैदराबाद राज्य को भारत में मिलाने की मांग करने पर अत्याचार और दमन का सामना कर रहे थे। हैदराबाद की जनता ने निजाम और उसकी निजी सेना 'रजाकारों' की क्रूरता से निडर होकर अपनी आजादी के लिए पूरे जोश से लड़ाई जारी रखी। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री एवं 'लौह पुरूष' सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा पुलिस कार्रवाई करने हेतु लिए गए साहसिक निर्णय ने निजाम को 17 सितम्बर 1948 को आत्म-समर्पण करने और भारत संघ में सम्मिलित होने पर मजबूर कर दिया। इस कार्यवाई को 'आपरेशन पोलो' नाम दिया गया था। इसलिए शेष भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हैदराबाद की जनता को अपनी आजादी के लिए 13 महीने और 2 दिन संघर्ष करना पड़ा था। यदि निजाम को उसके षड़यंत्र में सफल होने दिया जाता तो भारत का नक्शा वह नहीं होता जो आज है। .

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