6 संबंधों: त्वरण, सदिश राशि, ज्यामिति, विस्थापन (सदिश), वक्र, वेग।
त्वरण
विभिन्न प्रकार के त्वरण के अन्तर्गत गति में वस्तु की समान समयान्तराल बाद स्थितियाँ दोलन करता हुआ लोलक: इसका वेग एवं त्वरण तीर द्वारा दर्शाया गया है। वेग एवं त्वरण दोनों का परिमाण एवं दिशा हर क्षण बदल रही है। किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं। या, उदाहरण: माना समय t.
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सदिश राशि
जिस भौतिक राशि में मात्रा (परिमाण) तथा दिशा दोनो निहित होते हैं उन्हें सदिश राशि कहते है। सदिश राशियों के उदाहरण हैं - वेग, बल, संवेग इत्यादि। जिन राशियों में सिर्फ परिमाण होता है उन्हें अदिश राशि कहते हैं, जैसे - चाल, दूरी, द्रव्यमान, आयतन इत्यादि। सदिश राशियों को अदिश से अलग समझने का कारण यह है कि हम कभी-कभी किसी राशि की दिशा का ज्ञान करना आवश्यक होता है। जैसे कि जमीन पर रखे बक्से पर बल किस दिशा में लग रहा है - कितना लग रहा है यह स्पष्टतटा नहीं बताता कि बक्सा खिसकेगा या नहीं। अगर हम बल उपर से नीचे की ओर लगाएं तो बक्सा कितना भी बल लगाने से नहीं खिसकेगा। पर यदि हम इसको क्षैतिज रूप से लगाएं तो एक नियत मात्रा के बल के बाद यह खिसकने लगेगा। गणित तथा भौतिक विज्ञान में सदिशों के बहुत उपयोग हैं। .
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ज्यामिति
ब्रह्मगुप्त ब्रह्मगुप्त का प्रमेय, इसके अनुसार ''AF'' .
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विस्थापन (सदिश)
एक कण द्वारा तय दूरी व विस्थापन का सापेक्ष अध्ययन विस्थापन (Displacement) एक सदिश राशि है। जब कोई वस्तु एक बिन्दु P से दूसरे बिन्दु Q तक किसी भी पथ से होते हुए गति करती है तो इस विस्थापन का परिमाण उन दो बिन्दुओं के मध्य की निम्नतम दूरी होगी तथा विस्थापन की दिशा, रेखा PQ की दिशा में (P से Q की तरफ) होगी। विस्थापन को s से दर्शाते हैं। विस्थापन का परिमाण काल्पनिक सीधे पथ की लम्बाई है, अतः यह कण द्वारा तय की गई कुल दूरी से अलग हो सकता है। जब कोई वस्तु p बिन्दु से q बिन्दु तक जाती है और वापस पुनः p बिन्दु आ जाती हैं, तब विस्थापन शून्य होगा, जबकि चली गयी दूरी शून्य नहीं होगी। .
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वक्र
बन्द वक्र का एक उदाहरण बोलचाल की भाषा में कोई भी टेढ़ी-मेढ़ी रेखा वक्र (Curve) कहलाती है। किन्तु गणित में, सामान्यतः, वक्र ऐसी रेखा है जिसके प्रत्येक बिंदु पर उसकी दिशा में किसी विशेष नियम से ही परिवर्तन होता हो। यह ऐसे बिंदु का पथ है जो किसी विशेष नियम से ही विचरण करता हो। उदाहरण के लिए, यदि किसी बिंदु की दूरी एक नियत बिंदु से सदा समान रहती हो, तो बिंदुपथ एक वक्र होता है जिसे वृत्त कहते हैं। नियत बिंदु इस वृत्त का केंद्र होता है। यदि वक्र के समस्त बिंदु एक समतल में हो तो उसे समतल वक्र (Plane curve) कहते हैं, अन्यथा उसे विषमतलीय (Skew) या आकाशीय (Space) वक्र कहा जाता है। .
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वेग
किसी वस्तु की एक खास दिशा में जो चाल होती है उसे उस वस्तु का उस दिशा में वेग कहा जाता है। छात्रों में एक सामान्य अवधारणा पाई जाती है कि वेग सिर्फ उसी दिशा में ही निकाला जाता है जिस दिशा में वस्तु चलती हुई प्रतीत होती है। ऐसा नहीं है, वेग उस दिशा में भी निकाला जा सकता है जिस दिशा में वस्तु की चाल प्रतीत नहीं होती है। जबकि चाल वेग का परिमाण होता है। श्रेणी:शब्दार्थ श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:गतिविज्ञान.
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