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तारामीन

सूची तारामीन

तारा मछली इकाइनोडरमेटा संघ का अपृष्ठवंशी प्राणी है जो केवल समुद्री जल में ही पायी जाती है। इसके शरीर का आकार तारा जैसा होता है, शरीर में डिस्क और पांच भुजाएं होती है जो कड़े प्लेट्स से ढंकी रहता हैं। उपरी सतह पर अनेक कांटेदार रचनायें होती हैं। डिस्क पर मध्य में गुदा स्थित होती है। निचली सतह पर डिस्क के मध्य में मुंह स्थित है। भुजाओं पर दो कतारों में ट्यूब फीट होते हैं। प्रचलन की क्रिया ट्यूबफीट के द्वारा होती है तथा पैपुली द्वारा श्वसन की क्रिया होती है। इसकी एक प्रजाति,Gohongaze को जापानी लोग बडे चाव से खाते हैं। .

8 संबंधों: टैक्सोन, प्राणी, शूलचर्मी, जापान, विलुप्ति, गण (जीवविज्ञान), कोशिकीय श्वसन, अकशेरुकी प्राणी

टैक्सोन

वंश का दर्जा मिला है टैक्सोन (taxon) या वर्गक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण के क्षेत्र में जीवों की जातियों के ऐसे समूह को कहा जाता है जो किसी वर्गकर्ता के मत में एक ईकाई है, यानि जिसकी सदस्य जातियाँ एक-दूसरे से कोई मेल या सम्बन्ध रखती हैं जिस वजह से उनके एक श्रेणी में डाला जा रहा है। अलग-अलग जीववैज्ञानिक अपने विवेकानुसार यह टैक्सोन परिभाषित कर सकते हैं इसलिए उनमें आपसी मतभेद भी आम होता रहता है।, Guillaume Lecointre, Hervé Le Guyader, pp.

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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शूलचर्मी

तारामीन लिली शूलचर्मा या 'एकिनोडर्म' (Echinoderm) पूर्णतया समुद्री प्राणी हैं। जंतुजगत्‌ के इस बड़े संघ में तारामीन (starfish), ओफियोराइड (Ophiaroids) तथा होलोथूरिया (Holothuria) आदि भी सम्मिलित हैं। अंग्रेजी शब्द एकाइनोडर्माटा का अर्थ है, 'काँटेदार चमड़ेवाले प्राणी'। शूलचर्मों का अध्ययन अनेक प्राणिविज्ञानियों ने किया है। इस संघ में 4,000 प्रकार के प्राणी हैं, जो संसार के सभी सागरों और विभिन्न गहराइयों में पाए जाते हैं। .

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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विलुप्ति

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है। अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियाँ दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियाँ प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियाँ पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5,...

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गण (जीवविज्ञान)

कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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कोशिकीय श्वसन

सजीव कोशिकाओं में भोजन के आक्सीकरण के फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होने की क्रिया को कोशिकीय श्वसन कहते हैं। यह एक केटाबोलिक क्रिया है जो आक्सीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति दोनों ही अवस्थाओं में सम्पन्न हो सकती है। इस क्रिया के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा को एटीपी नामक जैव अणु में संग्रहित करके रख लिया जाता है जिसका उपयोग सजीव अपनी विभिन्न जैविक क्रियाओं में करते हैं। यह जैव-रासायनिक क्रिया पौधों एवं जन्तुओं दोनों की ही कोशिकाओं में दिन-रात हर समय होती रहती है। कोशिकाएँ भोज्य पदार्थ के रूप में ग्लूकोज, अमीनो अम्ल तथा वसीय अम्ल का प्रयोग करती हैं जिनको आक्सीकृत करने के लिए आक्सीजन का परमाणु इलेक्ट्रान ग्रहण करने का कार्य करता है। कोशिकीय श्वसन एवं श्वास क्रिया में अभिन्न सम्बंध है एवं ये दोनों क्रियाएँ एक-दूसरे की पूरक हैं। श्वांस क्रिया सजीव के श्वसन अंगों एवं उनके वातावरण के बीच होती है। इसके दौरान सजीव एवं उनके वातावरण के बीच आक्सीजन एवं कार्बन डाईऑक्साइड गैस का आदान-प्रदान होता है तथा इस क्रिया द्वारा आक्सीजन गैस वातावरण से सजीवों के श्वसन अंगों में पहुँचती है। आक्सीजन गैस श्वसन अंगों से विसरण द्वारा रक्त में प्रवेश कर जाती है। रक्त परिवहन का माध्यम है जो इस आक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों की कोशिकाओं में पहुँचा देता है। वहाँ इसका उपयोग कोशिकाएँ अपने कोशिकीय श्वसन में करती हैं। श्वसन की क्रिया प्रत्येक जीवित कोशिका के कोशिका द्रव्य (साइटोप्लाज्म) एवं माइटोकाण्ड्रिया में सम्पन्न होती है। श्वसन सम्बन्धित प्रारम्भिक क्रियाएँ साइटोप्लाज्म में होती है तथा शेष क्रियाएँ माइटोकाण्ड्रियाओं में होती हैं। चूँकि क्रिया के अंतिम चरण में ही अधिकांश ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। इसलिए माइटोकाण्ड्रिया को कोशिका का श्वसनांग या शक्ति-गृह (पावर हाउस) कहा जाता है। .

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अकशेरुकी प्राणी

कुछ अकशेरुक प्राणी अकशेरुकी प्राणी (Invertebrate) उन प्राणियों को कहते हैं जिनमें मेरुदंड नहीं होता और न ही किसी अवस्था में मेरुदण्ड विकसित होता है। परिभाषा के अनुसार इसमें कशेरुक प्राणियों के अलावा सभी प्राणी आ जाते हैं। अकशेरुक प्राणियों के कुछ प्रमुख उदाहरण ये हैं - कीट, केकड़ा, झिंगा, घोंघा, ऑक्टोपस, स्टारफिश आदि। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

तारा मछली, स्टारफ़िश, स्टारफिश

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