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सोना

सूची सोना

सोना या स्वर्ण (Gold) अत्यंत चमकदार मूल्यवान धातु है। यह आवर्त सारणी के प्रथम अंतर्ववर्ती समूह (transition group) में ताम्र तथा रजत के साथ स्थित है। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक (isotope, द्रव्यमान 197) प्राप्त है। कृत्रिम साधनों द्वारा प्राप्त रेडियोधर्मी समस्थानिकों का द्रव्यमान क्रमश: 192, 193, 194, 195, 196, 198 तथा 199 है। .

17 संबंधों: चाँदी, ताम्र, धातु, परमाणु क्रमांक, पीला, भारत, मिश्रातु, मिस्र, मुद्रा (भाव भंगिमा), मैसूर, रासायनिक तत्व, समस्थानिक, सायनाइड विधि, सिक्का, आभूषण, आवर्त सारणी, कोलार

चाँदी

चाँदी एक चमकीली व बहुमूल्य धातु है। इसका परमाणु क्रमांक 47 व परमाणु द्रव्यमान 107.9 है यह एक तन्य धातु है,अतः इसका उपयोग तार व आभूषण बनाने में होता है। इसका परमाण्विक इलेक्ट्रोन विन्यास-1s22s22p63s23p63d104s24p64d105s1 है। चाँदी सर्वाधिक विद्युतचालक व ऊष्माचालक धातु है। इसमे जल व कार्बन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड से अभिक्रिया से जंग उत्पन्न होती है, जो काले रंग की होती है। .

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ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

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धातु

'धातु' के अन्य अर्थों के लिए देखें - धातु (बहुविकल्पी) ---- '''धातुएँ''' - मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में सर्वाधिक प्रयुक्त पदार्थों में धातुएँ भी हैं लुहार द्वारा धातु को गर्म करने पर रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। .

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परमाणु क्रमांक

रसायन विज्ञान एवं भौतिकी में सभी तत्वों का अलग-अलग परमाणु क्रमांक (atomic number) है जो एक तत्व को दूसरे तत्व से अलग करता है। किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके तत्व के नाभिक में स्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होता है। इसे Z प्रतीक से प्रदर्शित किया जाता है। किसी आवेशरहित परमाणु पर एलेक्ट्रॉनों की संख्या भी परमाणु क्रमांक के बराबर होती है। रासायनिक तत्वों को उनके बढते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में विशेष रीति से सजाने से आवर्त सारणी का निर्माण होता है जिससे अनेक रासायनिक एवं भौतिक गुण स्वयं स्पष्ट हो जाते हैं।, American Institute of Physics .

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पीला

पीला एक रंग है जो कि मानवीय चक्षु के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यम, दोनों तरंग दैर्घ्य वालों को प्रभावित करता है। यह वह वर्ण है, जिसमें लाल एवं हरा वर्ण बाहुल्य में, एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस का तरंग दैर्घ्य 570–580 nm है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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मिश्रातु

इस्पात एक मिश्रधातु है दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं। .

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मिस्र

मिस्र (अरबी; مصر, अंग्रेजी:Egypt), आधिकारिक तौर पर मिस्र अरब गणराज्य, एक देश है जिसका अधिकांश हालांकि उत्तरी अफ्रीका में स्थित है जबकि इसका सिनाई प्रायद्वीप, दक्षिणपश्चिम एशिया में एक स्थल पुल बनाता है। इस प्रकार मिस्र एक अंतरमहाद्वीपीय देश है, तथा अफ्रीका, भूमध्य क्षेत्र, मध्य पूर्व और इस्लामी दुनिया की यह एक प्रमुख शक्ति है। इसका क्षेत्रफल 1010000 वर्ग किलोमीटर है और इसके उत्तर में भूमध्य सागर, पूर्वोत्तर में गाजा पट्टी और इस्राइल, पूर्व में लाल सागर, दक्षिण में सूडान और पश्चिम में लीबिया स्थित है। मिस्र, अफ्रीका और मध्य पूर्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में से एक है। इसकी अनुमानित 7.90 करोड़ जनसंख्या का अधिकतर हिस्सा नील नदी के किनारे वाले हिस्से में रहता है। नील नदी का यह क्षेत्र लगभग 40000 वर्ग किलोमीटर (15000 वर्ग मील) का है और पूरे देश का सिर्फ इसी क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि पायी जाती है। सहारा मरुस्थल के एक बड़े हिस्से में विरल जनसंख्या निवास करती है। मिस्र के लगभग आधे निवासी शहरों में वास करते हैं जिनमें नील नदी के मुहाने के क्षेत्र में बसे सघन जनसंख्या वाले शहर जैसे कि काहिरा, सिकन्दरिया आदि प्रमुख हैं। मिस्र की मान्यता उसकी प्राचीन सभ्यता के लिए है। गीज़ा पिरामिड परिसर और महान स्फिंक्स जैसे प्रसिद्ध स्मारक यहीं स्थित है। मिस्र के प्राचीन खंडहर जैसे कि मेम्फिस, थेबिस, करनाक और राजाओं की घाटी जो लक्सर के बाहर स्थित हैं, पुरातात्विक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं। यहां के शासक को फारो नाम से जाना जाता था। इस पदवी का प्रयोग ईसाई और इस्लाम काल के पूर्व काल में होता था। इसे फारोह भी लिखते हैं। फारो को मिस्र के देवता होरसका पुनर्जन्म माना जाता था। होरस द्यौ (आकाश) का देवता था और इसे सूर्य भी माना जाता था। मिस्र की कार्यशक्ति का लगभग 12% हिस्सा पर्यटन और लाल सागर रिवेरा में कार्यरत है। मध्य पूर्व में, मिस्र की अर्थव्यवस्था सबसे अधिक विकसित और विविध अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पर्यटन, कृषि, उद्योग और सेवा जैसे क्षेत्रों का उत्पादन स्तर लगभग एक समान है। 2011 के शुरूआत में मिस्र उस क्रांति का गवाह बना, जिसके द्वारा मिस्र से होस्नी मुबारक नाम के तानाशाह के 30 साल के शासन का खात्मा हुआ। .

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मुद्रा (भाव भंगिमा)

---- एक मुद्रा (संस्कृत: मुद्रा, (अंग्रेजी में: "seal", "mark," या "gesture")) हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में एक प्रतीकात्मक या आनुष्ठानिक भाव या भाव-भंगिमा है। जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं। एक मुद्रा एक आध्यात्मिक भाव-भंगिमा है और भारतीय धर्म तथा धर्म और ताओवाद की परंपराओं के प्रतिमा शास्त्र व आध्यात्मिक कर्म में नियोजित प्रामाणिकता की एक ऊर्जावान छाप है। नियमित तांत्रिक अनुष्ठानों में एक सौ आठ मुद्राओं का प्रयोग होता है। योग में, आम तौर पर जब वज्रासन की मुद्रा में बैठा जाता है, तब सांस के साथ शामिल शरीर के विभिन्न भागों को संतुलित रखने के लिए और शरीर में प्राण के प्रवाह को प्रभावित करने के लिए मुद्राओं का प्रयोग प्राणायाम (सांस लेने के योगिक व्यायाम) के संयोजन के साथ किया जाता है। नवंबर 2009 में राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में प्रकाशित एक शोध आलेख में दिखाया गया है कि हाथ की मुद्राएं मस्तिष्क के उसी क्षेत्र को उत्तेजित या प्रोत्साहित करती हैं जो भाषा की हैं। .

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मैसूर

मैसूर भारत के कर्नाटक प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह प्रदेश की राजधानी बंगलौर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दक्षिण में तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है। .

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रासायनिक तत्व

रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .

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समस्थानिक

समस्थानिक (फ्रेंच, अंग्रेज़ी: Isotope, जर्मन: Isotop, पुर्तगाली, स्पेनिश: Isótopo) एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती हैं, परन्तु भार अलग-अलग होता है, उन्हें समस्थानिक कहा जाता है। इनमें प्रत्येक परमाणु में समान प्रोटोन होते हैं। जबकि न्यूट्रॉन की संख्या अलग अलग रहती है। इस कारण परमाणु संख्या तो समान रहती है, लेकिन परमाणु का द्रव्यमान अलग अलग हो जाता है। समस्थानिक का अर्थ "समान स्थान" से है। आवर्त सारणी में तत्वों को परमाणु संख्या के आधार पर अलग अलग रखा जाता है, जबकि समस्थानिक में परमाणु संख्या के समान रहने के कारण उन्हें अलग नहीं किया गया है, इस कारण इन्हें समस्थानिक कहा जाता है। परमाणु के नाभिक के भीतर प्रोटोन की संख्या को परमाणु संख्या कहा जाता है, जो बिना आयन वाले परमाणु के इलेक्ट्रॉन के बराबर होते हैं। प्रत्येक परमाणु संख्या किसी विशिष्ट तत्व की पहचान बताता है, लेकिन ऐसा समस्थानिक में नहीं होता है। इसमें किसी तत्व के परमाणु में न्यूट्रॉन की संख्या विस्तृत हो सकती है। प्रोटोन और न्यूट्रॉन की संख्या उस परमाणु का द्रव्यमान संख्या होता है और प्रत्येक समस्थानिक में द्रव्यमान संख्या अलग अलग होता है। उदाहरण के लिए, कार्बन के तीन समस्थानिक कार्बन-12, कार्बन-13 और कार्बन-14 हैं। इनमें सभी का द्रव्यमान संख्या क्रमशः 12, 13 और 14 है। कार्बन में 6 परमाणु होता है, जिसका मतलब है कि कार्बन के सभी परमाणु में 6 प्रोटोन होते हैं और न्यूट्रॉन की संख्या क्रमशः 6, 7 और आठ है। .

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सायनाइड विधि

सायनाइड विधि (Cyanide process) निम्न श्रेणी के स्वर्ण अयस्कों से सोना निकालने की एक धातुकार्मिक तकनीक (metallurgical technique) है। इसका आविष्कार १८८७ ई. में हुआ था। इससे कम सोने वाले खनिजों से सोना निकालने में बड़ी सहायता मिली है। इससे पहले पारदन (amalgamation) विधि के खनिजों से केवल ६० प्रतिशत के लगभग सोना निकाला जा सकता था। पारदन विधि से सोना के अधिकांश सूक्ष्म कण निकल नहीं पाते थे। सायनाइड विधि के आविष्कारक मैक्‌आर्थर (J.S. Mac Arthur) और फॉरेस्ट (R.W. & W. Forrest) थे। आविष्कार के समय इस विधि का उपहास किया जाता था क्योंकि इसका अभिकर्मक सायनाइड घातक विष और तब सरलता से प्राप्य नहीं था। पर शीघ्र ही इस विधि का उपयोग १८८९ ई. में न्यूजीलैंड में, १८९० ई में दक्षिण अफ्रीका में हुआ और १९२५ ई. तक तो यह विधि सामान्य रूप से व्यवहार में आने लगी। इस विधि में सोने के चूर्णित खनिज को पोटैशियम सायनाइड या सोडियम सायनाइड के तनु विलयन से उपचारित करते हैं, जिससे सोना और चाँदी तो घुलकर खनिज से पृथक्‌ हो जाते हैं और स्वच्छ विलयन को जस्ते के छीलन (shavings) या चूर्ण के साथ उपचार से सोने और चाँदी जस्ते के छीलन या चूर्ण के तल पर काले अवर्पक (slime) के रूप में अवक्षिप्त हो जाते हैं। इनमें कुछ जस्ता भी घुला रहता है। काले अवर्पंक को पिघलाकर सोने और चाँदी को छड़ के रूप में प्राप्त करते हैं। यहाँ जो रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं वे जटिल हैं। यहाँ सोना पोटैशियम सायनाइड में घुलकर स्वर्ण और पोटैशियम का युग्म सायनाइड बनता है। इस क्रिया में वायु के ऑक्सीजन का भी हाथ रहता है, जैसा निम्नलिखित समीकरण से स्पष्ट हो जाता है। वायु के अभाव में अभिक्रिया रुक जाती है। 4 Au + 8 KCN + 2 H_2O + O_2 \rightarrow 4 K + 4 KOH.

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सिक्का

एक सिक्का धातु का एक ठोस टुकड़ा है जो वजन में मानकीकृत होता है, जिसे व्यापार की सुविधाओं के लिए बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जाता है और मुख्य रूप से देश, प्रदेश या क्षेत्र में एक निविदा कानूनी वाणिज्य के लिए नामित टोकन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर सिक्के को धातु या एक धातु सदृश सामग्री और कभी कभी सिंथेटिक सामग्री से बनाया जाता है, सामान्यतः जिसकी बनावट गोल चिपटी होती है और यह अक्सर सरकार द्वारा जारी की जाती हैं। प्रतिदिन के सिक्के के संचरण से लेकर बड़ी संख्या में बुलियन सिक्के के भंडारण के लिए, विभिन्न प्रकार के लेनदेन में सिक्के का प्रयोग पैसे के रूप में होता है। आजकल के मौजूदा लेनेदेन में आधुनिक पैसे की प्रणाली में सिक्के और बैंकनोट नकद के रूप में उपयोग किए जाते हैं। सिक्के का उपयोग बिलों के भुगतान के लिए किया जाता है और सामान्यतः इसे कम इकाइयों के मूल्यों के लिए और बैंकनोट को उच्च मूल्य के लिए मुद्रीकृत किया जाता है; कई पैसों की प्रणाली में उच्चतम-मूल्य के सिक्के का मूल्य न्यूनतम-मूल्य के बैंकनोट से भी कम होता है। पिछले सौ वर्षों में, परिसंचरण सिक्के का अंकित मूल्य आमतौर पर उन्हें बनाने में इस्तेमाल धातु के कुल मूल्य से अधिक होता है, लेकिन आम तौर पर सिक्के के परिसंचरण के इतिहास में ऐसा हमेशा नहीं हुआ है, कई बार परिसंचरण सिक्के कीमती धातुओं से बनाए गए हैं। इस अपवाद से कि सिक्के का अंकित मूल्य इस्तेमाल धातु के कुल मूल्य से अधिक हो, कई बार "बुलियन सिक्कों" को चादीं और सोने (और, कदाचित, अन्य धातु जैसे प्लैटिनम या पैलेडियम), मूल्यवान धातुओं में संग्राहक या निवेशक के उद्दिष्ट से बनाए जाते हैं। आधुनिक सोने के संग्राहक/निवेशक सिक्कों के उदाहरण में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मुद्रित किए गए अमेरिकन गोल्ड ईगल, कनाडा द्वारा मुद्रित किए गए कनाडा गोल्ड मेपल लीफ, दक्षिण अफ्रीका द्वारा मुद्रित किए गए क्रुगेरांड शामिल हैं। अमेरिकन गोल्ड ईगल का अंकित मूल्य अमेरिकन $50 है और कनाडा गोल्ड मेपल लीफ सिक्के का (विशुद्ध प्रतीकात्मक) अंकित मूल्य नाममात्र ही है (उदाहरणार्थ, C$50 1 ऑउंस के लिए); लेकिन क्रुगेर्रंद का नहीं है। ऐतिहासिक दृष्टि से, कई सिक्के के धातु (मिश्रित धातु सहित) और अन्य सामग्री व्यावहारिक, कलात्मक और प्रायोगिक रूप से उत्पादित परिसंचरण, संग्रह और धातु निवेश के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जहां बुलियन सिक्के अन्य बुलियन की तुलना बुलियन सिक्के धातु की मात्रा और शुद्धता के लिए अक्सर अधिक सुविधाजनक तरीके से संग्रह किए जाते हैं। लंबे समय से सिक्के पैसे की अवधारणा से जुड़े हुए हैं, जैसा कि यह तथ्य परिलक्षित है कि "सिक्का" और "मुद्रा" शब्द समानार्थक है। काल्पनिक मुद्राओं में भी सिक्कों के नाम होते हैं (जैसे, किसी वस्तु के लिए कहा जा सकता है जो 123 सिक्का या 123 सिक्कों के बराबर हो सकता है).

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आभूषण

Jewellery art using computer aided design. आभूषण के निर्माण में अक्सर रत्न, सिक्के या अन्य कीमती वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है और आमतौर पर इनको कीमती धातुओं में स्थापित किया जाता है। आभूषण लोकसंस्कृति के लोकमान्य अंग हैं। सौंदर्य की बाहरी चमक-दमक से लेकर शील की भीतरी गुणवत्ता तक और व्यक्ति की वैयक्तिक रुचि से लेकर समाज की सांस्कृतिक चेतना तक आभूषणों का प्रभाव व्याप्त रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में 15 फ़रवरी को ज्वैलरी डे मनाया जाता है हालाँकि इसके पीछे कौन सी विशेष मान्यताएं हैं इसका स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है। .

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आवर्त सारणी

आवर्त सारणी (अथवा, तत्वों की आवर्त सारणी) रासायनिक तत्वों को उनकी संगत विशेषताओं के साथ एक सारणी के रूप में दर्शाने की एक व्यवस्था है। आवर्त सारणी में रासायनिक तत्त्व परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में सजाये गये हैं तथा आवर्त (पिरियड), प्राथमिक समूह, द्वितीयक समूह में वर्गीकृत किया गया है। वर्तमान आवर्त सारणी मैं ११८ ज्ञात तत्व सम्मिलित हैं। सबसे पहले रूसी रसायन-शास्त्री मेंडलीफ (सही उच्चारण- मेन्देलेयेव) ने सन १८६९ में आवर्त नियम प्रस्तुत किया और तत्वों को एक सारणी के रूप में प्रस्तुत किया। इसके कुछ महीनों बाद जर्मन वैज्ञानिक लोथर मेयर (1830-1895) ने भी स्वतन्त्र रूप से आवर्त सारणी का निर्माण किया। मेन्देलेयेव की सारणी से अल्फ्रेड वर्नर (Alfred Werner) ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप निर्मित किया। सन १९५२ में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी (scientist Gil Chaverri) ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था। रसायन शास्त्रियों के लिये आवर्त सारणी अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। इसके कारण कम तत्वों के गुणधर्मों को ही याद रखने से काम चल जाता है क्योंकि आवर्त सारणी में किसी समूह (उर्ध्वाधर पंक्ति) या किसी आवर्त (क्षैतिज पंक्ति) में गुणधर्म एक निश्चित क्रम से एवं तर्कसम्मत तरीके से बदलते हैं। नीचे आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें १८ वर्ग तथा ७ आवर्त हैं- .

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कोलार

कोलार (ಕೋಲಾರ)कर्नाटक प्रान्त का एक शहर है। यह कर्नाटक के कोलार जिला में आता है। कोलार भारत के पुराने स्थलों में से है। इस जगह के निर्माण में चोल और पल्लव का योगदान रहा है। मध्‍यकाल में यह विजयनगर के शासकों के अधीन रहा। कोलार में कई पर्यटन स्थल है जहां आप जा सकते हैं। हैदर अली के पिता का मकबरा कोलार की पुरानी इमारतों में से है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Au, सुवर्ण, सुवर्णम्, स्वर्ण, सोना (धातु), सोने

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