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सैमुएल रिचर्डसन

सूची सैमुएल रिचर्डसन

सैमुएल रिचर्डसन। सैमुएल रिचर्डसन (१६८९-१७६१) की गणना अंग्रेजी उपन्यास के निर्माताओं में की जाती है। साधारण प्रतिभा के इस लेखक का साहित्यक्षेत्र में प्रवेश अकस्मात्‌ ही हुआ। लगभग पचास वर्ष की अवस्था तक इनका पूरा समय अपने निजी मुद्रण व्यवसाय के सफल संचालन में ही लगा। इसी बीच दो पुस्तकविक्रेताओं ने इनसे पत्रों की शैली में एक उपदेशात्मक ग्रंथ लिखने का आग्रह किया जिससे सर्वसाधारण, विशेषतया महिलाओं को, जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में उचित आचरण की शिक्षा मिल सके। इस प्रकार 'फेमिलियर लेटर्स ऑन इंपोर्टेंट अकेजंस' के प्रकाशन से इनके साहित्यिक जीवन का प्रारंभ हुआ। फिर तो इन्होंने पामेला (Pamela), क्लैरिसा हार्लो तथा सर चार्ल्स ग्रैडिसन नामक तीन बड़े बड़े उपन्यास लिखे जिनके कारण इन्हें इंग्लैंड के बाहर यूरोप में भी ख्याति मिली। रिचर्डसन के सभी उपन्यास पत्रों की शैली में हैं। पत्रों के माध्यम से वे अपने पात्रों के भावों का सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत करते हैं। अंग्रेजी उपन्यास अपने प्रारंभिक युग में घटनाप्रधान ही था। चरित्रचित्रण की दृष्टि से उसे एक लंबी मंजिल तय करनी थी। रिचर्डसन ने पहली बार उसमें चारित्रिक विवेचन का समावेश किया। विशेषतया नारी हृदय के परस्पर विरोधी भावों का उनके उपन्यासों में गूढ़ अध्ययन मिलता है। रिचर्डसन के उपन्यासों की दूसरी विशेषता उनका नैतिक उद्देश्य है। उपन्यास उनके लिए केवल मनोरंजन का साधन न होकर पाठकों का धर्म तथा नैतिकता में शिक्षित करने का माध्यम था। 'पामेला' की रचना, जैसा लेखक ने उपन्यास के मुख पृष्ठ पर ही स्पष्ट कर दिया है, इसी उद्देश्य से की गई। नैतिकता का यह आग्रह संभवत: प्युरिटन प्रभाव तथा चार्ल्स द्वितीय के समय के नाट्य साहित्य में अश्लीलता के विरुद्ध प्रतिक्रिया के कारण आया। रिचर्डसन में एक दूसरे प्रकार की प्रतिक्रिया भी देखने को मिलती है। जहाँ १८वीं शताब्दी में साहित्य तथा जीवन के व्यापक क्षेत्र में बुद्धि पक्ष को ही प्रधानता दी जाती थी, उन्होंने अपने उपन्यासों में भाव पक्ष पर जोर दिया। .

1 संबंध: अंग्रेजी उपन्यास

अंग्रेजी उपन्यास

अंग्रेजी उपन्यास विश्व के महान साहित्य का विशिष्ट अंग है। फील्डिंग, जेन ऑस्टिन, जार्ज इलियट, मेरेडिथ, टॉमस हार्डी, हेनरी जेम्स, जॉन गाल्सवर्दी और जेम्स ज्वॉयस के समान उत्कृष्ट कलाकारों की कृतियों ने उसे समृद्ध किया है। अंग्रेजी उपन्यास जीवन पर मर्मभेदी दृष्टि डालता है, उसकी समुचित व्याख्या करता है, सामाजिक अनाचारों पर कठोर आघात करता है और जीवन के मर्म को ग्रहण करने का अप्रतिम प्रयास करता है। अंग्रेजी उपन्यास ने अमर पात्रों को एक लंबी पंक्ति भी विश्व साहित्य को दी है। वह इंग्लैंड के सामाजिक इतिहास को एक अपूर्व झाँकी प्रस्तुत करता है। अंग्रेजी उपन्यास की प्रेरणा के स्रोत मध्यकालीन ऐंग्लो-सैक्सन रोमांस थे, जिनकी अद्भुत घटनाओं और कथाओं ने परवर्ती कथाकारों की कल्पना को उड़ने के लिए पंख दिए। यह रोमांस जीवन की वास्तविकताओं के अतिरंजित चित्र थे और अलेक्सांदर अथवा ट्रॉय आदि के युद्धों से संबंध होते थे। ऐसे प्राचीन रोमांस आगे चलकर गद्य रूप में भी प्रस्तुत हुए। इनमें सर टॉमस मैलरी का ‘मौर्त द आर्थर’ (1484) विशेष उल्लेखनीय है। गद्य में कथा कहने का इंग्लैंड में यह पहला प्रयास था। अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में इसी प्रकार की अन्य कृतियाँ सर टॉमस मोर की ‘यूटोपिया’(1516) और सर फिलिप सिडनी की ‘आर्केडिया’(1590) थी। कुछ इतिहासकार जॉन लिली (1554-1606) के उपन्यास ‘यूफुइस’ (1580) को पहला अंग्रेजी उपन्यास कहते हैं। किस रचना को पहला अंग्रेजी उपन्यास कहा जाय, इस संबंध में बहुत कुछ मतभेद संभव है, किंतु अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में युफुइस का उल्लेख अनायास हो जाता है। इस उपन्यास की भाषा बहुत कुछ कृत्रिम और आलंकारिक है तथा अँग्रेजी गद्य के विकास पर इस शैली का बहुत प्रभाव पड़ा था। अंग्रेजी दरबारी जीवन का इस उपन्यास में सजीव और यथार्थ चित्रण है। एलिज़ाबेथ के युग में शेक्सपियर के पूर्ववर्ती लेखकों ने अनेक उपन्यास लिखे, जिनमें से कुछ ने शेक्सपियर को उनके नाटकों के कथानक भी प्रदान किए। ऐसी रचनाओं में रॉबर्ट ग्रीन (1562-92) को ‘पैडोस्टो’और टॉमस लॉज (1558-1625) की ‘रोज़ेलिंड’उल्लेखनीय है। टॉमस नैश (1567-1601) पहले अंग्रेजी कथाकार थे जिन्होंने यथार्थवाद और व्यंग को अपनाया। उनके उपन्यास ‘दि अन्फार्चुनेट ट्रैवेलर ऑर दि लाइफ ऑव जैक विल्टन’में जीवन के बहुरंगी चित्र हैं। कथा का नायक विल्टन देश-विदेशों में घूमता-फिरता है और कथानक घटनाओं के विचित्र जाल में गुँथा है। एलिज़ाबेथ युगीन लेखकों में टॉमस डेलानी (1543-1600) को भी उपन्यासकार कहा गया है। उनके उपन्यास ‘जैक ऑव न्यूवरी’में एक तरुण जुलाहे का वर्णन है जो अपने स्वामी की विधवा से विवाह करके समृद्ध जीवन बिताता है। 17वीं शताब्दी में रोमांस का पुनरुत्थान हुआ, ऐसी कथाओं का जिनका उपहास ‘डॉन क्विग्ज़ोट ’ में किया गया है। अंग्रेजी उपन्यास की इन रचनाओं का कोई विशेष महत्व नहीं है। अंग्रेजी उपन्यास में एक महत्त्वपूर्ण कदम जॉन बन्यन (1628-1688) का उपन्यास ‘दि पिलग्रिम्स प्रोग्रेस’था। यह कथा रूपक है जिसमें कथा नायक क्रिश्चियन अनेक बाधाओं का सामना करता हुआ अपने लक्ष्य तक पहुँचता है। डिफो (1661-1731) की रचनाओं का अंग्रेजी उपन्यास के विकास पर बहुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने यथार्थवादी शैली को अपनाया और जीवन की गति की भाँति ही उनके उपन्यासों की गति थी। उनका उपन्यास ‘रॉबिन्सन क्रूसो’अत्यंत लोकप्रिय हुआ। इसके अतिरिक्त भी उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण रचनाओं की सृष्टि की। स्विफ्ट (1667-1745) अपने उपन्यास ‘गुलिवर्स ट्रैवेल्स’में मानव जाति पर कठोर व्यंग प्रहार करते हैं, यद्यपि उस व्यंग को अनदेखा करके अनेक पीढ़ियों के पाठकों ने उनकी कथाओं का रस लिया है। 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में चार उपन्यासकारों ने अंग्रेजी उपन्यास को प्रगति का मार्गं दिखाया। रिचर्ड्सन (1689-1761) ने अपने उपन्यासों से मध्यम वर्ग के नए पाठकों को परितोष प्रदान किया। इनके तीन उपन्यासों के नाम हैं-‘पैमेला’, ‘क्लैरिसा हालों’और ‘सर चार्ल्स ग्रांडीसन’। रिचर्ड्सन की रचनाएँ भावुकता से भरी थीं और उनकी नैतिकता संदिग्ध थी। इन त्रुटियों की आलोचना के लिए फील्डिंग (1707-1754) ने अपने उपन्यास, ‘जोजेफ ऐंड्र्यूज’, ‘टाम जोन्स’, ‘एमिलिया’और ‘जोनेथन वाइल्ड’लिखे। इन रचनाओं ने अंग्रेजी उपन्यास को दृढ़ धरातल और विकास के लिए ठोस परंपरा प्रदान की। 18वीं शताब्दी में जिन चार उपन्यासकारों ने अंग्रेजी उपन्यास की विशेष समृद्ध किया उनमें दो अन्य नाम स्मॉलेट (1721-1771) और स्टर्न (1713-1768) के हैं। इस शताब्दी का एक और महत्त्वपूर्ण उपन्यास था गोल्डस्मिथ (1728-1774) का ‘दि विकार ऑव वेकफील्ड’। सर वाल्टर स्कॉट (1771-1832) और जेन मास्टिन (1775-1817) की कृतियाँ अंग्रेजी उपन्यास की निधि है। स्कॉट ने अंग्रेजी इतिहास का कल्पनारंजित और रोमानी चित्रण अपने उपन्यासों में किया। स्काटलैंड के जनजीवन का अनुपम अंकन भी हमें उनकी कृतियों में मिलता है। स्कॉट इंग्लैंड के सबसे सफल ऐतिहासिक उपन्यासकार है। उनकी रचनाओं में ‘आइवनहो’, ‘केनिथवर्थ’और ‘दि टैलिस्मान’की बहुत ख्याति है। जेन आस्टिन मध्यवर्गीय नारी जीवन की कुशल कलाकार हैं। वे व्यंग और निर्ममता से पात्रों को प्रस्तुत करती है। बाह्य जीपन का इतना सजीव अंकन साहित्य में दुर्लभ है। जेन ऑस्टिन की रचनाओं में ‘प्राइड ऐंड प्रेजुडिस’, ‘एमा’और ‘पर्सुएशन’ की विशेष ख्याति है। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अंग्रेजी उपन्यास प्रगति के शिखर पर पहुँचा। यह डिफेन्स (1812-1870) और थैकरे (1811-1863) का युग है। इस युग के अन्य महान उपन्यासकार जॉर्ज इलियट, जॉर्ज मेरेडिक, ट्रोलोप, हेनरी जेम्स आदि है। डिकेन्स इंग्लैंड के सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यासकार है। उन्होंने पिकविक के समान अमर पात्रों की सृष्टि की जो अंग्रेजी के पाठकों की स्मृति में सदा के लिए घर कर चुके हैं। डिकेन्स ने अपने काल की कुरीतियों पर भी अपने साहित्य में कठोर प्रहार किया। उन्होंने बच्चों की वेदना को अपनी कृतियों में मार्मिक अभिव्यक्ति दी। कानून की उलझनों, सरकारी दफ्तरों केचक्र, फ़ैक्टरियों में मजदूरों के कष्ट आदि विषयों का भी डिकेन्स की कृतियों में सशक्त अंकन है। उनके उपन्यासों में ‘पिकनिक पेपर्स’, ‘ऑलिवर ट्विस्ट’, ‘ओल्ड क्यूरिऑसिटी शॉप’, ‘डेविड कॉपरफील्ड’, ‘ए टेल ऑव टू सिटीज’, ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स’, आदि विशेष महत्त्वपूर्ण है। डिकेन्स के समकालीन थैकरे ने अपने युग के महत्वाकांक्षी और पाखंडी लोगों पर अपनी कृतियों में कठोर प्रहार किए। थैकरे का साहित्य परिमाण में अपेक्षाकृत कम है, किंतु आधे दर्जन स्मरणीय उपन्यासों में उन्होंने बेकी शार्प और बिट्रिक्स जैसे पात्रों की विफलता का मार्मिक अंकन किया। थैैकरे के उपन्यासों में गहरी वेदना छिपी है। संसार उन्हें एक विराट् मेला प्रतीत होता था। उनके उपन्यासों में ‘वैनिटी फेयर’, ‘हेनरी एस्मंड’, ‘पेन्डेनिस’ तथा ‘दि न्यूकम्स’विशेष महत्त्वपूर्ण के हैं। विक्टोरिया युग में अनेक महत्त्वपूर्ण कलाकारों ने अंग्रेजी उपन्यास को समृद्ध किया। डिज़रेली (1804-1881) ने राजनीतिक उपन्यास लिखे, बुलबर लिटन (1803-1873) ने ‘दि लास्ट डेज़ ऑव पांपेई’के से सफल ऐतिहासिक उपन्यास लिखे। चार्ल्स किंग्सली (1891-1875) ने ‘वेस्टवर्ड’हो और ‘हिपैशिया’के से उत्कृष्ट ऐतिहासिक उपन्यास अंग्रेजी को दिए। इसी प्रकार चार्ल्स रोड (1814-1884), चार्लेट ब्रौन्टे (1816-1855), ऐमिली ब्रौन्टे (1818-1848), मिसेज गैस्केल (1810- 1865), विल्की कॉलिन्स (1824-1889) आदि के नाम अंग्रेजी उपन्यास के इतिहास में स्मरणीय है। जार्ज इलियट (1819-1880) की गणना इंग्लैंड के महान उपन्यासकारों में है, यद्यपि काल के प्रवाह ने आज उनकी कला का मूल्य कम कर दिया है। उनके विशेष सफल उपन्यासों में ‘साइलस मार्नर’, ‘ऐडम बीड’, ‘दि मिल ऑन दि फ्लास’और ‘रामोला’के नाम हैं। ऐंटनीट्रौलौप (1815-82) ने बारसेट नाम के क्षेत्र का अंतरंग चित्रण अपने उपन्यासों में किया और स्थानीय रंग का महत्व उपन्यास साहित्य में प्रतिष्ठित किया। मेरेडिथ (1828-1909) ने अपने पात्रों की मानसिक उलझनों की विशद व्याख्या अपने उपन्यासों में प्रस्तुत की। इनमें ‘इगोइस्ट’की बहुत ख्याति हुई। मनोवैज्ञानिक गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास हेनरी जेम्स (1843-1916) की कला में उपन्यास को अंतर्मुखी रूप देता है। टॉमस हार्डी (1840-1928) विश्व के विधान पर कठोर आघात करते हैं और मनुष्य को जीवन शक्तियों के असहाय शिकार के रूप में प्रस्तुत करते हैं। हार्डी ने अंग्रेजी उपन्यास को गाढ़े क्षेत्रीय रंग में भी रँगा। उनके उपन्यासों में ‘दि रिटर्न ऑव दि नेटिव’, ‘दि मेयर ऑव कैस्टरब्रिज’, ‘टेस’ और ‘ज्यूड दि आब्सक्योर’ महत्त्वपूर्ण है। आधुनिक काल में एक ओर तो मनोविश्लेषणवाद का महत्व बढ़ा जिसके कारण अंग्रेजी उपन्यास में ‘चेतना के प्रवाह’नाम की प्रवृत्ति का उदय हुआ। दूसरी ओर जीवन के सूक्ष्म किंतु व्यापक रूप को समझने के प्रयास, का भी विकास हुआ। जेम्स ज्वॉयस (1882-1942) रचित ‘यूलिसीज़’उपन्यास मन के सूक्ष्म और महान व्यापारों का अध्ययन प्रस्तुत करता है। उन्हीं के समान वर्जीनिया वुल्फ (1882-1941) और डॉरोथी रिचर्ड्सन भी ‘चेतना के प्रवाह’की शैली को अपनाती है। एच.

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