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सेसलपिनिया

सूची सेसलपिनिया

सेसलपिनिया (Caesalpinia) सपुष्पक पौधों की फ़बासिए नामक फली (लैग्यूम) कुल में एक जीववैज्ञानिक वंश का नाम है। इस वंश में ७० और १५० जीववैज्ञानिक जातियाँ आती हैं, जिनमें से कई की सदस्यता पर वनस्पति वैज्ञानिकों में आपसी विवाद है। .

15 संबंधों: पत्रंग, पादप, फली (लैग्यूम), फ़बासिए, युडिकॉट, रालन, रोज़िड, सपुष्पक पौधा, सेसलपिनिया, जाति (जीवविज्ञान), वनस्पति विज्ञान, वंश (जीवविज्ञान), कार्ल लीनियस, कांटीकरंज, कुल (जीवविज्ञान)

पत्रंग

पत्रंग या पत्रांग सेसलपिनिया वंश में एक सपुष्पक वनस्पति की जीववैज्ञानिक जाति है। इसका वैज्ञानिक नाम "सेसलपिनिया सपन" (Caesalpinia sappan) है। .

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पादप

पादप या उद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं। हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds), कवक (fungi) और जीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं। पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एक को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों में सुकेन्द्रिक प्रकार की कोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीय शैवाल से लेकर विशाल बरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है। 'पादपों में भी प्राण है' यह सबसे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने कहा था। पादपों का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है। .

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फली (लैग्यूम)

लैग्यूम (फली) एक प्रकार का पौधा या फल है जो फाबासीए (Fabaceae) या लैगुमिनोसे (Leguminosae) परिवार से संबंधित है। लैग्यूम का फल एक साधारण सा सूखा फल है जो एक कापेल पर विकसित होता है और सामान्यतः दो भागों में बँटा होता है। इस प्रकार के फलों के लिए एक अन्य नाम है "पॉड", लेकिन यह नाम अन्य प्रकार के फलों के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है, जैसे वनिला। कुच्ह प्रसिद्ध लैग्यूम हैं, अल्फाल्फा, तिपतिया घास, मटर, बीन, मसूर, मेसकुईट, कॉरोब और मूँगफली। * श्रेणी:सब्ज़ी श्रेणी:फल आकृति-विज्ञान श्रेणी:बुनियादी भोजन.

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फ़बासिए

फ़बासिए कुल का एक पौधा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (fixing) करनेवाले जीवाणु विद्यमान रहते हैं। फ़बासिए (Fabaceae), लेग्युमिनोसी (Leguminosae) या पापील्योनेसी (Papilionaceae) एक महत्त्वपूर्ण पादप कुल है जिसका बहुत अधिक आर्थिक महत्त्व है। इस कुल में लगभग ४०० वंश तथा १२५० जातियाँ मिलती हैं जिनमें से भारत में करीब ९०० जातियाँ पाई जाती हैं। इसके पौधे उष्ण प्रदेशों में मिलते हैं। शीशम, काला शीशम, कसयानी, सनाई, चना, अकेरी, अगस्त, मसूर, खेसारी, मटर, उरद, मूँग, सेम, अरहर, मेथी, मूँगफली, ढाक, इण्डियन टेलीग्राफ प्लाण्ट, सोयाबीन एवं रत्ती इस कुल के प्रमुख पौधे हैं। लेग्युमिनोसी द्विबीजपत्री पौधों का विशाल कुल है, जिसके लगभग ६३० वंशों (genera) तथा १८,८६० जातियों का वर्णन मिलता है। इस कुल के पौधे प्रत्येक प्रकार की जलवायु में पाए जाते हैं, परंतु प्राय: शीतोष्ण एवं उष्ण कटिबंधों में इनका बाहुल्य है। इस कुल के अंतर्गत शाक (herbs), क्षुप (shrubs) तथा विशाल पादप आते हैं। कभी कभी इस कुल के सदस्य आरोही, जलीय (aquatic), मरुद्भिदी (xerophytic) तथा समोद्भिदी (mescphytic) होते हैं। इस कुल के पौधों में एक मोटी जड़ होती है, जो आगे चलकर मूलिकाओं (rootlets) एवं उपमूलिकाओं में विभक्त हो जाती है। अनेक स्पीशीज़ की जड़ों में ग्रंथिकाएँ (nodules) होती हैं, जिनमें हवा के नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (fixing) करनेवाले जीवाणु विद्यमान रहते हैं। ये जीवाणु नाइट्रोजन का स्थायीकरण कर, खेतों को उर्वर बनाने में पर्याप्त योग देते हैं। अत: ये अधिक आर्थिक महत्व के हैं। इसी वर्ग के पौधे अरहर, मटर, ऐल्फेल्फा (alfalfa) आदि हैं। लेग्युमिनोसी कुल के पौधों के तने साधारण अथवा शाखायुक्त तथा अधिकतर सीधे, या लिपटे हुए होते है। पत्तियाँ साधारणतया अनुपर्णी (stipulate), अथवा संयुक्त (compound), होती हैं। अनुपर्णी पत्तियाँ कभी कभी पत्रमय (leafy), जैसे मटर में, अथवा शूलमय (spiny), जैसे बबूल में, होती हैं। आस्ट्रेलिया के बबूल की पत्तियाँ, जो डंठल सदृश दिखलाई पड़ती हैं, पर्णाभवृंत सदृश (phyllode-like) होती है। पुष्पक्रम (inflorescence) कई फूलों का गुच्छा होता है। फूल या तो एकाकी (solitary) होता है या पुष्पक्रम में लगा रहता है। पुष्पक्रम असीमाक्षी (racemose) अथवा ससीमाक्षी (cymose) होता है। पुष्प प्राय: एकव्याससममित (zygomorphic), द्विलिंगी (bisexual), जायांगाधर (hypogynous), या परिजायांगी (perigynous) होते हैं। बाह्यदलपुंज (calyx) पाँच दलवाला तथा स्वतंत्र, या कभी-कभी थोड़ा जुड़ा, रहता है। पुमंग (androecium) में १० या अधिक पुंकेसर (stamens) होते हैं। जायांग (gynaeceum) एक कोशिकीय तथा असमबाहु (inequilateral) होता है। एकलभित्तीय (parietal) बीजांडासन (placenta) अभ्यक्ष (ventral) होता है, पर अपाक्षीय (dorsally) घूम जाता है। बीजांड (ovules) एक, या अनेक होते हैं। फल या फली गूदेदार तथा बीज अऐल्बूमिनी (exalbuminous) होते हैं। .

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युडिकॉट

युडिकॉट​ (Eudicot) सपुष्पक पौधों का एक समूह है जिनके बीजों के दो हिस्से (बीजपत्र) होते हैं, जिसके विपरीत मोनोकॉट (Monocot) पौधों के बीजों में एक ही बीजपत्र होता है। फूलधारी (सपुष्पक) पौधों की यही दो मुख्य श्रेणियाँ हैं।, Linda R. Berg, pp.

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रालन

रालन या आलय सेसलपिनिया वंश में एक सपुष्पक वृक्ष की जीववैज्ञानिक जाति है। इसका वैज्ञानिक नाम "सेसलपिनिया डेकापेटाला" (Caesalpinia decapetala) है। .

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रोज़िड

रोज़िड (Rosid) सपुष्पक पौधों (यानि फूल देने वाले पौधों) का एक बड़ा क्लेड परिवार है, जिसमें ७०,००० से अधिक जातियाँ आती हैं। सारे फूलने वाले पौधों की जातियों में से एक-चौथाई इसी क्लेड की सदस्य हैं। रोज़िड क्लेड को अलग-अलग जीववैज्ञानिकों की मतानुसार १६ से २० गणों में विभाजित किया जाता है। रोज़िड और ऐस्टरिड​ सारे युडिकॉट​ (दो बीजपत्रों वाले फूलदार पौधे) के परिवार के दो सबसे बड़े क्लेड हैं और इन दोनों में हज़ारों सदस्य जातियाँ आती हैं।, Joel Cracraft, Michael J. Donoghue, pp.

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सपुष्पक पौधा

कमल बीज पैदा करनेवाले पौधे दो प्रकार के होते हैं: नग्न या विवृतबीजी तथा बंद या संवृतबीजी। सपुष्पक, संवृतबीजी, या आवृतबीजी (flowering plants या angiosperms या Angiospermae या Magnoliophyta, Magnoliophyta, मैग्नोलिओफाइटा) एक बहुत ही बृहत् और सर्वयापी उपवर्ग है। इस उपवर्ग के पौधों के सभी सदस्यों में पुष्प लगते हैं, जिनसे बीज फल के अंदर ढकी हुई अवस्था में बनते हैं। ये वनस्पति जगत् के सबसे विकसित पौधे हैं। मनुष्यों के लिये यह उपवर्ग अत्यंत उपयोगी है। बीज के अंदर एक या दो दल होते हैं। इस आधार पर इन्हें एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री वर्गों में विभाजित करते हैं। सपुष्पक पौधे में जड़, तना, पत्ती, फूल, फल निश्चित रूप से पाए जाते हैं। .

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सेसलपिनिया

सेसलपिनिया (Caesalpinia) सपुष्पक पौधों की फ़बासिए नामक फली (लैग्यूम) कुल में एक जीववैज्ञानिक वंश का नाम है। इस वंश में ७० और १५० जीववैज्ञानिक जातियाँ आती हैं, जिनमें से कई की सदस्यता पर वनस्पति वैज्ञानिकों में आपसी विवाद है। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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वनस्पति विज्ञान

बटरवर्थ का पुष्प जीव जंतुओं या किसी भी जीवित वस्तु के अध्ययन को जीवविज्ञान या बायोलोजी (Biology) कहते हैं। इस विज्ञान की मुख्यतः दो शाखाएँ हैं: (1) प्राणिविज्ञान (Zoology), जिसमें जंतुओं का अध्ययन होता है और (2) वनस्पतिविज्ञान (Botany) या पादपविज्ञान (Plant Science), जिसमें पादपों का अध्ययन होता है। .

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वंश (जीवविज्ञान)

एक कूबड़ वाला ड्रोमेडरी ऊँट और दो कूबड़ो वाला बैक्ट्रियाई ऊँट दो बिलकुल अलग जातियाँ (स्पीशीज़) हैं लेकिन दोनों कैमेलस​ (Camelus) वंश में आती हैं जातियाँ आती हैं वंश (लैटिन: genus, जीनस; बहुवाची: genera, जेनेरा) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक वंश में एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों की जातियाँ आती हैं। ध्यान दें कि वंश वर्गीकरण के लिए मानकों को सख्ती से संहिताबद्ध नहीं किया गया है और इसलिए अलग अलग वर्गीकरण कर्ता वंशानुसार विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत करते हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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कांटीकरंज

कांटीकरंज या लताकारंज या कड़वा बदाम सेसलपिनिया वंश में एक सपुष्पक वनस्पति की है। यह एक लता की भांति ६ मीटर (२० फ़ूट) तक दूसरे वृक्षों पर चढ़ सकने वाला एक झाड़ीनुमा वनस्पति है। इसके तनों पर मुड़े हुए कांटे-जैसे ढांचे होते हैं। .

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कुल (जीवविज्ञान)

वंश आते हैं कुल (अंग्रेज़ी: family, फ़ैमिली; लातिनी: familia, फ़ामिलिया) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में प्राणियों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक कुल में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के वंश आते हैं। ध्यान दें कि हर प्राणी वंश में बहुत-सी भिन्न प्राणियों की जातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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