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सेल्युकसी साम्राज्य

सूची सेल्युकसी साम्राज्य

सेल्युकसी साम्राज्य (Βασιλεία τῶν Σελευκιδῶν, बैसिलिया टोन सेल्युकिडोन) हेलिनिस्टिक काल का एक साम्राज्य है, जिसपर सेल्युकसी वंश ने शासन किया। इस साम्राज्य का कालखंड 312 ईसा पूर्व से 63 ईसा पूर्व तक रहा। इसकी स्थापना सेल्युकस प्रथम निकेटर ने मेसिडोनियाई साम्राज्य, जिसका सिकंदर महान ने अत्यधिक विस्तार किया था, के विभाजन के पश्चात की थी। साम्राज्य के अधिकतम विस्तार के समय यह अनातोलिया, फ़ारस (पर्शिया), लेवांट, मेसोपोटामिया तथा वर्तमान में कुवैत, अफ़ग़ानिस्तान तथा आंशिक रूप से पाकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तक विस्तृत था। .

18 संबंधों: तुर्कमेनिस्तान, पहलवी साम्राज्य, पारसी धर्म, पाकिस्तान, फ़ारस, फ़ारसी भाषा, मेसोपोटामिया, यूनानी धर्म, यूनानी भाषा, लेवंट, सिकंदर, सेल्युकस प्रथम निकेटर, हाथी, आनातोलिया, आरामाईक, इप्सस का युद्ध, कुवैत, अफ़ग़ानिस्तान

तुर्कमेनिस्तान

तुर्कमेनिस्तान (तुर्कमेनिया के नाम से भी जाना जाता है) मध्य एशिया में स्थित एक तुर्किक देश है। १९९१ तक तुर्कमेन सोवियत समाजवादी गणराज्य (तुर्कमेन SSR) के रूप में यह सोवियत संघ का एक घटक गणतंत्र था। इसकी सीमा दक्षिण पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान, दक्षिण पश्चिम में ईरान, उत्तर पूर्व में उज़्बेकिस्तान, उत्तर पश्चिम में कज़ाख़िस्तान और पश्चिम में कैस्पियन सागर से मिलती है। 'तुर्कमेनिस्तान' नाम फारसी से आया है, जिसका अर्थ है, 'तुर्कों की भूमि'। देश की राजधानी अश्गाबात (अश्क़ाबाद) है। इसका हल्के तौर पर "प्यार का शहर" या "शहर जिसको मोहब्बत ने बनाया" के रूप में अनुवाद होता है। यह अरबी के शब्द 'इश्क़' और फारसी प्रत्यय 'आबाद' से मिलकर बना है।, Bradley Mayhew, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74104-614-4,...

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पहलवी साम्राज्य

पहलवी साम्राज्य (Parthian Empire 247 ईसा पूर्व – 224 ईस्वी), प्राचीन ईरान और ईराक का प्रमुख राजनैतिक और सांस्कृतिक केन्द्र था। इसका संस्थापक पार्थिया का अश्क प्रथम, जो कि पर्णि कबीले का प्रमुख भी था, ने तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व में पार्थिया क्षेत्र को जीत कर की थी। मिहर्दत प्रथम (शासनकाल 171–138 ईसा पूर्व) ने सेल्युकसी साम्राज्य से मीदि व मेसोपोटामिया छीनकर और अधिक विस्तार किया। अपने उत्कर्ष काल में यह साम्राज्य फ़रात नदी तक फैल गया था, जो क्षेत्र वर्तमान में उत्तर-पूर्वी तुर्की से लेकर पूर्वी ईरान तक है। यह साम्राज्य रेशम मार्ग पर स्थित था, जो कि उस समय रोमन साम्राज्य व हान राजवंश के मध्य प्रमुख व्यापारिक मार्ग था। इस कारण से यह साम्राज्य व्यापारिक व वाणिज्यिक केन्द्र बन गया था। पहलवों ने कला, वास्तु-कला, धार्मिक मान्यताएँ और राजचिह्न वृहत स्तर पर अपने समकालीन सांस्कृतिक साम्राज्यों सी ली थी, जो कि पर्शियन व हेलिनिस्टिक कालखण्ड को परलक्षित करते हैं। इस साम्राज्य के प्रथम अर्ध कालखण्ड पर यूनानी संस्कृति की छाप दिखती हैं, जो कि धीरे-धीरे अंत तक ईरानी संस्कृति में परिवर्तित हो जाती है। पहलवी साम्राज्य के शासकों को "राजाधिराज" को उपाधि प्राप्त थी क्योंकि ये स्वयं को हख़ामनी साम्राज्य का वास्तविक उत्तराधिकारी मानते थे। प्रारम्भ में पहलवों के शत्रु पश्चिम में सेल्युकसी साम्राज्य व पूर्व में शक थे। जैसे-जैसे इनके साम्राज्य का पश्चिम की ओर विस्तार हुआ, उनका सीधा संघर्ष आर्मेनियाई साम्राज्य व रोम गणतन्त्र से होने लगा। रोमनों व पहलवों में आर्मेनिया के राजाओं को अपने कठपुतली के रूप में स्थापित करने की होड़ लगी रहती थी। पहलवों ने रोमन गवर्नर मार्कस लिसीनियस क्रास्सस को 53 ईसा पूर्व में कार्रहाए के युद्ध में निर्णायक रूप से हराकर 40–39 ईसा पूर्व तक टायर को छोड़कर पूरे लेवांट क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। तथापि मार्क एन्टोनी ने जवाबी आक्रमण करके एक सीमित सफलता प्राप्त की। इस तरह से कुछ शताब्दियों तक रोमन-पहलव युद्ध चलता रहा। इन युद्धों में कई बार रोमनों ने सेल्युसिया व तेसीफोन नगरों पर नियंत्रण तो किया परन्तु वे लम्बे समय तक इसे अपने हाथ में नहीं रख पाये। इसी बीच सिंहासन के लिये पहलवों के मध्य ही गृह युद्ध होने लग गये जो कि विदेशी आक्रमण से भी अधिक खतरनाक थे। पहलव साम्राज्य का पतन तब हुआ जब फ़ार्स के इश्तकिर के शासक अर्दशीर प्रथम ने पहलवों के विरुद्ध बगावत कर दी व अंतिम शासक अर्ताबनुस पंचम की हत्या करके सासानी साम्राज्य की स्थापना की, जो कि ईरान पर मुस्लिम आक्रमण के पहले सातवीं शताब्दी तक अस्तित्व में रहा। पहलवी व यूनानी में लिखे मूल पहलव स्रोत सासानी व हख़ामनी की तुलना में बहुत ही दुर्लभ है। फैले हुए कीलाकर फलकों, शिलालेखों, द्राच्मा सिक्कों तथा कुछ चर्मपत्रों के अतिरिक्त पहलवों का इतिहास बाहरी स्रोतों से ही प्राप्त हुए हैं। .

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पारसी धर्म

पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं। .

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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फ़ारस

फ़ारस (فارس; Persia) प्राचीन काल के कई साम्राज्यों के केन्द्र रहे प्रदेशों को कहते हैं जो आधुनिक ईरान से तथा उससे संलग्न क्षेत्रों में फैला था। फ़ारस का साम्राज्य कई बार विशाल बन गया और फिर ढह गया। एक समय इसका विस्तार मध्य यूरोप से लेकर भारत के पश्चिमी छोर तक तथा मध्य एशिया से लेकप मिस्र तक था। १९३५ में रजाशाह पहलवी ने तत्कालीन फारस का नाम बदलकर ईरान कर दिया। इसके निवासियों के संयुक्त रूप से फारसी कहते हैं, यद्यपि इसके निवासियों में जातीय विविधता है। श्रेणी:इतिहास श्रेणी:ईरान en:History of Iran.

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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मेसोपोटामिया

मेसोपोटामिया के विस्तार को दर्शाता मानचित्र मेसोपोटामिया का यूनानी अर्थ है "दो नदियों के बीच"। यह इलाका दजला (टिगरिस) और फ़ुरात (इयुफ़्रेटीस) नदियों के बीच के क्षेत्र में पड़ता है। इसमें आधुनिक इराक़ बाबिल ज़िला, उत्तरपूर्वी सीरिया, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत के क्षेत्र शामिल हैं। यह कांस्ययुगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहाँ सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। हड़प्पा सभ्यता में मेसोपोटामिया को 'मेलुहा' कहा गया है। .

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यूनानी धर्म

प्राचीन यूनानी धर्म (अथवा प्राचीन ग्रीक धर्म) प्राचीन यूनान (ग्रीस) देश का सबसे मुख्य- और राजधर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया और इसके देवी-देवताओं को शैतान करार दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। ग्रीक पौराणिक कथाएं, उन प्राचीन यूनानियों, उनके देवताओं, नायकों, दुनिया की प्रकृति, अनुष्ठान प्रथाओं के महत्व के विषय में संबंधित मिथकों और किंवदंतियों का आधार हैं। वे प्राचीन ग्रीस में धर्म का एक हिस्सा थीं आधुनिक विद्वानों ने इन मिथकों का अध्ययन कर प्राचीन ग्रीस, इसकी सभ्यता की धार्मिक और राजनीतिक संस्थाओं पर प्रकाश डाला है और लाभ मिथक बनाने की प्रकृति को समझने का प्रयास किया है। ग्रीक पौराणिक कथाएं कथा रूप मे भारी मात्रा में संग्रहीत हैं। इनका बड़ा संग्रह परोक्ष रूप मे फूलदानओं पर उकेरी कला कृतियों के रूप में, भित्तिचित्रों कि द्वारा दुनिया कि उत्पत्ति के विवरणओं, जीवन और देवताओं, देवी, नायकों, नायिकाओं और पौराणिक प्राणियों की एक विस्तृत विविधता के रोमांच की व्याख्या करने का प्रयास करतए है। इन कथनकों को शुरू में एक मौखिक काव्य परंपरा में फैलाया गया, आज ग्रीक मिथकों को ग्रीक साहित्य से मुख्य रूप से जाना जाता है। Iliad और ओडिसी दो महाकाव्य, प्राचीनतम ज्ञात यूनानी साहित्यिक स्रोत, ट्रोजन युद्ध के आसपास की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित हैं। होमर के समकालीन हेसियड, Theogony के आक्ख्यान दुनिया की उत्पत्ति, दिव्य शासकों व उनके उत्तराधिका्रियों के, मानव युगों के बारे में मानवीय संकट के भययोग्य उद्गम और बलि प्रथाओं केविषय मे जानकारी देते हैं। मिथक होमेर के भजनों में भी संरक्षित हैं, इस काल के काव्य खण्डों में, गेय कविताओं में, पांचवीं शताब्दी ई.पू.

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यूनानी भाषा

यूनानी या ग्रीक (Ελληνικά या Ελληνική γλώσσα), हिन्द-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार की स्वतंत्र शाखा है, जो ग्रीक (यूनानी) लोगों द्वारा बोली जाती है। दक्षिण बाल्कन से निकली इस भाषा का अन्य भारोपीय भाषा की तुलना में सबसे लंबा इतिहास है, जो लेखन इतिहास के 34 शताब्दियों में फैला हुआ है। अपने प्राचीन रूप में यह प्राचीन यूनानी साहित्य और ईसाईयों के बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की भाषा है। आधुनिक स्वरूप में यह यूनान और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है और करीबन 2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। लेखन में यूनानी अक्षरों का उपयोग किया जाता है। यूनानी भाषा के दो ख़ास मतलब हो सकते हैं.

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लेवंट

लेवंट (अरबी) या बिलाद अश-शाम (अरबी) या शाम (अंग्रेज़ी: Levant) पश्चिमी एशिया का भूमध्य सागर के पूर्वी छोर से लगा हुआ एक ऐतिहासिक क्षेत्र है। यह सीरिया पर केन्द्रित है लेकिन लेबनान, जोर्डन, इस्राइल, फ़िलिस्तीन, सायप्रस और दक्षिणी तुर्की का कुछ भाग भी इसमें सम्मिलित हैं। कभी-कभी इराक़ का पश्चिमी हिस्सा और सीनाई प्रायद्वीप भी इसका हिस्सा माने जाते हैं। .

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सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

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सेल्युकस प्रथम निकेटर

सेल्युकस सिकन्दर के सबसे योग्य सेनापतियों में से एक था जो उसकी मृत्यु के बाद भारत के विजित क्षेत्रों पर उसका उत्तराधिकारी बना। वह सिकन्दर द्वारा जीता हुआ भू-भाग प्राप्त करने के लिए उत्सुक था। इस उद्देश्य से ३०५ ई. पू.

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हाथी

अफ़्रीकी हाथी का कंकाल हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- ''लॉक्सोडॉण्टा'' प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: बुश या सवाना हाथी) तथा (अफ़्रीकी जंगलों का हाथी) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई हाथी।हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है।ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् २००० ई.पू.

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आनातोलिया

आनातोलिया का भूस्वरूप आनातोलिया (तुर्की: Anadolu, यूनानी: Ανατολία) आज के तुर्की, खासकर इसके मध्य भाग को कहते हैं। इसका पूर्वी भाग ऐतिहासिक रूप से अर्मेनिया तथा कुर्दिस्तान का अंग रहा है। यह ईलाका एशिया माइनर के नाम से भी जाना जाता हैं। सामान्य रूप से माना जाता है कि काला सागर के दक्षिण का भूभाग अनातोलिया है। .

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आरामाईक

आरमेइक (Aramaic language) एक सेमिटिक भाषा है जो मध्यपूर्व और उसके उत्तरी-केन्द्रीय भाग में पिछले 3000 सालों से बोली जा रही है। यह कई प्राचीन यहूदी तथा इसाई ग्रंथों की भाषा है और माना जाता है कि ईसा मसीह की मातृभाषा आरामाईक ही थी। यह भाषा मृतप्राय हो गई है। सम्राट अशोक के कई शिलालेखों में अरामाईक लिपि (भाषा नहीं बल्कि केवल लिपि) का प्रयोग हुआ है। आरमेइक (भाषा), सेमेटिक अथवा सामी भाषा परिवार के उत्तर पश्चिम भाग की एक प्रसिद्ध भाषा है। आरमेइक मूल रूप से फिलस्तीन एवं सीरिया के उन प्रवासियों की भाषा थी और उत्तर में बढ़कर "आरम' अर्थात्‌ पहाड़ी प्रदेश में जाकर बस गए। आरमेइक की हिब्रू से बहुत अधिक समानता है। आरमेइक के प्राचीन अभिलेख दमिश्क के निकट ई.पू.

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इप्सस का युद्ध

इप्सस का युद्ध 'राजाओ का युद्ध' कहलाता है जो सिकंदर के मरने के बाद उसके उत्तराधिकारियों में 301 ई. पू.

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कुवैत

कुवैत (अरबी: دولة الكويت‎, दवालात अल-कुवैती) पश्चिम एशिया में स्थित एक संप्रभु अरब अमीरात है, जिसकी सीमा उत्तर में सउदी अरब और उत्तर और पश्चिम में इराक से मिलती है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक की अधिकतम दूरी 200 किमी (120 मील) और पूर्व से लेकर पश्चिम तक की दूरी 170 किमी (110 मील) है। कुवैत एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है 'पानी के करीब एक महल'। करीबन 30 लाख की जनसंख्या वाले इस संवैधानिक राजशाही वाले देश में संसदीय व्यवस्था वाली सरकार है। कुवैत नगर देश की आर्थिक और राजनीतिक राजधानी है। कुवैत में अनेक द्वीप भी शामिल हैं, जिसमें इराक की सीमा से लगा बुमियान सबसे बड़ा है। 1990 में कुवैत पर इराक ने आक्रमण कर कब्जा जमा लिया था। सात महीने का इराकी कब्जा संयुक्त राज्य अमेरिका नीत सेना द्वारा सीधे आक्रमण के बाद खत्म हुआ था। लौटती हुई इराकी सेना ने करीबन 750 तेल के कुंओं को खाक में मिला दिया, जो एक बड़ी आर्थिक और पयार्वरण त्रासदी के रूप में परिणीत हुई। युद्ध में कुवैत की आधारभूत संरचना बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई, जिसे पुनः सुधारना पड़ा। तेल भंडारण के मामले में कुवैत दुनिया का पांचवां सबसे समृद्ध देश और प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से दुनिया का ग्यारहवां सबसे धनी देश है। कुवैत में तेल क्षेत्र की खोज और दोहन की प्रक्रिया 1930 से प्रारंभ हुई। 1961 में युनाइटेड किंगडम से स्वतंत्र होने के बाद इस क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। आज देश का करीबन 95 प्रतिशत निर्यात और 80 प्रतिशत सरकारी राजस्व तेल 䤔र तेल से बने उत्पाद से होती है। .

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अफ़ग़ानिस्तान

अफ़ग़ानिस्तान इस्लामी गणराज्य दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारो ओर से जमीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में पाकिस्तान, उत्तर पूर्व में भारत तथा चीन, उत्तर में ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान है। अफ़ग़ानिस्तान रेशम मार्ग और मानव प्रवास का8 एक प्राचीन केन्द्र बिन्दु रहा है। पुरातत्वविदों को मध्य पाषाण काल ​​के मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में नगरीय सभ्यता की शुरुआत 3000 से 2,000 ई.पू.

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