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सेरानिडाए

सूची सेरानिडाए

सेरानिडाए (Serranidae) हड्डीदार मछलियों के पर्सिफ़ोर्मेज़ गण का एक विस्तृत कुल है। इस कुल में ६५ वंशों के अंतर्गत लगभग ४५० मछली जातियाँ श्रेणीकृत हैं। इसमें समुद्री बैस और ग्रूपर मछलियाँ भी शामिल हैं। सेरानिडाए कुल की अधिकांश मछलियाँ छोटे आकार की हैं (कुछ तो १० सेंटीमीटर से भी कम), लेकिन महान ग्रूपर (Epinephelus lanceolatus) विश्व की सबसे बड़ी हड्डीदार मछलियों में से एक है: यह २.७ मीटर (८ फ़ुट १० इंच) तक लम्बी और ४०० किलोग्राम तक भारी हो जाती है। सेरानिडाए कुल की मछलियाँ विश्वभर के ऊष्णकटिबन्धीय और उपोष्णकटिबन्धीय सागरों में पाई जाती हैं। .

17 संबंधों: ऊष्णकटिबन्ध, ऐक्टिनोप्टरिजियाए, परकोइडेई, पर्सिफ़ोर्मेज़, पर्कोइडेआ, प्राणी, मछली, रज्जुकी, सागर (जलनिकाय), सेरानिडाए, जाति (जीवविज्ञान), वंश (जीवविज्ञान), गण (जीवविज्ञान), ग्रूपर मछली, ओस्टीइक्थीज़​, कुल (जीवविज्ञान), उपोष्णकटिबन्ध

ऊष्णकटिबन्ध

विश्व मानचित्र अंतर ऊष्ण कटिबंध को लाल पट्टी से दर्शाते हुए। मौसमी क्षेत्र ऊष्णकटिबंध (Tropics) दुनिया का वह कटिबंध है जो भूमध्य रेखा से अक्षांश २३°२६'१६" उत्तर में कर्क रेखा और अक्षांश २३°२६'१६" दक्षिण में मकर रेखा तक सीमित है। यह अक्षांश पृथ्वी के अक्षीय झुकाव (Axial tilt) से संबन्धित है। कर्क और मकर रेखाओं में एक सौर्य वर्ष में एक बार और इनके बीच के पूरे क्षेत्र में एक सौर्य वर्ष में दो बार सूरज ठीक सिर के ऊपर होता है। विश्व की आबादी का एक बड़ा भाग (लगभग ४०%) इस क्षेत्र में रहता है और ऐसा अनुमानित है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण यह आबादी और बढ़ती ही जायेगी। यह पृथ्वी का सबसे गर्म क्षेत्र है क्योंकि पृथ्वी के अक्षीय झुकाव के कारण सूर्य की अधिकतम ऊष्मा भूमध्य रेखा और उसके आस-पास के इलाके पर केन्द्रित होती है। .

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ऐक्टिनोप्टरिजियाए

ऐक्टिनोप्टरिजियाए (Actinopterygii) या किरण-फ़िन मछलियाँ (ray-finned fishes) वह हड्डीदार मछलियाँ होती हैं जिनके फ़िन (पर) का ढांचा उनके धड़ से किरणों की तरह निकलती कई हड्डियों से बना होता है जिसके ऊपर मांस और त्वचा लगी होती है। इनके विपरीत हड्डीदार मछलियों की दूसरी मुख्य श्रेणी है, जिसे सार्कोप्टरिजियाए (Sarcopterygii) या लोब-फ़िन मछलियाँ (lobe-finned fishes) कहते हैं, जिनमें फ़िन केवल एक मुख्य हड्डी से उनके धड़ से जुड़े होते है और उस हड्डी के इर्द-गिर्द फ़िन एक लोब (पालि) की तरह बना होता है।, Reed Wicander, James S. Monroe, pp.

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परकोइडेई

परकोइडेई (Percoidei) हड्डीदार मछलियों के पर्सिफ़ोर्मेज़ गण के १८ उपगणों में से एक है। विश्वभर के मत्स्योद्योगों में पकड़ी जाने वाली मछलियों में इस उपगण की कई जातियाँ आती हैं, मसलन स्नैपर, जैक, ग्रूपर, पर्च और पोर्गी। .

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पर्सिफ़ोर्मेज़

पर्सिफ़ोर्मेज़ (Perciformes) कशेरुकी जन्तुओं (रीढ़ की हड्डी वाले) का सबसे बड़ा जीववैज्ञानिक गण है जिसमें लगभग ४०% हड्डीदार मछलियाँ आती हैं। लातिनी भाषा में 'पर्सिफ़ोर्मेज़' का मतलब 'पर्च-जैसी' होता है। यह मछलियाँ किरण-फ़िन मछलियों के जीववैज्ञानिक वर्ग का भाग हैं और इसमें लगभग सभी जलीय वातावरणों में मिलने वाली लगभग १०,००० मछलियों की जातियाँ आती हैं। पर्सिफ़ोर्मेज़ मछलियों के आकार में भी किसी भी अन्य कशेरुकी गण से अधिक विवधता है: कुछ जातियाँ केवल ७ मिलीमीटर और कुछ १६ फ़ुट (५ मीटर​) तक लम्बी होती हैं।, Thomas Scott, pp.

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पर्कोइडेआ

पर्कोइडेआ (Percoidea) मछलियों के पर्सिफ़ोर्मेज़ गण का एक अधिकुल है। इसमें लगभग ३,४०० जीववैज्ञानिक जातियाँ गिनी गई हैं। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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मछली

अमरीकी प्रान्त जॉर्जिया के मछलीघर में एक विशालकाय ग्रूपर अन्य मछलियों के साथ तिरती हुई। मछली शल्कों वाला एक जलचर है जो कि कम से कम एक जोडा़ पंखों से युक्त होती है। मछलियाँ मीठे पानी के स्त्रोतों और समुद्र में बहुतायत में पाई जाती हैं। समुद्र तट के आसपास के इलाकों में मछलियाँ खाने और पोषण का एक प्रमुख स्रोत हैं। कई सभ्यताओं के साहित्य, इतिहास एवं उनकी संस्कृति में मछलियों का विशेष स्थान है। इस दुनिया में मछलियों की कम से कम 28,500 प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें अलग अलग स्थानों पर कोई 2,18,000 भिन्न नामों से जाना जाता है। इसकी परिभाषा कई मछलियों को अन्य जलीय प्रणी से अलग करती है, यथा ह्वेल एक मछली नहीं है। परिभाषा के मुताबिक़, मछली एक ऐसी जलीय प्राणी है जिसकी रीढ़ की हड्डी होती है (कशेरुकी जन्तु), तथा आजीवन गलफड़े (गिल्स) से युक्त होती हैं तथा अगर कोई डालीनुमा अंग होते हैं (लिंब) तो वे फ़िन के रूप में होते हैं। alt.

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रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

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सागर (जलनिकाय)

पृथ्वी की सतह के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में फैला, सागर, खारे पानी का एक सतत निकाय है। पृथ्वी पर जलवायु को संयमित करने, भोजन और ऑक्सीजन प्रदान करने, जैव विविधता को बनाये रखने और परिवहन के क्षेत्र में सागर अत्यावश्यक भूमिका निभाते हैं। प्राचीन काल से लोग सागर की यात्रा करने और इसके रहस्यों को जानने की कोशिश में लगे रहे हैं, परंतु माना जाता है कि सागर के वैज्ञानिक अध्ययन जिसे समुद्र विज्ञान कहते हैं की शुरुआत कप्तान जेम्स कुक द्वारा 1768 और 1779 के बीच प्रशांत महासागर के अन्वेषण के लिए की गयीं समुद्री यात्राओं से हुई। सागर के पानी की विशेषता इसका खारा या नमकीन होना है। पानी को यह खारापन मुख्य रूप से ठोस सोडियम क्लोराइड द्वारा मिलता है, लेकिन पानी में पोटेशियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड के अतिरिक्त विभिन्न रासायनिक तत्व भी होते हैं जिनका संघटन पूरे विश्व मे फैले विभिन्न सागरों में बमुश्किल बदलता है। हालाँकि पानी की लवणता में भीषण परिवर्तन आते हैं, जहां यह पानीकी ऊपरी सतह और नदियों के मुहानों पर कम होती है वहीं यह पानी की ठंडी गहराइयों में अधिक होती है। सागर की सतह पर उठती लहरें इनकी सतह पर बहने वाली हवा के कारण बनती है। भूमि के पास उथले पानी में पहँचने पर यह लहरें मंद पड़ती हैं और इनकी ऊँचाई में वृद्धि होती है, जिसके कारण यह अधिक ऊँची और अस्थिर हो जाती हैं और अंतत: सागर तट पर झाग के रूप में टूटती हैं। सुनामी नामक लहरें समुद्र तल पर आये भूकंप या भूस्खलन की वजह से उत्पन्न होती है और सागर के बाहर बमुश्किल दिखाई देती हैं, लेकिन किनारे पर पहँचने पर यह लहरें प्रचंड और विनाशकारी साबित हो सकती हैं। हवायें सागर की सतह पर घर्षण के द्वारा धाराओं का निर्माण करती हैं जिसकी वजह से पूरे सागर के पानी एक धीमा लेकिन स्थिर परिसंचरण स्थापित होता है। इस परिसंचरण की दिशा कई कारकों पर निर्भर करती है जिनमें महाद्वीपों का आकार और पृथ्वी का घूर्णन शामिल हैं। गहरे सागर की जटिल धारायें जिन्हें वैश्विक वाहक पट्टे के नाम से भी जाना जाता है ध्रुवों के ठंडे सागरीय जल को हर महासागर तक ले जाती हैं। सागरीय जल का बड़े पैमाने पर संचलन ज्वार के कारण होता है, दैनिक रूप से दो बार घटने वाली यह घटना चंद्रमा द्वारा पृथ्वी पर लगाये जाने वाला गुरुत्व बल के कारण घटित होती है, हालाँकि पृथ्वी, सूर्य द्वारा लगाये जाने वाला गुरुत्व बल से भी प्रभावित होती है पर चंद्रमा की तुलना में यह बहुत कम होता है। उन खाड़ियों और ज्वारनदमुखों में इन ज्वारों का स्तर बहुत अधिक हो सकता है जहां ज्वारीय प्रवाह संकीर्ण वाहिकों में बहता है। सागर में जीवित प्राणियो के सभी प्रमुख समूह जैसे कि जीवाणु, प्रोटिस्ट, शैवाल, कवक, पादप और जीव पाए जाते हैं। माना जाता है कि जीवन की उत्पत्ति सागर में ही हुई थी, साथ ही यहाँ पर ही जीवों के बड़े समूहों मे से कइयों का विकास हुआ। सागरों में पर्यावास और पारिस्थितिकी प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला समाहित है। सागर दुनिया भर के लोगों के लिए भोजन, मुख्य रूप से मछली उपलब्ध कराता है किंतु इसके साथ ही यह कस्तूरों, सागरीय स्तनधारी जीवों और सागरीय शैवाल की भी पर्याप्त आपूर्ति करता है। इनमें से कुछ को मछुआरों द्वारा पकड़ा जाता है तो कुछ की खेती पानी के भीतर की जाती है। सागर के अन्य मानव उपयोगों में व्यापार, यात्रा, खनिज दोहन, बिजली उत्पादन और नौसैनिक युद्ध शामिल हैं, वहीं आन्न्द के लिए की गयी गतिविधियों जैसे कि तैराकी, नौकायन और स्कूबा डाइविंग के लिए भी सागर एक आधार प्रदान करता है। इन गतिविधियों मे से कई गतिविधियां सागरीय प्रदूषण का कारण बनती हैं। मानव संस्कृति में सागर महत्वपूर्ण है और इसका प्रयोग सिनेमा, शास्त्रीय संगीत, साहित्य, रंगमंच और कलाओं में बहुतायत से किया जाता है। हिंदु संस्कृति में सागर को एक देव के रूप में वर्णित किया गया है। विश्व के कई हिस्सों में प्रचलित पौराणिक कथाओं में सागर को विभिन्न रूपों में दर्शाया गया है। हिन्दी भाषा में सागर के कई पर्यायवाची शब्द हैं जिनमें जलधि, जलनिधि, नीरनिधि, उदधि, पयोधि, नदीश, तोयनिधि, कम्पती, वारीश, अर्णव आदि प्रमुख हैं। .

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सेरानिडाए

सेरानिडाए (Serranidae) हड्डीदार मछलियों के पर्सिफ़ोर्मेज़ गण का एक विस्तृत कुल है। इस कुल में ६५ वंशों के अंतर्गत लगभग ४५० मछली जातियाँ श्रेणीकृत हैं। इसमें समुद्री बैस और ग्रूपर मछलियाँ भी शामिल हैं। सेरानिडाए कुल की अधिकांश मछलियाँ छोटे आकार की हैं (कुछ तो १० सेंटीमीटर से भी कम), लेकिन महान ग्रूपर (Epinephelus lanceolatus) विश्व की सबसे बड़ी हड्डीदार मछलियों में से एक है: यह २.७ मीटर (८ फ़ुट १० इंच) तक लम्बी और ४०० किलोग्राम तक भारी हो जाती है। सेरानिडाए कुल की मछलियाँ विश्वभर के ऊष्णकटिबन्धीय और उपोष्णकटिबन्धीय सागरों में पाई जाती हैं। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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वंश (जीवविज्ञान)

एक कूबड़ वाला ड्रोमेडरी ऊँट और दो कूबड़ो वाला बैक्ट्रियाई ऊँट दो बिलकुल अलग जातियाँ (स्पीशीज़) हैं लेकिन दोनों कैमेलस​ (Camelus) वंश में आती हैं जातियाँ आती हैं वंश (लैटिन: genus, जीनस; बहुवाची: genera, जेनेरा) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक वंश में एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों की जातियाँ आती हैं। ध्यान दें कि वंश वर्गीकरण के लिए मानकों को सख्ती से संहिताबद्ध नहीं किया गया है और इसलिए अलग अलग वर्गीकरण कर्ता वंशानुसार विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत करते हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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गण (जीवविज्ञान)

कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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ग्रूपर मछली

ग्रूपर (Grouper) हड्डीदार मछलियों के पर्सिफ़ोर्मेज़ गण के सेरानिडाए कुल के एपिनेफ़ेलिनाए (Epinephelinae) उपकुल के सदस्य होते हैं। .

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ओस्टीइक्थीज़​

ओस्टीइक्थीज़​ (Osteichthyes) या हड्डीदार मछलियाँ (bony fish) ऐसी मछलियों की वह श्रेणी होती है जिनके अंदरूनी ढाँचे (सख़्त) हड्डी के बने होते हैं। इनसे विपरीत वह मछलियाँ होती हैं जिनके भीतरी ढाँचे हड्डियों की बजाय उपास्थि (कार्टिलेज) के बने होते हैं, यानि उपास्थिदार मछलियाँ। दुनिया के अधिकतर मछलियाँ ओस्टीइक्थीज़​ हैं और इस विस्तृत और विविध श्रेणी में २९,००० से ज़्यादा जातियाँ आती हैं। अगर रज्जुकी (रीढ़ की हड्डी वाले) जानवरों का पूरा संघ देखा जाए तो हड्डीदार मछलियाँ उसकी सबसे बड़ी श्रेणी है। इनके सबसे प्राचीन मिले जीवाश्म (फ़ॉसिल​) ४२ करोड़ वर्ष पुराने हैं और वे शार्कों (हाँगरों) और हड्डीदार मछलियों दोनों के दन्त-ढांचों के पहलु दिखाते हैं जिस से हड्डीदार मछलियों के क्रम-विकास (एवोल्यूशन) के बारे में भी संकेत मिलता है। .

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कुल (जीवविज्ञान)

वंश आते हैं कुल (अंग्रेज़ी: family, फ़ैमिली; लातिनी: familia, फ़ामिलिया) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में प्राणियों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक कुल में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के वंश आते हैं। ध्यान दें कि हर प्राणी वंश में बहुत-सी भिन्न प्राणियों की जातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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उपोष्णकटिबन्ध

उपोष्णकटिबन्ध मौसम उपोष्णकटिबन्ध पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के तुरंत उत्तर तथा दक्षिण से सटकर लगे हुए क्षेत्र को कहते हैं जो कि कर्क रेखा और मकर रेखा के क्रमशः उत्तर तथा दक्षिण का इलाका है। यह क्षेत्र अमूमन दोनों गोलार्धों में २३.५° से लेकर ४०° तक के अक्षांशों में पाया जाता है हालांकि यह मौसम अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में या उष्णकटिबंधीय इलाकों में भी पाया जा सकता है। .

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