7 संबंधों: पद्म पुराण, श्रीकाकुलम, श्रीकाकुलम जिला, सूर्य देवता, आन्ध्र प्रदेश, इन्द्र, कश्यप।
पद्म पुराण
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित संस्कृत भाषा में रचे गए अठारह पुराणों में से एक पुराण ग्रंथ है। सभी अठारह पुराणों की गणना के क्रम में ‘पद्म पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी यह द्वितीय स्थान पर है। पहला स्थान स्कन्द पुराण को प्राप्त है। पद्म का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूँकि सृष्टि-रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान् नारायण के नाभि-कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पद्म पुराण की संज्ञा दी गयी है। इस पुराण में भगवान् विष्णु की विस्तृत महिमा के साथ भगवान् श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के चरित्र, विभिन्न तीर्थों का माहात्म्य शालग्राम का स्वरूप, तुलसी-महिमा तथा विभिन्न व्रतों का सुन्दर वर्णन है। .
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श्रीकाकुलम
श्रीकाकुलम भारत के आंध्र प्रदेश प्रान्त के उत्तरी-पूर्वी भाग में स्थित एक कस्बा है। यह श्रीकाकुलम जिले का मुख्यालय एवं नगरपालिका भी है। इसी कस्बे के नाम से 'श्रीकाकुलम विधान सभा चुनाव क्षेत्र' तथा 'श्रीकाकुलम संसदीय चुनाव क्षेत्र' भी है। इसे पहले 'गुलशनाबाद' कहते थे। अंग्रेजी राज के समय में इसका नाम 'चिकाकोल' (Chicacole) रखा गया। स्वतन्त्रता के बाद इसका नाम पुन: श्रीकाकुलम पड़ा। इसी नाम का एक और स्थान भी आंध्र-प्रदेश में ही स्थित है। 'श्रीकाकुलम' नाम का जिला व कस्बा आंध्रप्रदेश के उत्तरी-पूर्वी कोने में स्थित है। श्रीकाकुलम नाम का एक गाँव भी है जो कृष्णा नदी के किनारे कृष्णा जिले के घंटशाला में है। इस गाँव में 'आंध्र महाविष्णु मन्दिर' स्थित है। श्रीकाकुलम दक्षिण-पूर्व भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में नागवलि नदी के तट पर स्थित एक नगर है। श्रीकाकुलम को गुलशनाबाद और चिकाकोल के नाम से भी जाना जाता था। श्रीकाकुलम कभी उत्तरी सरकार नामक मुस्लिम क्षेत्र की राजधानी हुआ करता था। ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तुओं में 1641 में निर्मित मस्जिद है। श्रीकाकुलम नगर मे आंध्र विश्वविद्यालय से संबद्ध कई प्रशासनिक महाविद्यालय हैं। श्रेणी:आन्ध्र प्रदेश श्रेणी:आन्ध्र प्रदेश के नगर.
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श्रीकाकुलम जिला
श्रीकाकुलम भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश का एक जिला है। This is th second most backward district in andhra pradesh.
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सूर्य देवता
कोई विवरण नहीं।
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आन्ध्र प्रदेश
आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .
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इन्द्र
इन्द्र (या इंद्र) हिन्दू धर्म में सभी देवताओं के राजा का सबसे उच्च पद था जिसकी एक अलग ही चुनाव-पद्धति थी। इस चुनाव पद्धति के विषय में स्पष्ट वर्णन उपलब्ध नहीं है। वैदिक साहित्य में इन्द्र को सर्वोच्च महत्ता प्राप्त है लेकिन पौराणिक साहित्य में इनकी महत्ता निरन्तर क्षीण होती गयी और त्रिदेवों की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी। .
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कश्यप
आंध्र प्रदेश में कश्यप प्रतिमा वामन अवतार, ऋषि कश्यप एवं अदिति के पुत्र, महाराज बलि के दरबार में। कश्यप ऋषि एक वैदिक ऋषि थे। इनकी गणना सप्तर्षि गणों में की जाती थी। हिन्दू मान्यता अनुसार इनके वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक हुए। .