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सुविधिनाथ

सूची सुविधिनाथ

तीर्थंकर सुविधिनाथ, जो पुष्पदन्त के नाम से भी जाने जाते हैं, वर्तमान अवसर्पिणी काल के ९वें तीर्थंकर है। इनका चिन्ह 'मगर' हैं। .

4 संबंधों: तीर्थंकर, मगरमच्छ, शिखरजी, श्वेत

तीर्थंकर

जैन धर्म में तीर्थंकर (अरिहंत, जिनेन्द्र) उन २४ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त करते है। जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो)। तीर्थंकर को इस नाम से कहा जाता है क्योंकि वे "तीर्थ" (पायाब), एक जैन समुदाय के संस्थापक हैं, जो "पायाब" के रूप में "मानव कष्ट की नदी" को पार कराता है। .

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मगरमच्छ

मगरमच्छ Distrubition of crocodiles मगरमच्छ रेप्टीलिया वर्ग के सबसे बङे जंतुओं में एक है। यह 4 से 25 मीटर तक लंबा हो सकता है। श्रेणी:मगरमच्छ श्रेणी:उभयचर श्रेणी:सरीसृप.

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शिखरजी

शिखरजी या श्री शिखरजी या पारसनाथ पर्वत भारत के झारखंड राज्य के गिरीडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल भी है। 'श्री सम्मेद शिखरजी' के रूप में चर्चित इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। माना जाता है कि 24 में से 20 जैन ने पर मोक्ष प्राप्त किया था।, Travel.hindustantimes.com, Accessed 2012-07-07 1,350 मीटर (4,430 फ़ुट) ऊँचा यह पहाड़ झारखंड का सबसे ऊंचा स्थान भी है। .

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श्वेत

श्वेत रंग प्रत्यक्ष प्रकाश के सभी रंगों को मिलाने पर बनता है।.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पुष्पदन्त (जैन तीर्थंकर), सुविधिनाथ जी

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