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सुबबूल

सूची सुबबूल

सुबबूल की एक टहनी में पत्तियाँ एवं फूल सुबबूल (वानस्पतिक नाम: Leucaena leucocephala) एक पेड़ है जो कम पानी एवं देखरेख पर भी बहुत तेजी से बढ़ता है। यह सालभर हरा रहता है। एक बार लगा देने पर यह बड़ी तेजी से फैलता है। इसका उपयोग ईंधन एवं बायोमास (Biomass) के लिये बहुत उपयोगी पाया गया है। इसकी लकड़ी बहुत कमजोर होती है। .

4 संबंधों: बिलायती बबूल, जैवभार, ईन्धन, वानस्पतिक नाम

बिलायती बबूल

बिलायती बबूल बिलायती बबूल (वानस्पतिक नाम: Prosopis juliflora / प्रोसोपीस् यूलीफ़्लोरा) झाड़ीदार छोटे आकार का वृक्ष है। इसका मूल स्थान मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन हैं। अब यह एशिया, आस्ट्रेलिया एवं अन्य स्थानों पर एक अवांछित वृक्ष (weed) के रूप में पाया जाने लगा है। इसको पशुआहार, लकड़ी एवं पर्यावरण प्रबन्धन के लिये उपयोग में लाया जाता है। इसको 'अंग्रेजी बबूल' 'काबुली कीकर', 'बिलायती खेजरा/खेजरि' भी कहते हैं। यह वृक्ष १२ मीटर तक लम्बा होता है और इसके तने का व्यास 1.2 मीटर तक होता है। इसकी जड़ें इतनी गहराई तक पहुँचती हैं कि यह एक कीर्तिमान है। एरिजोना के पास एक खुली खान में पाया गया था कि इसकी जड़ें 53.3 मीटर गहराई तक प्रवेश कर गयीं थीं। .

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जैवभार

पुआल के गट्ठर बायोमास बानाने के काम आते हैं। धान की भूसी को जलाकर ऊर्जा (ऊष्मा) प्राप्त की जा सकती है। Panicum virgatum का उपयोग जैव मात्रा के रूप में किया जाता है। जीवित जीवों अथवा हाल ही में मरे हुए जीवों से प्राप्त पदार्थ जैव मात्रा या जैव संहति या 'बायोमास' (Biomass) कहलाता है। प्रायः यहाँ 'जीव' से आशय 'पौधों' से है। बायोमास ऊर्जा के स्रोत हैं। इन्हें सीधे जलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है या इनको विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन में परिवर्तित करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण- गन्ने की खोई, धान की भूसी, अनुपयोगी लकड़ी आदि बायोमास को जैव ईंधन के रूप में कई प्रकार से बदला जा सकता है, जिन्हें मोटे तौर पर तीन भागों में बांटा जा सकता है- ऊष्मीय विधियाँ, रासायनिक विधियाँ तथा जैवरासायनिक विधियाँ। .

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ईन्धन

जलती हुई प्राकृतिक गैस ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'। ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं। आजकल परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (fissile materials) को भी अब ईंधन माना जाता है। वैज्ञानिक और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जानेवाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है। विद्युत्‌ ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है। .

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वानस्पतिक नाम

वानस्पतिक नाम (botanical names) वानस्पतिक नामकरण के लिए अन्तरराष्ट्रीय कोड (International Code of Botanical Nomenclature (ICBN)) का पालन करते हुए पेड़-पौधों के वैज्ञानिक नाम को कहते हैं। इस प्रकार के नामकरण का उद्देश्य यह है कि पौधों के लिए एक ऐसा नाम हो जो विश्व भर में उस पौधे के संदर्भ में प्रयुक्त हो। .

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