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सुतीक्ष्ण समुच्चय

सूची सुतीक्ष्ण समुच्चय

गणित में सुतीक्ष्ण समुच्चय अथवा पोइंटेड समुच्चय (आधारी समुच्चय अथवा नियत समुच्चय भी) (X, x_0) का क्रमित युग्म है जहाँ X एक समुच्चय तथा x_0 समुच्चय X का एक अवयव है जिसे इसका आधार बिन्दु कहते हैं तथा इसे अधार बिन्दु अथवा बेसपॉइंट पढ़ा जाता है। सुतीक्ष्ण समुच्चयों (X, x_0) और (Y, y_0) पर प्रतिचित्रण (जिसे आधार प्रतिचित्रण, सुतीक्ष्ण प्रतिचित्रण, अथवा बिन्दू-सरंक्षी प्रतिचित्रण कहा जाता है) X से Y में परिभाषित फलन हैं जो एक से अन्य में आधार बिन्दु का प्रतिचित्रण करते हैं। उदाहरण के लिए f: X \to Y इस प्रकार है कि f(x_0) .

5 संबंधों: फलन, रिक्त समुच्चय, समुच्चय (गणित), गणित, क्रमित युग्म

फलन

''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.

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रिक्त समुच्चय

वह समुच्चय जिसमें कोई अवयव न हो उसे रिक्त समुच्चय (Empty or void set) कहते हैं। .

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समुच्चय (गणित)

समुच्चय या कुलक (set) सुपरिभाषित समूह अथवा संग्रह को कहते हैं। परिभाषा के रूप में वस्तुओं के उस समूह अथवा समाहार को समुच्चय कहते हैं जिसमें सम्मिलित प्रत्येक वस्तु किसी गुण विशेष को संतुष्ट करती हो जिसके आधार पर स्पष्ट रूप से यह बताया जा सके कि अमुक वस्तु उस संग्रह में सम्मिलित है अथवा नहीं है। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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क्रमित युग्म

इस समतल के आठ बिन्दुओं की स्थिति को आठ '''क्रमित युग्मों''' के द्वारा निरुपित किया गया है। गणित में किन्ही दो गणितीय वस्तुओं के जोड़े को क्रमित युग्म या क्रमित युगल (ordered pair) कहते हैं यदि इस युग्म में क्रम का भी महत्व हो (अर्थात पहला कौन है और दूसरा कौन?)। यदि किसी क्रमित युग्म का पहला अवयव a तथा दूसरा अवयव b हो तो इस क्रमित युग्म को (a, b) के रूप में दर्शाते हैं। समुच्चय तथा क्रमित युग्म में अन्तर है। समुच्चय केवल अपने अवयवों द्वारा पारिभाषित होता है (उनके क्रम का महत्व नहीं है) जबकि क्रमित युग्म में अवयवों के अलावा क्रम का भी महत्व है। उदाहरण के लिये समुच्चय तथा समान हैं लेकिन क्रमित युग्म (0, 1) एवं (1, 0) अलग-अलग हैं। क्रमित युग्म का सामान्यीकरण किया जा सकता है और वस्तुओं के 'परिमित क्रमित समूह' की बात की जा सकती है। समुच्चयों का कार्तीय गुणन, द्विचर संबंध (binary relations, कार्तीय निर्देशांक (Cartesian coordinates), भिन्न (fractions) तथा फलन आदि की परिभाषा क्रमित युग्म की सहायता से ही की जाती है। श्रेणी:सम्बन्ध.

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