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सुख नन्दन

सूची सुख नन्दन

सुख नन्दन जी का जन्म ग्राम कोहड़ोरा, मोहम्म्द्पुर, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में २ दिसम्बर १९४० को हुआ था। इनके पिता जी श्री विशुन एक सीधे-सादे ग्रामीण कृषक थे। उनका परिवार पढ़ने-लिखने को लेकर बहुत जागरूक नहीं था। सुख नन्दन जी पढ़ना चाहते थे इसलिये बचपन में घर से भाग कर स्कूल गए। बाद में इनके पिता जी ने इनकी रुचि को देख इन्हे पढ़ने की इजाजत दे दिया। इनकी प्राथमिक शिक्षा उनके कस्बे से कुछ दूर स्थित स्कूल लहबरिया में हुई। इन्होने अपने परिश्रम से उच्च-शिक्षा प्राप्त किया। शिक्षा और अध्ययन के प्रति अन्य ग्रामीणो की रुचि जगाने को अपना लक्ष्य बनाते हुए एक पुस्तकालय का निर्माण भी किया। नौजवानो को शिक्षित और जागरूक किया उनको एक सगठन के रूप में विकसित कर उन्हे सामाजिक विकास में नेतृत्व करने के योग्य बनाया। सुख नन्दन जी ने गोरखपुर विश्व्विद्यालय से दर्शनशास्त्र तथा हिन्दी विषय से एम॰ए॰ किया। जिन दिनो वे दर्शन शास्त्र के विद्यार्थी थे,मार्क्सवाद से प्रभावित हुए। उन्होने सामाजिक अन्याय, अन्तर्विरोध से वैधानिक स्तर पर लड़ने के लिये लखनऊ विश्व्विविद्यालय एल॰एल॰बी॰किया। वे उस समय अपने इलाके के प्रथम अधिवक्ता बनने वाले पहले व्यक्ति हुए। वह वकालत को आज भी व्यवसाय नहीं बल्कि सामाजिक कार्यो को वैधानिक तरीके से सम्पादित करने का माध्यम मानते हैं। आज भी उनके पास ऐसे मजबूर, असहाय लोग पहुचते हैं जो वकील और मुकदमे का खर्च नहीं वहन कर सकते। हिन्दी से एम॰ए॰ होने के कारण उनकी साहित्यिक अभिरुचि समय के साथ साथ विकसित होती गई। कम्युनिस्ट पार्टी से उनका बहुत गहरा सम्बन्ध रहा, जनवादी कविताए लिखने-सुनाने के कारण उनके मित्र उन्हे उनके उपनाम 'कवि'से सम्बोधित करते हैं। सुख नन्दन जी ने कई पुस्तको की रचना किया है। उनकी पुस्तको के विषय जनवादी मूल्यो का नेतृत्व करते हैं। समाज और साहित्य से जुडे विषयो में कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, एतिहसिक-नाटक, राजनिति, इतिहास और दर्शन है। उनकी रचनाये जहा समाज को एक वैचारिक सोच प्रदान करती है वही समाज और रजनीति के आपसी सम्बन्धो का एक विकसित दर्शन भी प्रस्तुत करती है। दंशित आस्थाए राम कथा पर एक नाट्य-काव्य है। है। इस पुस्तक की भूमिका सुख नन्दन जी ने लिखा है। इस पुस्तक की भूमिका के माध्यम से रामकथा को एक नए दृष्टिकोण से अभिव्यक्ति प्रदान की गई है जिसकी सराहना आधुनिक दृष्टिकोण रखने वाले विद्वानो की गई। समाचार पत्रो ने इस की भूमिका को पुस्तक का सार तत्व कहा। यह पुस्तक एतिहासिक महत्व की है। जवाहरलाल नेहरु विश्व्विद्यालय नई दिल्ली के पुस्तकालय में इसकी एक प्रति उपलब्ध है। राम कथा पर शोध करने वाले विद्यार्थियो को यह पुस्तक अवश्य देखनी चहिए। इस पुस्तक में राम-कथा का सामाजिक-राजनैतिक एव दर्शिनिक नजरिये से अध्ययन किया गया है। सुख नन्दन जी की एक दार्शनिक एव राजनैतिक महत्व की पुस्तक है "आरक्षण एक नया राजनैतिक दर्शन" । इस पुस्तक मे जतिगत, आर्थिक एव सामाजिक मुद्दो का सम्यक विशलेषण करते हुए कुछ महत्वपूर्ण राजनैतिक सिद्धन्तो का प्रतिपादन किया गया है।यह पुस्तक उनके राजनैतिक विचारो का महत्वपूर्ण दस्तावेज है। सुख नन्दन जी आजकल अपने पैतृक जिले आजमगढ़ में ही रह रहे हैं। वे जहा दिनकर, नागार्जुन जैसे क्रन्तिकारी एव मार्क्सवादी सोच के कवियो की श्रेणी के कवि है तो वही राहुल साकृत्यायन, चन्द्रबली पाण्डे जैसे दार्शनिक समझ रखने वाले बौद्धिक भी है। जीवन भर आर्थिक सकटो से जूझते रहने के कारण उनकी कई पुस्तके अभी तक प्रकाशन का मुह तक नहीं देख सकी है। उनकी पुस्तको का प्रकाशन सामाजिक-साहित्यिक-राजनैतिक सन्दर्भो में कई बडी़ समस्याओ का समाधान कर सकता है। सुख नन्दन जी आजकल १८५७ के भारतीय परिवेश और क्रान्ति पर एक शोधपरक ग्रन्थ की रचना कर रहे हैं, इस पुस्तक का प्रकाशन तत्कालीन भारत और क्रान्तिकारी हलचल की कुछ नई, महत्वपूर्ण कड़ियों को प्रस्तुत करेगा जिसे सामन्यतया नजरअन्दाज किया जाता रहा है। सुख नन्दन जी की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तको के नामः- आरक्षण एक राजनैतिक दर्शन (दर्शन) भारत के मूलवासी जनगण (इतिहास) बोधन (एतिहसिक नाटक) धरती के चमकते तारे हम (काव्य-संग्रह) देवता, भूत-प्रेत और मनुष्य (कहानी-संग्रह) देश हमारा है, हमारा (एकांकी-संग्रह).

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