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सीकर

सूची सीकर

सीकर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह शहर शेखावाटी के नाम से जाना जाता है। सीकर एक एतिहासिक शहर है जहाँ पर कई हवेलियां (बड़े घर जो कि मुग़लकालीन वास्तुकला द्वारा बनाए गए हैं) है जो कि मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। .

18 संबंधों: झुन्झुनू, दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र (राजस्थान), धोद, नागौर, नीमकाथाना विधानसभा क्षेत्र (राजस्थान), फतेहपुर शेखावाटी, राजस्थान, लोहार्गल, लोक सभा, श्री माधोपुर, श्री राजकुमार हरदयाल सिंह, राजकीय संग्रहालय, सीकर, शेखावाटी, सालासर बालाजी, सांसद, हर्षनाथ मंदिर, जयपुर, खण्डेला, खाटूश्यामजी

झुन्झुनू

भारत के राजस्थान प्रान्त में झुन्झुनू नगर के संस्थापक जुझारसिंह नेहरा की मूर्ती झुन्झुनू राजस्थान राज्य में एक शहर और जिला है। इतिहासकारों के अनुसार झुंझुनू को कब और किसने बसाया, इसका स्पष्ट विवरण नही मिलता है| उनके अनुसार पांचवी-छठी शताब्दी में गुर्जर काल में झुंझुनू बसाया गया था| आठवीं शताब्दी में चौहान शासकों के काल का अध्ययन करते हैं तो उसमे झुंझुनू के अस्तित्व का उल्लेख मिलता है| डॉ.

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दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र (राजस्थान)

दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र राजस्थान में सीकर जिले में स्थित विधान सभा क्षेत्र है। यह क्षेत्र सीकर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तरगत आता है। .

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धोद

धोद सीकर जिले की एक पंचायत समिति है। यह एक क़स्बा है जन्हा सभी प्रकार की शहरी सुविधाएँ उपलब्ध है। यह क़स्बा सीकर ज़िला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर उन्नत तरीके से खेती की जाती है और ये क्षेत्र तरबूज की खेती करने के लिए प्रसिद्ध है.

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नागौर

नागौर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह नागौर जिला मुख्यालय है। नागौर राजस्थान का एक छोटा सा शहर है। ऐतिहासिक रूप से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। नागौर बलबन की जागीर थी जिसे शेरशाह सूरी ने 1542 ने जीत लिया था। इसके अलावा महान मुगल सम्राट अकबर ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद का नाम अकबरी जामा मस्जिद है। यह मस्जिद शहर के बीचों बीच दड़ा मोहल्ला गिनाणी तालाब के पास स्थित है। इस मस्जिद के दो ऊंचे मीनार गुंबद मुगलकालीन निर्माण कला के गवाह हैं। इसके अलावा गिनाणी तालाब की उत्तरी दिशा की तरफ ही आलिशान दरगाह बनी हुई है। इस दरगाह को हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ कहा जाता है। इस दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मइनुद्दीन चिश्ती के खास खलीफा हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी की मजार शरीफ है। नागौर विशेष रूप में प्रत्येक वर्ष लगने वाले पशु मेले के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस मेले में हर साल काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर और स्मारक भी है। .

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नीमकाथाना विधानसभा क्षेत्र (राजस्थान)

नीमकाथाना विधानसभा क्षेत्र राजस्थान में सीकर जिले में स्थित विधान सभा क्षेत्र है। यह क्षेत्र सीकर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तरगत आता है। .

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फतेहपुर शेखावाटी

फतेहपुर शेखावाटी राजस्थान के सीकर जिले का शहर है। श्रेणी:सीकर ज़िले के गाँव.

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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लोहार्गल

लोहार्गल भारत के राजस्थान राज्य में शेखावाटी इलाके के झुन्झुनू जिले से 70 कि॰मी॰ दूर आड़ावल पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। लोहार्गल का अर्थ है- वह स्थान जहाँ लोहा गल जाए। पुराणों में भी इस स्थान का जिक्र मिलता है। नवलगढ़ तहसील में स्थित इस तीर्थ 'लोहार्गल जी' को स्थानीय अपभ्रंश भाषा में लुहागरजी कहा जाता है। झुन्झुनू जिले में अरावली पर्वत की शाखायें उदयपुरवाटी तहसील से प्रवेश कर खेतड़ी, सिंघाना तक निकलती हैं, जिसकी सबसे ऊँची चोटी 1050 मीटर लोहार्गल में है। .

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लोक सभा

लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है, जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परंतु इसे समय से पूर्व भंग किया जा सकता है .

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श्री माधोपुर

श्री माधोपुर भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले की एक नगरपालिका है। इस कस्बे को जयपुर के राजा मान सिंह जी के दिवान साहब श्री कुशाली राम जी बोहरा द्वारा बसाया गया था। इस कस्बे में सभी तरह की जातीया बड़े ही आराम और इज्जत से निवास करती है। इस कस्बे में अनगिनत मंदिर बावडिया, कुए, धर्मशालाए है, कस्बे की चार दिवारी में सभी जाती समुदाय के लोग भाईचारे के साथ जीवन यापन करते है .

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श्री राजकुमार हरदयाल सिंह, राजकीय संग्रहालय, सीकर

सीकर शहर के मध्य माधो सागर तालाब के पास स्थित राजकीय संग्रहालय सीकर में शेखावाटी क्षेत्र की पुराधरोहर को संजोकर शेखावाटी के गौरवशाली वैभव को प्रदर्शित किया गया है| सीकर संग्रहालय की स्थापना का उद्देश्य शेखावाटी क्षेत्र की कला-पुरा सामग्री को संकलित कर संरक्षित करना है ताकि इस महान विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित किया जा सके। सीकर संग्रहालय की स्थापना सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित भवन में पुरातत्व संग्रहालय विभाग राजस्थान, जयपुर द्वारा की गई है। इस संग्रहालय का विधिवत उद्घाटन 2006 में किया गया| संग्रहालय को आठ दीर्घाओं में विभाजित किया गया है और इन दीर्घाओं में शिलालेख, उत्खनन से प्राप्त सामग्री, पाषाण प्रतिमाएं, लघुचित्र, सिक्के और कलात्मक पुरावस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है| 1.शिलालेख: राजकीय संग्रहालय में शेखावाटी से संबंधित शिलालेखों का अच्छा संकलन है जिन में हर्ष संवत 201 खंडेला से प्राप्त शिलालेख, विक्रम संवत 1030 का हर्ष से प्राप्त शिलालेख, विक्रम संवत 1221 का सीकर संग्रहालय से प्राप्त शिलालेख, विक्रम संवत 1243 के रैवासा से प्राप्त चन्देलों के शिलालेख शामिल हैं| 2.उत्खनन सामग्री: संग्रहालय में संकलित पुरासामग्री में गणेश्वर पुरास्थल से प्राप्त विभिन्न प्रकार के मृदभांड, जिनमे अलंकृत व सादे दोनों प्रकार के हैं| ये मृदभांड संकरे व चौड़े मुँह वाले लोटे, छोटे प्याले, छोटी हांडियां तथा विभिन्न आकर-प्रकार के हैं| सम्भवतया संकरे मुँह वाले बेलनाकार बर्तनो का प्रयोग बहुमूल्य द्रव्य तथा छोटे प्यालों का प्रयोग चषक के रूप में किया जाता था। इसके अलावा उत्खनित सामग्री में ताम्र के बाणाग्र, मछली पकड़ने के कांटे, चूड़ियाँ मनके, चकरी, कुल्हाड़ी आदि प्रदर्शित हैं। ये सामग्रग्री दो से ढाई हज़ार ई0 पू0 की है। इसके अलावा झुंझुनू के पुरास्थल सुनारी से प्राप्त प्रस्तर व मुणमय मनके, खेलने की मोहरें, अस्थि उपकरण, खिलौना गाड़ी के पहिये, बौद्ध मांगलिक चिन्ह युक्त फलक, चूड़ियाँ, लौह कुल्हाड़ियाँ आदि प्रदर्शित किये गए हैं। उत्खनन की प्रणाली पर आधारित एक मॉडल और प्राचीन जनजीवन के दृश्यों को प्रदर्शित करते हुए कुछ चित्र भी चित्रित किये गए हैं जिससे दर्शकों का मार्गदर्शन हो सके | 3.

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शेखावाटी

शेखावाटी उत्तर-पूर्वी राजस्थान का एक अर्ध-शुष्क ऐतिहासिक क्षेत्र है। राजस्थान के वर्तमान सीकर और झुंझुनू जिले शेखावाटी के नाम से जाने जाते हैं इस क्षेत्र पर आजादी से पहले शेखावत क्षत्रियों का शासन होने के कारण इस क्षेत्र का नाम शेखावाटी प्रचलन में आया। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर-शाहपुरा, खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ, सुरजगढ, नवलगढ़,मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता, खुड, * कंकङेऊ कलां खाचरियाबास, अलसीसर,यासर,मलसीसर,लक्ष्मणगढ,बीदसर आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे। वर्तमान शेखावाटी क्षेत्र पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व मानचित्र में तेजी से उभर रहा है, यहाँ पिलानी और लक्ष्मणगढ के भारत प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र है। वही नवलगढ़, फतेहपुर, गंगियासर,अलसीसर, मलसीसर, लक्ष्मणगढ, मंडावा आदि जगहों पर बनी प्राचीन बड़ी-बड़ी हवेलियाँ अपनी विशालता और भित्ति चित्रकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध है जिन्हें देखने देशी-विदेशी पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। पहाडों में सुरम्य जगहों बने जीण माता मंदिर, शाकम्बरीदेवी का मन्दिर, लोहार्ल्गल के अलावा खाटू में बाबा खाटूश्यामजी का (बर्बरीक) का मन्दिर,सालासर में हनुमान जी का मन्दिर * कंकङेऊ कलां में बाबा माननाथ की मेङी आदि स्थान धार्मिक आस्था के ऐसे केंद्र है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। इस शेखावाटी प्रदेश ने जहाँ देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले देशप्रेमी दिए वहीँ उद्योगों व व्यापार को बढ़ाने वाले सैकडो उद्योगपति व व्यापारी दिए जिन्होंने अपने उद्योगों से लाखों लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दिया। भारतीय सेना को सबसे ज्यादा सैनिक देने वाला झुंझुनू जिला शेखावाटी का ही भाग है। .

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सालासर बालाजी

सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यह राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। वर्ष भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं। हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। इस समय 6 से 7 लाख लोग अपने इस देवता को श्रद्धांजलि देने के लिए यहाँ एकत्रित होते हैं। भारत में यह एकमात्र बालाजी का मंदिर है जिसमे बालाजी के दाढ़ी और मूँछ है। बाकि चेहरे पर राम भक्ति में राम आयु बढ़ाने का सिंदूर चढ़ा हुआ है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों ने किया था, जिसमे मुख्य थे फतेहपुर से नूर मोहम्मद व दाऊ। हनुमान सेवा समिति, मंदिर और मेलों के प्रबन्धन का काम करती है। यहाँ रहने के लिए कई धर्मशालाएँ और खाने-पीने के लिए कई जलपान-गृह (रेस्तराँ) हैं। श्री हनुमान मंदिर सालासर कस्बे के ठीक मध्य में स्थित है। वर्त्तमान में सालासर हनुमान सेवा समिति ने भक्तों की तादाद बढ़ते देखकर दर्शन के लिए अच्छी व्यवस्था की है। .

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सांसद

सांसद, संसद में मतदाताओं का प्रतिनिधि होता है। अनेक देशों में इस शब्द का प्रयोग विशेष रूप से निम्न सदन के सदस्यों के लिए किया जाता है। क्योंकि अक्सर उच्च सदन के लिए एक अलग उपाधि जैसे कि सीनेट एवं इसके सदस्यों के लिये सीनेटर का प्रयोग किया जाता है सांसद अपनी राजनीतिक पार्टी के सदस्यों के साथ मिलकर संसदीय दल का गठन करते हैं। रोजमर्रा के व्यवहार में अक्सरसांसद शब्द के स्थान पर मीडिया में इसके लघु रूप "MP"का प्रयोग किया जाता है। .

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हर्षनाथ मंदिर

हर्षनाथ मंदिर, राजस्थान हर्षनाथ राजस्थान राज्य में सीकर जिले के निकट स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर है। वर्तमान में हर्षनाथ नामक ग्राम हर्षगिरि पहाड़ी की तलहटी में बसा हुआ है और सीकर से प्रायः १४ किमी दक्षिण-पूर्व में है। स्थानीय अनुश्रुति के अनुसार यह स्थान पूर्वकाल में 36 मील के घेरे में बसा हुआ था। हर्षगिरि ग्राम के पास हर्षगिरि नामक पहाड़ी है, जो 3,000 फुट ऊँची है और इस पर लगभग 900 वर्ष से अधिक प्राचीन मंदिरों के खण्डहर हैं। इन मंदिरों में एक काले पत्थर पर उत्कीर्ण लेख प्राप्त हुआ है, जो शिवस्तुति से प्रारम्भ होता है और जो पौराणिक कथा के रूप में लिखा गया है। लेख में हर्षगिरि और मन्दिर का वर्णन है और इसमें कहा गया है कि मन्दिर के निर्माण का कार्य आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी, सोमवार 1030 विक्रम सम्वत् (956 ई.) को प्रारशिखर से दृष्य .

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जयपुर

जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। .

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खण्डेला

खण्डेला भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक नगरपालिका क्षेत्र है। खण्डेला राज्य खंडेलवाल दिगंबर जैन जाती का उत्पत्ती राज्य है। कई क्षत्रियों ने हजारों साल पहले जैन धर्म स्विकार कीया था। जो आज भी प्राचिन ग्रंथों तथा मुर्तीयो पर उल्लेखित है। .

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खाटूश्यामजी

श्री खाटू श्याम जी भारत देश के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहाँ पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। .

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