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सिलिकॉन कन्ट्रोल्ड रेक्टिफायर

सूची सिलिकॉन कन्ट्रोल्ड रेक्टिफायर

"एससीआर" का प्रतीकात्मक चिन्ह ' "एससीआर" का कार्यात्मक चिन्ह ' हीट-सिंक पर लगा हुआ एक '''एससीआर''' सिलिकॉन कन्ट्रोल्ड रेक्टिफायर (Silicon-controlled rectifier) या एससीआर (SCR) या सिलिकॉन नियंत्रित दिष्टकारी एक तीन सिरों से युक्त अर्धचालक वैद्युत युक्ति है। यह सिलिकॉन से ही बनता है (जर्मेनियम से बनाना सम्भव नहीं है)। यह एक चार स्तरों वाली (PNPN) युक्ति है जो नियंत्रित दिष्टकारी के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस दृष्टि से यह डायोड से भिन्न है कि डायोड का प्रयोग करके नियंत्रित तरीके से प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में नहीं बदला जा सकता। इसमें तीन सिरे होये हैं जिन्हें धनाग्र (एनोड), ऋणाग्र (कैथोड) और गेट के नाम से जाना जाता है। एससीआर बहुत कम धारा और वोल्टेज से लेकर हजारों एम्पीयर और हजारों वोल्ट रेटिंग के उपलब्ध हैं। यह एक बहुत ही मजबूत (रग्गेड) युक्ति है जो आसानी से खराब नहीं होती। .

7 संबंधों: ट्रायक, डायोड, दिष्ट धारा, दिष्टकारी, धारा, प्रत्यावर्ती धारा, विभवांतर

ट्रायक

ट्रायक का प्रतीक विभिन्न आकार-प्रकार के ट्रायक एक सरल परिपथ में ट्रायक की कार्यविधि ट्रायक (TRIAC) तीन सिरों (टर्मिनल) वाली एक इलेक्क्त्रानिक युक्ति है जो ट्रिगर किये जाने पर दोनों दिशाओं में (आगे और पीछे) धारा को प्रवाहित होने देती है। इसका 'ट्रायोड' नाम 'ट्रायोड फॉर अल्टरनेटिंग करेण्ट' के लिये दिया गया है। पार्श्व चित्र में ट्रायोड का संकेत दिया गया है जिसमें A1 एनोड१ है, A2 एनोड२ है तथा G गेट है जो 'ट्रिगर' करने के काम आता है। प्रायः एनोड१ और एनोड२ को मुख्य टर्मिनल १ (MT1) तथा मुख्य टर्मिनल २ (MT2) कहा जाता है। चूंकि यह दोनों दिशाओं में धारा बहने देता है, अतः एक ट्रायोड दो एस सी आर के समतुल्य है जो एन्टी-पैरेलेल जुड़े हों। .

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डायोड

निर्वात नलिका डायोड का योजनामूलक चित्र डायोड आकार-प्रकार में भिन्न दिख सकते हैं। यहाँ चार डायोड दिखाये गये हैं जो सभी अर्धचालक डायोड हैं। सबसे नीचे वाला एक ब्रिज-रेक्टिफायर है जो चार डायोडों से बना होता है। डायोड (diode) या द्विअग्र / द्वयाग्र एक वैद्युत युक्ति है। अधिकांशत: डायोड दो सिरों (अग्र) वाले होते हैं किन्तु ताप-आयनिक डायोड में दो अतिरिक्त सिरे भी होते हैं जिनसे हीटर जुड़ा होता है। डायोड कई तरह के होते हैं किन्तु इन सबकी प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक दिशा में धारा को बहुत कम प्रतिरोध के बहने देते हैं जबकि दूसरी दिशा में धारा के विरुद्ध बहुत प्रतिरोध लगाते हैं। इनकी इसी विशेषता के कारण ये अन्य कार्यों के अलावा प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा के रूप में बदलने के लिये दिष्टकारी परिपथों में प्रयोग किये जाते हैं। आजकल के परिपथों में अर्धचालक डायोड, अन्य डायोडों की तुलना में बहुत अधिक प्रयोग किये जाते हैं। .

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दिष्ट धारा

दिष्ट धारा वह धारा हैं जो सदैव एक ही दिशा में बहती हैं व जिसकी ध्रुवीयता नियत रहती हैं। इसकी तुलना प्रत्यावर्ती धारा से की जा सकती है जो अपनी ध्रुवीयता (जो कि धारा की दिशा से संबंधित है) निश्चित कालक्रम में बदलती रहती है। इन दोनों ही धाराओं का परिमाण निश्चित रहता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली.

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दिष्टकारी

दिष्टकारी या ऋजुकारी या रेक्टिफायर (rectifier) ऐसी युक्ति है जो आवर्ती धारा (alternating current या AC) को दिष्टधारा (DC) में बदलने का कार्य करती है। अर्थात रेक्टिफायर, ए.सी.

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धारा

धारा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के एटा जिले के अलीगंज प्रखण्ड का एक गाँव है। धारा एक मध्यम आकार का गांव है जो उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में स्थित है, जिसमें कुल ३१५ परिवार रहते हैं। धरारा गांव की आबादी १८६० है, जिसमें ९६५ पुरुष हैं जबकि ८९५ जनसंख्या जनगणना २०११ के अनुसार महिलाएं हैं। धरारा गांव में ०-६ साल के बच्चों की जनसंख्या ३५० है जो गांव की कुल आबादी का १८।८२ प्रतिशत है। धारा गांव का औसत लिंग अनुपात ९२७ है जो उत्तर प्रदेश राज्य की औसत ९१२ से अधिक है। जनगणना के अनुसार धारा के लिए बाल लिंग अनुपात ७२४ है, उत्तर प्रदेश की औसत ९०२ से कम है। धरारा गांव में उत्तर प्रदेश की तुलना में कम साक्षरता दर है। २०११ में, उत्तर प्रदेश के ६७।६८ प्रतिशत की तुलना में धारा गांव की साक्षरता दर ६५।५० प्रतिशत थी। धारा पुरुष साक्षरता में ७७।९५ प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता दर ५२।८१ प्रतिशत है। भारत और पंचायत राज अधिनियम के संविधान के अनुसार, धरा गांव को सरपंच (ग्राम प्रमुख) द्वारा प्रशासित किया जाता है, जो गांव के प्रतिनिधि चुने जाते हैं। .

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प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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विभवांतर

सूत्र- Va-Vb.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

एससीआर

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