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सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत

सूची सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत

पेरिस स्थित '''SOLEIL''' (सूर्य) नामक सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत का योजनामूलक चित्र सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश स्रोत (synchrotron light source) वह मशीन है जो वैज्ञानिक तथा तकनीकी उद्देश्यों के लिये विद्युतचुम्बकीय विकिरण (जैसे एक्स-किरण, दृष्य प्रकाश आदि) उत्पन्न करती है। यह प्रायः एक भण्डारण वलय (स्टोरेज रिंग) के रूप में होती है। सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश सबसे पहले सिन्क्रोट्रॉन में देखी गयी थी। आजकल सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश, भण्डारण वलयों तथा विशेष प्रकार के अन्य कण त्वरकों द्वारा उत्पन्न की जाती है। सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश प्रायः इलेक्ट्रॉन को त्वरित करके प्राप्त की जाती है। इसके लिये पहले उच्च ऊर्जा की इलेक्ट्रॉन पुंज पैदा की जाती है। इस इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज को एक द्विध्रुव चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र से गुजारा जाता है जिसका चुम्बकीय क्षेत्र इलेक्ट्रानों की गति की दिशा के लम्बवत होता है। इससे इलेक्ट्रानों पर उनकी गति की दिशा (तथा चुम्बकीय क्षेत्र) के लम्बवत बल लगता है जिससे वे सरल रेखा के बजाय वृत्तिय पथ पर गति करने लगते हैं। (दूसरे शब्दों में, इनका त्वरण होता है।)। इसी त्वरण के फलस्वरूप सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश उत्पन्न होता है जो अनेक प्रकार से उपयोगी है। चुम्बकीय द्विध्रुव के अलावा, अनडुलेटर, विगलर तथा मुक्त इलेक्ट्रॉन लेजर द्वारा भी सिन्क्रोट्रॉन प्रकाश पैदा किया जाता है। .

15 संबंधों: चुम्बकीय क्षेत्र, त्वरण, द्विध्रुवी चुम्बक, प्रत्यक्ष वर्णक्रम, मुक्त इलेक्ट्रॉन लेजर, सिंक्रोट्रॉन, सिंक्रोट्रॉन विकिरण, विद्युतचुंबकीय विकिरण, आवेशित कण-पुंज, इन्डस-२, इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉन पुंज प्रौद्योगिकी, कण त्वरक, क्ष-किरण, अनडुलेटर

चुम्बकीय क्षेत्र

किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है। चुंबकीय क्षेत्र विद्युत धाराओं और चुंबकीय सामग्री का चुंबकीय प्रभाव है। किसी भी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र दोनों, दिशा और परिमाण (या शक्ति) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है; इसलिये यह एक सदिश क्षेत्र है। चुंबकीय क्षेत्र घूमते विद्युत आवेश और मूलकण के आंतरिक चुंबकीय क्षणों द्वारा उत्पादित होता हैं जो एक प्रमात्रा गुण के साथ जुड़ा होता है। 'चुम्बकीय क्षेत्र' शब्द का प्रयोग दो क्षेत्रों के लिये किया जाता है जिनका आपस में निकट सम्बन्ध है, किन्तु दोनों अलग-अलग हैं। इन दो क्षेत्रों को तथा, द्वारा निरूपित किया जाता है। की ईकाई अम्पीयर प्रति मीटर (संकेत: A·m−1 or A/m) है और की ईकाई टेस्ला (प्रतीक: T) है। चुम्बकीय क्षेत्र दो प्रकार से उत्पन्न (स्थापित) किया जा सकता है- (१) गतिमान आवेशों के द्वारा (अर्थात, विद्युत धारा के द्वारा) तथा (२) मूलभूत कणों में निहित चुम्बकीय आघूर्ण के द्वारा विशिष्ट आपेक्षिकता में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) स्थायी चुम्बकों द्वारा लोहा, कोबाल्ट आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) मोटर आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः वैद्युत इंजीनियरी तथा विद्युतचुम्बकत्व में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, चुम्बकीय सुई के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। विद्युत मोटर और विद्युत जनित्र में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है। .

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त्वरण

विभिन्न प्रकार के त्वरण के अन्तर्गत गति में वस्तु की समान समयान्तराल बाद स्थितियाँ दोलन करता हुआ लोलक: इसका वेग एवं त्वरण तीर द्वारा दर्शाया गया है। वेग एवं त्वरण दोनों का परिमाण एवं दिशा हर क्षण बदल रही है। किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं। या, उदाहरण: माना समय t.

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द्विध्रुवी चुम्बक

द्विध्रुवी चुम्बक (ऐडवांस फोटॉन सोर्स, यूएसए) द्विध्रुवी चुम्बक का योजनामूलक चित्र: '''पीला''': धारीवाही कुण्डली, '''आसमानी''': लोहे की कोर द्विध्रुवी चुम्बक कण त्वरकों में काम में आने वाला एक विद्युतचुम्बक है जो कुछ दूर तक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र पैदा करता है। इसका उपयोग गतिमान आवेशित कणों को अपने मार्ग से मोड़ने के लिए किया जाता है। एक के बाद एक करके कई द्विध्रुवी चुम्बकों का प्रयोग करके आवेशित कणपुंज (particle beam) को मोड़कर एक 'वृत्तीय पथ' पर बनाए रखा जा सकता है। .

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प्रत्यक्ष वर्णक्रम

प्रत्यक्ष वर्णक्रम या दृष्य वर्णक्रम विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम का एक भाग है, जो मानवीय चक्षुओं को दिखाई देता है। इस श्रेणी की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रकाश कहते हैं। एक आदर्श मानवी चक्षु वायु में देखती है 380 नैनोमीटर से 750 नैनोमीटर तरंगदर्घ्य की प्रकाश को देख सकती है।। इसके अनुसार जल में और अन्य माध्यमों में यह उस माध्यम के अपवर्तन गुणांक (refractive index) के गुणक में दृश्यता घट जाती है। आवृत्ति के अनुसार, यह 400-790 टैरा हर्ट्ज के बराबर की पट्टी में पङता है। आँख द्वारा देखे गए प्रकाश की अधिकतम संवेदनशीलता 555 nm (540 THz) होती है (वर्णक्रम के हरे क्षेत्र में)। वैसे वर्णक्रम में वे सभी रंग नहीं होते जो कि मानवी आँख या मस्तिष्क देख या पहचान सकता है जैसे भूरा, गुलाबी या रानी अनुपस्थित हैं। यह इसलिए क्योंकि ये मिश्रित तरंग दैर्घ्य से बनते हैं, खासकर लाल के छाया। प्रत्यक्ष प्रकाश के वर्णक्रम का sRGB अनुवाद .

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मुक्त इलेक्ट्रॉन लेजर

'''फेलिक्स''' (FELIX) नामक मुक्त इलेक्ट्रान लेजर सुविधा (नीदरलैण्ड्स) मुक्त इलेक्ट्रान लेजर (free-electron laser या FEL) एक प्रकार का लेजर है जो एक विशेष प्रकार के चुम्बकीय क्षेत्र से होकर गुजरने वाले उच्च वेगीय इलेक्ट्रानों की सहायता से उत्पन्न किया जाता है। इस लेजर की आवृत्ति-परास सभी प्रकार के लेजरों में सबसे अधिक है। यह सबसे अधिक यूनेबल (tunable) भी है। वर्तमान समय में मुक्त इलेक्ट्रान लेजर माइक्रोवेव से लेकर टेराहर्ट्ज और अवरक्त (infrared), दृष्य लेजर से लेकर पराबैंगनी और एक्स-किरण लेजर तक विस्तृत है। अनडुलेटर नामक युक्ति मुक्त इलेक्ट्रान लेजर की मुख्य युक्ति है। श्रेणी:लेजर.

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सिंक्रोट्रॉन

BEP 900 MeV बूस्टर सिन्क्रोट्रॉन सिंक्रोट्रॉन (synchrotron) एक प्रकार का कण त्वरक है। इसमें आवेशित कण-पुंज एक चक्रीय बन्द पथ पर चलते हैं। उदाहरण के लिये भारत में राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र, इन्दौर में इण्डस-एक और इण्डस-दो नामक दो सिन्क्रोट्रॉन कार्यरत हैं। श्रेणी:कण त्वरक.

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सिंक्रोट्रॉन विकिरण

बंकन चुम्बक (द्विध्रुवी चुम्बक) से प्राप्त सिंक्रोट्रॉन विकिरण अनडुलेटर से प्राप्त सिंक्रोट्रॉन विकिरण सिंक्रोट्रॉन विकिरण (synchrotron radiation) वह विद्युत्चुम्बकीय विकिरण है जो आवेशित कणों को उनके पथ के लम्बवत दिशा में त्वरित करने पर उत्पन्न होता है। सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोतों से प्राप्त सिंक्रोट्रॉन विकिरण उनमें लगे द्विध्रुवी चुम्बकों तथा अनडुलेटर और/या विगलर से प्राप्त होता है। सिन्क्रोट्रॉन विकिरण में अपना विशिष्ट ध्रुवीकरण होता है। सम्पूर्ण विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सभी भागों में सिंक्रोट्रॉन विकिरण प्राप्त किया जा सकता है, अर्थात सिंक्रोट्रॉन विकिरण दृष्य प्रकाश, परावैंगनी, अवरक्त, एक्स-किरण, गामा किरण आदि सभी प्रकार का हो सकता है। .

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विद्युतचुंबकीय विकिरण

विद्युतचुंबकीय तरंगों का दृष्यात्मक निरूपण विद्युत चुंबकीय विकिरण शून्य (स्पेस) एवं अन्य माध्यमों से स्वयं-प्रसारित तरंग होती है। इसे प्रकाश भी कहा जाता है किन्तु वास्तव में प्रकाश, विद्युतचुंबकीय विकिरण का एक छोटा सा भाग है। दृष्य प्रकाश, एक्स-किरण, गामा-किरण, रेडियो तरंगे आदि सभी विद्युतचुंबकीय तरंगे हैं। .

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आवेशित कण-पुंज

किसी अवकास (स्पेस) में गतिमान आवशों के समूह को आवेशित कण-पुंज (charged particle beam) कहते हैं। आवेशित कण-पुंज के सभी कणों की स्थिति, गतिज ऊर्जा एवं दिशा लगभग समान होती है। ध्यातव्य है कि इन कणों की गतिज ऊर्जा उनकी साधारण अवस्था की ऊर्जा की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। अपनी उच्च ऊर्जा एवं अत्यधिक एकदिशता के कारण ये आवेशित कण-पुंज अनेक कार्यों के लिये बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। (कण-पुंज के उपयोग (Particle Beam Usage), देखें) .

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इन्डस-२

इण्डस-२ (Indus-2) भारत के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र, इन्दौर द्वारा विकसित एलेक्ट्रॉन त्वरक है। .

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इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन या विद्युदणु (प्राचीन यूनानी भाषा: ἤλεκτρον, लैटिन, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश: Electron, जर्मन: Elektron) ऋणात्मक वैद्युत आवेश युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण है। यह परमाणु में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान -१ परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर 1.6E-19 कूलाम्ब परिमाण का ऋण आवेश होता है। इसका द्रव्यमान 9.11E−31 किग्रा होता है जो प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग १८३७ वां भाग है। किसी उदासीन परमाणु में विद्युदणुओं की संख्या और प्रोटानों की संख्या समान होती है। इनकी आंतरिक संरचना ज्ञात नहीं है इसलिए इसे प्राय:मूलभूत कण माना जाता है। इनकी आंतरिक प्रचक्रण १/२ होती है, अतः यह फर्मीय होते हैं। इलेक्ट्रॉन का प्रतिकणपोजीट्रॉन कहलाता है। द्रव्यमान के अलावा पोजीट्रॉन के सारे गुण यथा आवेश इत्यादि इलेक्ट्रॉन के बिलकुल विपरीत होते हैं। जब इलेक्ट्रॉन और पोजीट्रॉन की टक्कर होती है तो दोंनो पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं एवं दो फोटॉन उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रॉन, लेप्टॉन परिवार के प्रथम पीढी का सदस्य है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में भूमिका निभाता है। इलेक्ट्रॉन कण एवं तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है। बीटा-क्षय के रूप में यह कण जैसा व्यवहार करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग (Young's double slit experiment) में इसका किरण जैसा व्यवहार सिद्ध हुआ। चूंकि इसका सांख्यिकीय व्यवहार फर्मिऑन होता है और यह पॉली एक्सक्ल्युसन सिध्दांत का पालन करता है। आइरिस भौतिकविद जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी (George Johnstone Stoney) ने १८९४ में एलेक्ट्रों नाम का सुझाव दिया था। विद्युदणु की कण के रूप में पहचान १८९७ में जे जे थॉमसन (J J Thomson) और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी। कइ भौतिकीय घटनाएं जैसे-विध्युत, चुम्बकत्व, उष्मा चालकता में विद्युदणु की अहम भूमिका होती है। जब विद्युदणु त्वरित होता है तो यह फोटान के रूप मेंऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन करता है।प्रोटॉन व न्यूट्रॉन के साथ मिलकर यह्परमाणु का निर्माण करता है।परमाणु के कुल द्रव्यमान में विद्युदणु का हिस्सा कम से कम् 0.0६ प्रतिशत होता है। विद्युदणु और प्रोटॉन के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल (coulomb force) के कारण विद्युदणु परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते हैं। ब्रह्माण्ड में अधिकतर विद्युदणुओं का निर्माण बिग-बैंग के दौरान हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो (cosmic ray) के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उच्च ऊर्जा टक्कर के कारण भी होता है।.

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इलेक्ट्रॉन पुंज प्रौद्योगिकी

कोई विवरण नहीं।

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कण त्वरक

'''इन्डस-२''': भारत (इन्दौर) का 2.5GeV सिन्क्रोट्रान विकिरण स्रोत (SRS) कण-त्वरक एसी मशीन है जिसके द्वारा आवेशित कणों की गतिज ऊर्जा बढाई जाती हैं। यह एक ऐसी युक्ति है, जो किसी आवेशित कण (जैसे इलेक्ट्रान, प्रोटान, अल्फा कण आदि) का वेग बढ़ाने (या त्वरित करने) के काम में आती हैं। वेग बढ़ाने (और इस प्रकार ऊर्जा बढाने) के लिये वैद्युत क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है, जबकि आवेशित कणों को मोड़ने एवं फोकस करने के लिये चुम्बकीय क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है। त्वरित किये जाने वाले आवेशित कणों के समूह या किरण-पुंज (बीम) धातु या सिरैमिक के एक पाइप से होकर गुजरती है, जिसमे निर्वात बनाकर रखना पड़ता है ताकि आवेशित कण किसी अन्य अणु से टकराकर नष्ट न हो जायें। टीवी आदि में प्रयुक्त कैथोड किरण ट्यूब (CRT) भी एक अति साधारण कण-त्वरक ही है। जबकि लार्ज हैड्रान कोलाइडर विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली कण त्वरक है। कण त्वरकों का महत्व इतना है कि उन्हें 'अनुसंधान का यंत्र' (इंजन्स ऑफ डिस्कवरी) कहा जाता है। .

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क्ष-किरण

एक्स-रे विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम का हिस्सा हैं। क्ष-विकिरण (एक्स-रे से निर्मित) विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक रूप है। एक्स-रे का तरंग दैर्घ्य 0.01 से 10 नैनोमीटर तक होता है, जिसकी आवृत्ति 30 पेटाहर्ट्ज़ से 30 एग्ज़ाहर्ट्ज़ (3 × 1016 हर्ट्ज़ से 3 × 1019 हर्ट्ज़ (Hz)) और ऊर्जा 120 इलेक्ट्रो वोल्ट से 120 किलो इलेक्ट्रो वोल्ट तक होती है। एक्स-रे का तरंग दैर्ध्य, पराबैंगनी किरणों से छोटा और गामा किरणों से लम्बा होता है। कई भाषाओं में, एक्स-विकिरण को विल्हेम कॉनराड रॉन्टगन के नाम पर रॉन्टगन विकिरण कहा जाता है, जिन्हें आम तौर पर इसके आविष्कारक होने का श्रेय दिया जाता है और जिन्होंने एक अज्ञात प्रकार के विकिरण को सूचित करने के लिए इसे एक्स-रे नाम दिया था।नॉवेलाइन, रॉबर्ट.

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अनडुलेटर

अनडुलेटर का योजनामूलक चित्र अनडुलेटर अनडुलेटर (undulator) एक युक्ति है जो सिन्क्रोट्रान भण्डारण वलय में 'इन्सर्सन डिवाइस' के रूप में लगायी जाती है।इसमें द्विध्रुवी चुम्बक की आवर्ती संरचना होती है जो समय के साथ अपरिवर्ती (स्टैटिक) होती है। अनडुलेटर की लम्बाई की दिशा में चलने पर चुम्बकीय क्षेत्र तरंगदैर्घ्य \lambda_u से प्रत्यावर्ती होता है (अपनी दिशा बदलता है)। अतः अनडुलेतर के भीतर के इस चुम्बकीय क्षेत्र से होकर जाने वाला इलेक्ट्रान दोलन करने के लिये बाध्य होता है और ऊर्जा का विकिरण करता है। अनडुलेटर द्वारा उत्पन्न विकिरण अत्यन्त तीक्ष्ण (intense) तथा एक पतली (नैरो) ऊर्जा बैण्ड के आस-पास केन्द्रित होता है। यह विकिरण इलेक्ट्रानों के कक्षीय समतल पर समांतरित (collimated) भी होता है। इस विकिरण को प्रयोगों के लिये अपने स्थान पर ले जाने के लिये बीमलाइनों से होकर ले जाया जाता है। अनडुलेटर की क्षमता निम्नलिखित प्राचल से व्यक्त होती है: श्रेणी:कण त्वरक.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

सिन्क्रोट्रॉन विकिरण स्रोत

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