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साहित्य का महत्व

सूची साहित्य का महत्व

हिन्दी साहित्य का महत्व हिन्दी, भारत की राजभाषा, संस्कृत भाषा से उत्पन्न होती है। ४ शताब्दी ईस्वी से हिन्दी भाषा ब्राह्मी लिपि में लिखि गई थी, लेकिन ११ शताब्दी ईस्वी से यह भाषा देवनागरी लिपि में लिखि गई है। हिन्दी सहित्य कहानियाँ, कविताए, नाटक और उपन्यास से भरी है। हिन्दी साहित्य को चार एतिहसिक चरणों में विभाजित किया जा सक्ता है: आदिकाल(१४०० ईस्वी से पेहले), भक्तीकाल(१३७५-१७००), रीतिकाल(१६००-१९००) और आधुनिक काल(१८५० के पश्चात)। आदिकाल के वैदिक ग्रंथों व उपानिषदों से लेकर वर्तमान सहित्य ने मनुष्य जीवन को सदैव ही प्रभवित किया है। साहित्य किसी संस्कृति का ज्ञात कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए भक्तिकाल के सहित्य से हमें हिन्दुओ के धार्मिक परंपराओं की जानकारी मिलती है। किसी भी काल का अध्ययन से हम तत्कालीन मानव जीवन के रहन-सहन व अन्य गतिविधियों को आसानी से जान सकते हैं। साहित्य से हम अपने विरासत के बारें में सीख सकते हैं। इस तरह भारतीय सभ्यता और मूल्य सहित्य में सुरक्षित है और वर्तमान पीढ़ी इनको पालन कर सकते हैं। हिन्दी सहित्य द्वारा कबीर, तुलसी दास, प्रेम्चंद और यश पाल जैसे कवी एवं लेखक के प्रतिभा दुनिया को दिखाया गया है। जब हमारा देश अंग्रेज़ी सत्ता का गुलाम था तब साहित्यकारों की लेखनी की ओजस्विता राष्ट्र के पूर्व गौरव और वर्तमान दुर्दशा पर केंद्रित थी। इस दृष्टी से साहित्य का महत्व वर्तमान में भी बना हुआ है। आज के साहित्यकार वर्तमान भारत की समस्याओं में पर्याप्त स्थान दे रहे हैं। हर देश की भाषा उनके संस्कृति और सभ्यता को पेहचान देती है। साहित्य समाज क दर्पन है इसलिए यह प्रगती के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा।.

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