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साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल

सूची साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और तमिल भाषा इन में से एक भाषा हैं। .

126 संबंधों: चदुरंग, चायुव नारकालि, चिन्तानदी, चंपू, चक्रवर्ति तिरुमगन, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, चेरमान कादली, टी. जानकीरामन्, टी.एम.सी. रघुनाथन्, ए. माधवन, ए. श्रीनिवासन राघवन्, ए.एस. ज्ञानसंबंदन, एम. रामलिंगम्, एम. वी. वेंकटराम, एस. एल. भैरप्प, एस. अब्दुल रहमान, डी. सेल्वराज, तमिल भाषा, तमिल इंबम, तिरुक्कुरल नीधि इलक्कियम्, ति॰क॰ शिवशंकरण, त्रिपुरसुंदरी लक्ष्मी, तोप्पिल मोहम्मद मीरान, तोल, दण्डपाणि जयकान्तन, ना. पार्थसारथी, नांजिल नाडन, नील पद्मनाभन, पिचिरान्दयार, पुदिय दरिशनंगळ, पुदिय उरइ नडइ, पुदुकवितयिन तोट्ट्रमुम् वलर्चियुम, पुवियरसु, प्रपंचन, पूमणि, पोन्नीलन (कंदेश्वर भक्तवत्सलम्), पोपटी आर. हीरानंदाणी, पी. श्रीआचार्य, पी॰ वी॰ अकिलानंदम, फणीश्वर नाथ "रेणु", बी. एस. रमय्या, भारती : कालमुम करुत्तुम, भारतीदासन, भारतीय साहित्य अकादमी, भवानी भट्टाचार्य, म. पो. शिवज्ञानम, मणिक्कोडि कालम, मतिम्मुरैक्ल पेट्टिकळ, मिन्सारप्पू, मु. मेहता, ..., मु. वरदराजन, मुदलिल इरवु वरुम, मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क, मेलणमई पोन्नुसामी, राजम कृष्णन्, ला. स. रामामृतम्, शिल नेरंगळिल शिल मणितर्कळ, शंकर मोकाशी पुणेकर, शक्ति वैदियम, श्री रामानुजर, शैडो फ्रॉम लद्दाख़, समुदाय वीधि, सा. कंदासामी, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सिर्पी बालसुब्रह्मण्यम्, सु. समुत्तिरम्, सु. वेंकटेशन, सुतंतिर दाकम, सूडिय पू सूडर्क, सोमु (मी. पा. सोमसुंदरम), सी. एस. चेल्लप्पा, जी. तिलकवती, जी. अलगिरिसामी, वल्ललार कण्ड ओरुमैप्पाडु, वल्लिकण्णन, वा. चे. कुलंदैसामि, वानम वसप्पडुम, वाळुम वळ्ळुवम्, विमुक्‍त, विष्णु सखाराम खांडेकर, विसारणै कमीशन, वंगइन मैंधन, वैरामुत्तु, वेरिल पष़ुत पळा, वेरुक्कु नीर, वेळ्ळै परवई, वोल्गा, वीरर उलगम, गुरदयाल सिंह, गोपल्लपुरत्त मक्कळ्, ओरु गिरामत्तु नदी, ओरु कावेरियइ पोला, आदवन सुंदरम, आर.एन. जो डी क्रूज, आर.पी.सेतु पिळ्ळै, आलापनै, आलै–ओसै, आशापूर्णा देवी, आकयतुक्कु अडुत्तवीडु, इलक्कियतुक्क ओरु इयक्कम, इलक्किया सुवडुकळ, इलै उदीर कालम, इंदिरा पार्थसारथी, कन्नदासन, कलमरम, कल्कि कृष्णमूर्ति, का. ना. सुब्रह्मण्यम्, कादुगळ्, काज़ी नज़रुल इस्लाम, कावल कोत्तम, कि. राजनारायणन्, कंबन पुदिय पारवई, कुरुति पुनल, कैयोप्पम, के. टी. तिरुनावंक्करसु, के. वी. जगन्नाथन्, कोटा शिवराम कारन्त, कोरकई, कोवि. मणिशेखरन, अनबलिप्पु, अप्पाविन सिनेहिदर, अशोकमित्रन, अवधेश्वरी, अगल विळक्कु, अंजाडि, अक्करै चीमय्यिल सूचकांक विस्तार (76 अधिक) »

चदुरंग

चदुरंग कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास वैशाख के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चायुव नारकालि

चायुव नारकालि तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार तोप्पिल मोहम्मद मीरान द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चिन्तानदी

चिन्तानदी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार ला. स. रामामृतम् द्वारा रचित एक संस्मरण है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चंपू

चम्पू श्रव्य काव्य का एक भेद है, अर्थात गद्य-पद्य के मिश्रित् काव्य को चम्पू कहते हैं। गद्य तथा पद्य मिश्रित काव्य को "चंपू" कहते हैं। काव्य की इस विधा का उल्लेख साहित्यशास्त्र के प्राचीन आचार्यों- भामह, दण्डी, वामन आदि ने नहीं किया है। यों गद्य पद्यमय शैली का प्रयोग वैदिक साहित्य, बौद्ध जातक, जातकमाला आदि अति प्राचीन साहित्य में भी मिलता है। चम्पूकाव्य परंपरा का प्रारम्भ हमें अथर्व वेद से प्राप्त होता है। चम्पू नाम के प्रकृत काव्य की रचना दसवीं शती के पहले नहीं हुई। त्रिविक्रम भट्ट द्वारा रचित 'नलचम्पू', जो दसवीं सदी के प्रारम्भ की रचना है, चम्पू का प्रसिद्ध उदाहरण है। इसके अतिरिक्त सोमदेव सुरि द्वारा रचित यशःतिलक, भोजराज कृत चम्पू रामायण, कवि कर्णपूरि कृत आनन्दवृन्दावन, गोपाल चम्पू (जीव गोस्वामी), नीलकण्ठ चम्पू (नीलकण्ठ दीक्षित) और चम्पू भारत (अनन्त कवि) दसवीं से सत्रहवीं शती तक के उदाहरण हैं। यह काव्य रूप अधिक लोकप्रिय न हो सका और न ही काव्यशास्त्र में उसकी विशेष मान्यता हुई। हिन्दी में यशोधरा (मैथिलीशरण गुप्त) को चम्पू-काव्य कहा जाता है, क्योंकि उसमें गद्य-पद्य दोनों का प्रयोग हुआ है। गद्य और पद्य के इस मिश्रण का उचित विभाजन यह प्रतीत होता है कि भावात्मक विषयों का वर्णन पद्य के द्वारा तथा वर्णनात्मक विषयों का विवरण गद्य के द्वारा प्रस्तुत किया जाय। परन्तु चंपूरचयिताओं ने इस मनोवैज्ञानिक वैशिष्ट्य पर विशेष ध्यान न देकर दोनों के संमिश्रण में अपनी स्वतंत्र इच्छा तथा वैयक्तिक अभिरुचि को ही महत्व दिया है। .

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चक्रवर्ति तिरुमगन

चक्रवर्ति तिरुमगन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार सी. राजगोपालचारी द्वारा रचित एक गद्य में रामायण कथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1958 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (तमिल: சக்ரவர்தி ராஜகோபாலாச்சாரி) (दिसम्बर १०, १८७८ - दिसम्बर २५, १९७२), राजाजी नाम से भी जाने जाते हैं। वे वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे। वे स्वतन्त्र भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल और प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे। १० अप्रैल १९५२ से १३ अप्रैल १९५४ तक वे मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। वे दक्षिण भारत के कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, किन्तु बाद में वे कांग्रेस के प्रखर विरोधी बन गए तथा स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की। वे गांधीजी के समधी थे। (राजाजी की पुत्री लक्ष्मी का विवाह गांधीजी के सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी से हुआ था।) उन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कार्य किया। .

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चेरमान कादली

चेरमान कादली तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार कण्णदासन द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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टी. जानकीरामन्

टी.

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टी.एम.सी. रघुनाथन्

टी.एम.सी.

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ए. माधवन

ए. माधवन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध इलक्किया सुवडुकळ के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ए. श्रीनिवासन राघवन्

ए. श्रीनिवासन राघवन् तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह वेळ्ळै परवई के लिये उन्हें सन् 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ए.एस. ज्ञानसंबंदन

ए.एस.

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एम. रामलिंगम्

एम.

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एम. वी. वेंकटराम

एम.

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एस. एल. भैरप्प

एस.

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एस. अब्दुल रहमान

एस.

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डी. सेल्वराज

डी.

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तमिल भाषा

तमिल (தமிழ், उच्चारण:तमिऴ्) एक भाषा है जो मुख्यतः तमिलनाडु तथा श्रीलंका में बोली जाती है। तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है। यह श्रीलंका तथा सिंगापुर की कई राजभाषाओं में से एक है। .

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तमिल इंबम

तमिल इंबम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार आर.पी.सेतु पिळ्ळै द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1955 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तिरुक्कुरल नीधि इलक्कियम्

तिरुक्कुरल नीधि इलक्कियम् तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार के. टी. तिरुनावंक्करसु द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ति॰क॰ शिवशंकरण

ति॰ क॰ शिवशंकरण या टी॰ के॰ शिवशंकरण (தி., 30 मार्च 1925 – 26 मार्च 2014), भारतीय राज्य तमिलनाडु से तमिल लेखक एवं समालोचक थे। उन्हें मुख्यतः उनके नाम के प्रथम अक्षरों ति॰ का॰ सी के नाम से ही जाना जाता है। इनके द्वारा रचित एक समालोचना मतिम्मुरैक्ल पेट्टिकळ के लिये उन्हें सन् २००० में साहित्य अकादमी पुरस्कार (तमिल) से सम्मानित किया गया। शिवशंकरण का जन्म तिरूनेलवेली में हुआ। उनका प्रथम कार्य साहित्यिक जरनल ग्राम ऊझियां सन् १९४७ में प्रकाशित हुआ। वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सदस्य थे और उनका राजनीतिक उन्मुखीकरण मार्क्सवाद की और था। .

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त्रिपुरसुंदरी लक्ष्मी

त्रिपुरसुंदरी लक्ष्मी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास ओरु कावेरियइ पोला के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तोप्पिल मोहम्मद मीरान

तोप्पिल मोहम्मद मीरान तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास चायुव नारकालि के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तोल

तोल तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार डी. सेल्वराज द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दण्डपाणि जयकान्तन

दण्डपाणि जयकान्तन (जन्म: २४ अप्रैल १९३४, कड्डलूर, तमिलनाडु) एक बहुमुखी तमिल लेखक हैं -- केवल लघु-कथाकार और उपन्यासकार ही नहीं (जिनके कारण उन्हें आज के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में माना जाता है) परन्तु निबन्धकार, पत्रकार, निर्देशक और आलोचक भी हैं। विचित्र बात यह है कि उनकी स्कूल की पढ़ाई कुछ पाँच साल ही रही! घर से भाग कर १२ साल के जयकान्तन अपने चाचा के यहाँ पहुँचे जिनसे उन्होंने कम्युनिज़्म (मार्कसीय समाजवाद) के बारे में सीखा। बाद में चेन्नई (जिसका नाम उस समय मद्रास था) आकर जयकान्तन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की पत्रिका जनशक्ति में काम करने लगे। दिन में प्रेस में काम करते और शाम को सड़कों पर पत्रिका बेचते। १९५० के दशक की शुरुआत से ही वह लिखते आ रहे हैं और जल्दी ही तमिल के जाने-माने लेखकों में गिने जाने लगे। हालाँकि उनका नज़रिया वाम पक्षीय ही रहा। वह खुद पार्टी के सदस्य न रहे और काँग्रेस पार्टी में भर्ती हो गए। ४० उपन्यासों के अलावा उन्होंने कई-कई लघुकथाएँ, आत्मकथा (दो खंडों में) और रोमेन रोलांड द्वारा फ़्रेन्च में रची गयी गांधी जी की जीवनी का तमिल अनुवाद भी किया है। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास शिल नेरंगळिल शिल मणितर्कळ के लिये उन्हें सन् १९७२ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (तमिल) से सम्मानित किया गया। "जटिल मानव स्वभाव के गहरे और संवेदनशील समझ" के हेतु, उनकी कृतियों को "तमिल साहित्य की उच्च परम्पराओं की अभिवृद्दि" के लिए २००२ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ना. पार्थसारथी

ना.

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नांजिल नाडन

नांजिल नाडन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह सूडिय पू सूडर्क के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नील पद्मनाभन

नील पद्मनाभन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास इलै उदीर कालम के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पिचिरान्दयार

पिचिरान्दयार तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार भारतीदासन द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1969 में तमिल भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पुदिय दरिशनंगळ

पुदिय दरिशनंगळ तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार पोन्नीलन (कंदेश्वर भक्तवत्सलम्) द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पुदिय उरइ नडइ

पुदिय उरइ नडइ तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार एम. रामलिंगम् द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पुदुकवितयिन तोट्ट्रमुम् वलर्चियुम

पुदुकवितयिन तोट्ट्रमुम् वलर्चियुम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार वल्लिकण्णन द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पुवियरसु

पुवियरसु तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कैयोप्पम के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रपंचन

प्रपंचन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास वानम वसप्पडुम के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पूमणि

पूमणि तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्‍यास अंजाडि के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पोन्नीलन (कंदेश्वर भक्तवत्सलम्)

पोन्नीलन (कंदेश्वर भक्तवत्सलम्) तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास पुदिय दरिशनंगळ के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पोपटी आर. हीरानंदाणी

पोपटी आर.

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पी. श्रीआचार्य

पी.

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पी॰ वी॰ अकिलानंदम

पी.

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फणीश्वर नाथ "रेणु"

फणीश्वर नाथ 'रेणु' (४ मार्च १९२१ औराही हिंगना, फारबिसगंज - ११ अप्रैल १९७७) एक हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। इनके पहले उपन्यास मैला आंचल को बहुत ख्याति मिली थी जिसके लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। .

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बी. एस. रमय्या

बी.

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भारती : कालमुम करुत्तुम

भारती: कालमुम करुत्तुम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार टी.एम.सी. रघुनाथन् द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भारतीदासन

भारतीदासन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक पिचिरान्दयार के लिये उन्हें सन् 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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भवानी भट्टाचार्य

भवानी भट्टाचार्य अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास शैडो फ्रॉम लद्दाख़ के लिये उन्हें सन् 1967 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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म. पो. शिवज्ञानम

म. पो.

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मणिक्कोडि कालम

मणिक्कोडि कालम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार बी. एस. रमय्या द्वारा रचित एक साहित्येतिहास है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल और मणिक्कोडि कालम · और देखें »

मतिम्मुरैक्ल पेट्टिकळ

मतिम्मुरैक्ल पेट्टिकळ तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार ति.क. शिवशंकरन द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मिन्सारप्पू

मिन्सारप्पू तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार मेलणमई पोन्नुसामी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मु. मेहता

मु.

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मु. वरदराजन

मु.

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मुदलिल इरवु वरुम

मुदलिल इरवु वरुम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार आदवन सुंदरम द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में तमिल भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

नई!!: साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल और मुदलिल इरवु वरुम · और देखें »

मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क

मुहीजी हयाती–आ–जा सोना रोपा वर्क सिन्धी भाषा के विख्यात साहित्यकार पोपटी आर. हीरानंदाणी द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में सिन्धी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेलणमई पोन्नुसामी

मेलणमई पोन्नुसामी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह मिन्सारप्पू के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राजम कृष्णन्

राजम कृष्णन् तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास वेरुक्कु नीर के लिये उन्हें सन् 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ला. स. रामामृतम्

ला.

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शिल नेरंगळिल शिल मणितर्कळ

शिल नेरंगळिल शिल मणितर्कळ तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार डी. जयकांतन द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1972 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शंकर मोकाशी पुणेकर

शंकर मोकाशी पुणेकर कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अवधेश्वरी के लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शक्ति वैदियम

शक्ति वैदियम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार टी. जानकीरामन् द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्री रामानुजर

श्री रामानुजर तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार पी. श्रीआचार्य द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1965 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शैडो फ्रॉम लद्दाख़

शैडो फ्रॉम लद्दाख़ अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार भवानी भट्टाचार्य द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में अंग्रेज़ी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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समुदाय वीधि

समुदाय वीधि तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार ना. पार्थसारथी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1971 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सा. कंदासामी

सा.

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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सिर्पी बालसुब्रह्मण्यम्

सिर्पी बालसुब्रह्मण्यम् तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह ओरु गिरामत्तु नदी के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सु. समुत्तिरम्

सु.

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सु. वेंकटेशन

सु.

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सुतंतिर दाकम

सुतंतिर दाकम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार सी. एस. चेल्लप्पा द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में तमिल भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सूडिय पू सूडर्क

सूडिय पू सूडर्क तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार नांजिल नाडन द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सोमु (मी. पा. सोमसुंदरम)

सोमु (मी. पा. सोमसुंदरम) तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत अक्करै चीमय्यिल के लिये उन्हें सन् 1962 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सी. एस. चेल्लप्पा

सी.

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जी. तिलकवती

जी.

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जी. अलगिरिसामी

जी.

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वल्ललार कण्ड ओरुमैप्पाडु

वल्ललार कण्ड ओरुमैप्पाडु तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार म. पो. शिवज्ञानम द्वारा रचित एक जीवनी है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वल्लिकण्णन

वल्लिकण्णन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना पुदुकवितयिन तोट्ट्रमुम् वलर्चियुम के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वा. चे. कुलंदैसामि

वा.

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वानम वसप्पडुम

वानम वसप्पडुम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रपंचन द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वाळुम वळ्ळुवम्

वाळुम वळ्ळुवम् तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार वा. चे. कुलंदैसामि द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विमुक्‍त

विमुक्‍त तेलुगू भाषा के विख्यात साहित्यकार वोल्‍गा द्वारा रचित एक कहानी है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में तेलुगू भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विष्णु सखाराम खांडेकर

विष्णु सखाराम खांडेकर मराठी साहित्यकार हैं। इन्हें 1974 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६८ में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। उन्होंने उपन्यासों और कहानियों के अलावा नाटक, निबंध और आलोचनात्मक निंबंध भी लिखे। खांडेकर के ललित निबंध उनकी भाषा शैली के कारण काफी पसंद किए जाते हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास ययाति के लिये उन्हें सन् १९६० में साहित्य अकादमी पुरस्कार (मराठी) से सम्मानित किया गया। .

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विसारणै कमीशन

विसारणै कमीशन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार सा. कंदासामी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वंगइन मैंधन

वंगइन मैंधन तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार अखिलन (पी. वी. अकिलंदम) द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1963 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वैरामुत्तु

वैरामुत्तु (வைரமுத்து) (जन्म: 13 1953 जुलाई) एक पुरस्कार विजेता तमिल कवि और गीतकार हैं। निड़लगल (1980) फिल्म से शुरूआत करते हुए तथा 'पोनमलई पोड़ुडु' के लिए बोल लिखते हुए, यथा जनवरी 2009 अब उनके नाम 5800 गीतों का श्रेय है।.

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वेरिल पष़ुत पळा

वेरिल पष़ुत पळा तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार सु. समुत्तिरम् द्वारा रचित एक दो लघु उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वेरुक्कु नीर

वेरुक्कु नीर तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार राजम कृष्णन् द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1973 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वेळ्ळै परवई

वेळ्ळै परवई तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार ए. श्रीनिवासन राघवन् द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1968 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वोल्गा

वोल्गा निम्नलिखित में से हो सकता है.

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वीरर उलगम

वीरर उलगम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार के. वी. जगन्नाथन् द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गुरदयाल सिंह

गुरदयाल सिंह(10 जनवरी 1933 - 16 अगस्त 2016) एक पंजाबी साहित्यकार थे जो उपन्यास और कहानी लेखक थे। इन्हें 1999 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपनी प्रथम कहानी भागों वाले प्रो.मोहन सिंह के साहित्य मैगजीन पंज दरिया में प्रकाशित की थी। उनके पंजाबी साहित्य में आने से पंजाबी उपन्यास में बुनियादी तबदीली आई थी।उनके उपन्यास मढ़ी दा दीवा, .

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गोपल्लपुरत्त मक्कळ्

गोपल्लपुरत्त मक्कळ् तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार कि. राजनारायणन् द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ओरु गिरामत्तु नदी

ओरु गिरामत्तु नदी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार सिर्पी बालसुब्रह्मण्यम् द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ओरु कावेरियइ पोला

ओरु कावेरियइ पोला तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार त्रिपुरसुंदरी ‘लक्ष्मी’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आदवन सुंदरम

आदवन सुंदरम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह मुदलिल इरवु वरुम के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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आर.एन. जो डी क्रूज

आर.एन.

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आर.पी.सेतु पिळ्ळै

आर.पी.सेतु पिळ्ळै तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह तमिल इंबम के लिये उन्हें सन् 1955 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आलापनै

आलापनै तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार एस. अब्दुल रहमान द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आलै–ओसै

आलै–ओसै तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार आर. कृष्णमूर्ति ‘कल्कि’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1956 में तमिल भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आशापूर्णा देवी

आशापूर्णा देवी (बांग्ला: আশাপূর্ণা দেবী, 8 जनवरी 1909-13 जुलाई 1995) भारत से बांग्ला भाषा की कवयित्री और उपन्यासकार थीं, जिन्होंने 13 वर्ष की अवस्था से लेखन प्रारम्भ किया और आजीवन साहित्य रचना से जुड़ीं रहीं। गृहस्थ जीवन के सारे दायित्व को निभाते हुए उन्होंने लगभग दो सौ कृतियाँ लिखीं, जिनमें से अनेक कृतियों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनके सृजन में नारी जीवन के विभिन्न पक्ष, पारिवारिक जीवन की समस्यायें, समाज की कुंठा और लिप्सा अत्यंत पैनेपन के साथ उजागर हुई हैं। उनकी कृतियों में नारी का वयक्ति-स्वातन्त्र्य और उसकी महिमा नई दीप्ति के साथ मुखरित हुई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं स्वर्णलता, प्रथम प्रतिश्रुति, प्रेम और प्रयोजन, बकुलकथा, गाछे पाता नील, जल, आगुन आदि। उन्हें 1976 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वे पहली महिला हैं। .

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आकयतुक्कु अडुत्तवीडु

आकयतुक्कु अडुत्तवीडु तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार मु. मेहता द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इलक्कियतुक्क ओरु इयक्कम

इलक्कियतुक्क ओरु इयक्कम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार का. ना. सुब्रह्मण्यम् द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इलक्किया सुवडुकळ

इलक्किया सुवडुकळ तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार ए. माधवन द्वारा रचित एक निबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इलै उदीर कालम

इलै उदीर कालम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार नील पद्मनाभन द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इंदिरा पार्थसारथी

इंदिरा पार्थसारथी सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। .

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कन्नदासन

कन्नदासन (கண்ணதாசன்; 24 जून1927-17 अक्टूबर 1981) तमिल कवि और गीतकार थे, जिन्हें तमिल भाषा के आधुनिक युग के सबसे महान और सबसे महत्वपूर्ण प्रारम्भिक लेखक के रूप में मान्यता प्राप्त है।वे प्रायः 'कविअरासु' (कविराज) नाम से प्रसिद्ध अधिक प्रसिद्ध थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास चेरमान कादली के लिये उन्हें सन् १९८० में साहित्य अकादमी पुरस्कार (तमिल) से सम्मानित किया गया। कन्नदासन तमिल फिल्मों में अपने गीतों के लिए सर्वाधिक लोकप्रिय थे। इन्होने ५००० से अधिक गीतों के अलावा, ६००० कविताओं और महाकाव्य, नाटकों, निबंध, उपन्यास, सहित लगभग २३२ से अधिक पुस्तकों की रचना की, जिसमें से दस भागों में अर्थमुल्ल इन्धुमथम (सार्थक हिन्दू धर्म) शीर्षक से हिंदू धर्म पर आधारित उनके सबसे लोकप्रिय (10) धार्मिक निबंध हैं। उन्हें वर्ष 1980 में अपने उपन्यास चेरमन कदली के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। 1969 में, कुज्हंथैक्कागा फिल्म में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वाले पहले गीतकार थे। .

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कलमरम

कलमरम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार जी. तिलकवती द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कल्कि कृष्णमूर्ति

कल्कि (तमिल: கல்கி), आर कृष्णमूर्ति (९ सितम्बर १८९९ – ५ दिसम्बर १९५४) का उपनाम था जो एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, सामाज सुधारक, उपन्यासकार, लघुकथाकार,, पत्रकार, हास्यकार, व्यंग्यकार, पटकथालेखक तथा कवि थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आलै–ओसै के लिये उन्हें सन १९५६ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (तमिल) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। .

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का. ना. सुब्रह्मण्यम्

का.

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कादुगळ्

कादुगळ् तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार एम. वी. वेंकटराम द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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काज़ी नज़रुल इस्लाम

काजी नज़रुल इस्लाम (কাজী নজরুল ইসলাম), (२४ मई १८९९ - २९ अगस्त १९७६) अग्रणी बांग्ला कवि, संगीतज्ञ, संगीतस्रष्टा और दार्शनिक थे। वे बांग्ला भाषा के अन्यतम साहित्यकार, देशप्रेमी तथा बंगलादेश के राष्ट्रीय कवि हैं। पश्चिम बंगाल और बंगलादेश दोनो ही जगह उनकी कविता और गान को समान आदर प्राप्त है। उनकी कविता में विद्रोह के स्वर होने के कारण उनको 'विद्रोही कवि' के नाम से जाना जाता है। उनकी कविता का वर्ण्यविषय 'मनुष्य के ऊपर मनुष्य का अत्याचार' तथा 'सामाजिक अनाचार तथा शोषण के विरुद्ध सोच्चार प्रतिवाद'। .

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कावल कोत्तम

कावल कोत्तम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार सु. वेंकटेशन द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कि. राजनारायणन्

कि.

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कंबन पुदिय पारवई

कंबन पुदिय पारवई तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार ए.एस. ज्ञानसंबंदन द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुरुति पुनल

कुरुति पुनल तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार इंदिरा पार्थसारथी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कैयोप्पम

कैयोप्पम तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार पुवियरसु द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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के. टी. तिरुनावंक्करसु

के.

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के. वी. जगन्नाथन्

के.

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कोटा शिवराम कारन्त

कोटा शिवराम कारन्त (October 10, 1902 - December 9, 1997) ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता। वह कन्नड लेखक, यक्षगान कलाकार और फिल्म के निदेशक आदि थे। इनके द्वारा रचित एक लोक नाट्य–विवेचन यक्षगान बायलाट के लिये उन्हें सन् १९५९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार () से सम्मानित किया गया। .

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कोरकई

कोरकई तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार आर.एन. जो डी' क्रूज द्वारा रचित एक उपन्‍यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कोवि. मणिशेखरन

कोवि.

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अनबलिप्पु

अनबलिप्पु तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार जी. अलगिरिसामी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में तमिल भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अप्पाविन सिनेहिदर

अप्पाविन सिनेहिदर तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार अशोकमित्रन् द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अशोकमित्रन

अशोकमित्रन (22 सितंबर,1931 - 23 मार्च,2017, मूल नाम जगदीस त्यागराजन) तमिल भाषा के लेखक व उपन्यासकार थे। उनकी कृति में 200 लघु कथाएं, 8 उपन्यास, 15 अन्य लंबी कथाएं शामिल हैं। उनकी बहुत-सी लघु कथाएं अँग्रेजी, हिंदी, मलयालम, तेलगू और अन्य भाषाओं में अनुवादित की गई है। उन्हें वर्ष 1996 में उनके लघु कथाओं के संग्रह अप्पाविन सिनेहिदर के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (तमिल) से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1931 में सिकंदराबाद में जन्में अशोकमित्रन वर्ष 1952 में चेन्नई चले गए थे। जिसके बाद वे तमिल साहित्य के एक प्रभावशाली साहित्यकार के रूप में उभरे।वे संक्षिप्त और सूक्ष्म हास्य के लिए जाने जाते थे।उन्होने 1960 के दशक में अपना साहित्यिक नाम अशोकमित्रन ग्रहण किया था। वर्ष 2014 में तमिलनाडू की निवर्तमान मुख्यमंत्री जयललिता ने तमिल साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हे 'तिरु वी का' पुरस्कार प्रदान किया था। .

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अवधेश्वरी

अवधेश्वरी कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार शंकर मोकाशी पुणेकर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में कन्नड़ भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अगल विळक्कु

अगल विळक्कु तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार मु. वरदराजन द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1961 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंजाडि

अंजाडि तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार पूमणि द्वारा रचित एक उपन्‍यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अक्करै चीमय्यिल

अक्करै चीमय्यिल तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार सोमु (मी. पा. सोमसुंदरम) द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1962 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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