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साम्यवादी समाज

सूची साम्यवादी समाज

मार्क्सवादी विचार में, साम्यवादी समाज या साम्यवादी तन्त्र, समाज और आर्थिक तन्त्र का एक प्रकार है, जो साम्यवाद की राजनीतिक विचारधारा के अन्ततः लक्ष्य का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्पादक बलों में प्रौद्योगिक उन्नतियों से उभरा हुआ हैं, ऐसा स्वसिद्ध रूप से माना जाता है। एक साम्यवादी समाज की विशेषता यह हैं कि उसमें उपभोग की चीज़ों की मुक्त अभिगम्यता के साथ, उत्पादन के साधनों का आम स्वामित्व होता है और वह समाज वर्गहीन व राज्यहीन होता है, जिसमें श्रम के शोषण का अन्त अन्तर्निहित हो। "साम्यवादी समाज" का शब्द, "साम्यवादी राज्य" की पश्चिमी अवधारणा से प्रभेदित किया जाना चाहिए, क्योंकि पश्चात्कथित का सन्दर्भ एक ऐसे राज्य से है जो मार्क्सवाद-लेनिनवाद के किसी एक प्रकार का दावा करने वाले दल से शासित होता है। Category:साम्यवाद Category:मार्क्सवादी सिद्धान्त Category:समाजवाद.

6 संबंधों: मार्क्सवाद, समाज, साम्यवाद, आम स्वामित्व, अन्तिम वस्तु, उत्पादन के साधन

मार्क्सवाद

सामाजिक राजनीतिक दर्शन में मार्क्सवाद (Marxism) उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व द्वारा वर्गविहीन समाज की स्थापना के संकल्प की साम्यवादी विचारधारा है। मूलतः मार्क्सवाद उन आर्थिक राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांतो का समुच्चय है जिन्हें उन्नीसवीं-बीसवीं सदी में कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स और व्लादिमीर लेनिन तथा साथी विचारकों ने समाजवाद के वैज्ञानिक आधार की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया। .

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समाज

समाज एक से अधिक लोगों के समुदाय को कहते हैं जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रियाकलाप करते है। मानवीय क्रियाकलाप में आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की क्रियाएं सम्मिलित होती है। समाज लोगों का ऐसा समूह होता है जो अपने अंदर के लोगों के मुकाबले अन्य समूहों से काफी कम मेलजोल रखता है। किसी समाज के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति एक दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह तथा सहृदयता का भाव रखते हैं। दुनिया के सभी समाज अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए अलग-अलग रस्मों-रिवाज़ों का पालन करते हैं। .

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साम्यवाद

साम्यवाद, कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा प्रतिपादित तथा साम्यवादी घोषणापत्र में वर्णित समाजवाद की चरम परिणति है। साम्यवाद, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें संरचनात्मक स्तर पर एक समतामूलक वर्गविहीन समाज की स्थापना की जाएगी। ऐतिहासिक और आर्थिक वर्चस्व के प्रतिमान ध्वस्त कर उत्पादन के साधनों पर समूचे समाज का स्वामित्व होगा। अधिकार और कर्तव्य में आत्मार्पित सामुदायिक सामंजस्य स्थापित होगा। स्वतंत्रता और समानता के सामाजिक राजनीतिक आदर्श एक दूसरे के पूरक सिद्ध होंगे। न्याय से कोई वंचित नहीं होगा और मानवता एक मात्र जाति होगी। श्रम की संस्कृति सर्वश्रेष्ठ और तकनीक का स्तर सर्वोच्च होगा। साम्यवाद सिद्धांततः अराजकता का पोषक हैं जहाँ राज्य की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। मूलतः यह विचार समाजवाद की उन्नत अवस्था को अभिव्यक्त करता है। जहाँ समाजवाद में कर्तव्य और अधिकार के वितरण को 'हरेक से अपनी क्षमतानुसार, हरेक को कार्यानुसार' (From each according to her/his ability, to each according to her/his work) के सूत्र से नियमित किया जाता है, वहीं साम्यवाद में 'हरेक से क्षमतानुसार, हरेक को आवश्यकतानुसार' (From each according to her/his ability, to each according to her/his need) सिद्धांत का लागू किया जाता है। साम्यवाद निजी संपत्ति का पूर्ण प्रतिषेध करता है। .

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आम स्वामित्व

आम स्वामित्व का सन्दर्भ, किसी संगठन, उपक्रम, या समुदाय की परिसम्पत्तियों (असेट्स) को वैयक्तिक सदस्यों या सदस्यों के समूहों के नाम पर धारण करने के बजाए, अविभक्त रूप से आम सम्पत्ति के रूप में धारण करने से है। फलितों (आउटपुट्स) की मुक्त अभिगम्यता के साथ, उत्पादन के साधनों को आम रूप से धारण करने का सिद्धान्त, साम्यवादी समाज की परिभाषित विशेषता है। साम्यवादियों और कुछ प्रकार के समाजवाद के द्वारा, उत्पादन के साधनों के आम स्वामित्व की वक़ालत की जाती हैं। अधिवक्ता सामूहिक स्वामित्व और आम सम्पत्ति को प्रभेदित करते हैं; पूर्वकथित का सन्दर्भ उस सम्पत्ति से हैं जिसपर समझौते द्वारा संयुक्त रूप से स्वामित्व हो, जैसे कि उत्पादक सहकारियाँ, जबकि पश्चात्कथित का सन्दर्भ उन परिसम्पत्तियों से हैं, जो अभिगम्यता के लिए पूरी तरह खुली हैं, जैसे कि, सबके लिए उपलब्ध सार्वजनिक पार्क। .

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अन्तिम वस्तु

अर्थशास्त्र में, कोई भी पण्य जो उत्पादित किया जाएँ और तत्पश्चात् उपभोक्ता द्वारा अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपभुक्त किया जाएँ, वह एक उपभोक्ता वस्तु (consumer good) अथवा अन्तिम वस्तु (final good) है। उपभोक्ता वस्तु वे वस्तु होते हैं, जो अन्य वस्तु के उत्पादन में उपयुक्त होने के बजाए, अन्ततः उपभुक्त कियें जाते हैं। उदाहरणार्थ, एक माइक्रोवेव ओवन या बाइसिकल जो उपभोक्ता को बेचे जाते हैं, एक अन्तिम वस्तु अथवा उपभोक्ता वस्तु है; जबकि जो कॉम्पोनेन्ट उन वस्तुओं में उपयुक्त होने के लिए बेचे जाते हैं, मध्यवर्ती वस्तु कह लाते हैं। उदाहरणार्थ, टेक्सटाइल या ट्रांज़िस्टर, जिनका उपयोग और भी कुछ वस्तु बनाने में हो सकता हैं। श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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उत्पादन के साधन

अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में, उत्पादन के साधन (Means of production) भौतिक, गैर-मानवी इनपुट होते हैं, जिनका उपयोग आर्थिक मूल्य के उत्पादन हेतु होता हैं, जैसे कि, सुविधाएँ, मशीनरी, उपकरण, संरचनात्मक पूंजी और प्राकृतिक पूंजी। उत्पादन के साधनों में वस्तुओं की दो व्यापक श्रेणियाँ मौजूद हैं: श्रम के साधन (उपकरण, फ़ैक्ट्री, संरचना, इत्यादि) और श्रम के विषय (प्राकृतिक संसाधन और कच्चा माल)। अगर वस्तु बना रहें हैं, तो लोग श्रम के साधनों का उपयोग करके श्रम के विषयों पर काम करते हैं, उत्पाद बनाने के लिए; या अन्य शब्दों में, उत्पादन के साधनों पर काम करता श्रम, उत्पाद निर्माण करता हैं। श्रेणी:उत्पादन और विनिर्माण.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

राज्यहीन साम्यवाद

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