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साखमय अनुदान योजना

सूची साखमय अनुदान योजना

ग्रामीण आवास हेतु वर्ष १९९९ - २००० में भारत सरकार द्वारा साखमय अनुदान योजना नाम से यह योजना शुरू की गई,जिसमें केंद्र एवं राज्य सरकार की हिस्सा राशि ७५: २५ का है। योजना में ऐसे परिवार जिनकी वार्षिक आय मात्र ३२,००० रुपयों से कम है व जिन्हें इंदिरा आवास योजना में सम्मिलित नहीं किया गया है, को लाभन्वित किया जाता है। योजना के अंतर्गत ₹ १५,००० अनुदान के रूप में दिए जाते है तथा मकान की लागत के शेष रुपये ऋण के रूप में अनुसूचित /वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं, जिनकी अदायगी लाभार्थी द्वारा की जाती है। ऋण की अधिकतम सीमा ₹ ५०,००० तक है। .

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प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना

प्रधानमंत्री आवास योजना (Indira Awaas Yojana) जिसका नाम सितंबर 2016 में इंदिरा आवास योजना से बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना कर दिया गया। बीपीएल परिवारों को मिलने वाली आर्थिक मदद को 45,000 रुपये से बढ़ाकर 70,000 रुपये कर दिया गया। भारत में एक केंद्र प्रायोजित आवास निर्माण योजना है। योजना का वित्तपोषण केंद्र और राज्यों के बीच ७५:२५ के अनुपात में किया जाता है। उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए केंद्र-राज्य वित्त अनुपात ९0:१0 है। संघ शासित प्रदेशों के लिए योजना १00% केंद्र प्रायोजित है। १९८५-८६ से प्रारंभ योजना का पुनर्गठन १९९९-२000 में किया गया, जिसके अंतर्गत गाँवों में गरीबों के लिए मुफ़्त में मकानों का निर्माण किया जाता है। वर्तमान में ग्रामीण परिवारों को मकान निर्माण के लिए ४५ हजार की धनराशि दी जाती है। संकटग्रस्त क्षेत्रों में यह राशि ४८.५ हजार नियत की गयी है। योजना केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों के लिए हैं। धनराशि घर की किसी महिला के नाम पर ही निर्गत की जाती है। भारत निर्माण के अंतर्गत चल रही इंदिरा आवास योजना पर २0१0-११ में दस हजार करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित करायी गयी है। .

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भारत सरकार

भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतौर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 29 राज्यों तथा सात केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रूप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी है। भारतीय संविधान द्वारा स्थापित भारत सरकार नई दिल्ली, दिल्ली से कार्य करती है। भारत के नागरिकों से संबंधित बुनियादी दीवानी और फौजदारी कानून जैसे नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, आदि मुख्यतः संसद द्वारा बनाया जाता है। संघ और हरेक राज्य सरकार तीन अंगो कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका के अन्तर्गत काम करती है। संघीय और राज्य सरकारों पर लागू कानूनी प्रणाली मुख्यतः अंग्रेजी साझा और वैधानिक कानून (English Common and Statutory Law) पर आधारित है। भारत कुछ अपवादों के साथ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्याय अधिकारिता को स्वीकार करता है। स्थानीय स्तर पर पंचायती राज प्रणाली द्वारा शासन का विकेन्द्रीकरण किया गया है। भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी गणराज्य की उपाधि देता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। .

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सरकार

सरकार कुछ निश्चित व्यक्तियों का समूह होती है जो राष्ट्र तथा राज्यों में निश्चित काल के लिए तथा निश्चित पद्धति द्वारा शासन करता है। प्रायः इसके तीन अंग होते हैं - व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है। सरकार के तंत्र का अभिप्राय उस राजनितिक व्यवस्था से होता है जिसके द्वारा राज्य की सरकार को जाना जाता है। राज्य निरन्तर बदलती हुयी सरकारों द्वारा प्रशासित होते हैं। हर नई सरकार कुछ व्यक्तियों का समूह होती है जो राजनितिक फ़ैसले लेती है या उनपर नियन्त्रण रखती है। सरकार का कार्य नए कानून बनाना, पुराने कानूनों को लागू रखना तथा झगड़ों में मध्यस्थता करना होता है। कुछ समाजों में यह समूह आत्म-मनोनीत या वंशानुगत होता है। बाकी समाजों में, जैसे लोकतंत्र, राजनितिक भूमिका का निर्वाह निरन्तर बदलते हुये व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। संसदीय पद्धति में सरकार का अभिप्राय राष्ट्रपतीय पद्धति के अधिशासी शाखा से होता है। इस पद्धति में राष्ट्र में प्रधान मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् तथा राज्य में मुख्य मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् होते हैं। पाश्चात् देशों में सरकार और तंत्र में साफ़ अन्तर है। जनता द्वारा सरकार का दोबारा चयन न करना इस बात को नहीं दर्शाता है कि जनता अपने राज्य के तंत्र से नाख़ुश है। लेकिन कुछ पूर्णवादी शासन पद्धतियों में यह भेद इतना साफ़ नहीं है। इसका कारण यह है कि वहाँ के शासक अपने फ़ायदे के लिये यह लकीर मिटा देते हैं। .

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