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सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम

सूची सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम

सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम (उर्दू नाम- इश्के दुनिया और हुब्बे वतन) प्रेमचंद की पहली प्रकाशित कहानी है। इसका प्रकाशन कानपूर से निकलने वाली उर्दू पत्रिका ज़माना के अप्रैल १९०८ के अंक में हुआ था। आम तौर से प्रेमचंद के पहले कहानी संग्रह सोज़ेवतन में प्रकाशित दुनिया का सबसे अनमोल रतन को उनकी पहली कहानी माना जाता रहा है। डॉ॰ कमल किशोर गोयनका के अनुसार सोज़ेवतन का प्रकाशन जून १९०८ में हुआ था जबकि सांसारिक प्रेम और देशप्रेम अप्रैल १९०८ में प्रकाशित हो चुकी थी। यह कहानी इटली के मशहूर राष्ट्रवादी मैजिनी और उसकी प्रेमिका मैग्डलीन के जीवन को आधार बनाकर लिखी गई है। यह देश की आजादी के लिए आमरण संघर्ष करने की भावना को अभिव्यक्त करती है। यह व्यक्तिगत प्रेम पर राष्ट्रप्रेम को महत्ता प्रदान करने वाली कहानी है। .

3 संबंधों: दुनिया का सबसे अनमोल रतन, प्रेमचंद, अवसरवाद

दुनिया का सबसे अनमोल रतन

दुनिया का अनमोल रतन प्रेमचंद की पहली कहानी थी। यह कहानी कानपुर से प्रकाशित होने वाली उर्दू पत्रिका ज़माना में १९०७ में प्रकाशित हुई थी। यह कहानी बाद में प्रेमचंद के कहानी संग्रह सोज़े वतन में संकलित की गई थी। .

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प्रेमचंद

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .

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अवसरवाद

अवसरवाद या मौक़ापरस्ती असूलों के खिलाफ जाकर या दूसरों की परवाह किये बिना परिस्थितियों का लाभ उठाकर स्वार्थी निर्णय लेना होता है। अवसरवाद या "अवसरवादिता" जीव विज्ञान, खेल सिद्धांत, नैतिकता, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र और राजनीति के अध्ययन के क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। .

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इश्के दुनिया और हुब्बे वतन

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