3 संबंधों: शतपाद, श्वसन अंग, सन्धिपाद।
शतपाद
गोजर शतपाद (सेन्टीपीड, गोजर या कांतर या कनखजूरा) एक स्थलवासी आर्थ्रोपोडा है जो जमीन में, बिलों में या पेड़ों की छाल के नीचे छिपे पाये जाते हैं। इसका शरीर लंबा एवं खंडयुक्त होता है तथा सिर पर दो स्पर्श सूत्र पाये जाते हैं। इसके प्रत्येक खंड में दो पैर जुड़े होती हैं जो जोड़ युक्त होते हैं। पहला जोड़ा पैर विषैले पंजों में रूपांतरित हो जाता है। दुनिया में गोजर की लगभग ८००० प्रजातियां हैं। n .
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श्वसन अंग
फेफड़े वे अंग जिनके द्वारा सजीवों तथा वातावरण के बीच गैसों का आदान-प्रदान होता है, उसे श्वसन अंग कहते हैं। शरीर की बाह्य सतह, त्वचा, ट्रेकिया, गिल्स, फेफड़ा प्राणियों के विभिन्न श्वसन अंग हैं। पौधों में जन्तुओं की तरह कोई विशेष श्वसन अंग नहीं पाये जाते हैं, इनमें गैसों का आदान-प्रदान स्टोमेटा, लेण्टीसेल तथा न्यूमेटाफोर्स द्वारा होता है। .
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सन्धिपाद
आर्थ्रोपोडा संघ के प्राणी सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है। प्रायः सभी खंडों के पार्श्व की ओर एक संधियुक्त शाखांग होते हैं। सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते हैं। ये जन्तु एकलिंगी होते हैं और जल तथा स्थल दोनों स्थानों पर मिलते हैं। तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, गोजर, झिंगा, केकड़ा आदि इस संघ के प्रमुख जन्तु हैं। .
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