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समुद्री मकड़ी

सूची समुद्री मकड़ी

समुद्री मकड़ी (Sea spider), जो जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में पिक्नोगोनीडा (Pycnogonida) नामक वर्ग है, समुद्र में रहने वाले आर्थ्रोपोड प्राणियों का एक समूह है। इसकी लगभग 1300 जीववैज्ञानिक जातियाँ ज्ञात हैं। यह सार्वत्रिक रूप से लगभग हर सागर व महासागर में मिलते हैं हालांकि इन्हें विशेष रूप से भारी मात्रा में भूमध्य सागर, कैरिबियाई सागर, अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर में मिलते हैं। इनका आकार विविध है और इसमें 1 मिलिमीटर से लेकर गहरे पानी में बसने वाली 90 सेंटीमीटर से भी बड़ी जातियाँ मिलती हैं। अधिकतर जातियों का आकार छोटा होता है और वे कम गहराई वाले पानी में रहती हैं। अपने नाम के बावजूद यह वास्तविक मकड़ी से भिन्न है और न ही यह अरैकनिड की श्रेणी में आती है, हालांकि केलीसेराटा संघ होने के कारण यह अन्य आर्थ्रोपोडों (जैसे कि कीट और क्रस्टेशियाई) की तुलना में मकड़ियों से अधिक क़रीबी सम्बन्ध रखती हैं। .

20 संबंधों: एक्डीसोज़ोआ, प्राणी, भूमध्य सागर, महासागर, मिलीमीटर, मकड़ी, सन्धिपाद, सार्वत्रिक वितरण, सागर, सेन्टीमीटर, जाति (जीवविज्ञान), जीववैज्ञानिक वर्गीकरण, वर्ग (जीवविज्ञान), क्रस्टेशिया, केलीसेराटा, कॅरीबियाई सागर, कीट, अटलांटिक महासागर, अष्टपाद, उत्तरध्रुवीय महासागर

एक्डीसोज़ोआ

एक्डीसोज़ोआ (Ecdysozoa) प्रोटोस्टोम प्राणियों की एक श्रेणी है जिसमें आर्थ्रोपोडा (कीट, केलीसेराटा, क्रस्टेशिया, मिरियापोडा), नेमाटोडा (सूत्रकृमि) और कई अन्य छोटे जीववैज्ञानिक संघ शामिल हैं। इस श्रेणी को सन् 1997 में कई प्राणियों के राइबोसोम आर एन ए के अनुवांशिक अध्ययन में मिली समानताओं के आधार पर प्रस्तावित करा गया था। सन् 2008 में हुई एक जाँच में यह साबित हो गया कि यह एक क्लेड है, यानि इसकी सभी सदस्य जातियाँ अतिप्राचीन काल में एक ही सांझी पूर्वज जाति से क्रमविकसित हुई हैं। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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भूमध्य सागर

भूमध्य सागर (Mediterranean sea) पृथ्वी का एक सागर है, जो उत्तरी अफ्रीका, यूरोप, अनातोलिया तथा मध्य पूर्व के बीच स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग २५ लाख वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के क्षेत्रफल का लगभग तीन-चौथाई है। प्राचीन काल में यूनान, अनातोलिया, कार्थेज, स्पेन, रोम, यरुशलम, अरब तथा मिस्र जैसे प्रदेशों तथा नगरों के बीच स्थित होने की वजह से इसे भूमध्य (धरती के बीच का) सागर कहते थे। यह अटलांटिक महासागर से जिब्राल्टर द्वारा जुड़ा है, जो केवल १४ किलोमीटर चौड़ा एक जलडमरूमध्य है। भूमध्य सागर का मानचित्र .

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महासागर

महासागर जलमंडल का प्रमुख भाग है। यह खारे पानी का विशाल क्षेत्र है। यह पृथ्वी का ७१% भाग अपने आप से ढांके रहता है (लगभग ३६.१ करोड वर्ग b किलोमीटर)| जिसका आधा भाग ३००० मीटर गहरा है। प्रमुख महासागर निम्नलिखित हैं: १ प्रशान्त महासागर (en:Pacific Ocean) २ अन्ध महासागर (en:Atlantic Ocean) ३ उत्तरध्रुवीय महासागर (en:Arctic Ocean) ४ हिन्द महासागर (en:Indian Ocean) ५ दक्षिणध्रुवीय महासागर(en:Antarctic Ocean) महासागर श्रेणी:जलसमूह.

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मिलीमीटर

मिलीमीटर लम्बाई या दूरी के मापन की ईकाई है। यह एक मीटर के एक हजारवें भाग के बराबर होता है। १ सेन्टीमीटर में १० मिलीमीटर होते हैं। श्रेणी:परिमाण की कोटि (लम्बाई).

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मकड़ी

मकड़ी आर्थ्रोपोडा संघ का एक प्राणी है। यह एक प्रकार का कीट है। इसका शरीर शिरोवक्ष (सिफेलोथोरेक्स) और उदर में बँटा रहता है। इसकी लगभग ४०,००० प्रजातियों की पहचान हो चुकी है। इसका उदर खंड रहित होता है तथा उपांग नहीं लगे रहते हैं। इसके सिरोवक्ष से चार जोड़े पैर लगे रहते हैं। इसमें श्वसन बुक-लंग्स द्वारा होता है। इसके पेट में एक थैली होती है जिससे एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है, जिससे यह जाल बुनता है। यह मांसाहारी जन्तु है। जाल में कीड़े-मकोड़ों को फंसाकर खाता .

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सन्धिपाद

आर्थ्रोपोडा संघ के प्राणी सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है। प्रायः सभी खंडों के पार्श्व की ओर एक संधियुक्त शाखांग होते हैं। सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते हैं। ये जन्तु एकलिंगी होते हैं और जल तथा स्थल दोनों स्थानों पर मिलते हैं। तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, गोजर, झिंगा, केकड़ा आदि इस संघ के प्रमुख जन्तु हैं। .

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सार्वत्रिक वितरण

जीव-भूगोल में, किसी वर्गक (टैक्सोन) के वितरण को, सार्वत्रिक वितरण तब कहा जाता है यदि, इसका जीव-भौगोलिक क्षेत्र विश्वव्यापी या विश्व के अधिकतर हिस्सों के उपयुक्त पर्यावासों में हो। उदाहरण के लिए, व्हेल का वितरण, सार्वत्रिक वितरण है, क्योंकि यह दुनिया के लगभग सभी महासागरों में पाई जाती है। अन्य उदाहरणों में मनुष्य, लाइकेन प्रजाति पार्मेलिया सुलकाटा और मोलस्क वंश माइटिलस शामिल हैं। सार्वत्रिक वितरण का कारण पर्यावरण सह्य-सीमाओं का व्यापक क्षेत्र, या विकास के लिए आवश्यक समय से अधिक तेजी से हुआ फैलाव हो सकता है। .

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सागर

कोई विवरण नहीं।

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सेन्टीमीटर

सेंटीमीटर यह लम्बाई मापन इकाई है। श्रेणी:परिमाण की कोटि (लम्बाई) श्रेणी:एस आई इकाइयाँ.

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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जीववैज्ञानिक वर्गीकरण

जीवजगत के समुचित अध्ययन के लिये आवश्यक है कि विभिन्न गुणधर्म एवं विशेषताओं वाले जीव अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाऐं। इस तरह से जन्तुओं एवं पादपों के वर्गीकरण को वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान अंग्रेजी में वर्गिकी के लिये दो शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं - टैक्सोनॉमी (Taxonomy) तथा सिस्टेमैटिक्स (Systematics)। कार्ल लीनियस ने 1735 ई. में सिस्तेमा नातूरै (Systema Naturae) नामक पुस्तक सिस्टेमैटिक्स शब्द के आधार पर लिखी थी।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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वर्ग (जीवविज्ञान)

गण आते हैं वर्ग (अंग्रेज़ी: class, क्लास) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी गणों (ओर्डरों) से ऊपर और संघों (फ़ायलमों) के नीचे आती है, यानि एक वर्ग में बहुत से गण होते हैं और बहुत से वर्गों को एक फ़ायलम में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक वर्ग में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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क्रस्टेशिया

कुछ क्रस्टेशी जन्तु कठिनी या क्रस्टेशिया (Crustacea) जीवजगत्‌ में संधिपाद जीवों (फ़ाइलम ऑर्थ्रोपोडा, phylum Arthropoda) का एक मुख्य विभाग है, जिसमें बड़े केकड़ (Crabs), झींगे (Prawns), चिंगट (श्रृंप, Shrimp), प्रचिंगट (क्रे-फ़िश, cray-fish), महाचिंगट (लॉब्स्टर, lobster), खंडावर (बार्नेकिल, barnacle), काष्ठ यूका (वुड लाउस, wood louse) तथा जलपिंशु (वाटर फ़्ली, water flea) इत्यादि हैं, परंतु इसके सबसे छोटे जीवों को देखने के लिए अणुवीक्षण यंत्र का सहारा लेना पड़ता है। कठिनी की भिन्न-भिन्न जातियों के आकर प्रकार में बहुत ही अंतर होता है जिस कारण इसकी संक्षिप्त परिभाषा देना अत्यंत कठिन है। कठिनी का प्रत्येक लक्षण, विशेषकर इसके पराश्रयी तथा उच्च विशेष जीवों में तो, पूर्ण रूप से किसी न किसी प्रकार बदल जाता है। क्रस्टेशिया शब्द का उपयोग प्रारंभ में उन जीवों के लिए किया जाता रहा है जिनका कवच कठोर तथा नम्य हो। इसके विपरीत दूसरे जीव वे हैं जिनका कवच तथा भंगुर होता है, जैसे सीप तथा घोंघे इत्यादि। परंतु अब यह ज्ञात है कि सब संधिपाद जीवों का बहि:कंकाल (Fxoskeleton) कठोर तथा नम्य होता है। इस कारण अब कठिनी को अन्य लक्षणों के पृथक किया जाता है। इस वर्ग के जीव प्राय: जलनिवासी होते हैं और संसार में कोई भी ऐसा जलाशय नहीं है जहाँ इनकी कोई न कोई जाति न पाई जाती हो। इस कारण कठिनी वर्ग के जीव प्राय: जलश्वसनिका (गिलस, gills) अथवा त्वचा से श्वास लेते हैं। इनमें दो जोड़ी श्रृंगिका (Antennae) जैसे अवयव मुख के सामने और तीन जोड़ी हनु (mandibles) मुख के पीछे होते हैं। कठिनी वर्ग के मुख्य परिचित जीव तो झींगें और केकड़े हैं जिनका उपयोग मानव अपने खाद्य रूप में करता है, परंतु इनसे कहीं अधिक आर्थिक महत्व के इसके निम्न जीव ऐंफ़िपाड्ज़, (Amphipods), आइसोपाइड्ज़, (Isopods) इत्यादि, हैं जो उथले जलाशयों में समूहों में रहते हुए सम्मार्जक का काम करते हैं। इन निम्न जीवों का भोजन दूसरे जीव तथा वनस्पतियों की त्यक्त वस्तुएँ हैं और साथ ही यह स्वयं उच्च प्राणियों, जैसे मत्स्य इत्यादि, का भोजन बनते हैं। इसके कई तलप्लावी सूक्ष्म जीव ऐसे भी हैं जिनके समूह मीलों तक सागर के रंग को बदल देते हैं, जिससे मछुओं को उचित मत्स्यस्थानों का ज्ञान हो जाता है। इस प्रकार यह मत्स्य का भोजन बनकर और साथ ही मछुओं की सहायता करके आर्थिक लाभ पहुँचाते हैं। .

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केलीसेराटा

केलीसेराटा (Chelicerata) एक प्राणी उपसंघ है जो आर्थ्रोपोडा संघ का एक मुख्य उपविभाग है। इसमें अश्वनाल केकड़ा, समुद्री मकड़ी और अष्टपाद (मसलन बिच्छु और मकड़ी) शामिल हैं। .

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कॅरीबियाई सागर

कैरिबियाई सागर दोमिनिकी गणतंत्र के इस्ला साओना द्वीप का एक तटीय क्षेत्र कॅरीबियाई सागर (अंग्रेज़ी: Caribbean Sea) अंध महासागर के मध्य-पश्चिमी भाग से जुड़ा हुआ एक समुद्र है। यह उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में पश्चिमी गोलार्ध में आता है। इसके पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में मेक्सिको और मध्य अमेरिका हैं, उत्तर में बड़े ऐंटिलीस के द्वीप हैं और पूर्व में छोटे ऐंटिलीस के द्वीप हैं। इस सागर का कुल क्षेत्रफल २७,५४,००० वर्ग किमी है। इसका सबसे गहरा बिंदु केमन खाई (Cayman Trough) में पड़ता है और सतह से ७,६८६ मीटर नीचे है। .

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कीट

एक टिड्डा कीट अर्थोपोडा संघ का एक प्रमुख वर्ग है। इसके 10 लाख से अधिक जातियों का नामकरण हो चुका है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले सजीवों में आधे से अधिक कीट हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि कीट वर्ग के 3 करोड़ प्राणी ऐसे हैं जिनको चिन्हित ही नहीं किया गया है अतः इस ग्रह पर जीवन के विभिन्न रूपों में कीट वर्ग का योगदान 90% है। ये पृथ्वी पर सभी वातावरणों में पाए जाते हैं। सिर्फ समुद्रों में इनकी संख्या कुछ कम है। आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण कीट हैं: एपिस (मधुमक्खी) व बांबिक्स (रेशम कीट), लैसिफर (लाख कीट); रोग वाहक कीट, एनाफलीज, क्यूलेक्स तथा एडीज (मच्छर); यूथपीड़क टिड्डी (लोकस्टा); तथा जीवीत जीवाश्म लिमूलस (राज कर्कट किंग क्रेब) आदि। .

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अटलांटिक महासागर

ग्लोब पर अंध महासागर की स्थिति अन्ध महासागर या अटलांटिक महासागर उस विशाल जलराशि का नाम है जो यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को नई दुनिया के महाद्वीपों से पृथक करती है। क्षेत्रफल और विस्तार में दुनिया का दूसरे नंबर का महासागर है जिसने पृथ्वी का १/५ क्षेत्र घेर रखा है। इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति से लिया गया है जिसमें इसे नक्शे का समुद्र भी बोला जाता है। इस महासागर का आकार लगभग अंग्रेजी अक्षर 8 के समान है। लंबाई की अपेक्षा इसकी चौड़ाई बहुत कम है। आर्कटिक सागर, जो बेरिंग जलडमरूमध्य से उत्तरी ध्रुव होता हुआ स्पिट्सबर्जेन और ग्रीनलैंड तक फैला है, मुख्यतः अंधमहासागर का ही अंग है। इस प्रकार उत्तर में बेरिंग जल-डमरूमध्य से लेकर दक्षिण में कोट्सलैंड तक इसकी लंबाई १२,८१० मील है। इसी प्रकार दक्षिण में दक्षिणी जार्जिया के दक्षिण स्थित वैडल सागर भी इसी महासागर का अंग है। इसका क्षेत्रफल इसके अंतर्गत समुद्रों सहित ४,१०,८१,०४० वर्ग मील है। अंतर्गत समुद्रों को छोड़कर इसका क्षेत्रफल ३,१८,१४,६४० वर्ग मील है। विशालतम महासागर न होते हुए भी इसके अधीन विश्व का सबसे बड़ा जलप्रवाह क्षेत्र है। उत्तरी अंधमहासागर के पृष्ठतल की लवणता अन्य समुद्रों की तुलना में पर्याप्त अधिक है। इसकी अधिकतम मात्रा ३.७ प्रतिशत है जो २०°- ३०° उत्तर अक्षांशों के बीच विद्यमान है। अन्य भागों में लवणता अपेक्षाकृत कम है। .

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अष्टपाद

अष्टपाद (Arachnida) प्राणी जगत में एक वर्ग है जिस में सन्धिपाद अकशेरुकी प्राणी हैं। जैसे कि नाम बताता है इस वर्ग के सभी प्राणियों के आठ पांव या पाद होते हैं। लगभग सभी मौजूदा अष्टपाद भूचर प्राणी हैं। परन्तु कुछ मीठे जल के पर्यावरणों में तथा, महासागरीय कटिबन्ध को छोड़ कर, समुद्री पर्यावरणों में भी बसते हैं। इस वर्ग में एक लाख से अधिक नामक जातियां हैं जिन में मकड़ी, बिच्छु, किलनी अदि शामिल हैं। .

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उत्तरध्रुवीय महासागर

उत्तरीध्रुवीय महासागर पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित उत्तरीध्रुवीय महासागर या आर्कटिक महासागर, जिसका विस्तार अधिकतर आर्कटिक उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में है। विश्व के पांच प्रमुख समुद्री प्रभागों (पांच महासागरों) में से यह सबसे छोटा और उथला महासागर है। अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन (IHO) इसको एक महासागर स्वीकार करता है जबकि, कुछ महासागरविज्ञानी इसे आर्कटिक भूमध्य सागर या केवल आर्कटिक सागर कहते हैं और इसे अन्ध महासागर के भूमध्य सागरों में से एक मानते हैं। लगभग पूरी तरह से यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका से घिरा, आर्कटिक महासागर आंशिक रूप से साल भर में समुद्री बर्फ के ढका रहता है (और सर्दियों में लगभग पूर्ण रूप से).

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