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समरूपता

सूची समरूपता

इस चित्र में समान रंग में रंगे गये ज्यामितीय आकृयाँ परस्पर समरूप हैं। यदि दो ज्यामितीय वस्तुओं का आकार (स्वरूप) समान हो तो उन्हें समरूप (similar) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, यदि दूसरी आकृति की सभी लम्बाइयों को समान अनुपात में घटाकर या बढ़ाकर पहली आकृति प्राप्त की जा सकती है तो ये दोनो आकृतियाँ परस्पर समरूप हैं। किन्ही दो समरूप बहुभुजों की संगत भुजाएं समानुपाती होतीं हैं और संगत कोणों के मान समान होते हैं। सभी वृत्त समरूप होते हैं। दो दीर्घवृत्तों के दीर्घ अक्षों का अनुपात उनके लघु-अक्षों के अनुपात के बराबर हो तो वे भी समरूप होंगे। .

5 संबंधों: दीर्घवृत्त, सर्वांगसमता, वृत्त, क्षेत्रफल, कोण

दीर्घवृत्त

कार्तीय निर्देशांक पद्धति में '''दीर्घवृत्त''' गणित में दीर्घवृत्त एक ऐसा शांकव होता है जिसकी उत्केन्द्रता इकाई से कम होती है। एक अन्य परिभाषा के अनुसार, दीर्घवृत्त ऐसे बिन्दुओं का बिन्दुपथ है जिनकी दो निश्चित बिन्दुओं से दूरी का योग सदैव अचर रहता है। इन निश्चित बिन्दुओं को दीर्घवृत्त की नाभियाँ (Focus) कहते हैं। माना जाता है कि पृथ्वी सहित कई ग्रह सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्तीय कक्षा में घूमते हैं और इस दीर्घवृत्त की एक नाभि पर सूर्य अवस्थित होता है। दीर्घवृत्त इस प्रकार, यह एक वृत्त का सामान्यीकृत रूप होता है। वृत्त एक विशेष प्रकार का दीर्घवृत्त होता है जिसमें दोनों नाभियाँ एक ही स्थान पर होती हैं। एक दीर्घवृत्त का आकार इसकी उत्केन्द्रता से दर्शाया जाता है, जिसका मान दीर्घवृत्त के लिए 0 से लेकर 1 के मध्य होता है। यदि किसी दीर्घवृत्त की उत्केन्द्रता 0 हो तो वह दीर्घवृत्त, एक वृत्त होता है। .

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सर्वांगसमता

'''सर्वांगसमता''' का एक उदाहरण - वायीं तरफ् की दो आकृतियाँ सर्वांगसम हैं; तीसरी आकृति उनके समरूप है; अन्तिम आकृति, पहली दो आकृतियों के '''न''' तो सर्वांगसम है न ही समरूप। ज्यामिति में बिन्दुओं के दो समुच्चय को परस्पर सर्वांगसम (congruent) कहते हैं यदि उनमें से किसी एक समुच्चय को स्थानान्तरण (translation), घूर्णन (rotation), परावर्तन (reflection) या इनके मिश्रित क्रियाओं के द्वारा परिवर्तित करने पर दूसरा समुच्चय प्राप्त किया जा सके। सर्वांगसम .

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वृत्त

किसी एक निश्चित बिंदु से समान दूरी पर स्थित बिंदुओं का बिन्दुपथ वृत्त कहलाता है। यह निश्चित बिंदु, वृत्त का केंद्र कहलाता है, केंद्र और वृत्त की परिधि के किसी भी बिन्दु के बीच की दूरी वृत्त की त्रिज्या कहलाती है। वृत्त एक प्रकार का शांकव होता है जिसकी उत्केंद्रता (Eccentricity) शून्य होती है अर्थात नियता समतल में अनंत पर स्थित होती है। एक वृत्त को एक विशेष प्रकार के दीर्घवृत्त के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जिसमें दोनों नाभियाँ संपाती होती हैं और उत्केन्द्रता 0 होती है। .

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क्षेत्रफल

किसी तल (समतल या वक्रतल) के द्वि-बीमीय (द्वि-आयामी) आकार के परिमाण (माप) को क्षेत्रफल कहते हैं। जिस क्षेत्र के क्षेत्रफल की बात की जाती है वह क्षेत्र प्रायः किसी बन्द वक्र (closed curve) से घिरा होता है। इसे प्राय: m2 (वर्ग मीटर) में मापा जाता है। .

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कोण

"यदि कोई रेखा अपने एक सिरे को स्थिर रखकर घूमती हुई अपनी स्थिति में परिवर्तन करती है, तो रेखा के परिक्रमण की माप को कोण कहते है। "∠, कोण का प्रतीक ज्यामिति में कोण (Angle) वह आकृति है जो एकबिन्दु से दो सरल रेखाओं के निकलने पर बनती है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

समरूप त्रिभुज

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