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सबसे रोशन तारों की सूची

सूची सबसे रोशन तारों की सूची

किसी तारे की चमक उसकी अपने भीतरी चमक, उसकी पृथ्वी से दूरी और कुछ अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी तारे के निहित चमकीलेपन को "निरपेक्ष कान्तिमान" कहते हैं जबकि पृथ्वी से देखे गए उसके चमकीलेपन को "सापेक्ष कान्तिमान" कहते हैं। खगोलीय वस्तुओं की चमक को मैग्निट्यूड में मापा जाता है - ध्यान रहे के यह मैग्निट्यूड जितना कम होता है सितारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है। .

102 संबंधों: चमक, चित्रा तारा, ऍप्सिलन पॅगासाई तारा, ऍप्सिलन महाश्वान तारा, ऍप्सिलन सिगनाए तारा, ऍप्सिलन स्कोर्पाए तारा, ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा, ऍप्सिलन सॅन्टौरी तारा, ऍप्सिलन ओरायोनिस तारा, ऍप्सिलन कराइनी तारा, एटा महाश्वान तारा, एटा सॅन्टौरी तारा, एक्रक्स तारा, डॅल्टा महाश्वान तारा, डॅल्टा स्कोर्पाए तारा, डॅल्टा वलोरम तारा, तारा, तारों की श्रेणियाँ, त्रिशंकु शिर तारा, थेटा स्कोर्पाए तारा, थेटा सॅन्टौरी तारा, द्वितारा, दूरदर्शी, ध्रुव तारा, निरपेक्ष कांतिमान, पुनर्वसु-पॅलक्स तारा, पुनर्वसु-कैस्टर तारा, पुलस्त्य तारा, पुलह तारा, प्रस्वा तारा, प्रकाश-वर्ष, पृथ्वी, बहु तारा, बायर नामांकन, ब्रह्महृदय तारा, बेटा ऐन्ड्रौमिडे तारा, बेटा ध्रुवमत्स्य तारा, बेटा पॅगासाई तारा, बेटा सॅटाए तारा, बेटा ग्रुईस तारा, बेटा कैसिओपिये तारा, बॅलाट्रिक्स तारा, बीटा टाओरी तारा, बीटा महाश्वान तारा, बीटा कराइनी तारा, मायावती तारा, मारीचि तारा, मित्र तारा, मित्रक तारा, मघा तारा, ..., मूल तारा, मीनास्य तारा, राजन्य तारा, रोहिणी तारा, लाम्डा वलोरम तारा, श्रवण तारा, सापेक्ष कांतिमान, सिम्बाद, सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा, स्वाति तारा, सूर्य, हंस तारा, ज़ेटा पपिस तारा, ज़ेटा ओरायोनिस तारा, ज्येष्ठा तारा, वशिष्ठ और अरुंधती तारे, व्याध तारा, खगोलीय मैग्निट्यूड, खगोलीय वस्तु, गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा, गामा ड्रेकोनिस तारा, गामा लियोनिस तारा, गामा सिगनाए तारा, गामा जॅमिनोरम तारा, गामा वलोरम तारा, गामा कैसिओपिये तारा, गेक्रक्स तारा, आयोटा कराइनी तारा, आर्द्रा तारा, आकरनार तारा, कापा स्कोर्पाए तारा, कापा वलोरम तारा, कापा ओरायोनिस तारा, क्रतु तारा, अभिजित तारा, अलफ़र्द तारा, अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस तारा, अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा, अल्फ़ा परसई तारा, अल्फ़ा पैवोनिस तारा, अल्फ़ा पॅगासाई तारा, अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा, अल्फ़ा लूपाई तारा, अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा, अल्फ़ा ग्रुईस तारा, अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी तारा, अल्फ़ा कैसिओपिये तारा, अल्फ़ा अरायटिस तारा, अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा, अगस्ति तारा, अंगिरस तारा, उत्तर फाल्गुनी तारा सूचकांक विस्तार (52 अधिक) »

चमक

चमक, चमकीलापन या रोशनपन दृश्य बोध का एक पहलु है जिसमें प्रकाश किसी स्रोत से उभरता हुआ या प्रतिबिंबित होता हुआ लगता है। दुसरे शब्दों में चमक वह बोध है जो किसी देखी गई वस्तु की प्रकाश प्रबलता से होता है। चमक कोई कड़े तरीके से माप सकने वाली चीज़ नहीं है और अधिकतर व्यक्तिगत बोध के बारे में ही प्रयोग होती है। चमक के माप के लिए प्रकाश प्रबलता जैसी अवधारणाओं का प्रयोग होता है। .

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चित्रा तारा

आसमान में चित्रा तारा ढूँढने का तरीक़ा - स्वाती तारे (आर्कट्युरस) से सीधी लक़ीर खेंचे चित्रा या स्पाइका (Spica), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा वर्जिनिस" (α Virginis या α Vir) है, कन्या तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से पंद्रहवाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 260 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। चित्रा वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसका मुख्य तारा एक नीला दानव तारा है और छोटा तारा एक मुख्य अनुक्रम तारा है।, Elizabeth Howell, 20 जुलाई 2013, SPACE.com, Accessed: 19 Aug 2013,...

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ऍप्सिलन पॅगासाई तारा

ऍप्सिलन पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (ε Pegasi या ε Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८२वाँ सब से रोशन तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४ मैग्नीट्यूड है। ऍप्सिलन पॅगासाई हमसे लगभग ७०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍप्सिलन महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल (हिन्दी नामों के साथ) - ऍप्सिलन महाश्वान तारा ("अधारा") कुत्ते की आकृति के निचले पाऊँ पर स्थित है ऍप्सिलन महाश्वान या अधारा, जिसका बायर नाम "ऍप्सिलन कैनिस मेजोरिस" (ε Canis Majoris या ε CMa) है, महाश्वान तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौबीसवा सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक द्वितारा मंडल है। .

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ऍप्सिलन सिगनाए तारा

हंस (सिग्नस) तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (ε Cygni या ε Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.५ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग ७२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍप्सिलन स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें ऍप्सिलन स्कोर्पाए 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन स्कोर्पाए (ε Sco, ε Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७६वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ६५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२९ है। .

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ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा "ε Sgr" से नामांकित है ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Sgr या ε Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३५वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १४४.६४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। इसका एक बहुत ही धुंधला साथी तारा भी है जिसे ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ बी बुलाया जाता है। .

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ऍप्सिलन सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (ε Centauri या ε Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ३८० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२९ है। .

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ऍप्सिलन ओरायोनिस तारा

नीले महादानव ऍप्सिलन ओरायोनिस तारे की भयंकर रौशनी और विकिरण से इर्द-गिर्द का ऍन॰जी॰सी॰१९९० नामक आणविक बादल उजागर है कालपुरुष (ओरायन) तारामंडल में कालपुरुष की आकृति के कमरबंद के बीच का तारा ऍप्सिलन ओरायोनिस (ε) है कालपुरुष के कमरबंद का नज़दीकी दृश्य - बीच का तारा ऍप्सिलन ओरायोनिस है ऍप्सिलन ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Ori या ε Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक नीला महादानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १३०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७० है। इस तारे का वर्णक्रम बहुत शुद्ध माना जाता है और खगोलशास्त्री इस से उत्पन्न हुए प्रकाश का प्रयोग अंतरतारकीय माध्यम (उर्फ़ "इन्टरस्टॅलर मीडयम", यानि तारों के बीच का व्योम जिसमें गैस, प्लाज़्मा और खगोलीय धूल मिलती है) का अध्ययन करने के लिए करते हैं। ऍप्सिलन ओरायोनिस के चंद लाख सालों में लाल महादानव बनकर महानोवा (सुपरनोवा) धमाके में फटने की संभावना है। वर्तमान में इसके इर्द-गिर्द एक ऍन॰जी॰सी॰१९९० नामक आणविक बादल है जो इस तारे के विकिरण (रेडियेशन) से दमकता है। .

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ऍप्सिलन कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में ऍप्सिलन कराइनी तारा ऍप्सिलन कराइनी द्वितारे के दोनों तारों का काल्पनिक चित्रण ऍप्सिलन कराइनी, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (ε Car या ε Carinae) है, कराइना तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +१.८६ है और यह पृथ्वी से लगभग ६३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। .

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एटा महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल में स्थित एटा महाश्वान तारा एटा महाश्वान, जिसका बायर नाम "एटा कैनिस मेजोरिस" (η Canis Majoris या η CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से एक है। यह हमसे ३,००० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.४५ है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक +२.३८ से +२.४८ मैग्निट्यूड की सीमाओं के बीच बदलती रहती है। .

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एटा सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'η' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है एटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (η Centauri या η Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७७वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे लगभग ३१० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३३ है। .

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एक्रक्स तारा

एक्रक्स एक्रक्स, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा क्रूसिस" (α Crucis या α Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 321 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। एक्रक्स वास्तव में एक बहु तारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। .

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डॅल्टा महाश्वान तारा

डॅल्टा महाश्वान तारा डॅल्टा महाश्वान, जिसका बायर नाम "डॅल्टा कैनिस मेजोरिस" (δ Canis Majoris या δ CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों से ३७वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे १,८०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८३ है। .

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डॅल्टा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें डॅल्टा स्कोर्पाए 'δ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है डॅल्टा स्कोर्पाए (δ Sco, δ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७५वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ४०२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२९ है। .

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डॅल्टा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें डॅल्टा वलोरम "δ" के चिह्न वाला दाएँ नीचे की तरफ़ स्थित तारा है डॅल्टा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (δ Vel या δ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक तारों का मंडल है जिसमें दो द्वितारे दिखाई दिए हैं। इसका सब से रोशन तारा "डॅल्टा वलोरम ए" +२.०३ मैग्निट्यूड की चमक (सापेक्ष कांतिमान) रखता है और पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ४९वाँ सब से रोशन तारा है। अगर डॅल्टा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.९५ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। यह तारे पृथ्वी से लगभग ७९.७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर हैं। .

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तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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तारों की श्रेणियाँ

अभिजीत (वेगा) एक A श्रेणी का तारा है जो सफ़ेद या सफ़ेद-नीले लगते हैं - उसके दाएँ पर हमारा सूरज है जो G श्रेणी का पीला या पीला-नारंगी लगने वाला तारा है खगोलशास्त्र में तारों की श्रेणियाँ उनसे आने वाली रोशनी के वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) के आधार पर किया जाता है। इस वर्णक्रम से यह ज़ाहिर हो जाता है कि तारे का तापमान क्या है और उसके अन्दर कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। अधिकतर तारों कि वर्णक्रम पर आधारित श्रेणियों को अंग्रेज़ी के O, B, A, F, G, K और M अक्षर नाम के रूप में दिए गए हैं-.

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त्रिशंकु शिर तारा

त्रिशंकु शिर, इस चित्र का सब से रोशन तारा (दाँई तरफ) त्रिशंकु शिर, जिसका बायर नाम "बेटा क्रूसिस" (β Crucis या β Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 350 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। त्रिशंकुशिर वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसके मुख्य तारे की श्रेणी B0.5IV है। त्रिशंकु शिर कर्क रेखा के दक्षिण में ही देखा जा सकता है इसलिए उत्तर भारत के अधिकाँश भाग में और यूरोप-वग़ैराह में नहीं देखा जा सकता। मध्य और दक्षिण भारत में इसे देखा जा सकता है। .

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थेटा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें थेटा स्कोर्पाए 'θ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है थेटा स्कोर्पाए (θ Sco, θ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३९वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग २७० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८६ है। .

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थेटा सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'ϑ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है थेटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (θ Centauri या θ Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ६०.९४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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द्वितारा

हबल दूरबीन से ली गयी व्याध तारे की तस्वीर जिसमें अमुख्य "व्याध बी" तारे का बिंदु (बाएँ, निचली तरफ़) मुख्य व्याघ तारे से अलग दिख रहा है द्वितारा या द्विसंगी तारा दो तारों का एक मंडल होता है जिसमें दोनों तारे अपने सांझे द्रव्यमान केंद्र (सॅन्टर ऑफ़ मास) की परिक्रमा करते हैं। द्वितारों में ज़्यादा रोशन तारे को मुख्य तारा बोलते हैं और कम रोशन तारे को अमुख्य तारा या "साथी तारा" बोलते हैं। कभी-कभी द्वितारा और दोहरा तारा का एक ही अर्थ निकला जाता है, लेकिन इन दोनों में भिन्नताएँ हैं। दोहरे तारे ऐसे दो तारे होते हैं जो पृथ्वी से इकठ्ठे नज़र आते हों। ऐसा या तो इसलिए हो सकता है क्योंकि वे वास्तव में द्वितारा मंडल में साथ-साथ हैं या इसलिए क्योंकि पृथ्वी पर बैठे हुए वे एक दुसरे के समीप लग रहे हैं लेकिन वास्तव में उनका एक दुसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है। किसी दोहरे तारे में इनमें से कौनसी स्थिति है वह लंबन (पैरलैक्स) को मापने से जाँची जा सकती है। .

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दूरदर्शी

न्यूटनीय दूरदर्शी का आरेख दूरदर्शी वह प्रकाशीय उपकरण है जिसका प्रयोग दूर स्थित वस्तुओं को देख्नने के लिये किया जाता है। दूरदर्शी से सामान्यत: लोग प्रकाशीय दूरदर्शी का अर्थ ग्रहण करते हैं, परन्तु दूरदर्शी विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के अन्य भागों मै भी काम करता है जैसे X-रे दूरदर्शी जो कि X-रे के प्रति संवेदनशील होता है, रेडियो दूरदर्शी जो कि अधिक तरंगदैर्घ्य की विद्युत चुंबकीय तरंगे ग्रहण करता है। दूरदर्शी साधारणतया उस प्रकाशीय तंत्र (optical system) को कहते हैं जिससे देखने पर दूर की वस्तुएँ बड़े आकार की और स्पष्ट दिखाई देती हैं, अथवा जिसकी सहायता से दूरवर्ती वस्तुओं के साधारण और वर्णक्रमचित्र (spectrograms) प्राप्त किए जाते हैं। दूरवर्ती वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आजकल रेडियो तरंगों का भी उपयोग किया जाने लगा है। इस प्रकार का यंत्र रेडियो दूरदर्शी (radio telescope) कहलाता है। बोलचाल की भाषा में दूरदर्शी को दूरबीन भी कहते हैं। दूरबीन के आविष्कार ने मनुष्य की सीमित दृष्टि को अत्यधिक विस्तृत बना दिया है। ज्योतिर्विद के लिए दूरदर्शी की उपलब्धि अंधे व्यक्ति को मिली आँखों के सदृश वरदान सिद्ध हुई है। इसकी सहायता से उसने विश्व के उन रहस्यमय ज्योतिष्पिंडों तक का साक्षात्कार किया है जिन्हें हम सर्पिल नीहारिकाएँ (spiral nebulae) कहते हैं। ये नीहारिकाएँ हमसे करोड़ों प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं। आधुनिक ज्योतिर्विज्ञान (astronomy) और ताराभौतिकी (astrophysics) के विकास में दूरदर्शी का महत्वपूर्ण योग है। दूरदर्शी ने एक ओर जहाँ मनुष्य की दृष्टि को विस्तृत बनाया है, वहाँ दूसरी ओर उसने मानव को उन भौतिक तथ्यों और नियमों को समझने में सहायता भी दी है जो भौतिक विश्व के गत्यात्मक संतुलन (dynamic equilibirium) के आधार हैं। .

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ध्रुव तारा

ध्रुव मंडल के कुछ तारे, जिनमें से ध्रुव ए (A) मुख्य तारा है कैमरे का लेंस रात्री में लम्बे अरसे तक खुला रख कर रात में आसमान का चित्र खींचा जाए, तो प्रतीत होता है कि सारे तारे ध्रुव तारे के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं ध्रुव तारा, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा उर्साए माइनोरिस" (α Ursae Minoris या α UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ४५वां सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग ४३४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक बहु तारा मंडल है, जिसका मुख्य तारा (ध्रुव "ए") F7 श्रेणी का रोशन दानव तारा या महादानव तारा है। वर्तमान युग में ध्रुव तारा खगोलीय गोले के उत्तरी ध्रुव के निटक स्थित है, यानि दुनिया में अधिकतर जगहों से ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के ऊपर स्थित प्रतीत होता है। इस कारण से तारों से मार्गदर्शन लेते हुए समुद्र या रेगिस्तान जैसी जगहों से निकलने वाले यात्री अक्सर ध्रुव तारे का प्रयोग करते हैं। पृथ्वी के घूर्णन (रोटेशन) से रात्री में आकाश के लगभग सभी तारे धीरे-धीरे घुमते हुए लगते हैं, लेकिन ध्रुव तारा उत्तर की ओर स्थिर लगता है। अगर किसी कैमरे का लेंस लम्बे अरसे तक खुला रख कर रात में आसमान का चित्र खींचा जाए, तो तस्वीर में ऐसा प्रतीत होता है की सारे तारे ध्रुव के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। .

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निरपेक्ष कांतिमान

निरपेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के अपने चमकीलेपन को कहते हैं। मिसाल के लिए अगर किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है कि यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता तो वह कितना चमकीला लगता। इस तरह से "निरपेक्ष कांतिमान" और "सापेक्ष कांतिमान" में गहरा अंतर है। अगर कोई तारा सूरज से बीस गुना ज़्यादा मूल चमक रखता हो लेकिन सूरज से हज़ार गुना दूर हो तो पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के लिए सूरज का सापेक्ष कांतिमान अधिक होगा, हालाँकि दूसरे तारे का निरपेक्ष कांतिमान सूरज से अधिक है। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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पुनर्वसु-पॅलक्स तारा

पुनर्वसु-पॅलक्स और सूरज की तुलना - पुनर्वसु-पॅलक्स एक नारंगी रंग का दानव तारा है पुनर्वसु-पॅलक्स या सिर्फ़ पॅलक्स, जिसका बायर नाम "बेटा जॅमिनोरम" (β Geminorum या β Gem) है, मिथुन तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सत्रहवा सब से रोशन तारा है। प्राचीन भारत में इसे और पुनर्वसु-कैस्टर तारे को मिलकर पुनर्वसु नक्षत्र बनता था। पुनर्वसु-पॅलक्स पृथ्वी से लगभग 34 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। इसके इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। पुनर्वसु-पॅलक्स एक नारंगी दानव तारा है। .

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पुनर्वसु-कैस्टर तारा

पुनर्वसु-कैस्टर तारा पुनर्वसु-कैस्टर या सिर्फ़ कैस्टर, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा जॅमिनोरम" (α Geminorum या α Gem) है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। प्राचीन भारत में इसे और पुनर्वसु-पॅलक्स तारे को मिलकर पुनर्वसु नक्षत्र बनता था। पुनर्वसु-कैस्टर पृथ्वी से लगभग 49.8 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वैज्ञानिकों को पता चला है के यह वास्तव में एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें चार तारे हैं। फिर उन्हें ज्ञात हुआ के इसमें एक और धुंधला-सा दिखने वाला द्वितारा भी गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ है, यानि कुल मिलकर पुनर्वसु-कैस्टर मंडल में छह तारे हैं। इस तीसरे द्वितारे के दोनों सदस्य मुख्य अनुक्रम के बौने तारे हैं - यह असाधारण बात है क्योंकि द्वितारों में ज़्यादातर एक तारा दानव या महादानव तारा होता है। .

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पुलस्त्य तारा

सप्तर्षि तारामंडल में पुलस्त्य तारे (γ UMa) का स्थान पुलस्त्य, जिसका बायर नामांकन "गामा अर्से मॅजोरिस" (γ UMa या γ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का छठा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ८६वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.४१ है। इस तारे का नाम महर्षि पुलस्त्य पर रखा गया है। .

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पुलह तारा

सप्तर्षि तारामंडल में पुलह तारे (β UMa) का स्थान पुलह, जिसका बायर नामांकन "बेटा अर्से मॅजोरिस" (β UMa या β Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का पाँचवा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७८वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ७९ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३४ है। इस तारे का नाम महर्षि पुलह पर रखा गया है। .

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प्रस्वा तारा

हीनश्वान तारामंडल में प्रस्वा का स्थान प्रस्वा या प्रोसीयन, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा कैनिस माइनौरिस" (α Canis Minoris या α CMi) है, हीनश्वान तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से सातवा सब से रोशन तारा है। बिना दूरबीन के आँखों से यह एक तारा लगता है पर दरअसल द्वितारा है, जिनमें से एक "प्रस्वा ए" नाम का सफ़ेद मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी F5 VI-V है और दूसरा "प्रस्वा बी" नामक धुंधला-सा सफ़ेद बौना तारा है जिसकी श्रेणी DA है। वैसे तो प्रस्वा कोई ख़ास चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) नहीं रखता लेकिन पृथ्वी के पास होने से ज़्यादा रोशन लगता है। यह पृथ्वी से ११.४१ प्रकाश-वर्ष दूर है। भारतीय नक्षत्रों में प्रस्वा पुनर्वसु नक्षत्र का भाग माना जाता था, लेकिन उस नक्षत्र में और भी तारे शामिल हैं। .

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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बहु तारा

एच॰डी॰ 188753, जो एक तीन तारों का मंडल है खगोलशास्त्र में बहु तारा दो से अधिक तारों का ऐसा गुट होता है जो पृथ्वी से दूरबीन के ज़रिये देखे जाने पर एक-दूसरे के समीप नज़र आते हैं। ऐसा दो कारणों से हो सकता है -.

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बायर नामांकन

शिकारी तारामंडल के तारे, जिनमें बायर नामांकन के यूनानी अक्षर दिख रहे हैं बायर नामांकन तारों को नाम देने का एक तरीक़ा है जिसमें किसी भी तारामंडल में स्थित तारे को एक यूनानी अक्षर और उसके तारामंडल के यूनानी नाम से बुलाया जाता है। बायर नामों में तारामंडल के यूनानी नाम का सम्बन्ध रूप इस्तेमाल होता है। मिसाल के लिए, पर्णिन अश्व तारामंडल (पॅगासस तारामंडल) के तारों में से तीन तारों के नाम इस प्रकार हैं - α पॅगासाए (α Pegasi), β पॅगासाए (β Pegasi) और γ पॅगासाए (γ Pegasi)। .

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ब्रह्महृदय तारा

ब्रह्महृदय के चार तारों और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज नीचे बीच का पीला वाला गोला है ब्रह्महृदय या कपॅल्ला, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऑराइगे" (α Aurigae या α Aur) है, ब्रह्मा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। बिना दूरबीन के एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें कुल मिलकर चार तारे हैं जो पृथ्वी से एक ही प्रतीत होते हैं। पहले द्वितारे के दोनों तारे G श्रेणी के दानव तारे हैं और दोनों के व्यास (डायामीटर) सूरज के व्यास के लगभग दस गुना हैं। दुसरे द्वितारे के दोनों तारे छोटे और धुंधले से लाल बौने हैं। ब्रह्महृदय मंडल पृथ्वी से लगभग 42.2 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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बेटा ऐन्ड्रौमिडे तारा

बेटा ऐन्ड्रौमिडे (β And) देवयानी (ऐन्ड्रौमेडा) तारामंडल में 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नाम भी यही (β Andromedae या β And) है, देवयानी तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५५वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। वैज्ञानिकों को बेटा ऐन्ड्रौमिडे का एक परिवर्ती तारा होने का शक़ है क्योंकि पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.०१ से २.१० के बीच बदलता रहता है।, database entry, table of suspected variable stars, Combined General Catalog of Variable Stars (GCVS4.2, 2004 Ed.), N. N. Samus, O. V. Durlevich, et al., Centre de Données astronomiques de Strasbourg ID.

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बेटा ध्रुवमत्स्य तारा

ध्रुवमत्स्य (अरसा माइनर) तारामंडल में बेटा ध्रुवमत्स्य 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ध्रुवमत्स्य, जिसका बायर नाम "बेटा उर्साए माइनोरिस" (β Ursae Minoris या β UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५६वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.०७ मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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बेटा पॅगासाई तारा

बेटा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (β Pegasi या β Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८५वाँ सब से रोशन तारा है। यह एक परिवर्ती तारा है और पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.३१ से +२.७४ मैग्नीट्यूड के दरम्यान बदलती रहती है। बेटा पॅगासाई हमसे लगभग १९९ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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बेटा सॅटाए तारा

नासा के चंद्रा ऍक्स-रे दूरबीन से ली गई बेटा सॅटाए की तस्वीर सीटस तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें बेटा सॅटाए "β" के चिह्न वाला दाएँ नीचे की तरफ़ नामांकित तारा है बेटा सॅटाए, जिसका बायर नाम भी यही (β Cet, β Ceti) है, सीटस तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ५०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ९६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.०४ है। आकाश के जिस क्षेत्र में यह नज़र आता है उसमें और कोई रोशन तारे नहीं हैं, जिस वजह से इसे आसानी से देखा जा सकता है। .

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बेटा ग्रुईस तारा

सारस तारामंडल जिसमें बेटा ग्रुईस 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ग्रुईस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (β Gru या β Gruis) दर्ज है, आकाश में सारस तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६०वाँ सब से रोशन तारा है। बेटा ग्रुईस हमसे १७० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.१३ है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक २.० और २.३ मैग्निट्यूड की सीमाओं के बीच बदलती रहती है। .

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बेटा कैसिओपिये तारा

बेटा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (β Cassiopeiae या β Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७१वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२७ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग ५४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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बॅलाट्रिक्स तारा

बॅलाट्रिक्स (बाएँ का नीला तारा) सूरज (बीच का पीला तारा) से बहुत बड़ा है - दाएँ का लाल तारा ऐल्गोल बी है बॅलाट्रिक्स, जिसका बायर नाम "गामा ओरायोनिस" (γ Orionis या γ Ori) है, कालपुरुष तारामंडल का तीसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २७वा सब से रोशन तारा भी है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) १.५९ से १.६४ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है। यह पृथ्वी से २४५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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बीटा टाओरी तारा

काल्पनिक रेखाओं से बनी वृष तारामंडल की आकृति - बीटा टाओरी इस आकृति का सबसे ऊपर-दाई तरफ़ का तारा है मंगल और चन्द्रमा के बीच लटकते बीटा टाओरी (एल्नैट) की एक निशाकालीन तस्वीर बीटा टाओरी, जिसका बायर नामांकन में भी यही नाम (β Tau या β Tauri) दर्ज है, वृष तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड) १.६८ है और यह पृथ्वी से १३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २८वा सब से रोशन तारा भी है। .

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बीटा महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल में 'β' द्वारा नामांकित बीटा महाश्वान तारा बीटा महाश्वान, जिसका बायर नाम "बीटा कैनिस मेजोरिस" (β Canis Majoris या β CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों से ४६वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे ५०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९८ है। .

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बीटा कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में बीटा कराइनी तारा बीटा कराइनी, जिसका बायर नामांकन में भी यही नाम (β Car या β Carinae) दर्ज है, कराइना तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.६८ है और यह पृथ्वी से ११० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २९वाँ सब से रोशन तारा भी है। .

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मायावती तारा

द्वितारे में एक तारे के कभी खुले चमकने और कभी ग्रहण हो जाने से उसकी चमक परिवर्तित होती रहती है - नीचे की लक़ीर पृथ्वी तक पहुँच रही चमक को माप रही है ययाति (पर्सियस) तारामंडल में मायावती (अलग़ोल) तारा 'β' द्वारा नामांकित है मायावती या अलग़ोल, जिसका बायर नाम बेटा परसई (β Persei या β Per) है, ययाति तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५९वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह एक ऐसा द्वितारा है जिसके मुख्य तारे के इर्द-गिर्द घूमता साथी तारा कभी तो उसके और पृथ्वी के बीच आ जाता है और कभी नहीं। इस से यह पृथ्वी से एक परिवर्ती तारा लगता है जिसकी चमक बदलती रहती है। वैदिक काल में इसकी मायावी बदलती प्रकृति के कारण ही इसका नाम "मायावती" पड़ा। इसे पश्चिम और अरब संस्कृतियों में एक दुर्भाग्य का तारा माना जाता था। यह पृथ्वी से लगभग ९३ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) वैसे तो +२.१० मैग्नीट्यूड पर रहती है लेकिन हर २ दिन २० घंटे और ४९ मिनटों के बाद इसकी चमक गिरकर +३.४ हो जाती है (याद रखें कि मैग्नीट्यूड एक ऐसा उल्टा माप है कि यह जितना कम हो रोशनी उतनी अधिक होती है)। .

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मारीचि तारा

सप्तर्षि तारामंडल में मारीचि तारे (η UMa) का स्थान मारीचि, जिसका बायर नामांकन "एटा अर्से मॅजोरिस" (η UMa या η Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३८वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १०१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८५ है। .

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मित्र तारा

मित्र मंडल के तीन तारों और हमारे सूरज के आकारों और रंगों की आपस में तुलना शक्तिशाली दूरबीन के ज़रिये मित्र तारे का एक दृश्य (बीच का सब से रोशन तारा) मित्र "बी" की परिक्रमा करते ग़ैर-सौरीय ग्रह का काल्पनिक चित्रण मित्र या अल्फ़ा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम α Centauri या α Cen है, नरतुरंग तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौथा सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से एक दिखने वाला मित्र तारा वास्तव में तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इनमें से दो तो एक द्वितारा मंडल में हैं और इन्हें मित्र "ए" और मित्र "बी" कहा जाता है। तीसरा तारा इनसे कुछ दूरी पर है और उसे मित्र "सी" या "प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी" का नाम मिला है। सूरज को छोड़कर, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे 4.24 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता। अक्टूबर २०१२ में वैज्ञनिकों ने घोषणा करी कि मित्र तारा मंडल के एक तारे (मित्र "बी") के इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। इस ग्रह का नाम 'मित्र बी-बी' (Alpha Centauri Bb) रखा गया और यह पृथ्वी से सब से नज़दीकी ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है लेकिन यह अपने तारे के बहुत पास है और वासयोग्य क्षेत्र में नहीं पड़ता।, Mike Wall, 16 अक्टूबर 2012, NBC News, Accessed: 19 अक्टूबर 2012,...

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मित्रक तारा

मित्रक या बेटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम β Centauri या β Cen है और जिसे हदर के नाम से भी जाना जाता है, नरतुरंग तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से दसवा सब से रोशन तारा भी है। तारों के श्रेणीकरण के हिसाब से इसे "B1 III" की श्रेणी दी जाती है। .

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मघा तारा

मघा (रॅग्युलस) तारा मघा या रॅग्युलस​, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लियोनिस" (α Leonis या α Leo) है, सिंह तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से बाईसवा सब से रोशन तारा है। मघा हमारे सौर मंडल से लगभग 77.5 प्रकाश-वर्ष दूर है। वास्तव में मघा एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि कुल मिलकर चार तारे हैं। .

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मूल तारा

मूल तारा (λ Sco) वॄश्चिक तारामंडल में ठीक बिच्छु की काल्पनिक आकृति के डंक पर स्थित "λ" के निशान वाला तारा है मूल या शौला, जिसका बायर नाम "लाम्डा स्कोर्पाए" (λ Scorpii या λ Sco) है, वॄश्चिक तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले पच्चीसवा सब से रोशन तारा है। मूल तारा एक बहु तारा मंडल है जिसके तीन हिस्से दिखते हैं। .

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मीनास्य तारा

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) मीनास्य या फ़ुमलहौत, जिसे बायर नामांकन के अनुसार α पाइसिस ऑस्ट्राइनाइ (α PsA) कहा जाता है, दक्षिण मीन तारामंडल का भी सब से रोशन तारा है और पृथ्वी के आकाश में नज़र आने वाले तारों में से भी सब से ज़्यादा रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ेयर) में पतझड़ और सर्दी के मौसम में शाम के वक़्त दक्षिणी दिशा में आसमान में पाया जाता है। यह पृथ्वी से २५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और इस से अत्यधिक अधोरक्त (इन्फ़्रारॅड) प्रकाश उत्पन्न होता है, जिसका अर्थ यह है के यह एक मलबे के चक्र से घिरा हुआ है। ग़ैर-सौरीय ग्रहों की खोज में फ़ुमलहौत का ख़ास स्थान है क्योंकि यह पहला ग्रहीय मण्डल है जिसके एक ग्रह (फ़ुमलहौत बी) की तस्वीर खीची जा सकी थी।, Chris Kitchin, Springer, 2011, ISBN 978-1-4614-0643-3,...

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राजन्य तारा

राजन्य और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज बाएँ पर है राजन्य या राइजॅल, जिसका बायर नाम "बेटा ओरायोनिस" (β Orionis या β Ori) है, कालपुरुष तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से छठा सब से रोशन तारा भी है। इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) 0.18 मैग्निट्यूड पर मापी गयी है। यह पृथ्वी से 700-900 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। राजन्य एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज के द्रव्यमान से 17 गुना द्रव्यमान (मास) है। इसकी अंदरूनी चमक (या निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की चमक की 85,000 गुना है। .

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रोहिणी तारा

रोहिणी और सूरज के आकारों और रंगों की तुलना रोहिणी या ऐल्डॅबरैन, जिसे बायर नामांकन में ऐल्फ़ा टौ (α Tau) कहते हैं, पृथ्वी से ६५ प्रकाश-वर्ष दूर वृष तारामंडल में स्थित एक नारंगी दानव तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) ०.८७ है और यह अपने तारामंडल का सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से भी दिखने वाले सारे तारों में से इसकी चमक सब से अधिक रोशन तारों में गिनी जाती है। संस्कृत में रोहिणी का अर्थ "लाल हिरण" होता है जो इस तारे की लालिमा की ओर इशारा है। .

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लाम्डा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें लाम्डा वलोरम "λ" के चिह्न वाला तारा है लाम्डा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (λ Velorum या λ Vel) है, पाल तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२३ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५७० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक K श्रेणी का चमकीला दानव या महादानव तारा है। लाम्डा वलोरम एक परिवर्ती तारा भी है जिसकी चमक समय के साथ-साथ +२.१४ से +२.३० मैग्नीट्यूड के बीच चढ़ती-उतरती रहती है। .

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श्रवण तारा

श्रवण और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज पीला वाला गोला है तेज़ घूर्णन से श्रवण ध्रुवों पर पिचक गया है श्रवण या ऐल्टेयर, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा अक्विला" (α Aquila या α Aql) है, गरुड़ तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से बारहवाँ सब से रोशन तारा है। यह एक A श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। श्रवण बहुत तेज़ी से घूर्णन करता है (यानि अपने अक्ष पर घूमता है) - इसकी मध्य रेखा पर इसके घूर्णन की रफ़्तार 286 किलोमीटर प्रति सैकिंड है, जिस वजह से इसका गोल अकार ध्रुवों पर पिचक गया है।Resolving the Effects of Rotation in Altair with Long-Baseline Interferometry, D. M. Peterson et al., The Astrophysical Journal 636, #2 (January 2006), pp.

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सापेक्ष कांतिमान

क्षुद्रग्रह ६५ सिबअली और २ तारे जिनकें सापेक्ष कान्तिमान (apmag) लिखे गए हैं सापेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के पृथ्वी पर बैठे दर्शक द्वारा प्रतीत होने वाले चमकीलेपन को कहते हैं। सापेक्ष कान्तिमान को मापने के लिए यह शर्त होती है कि आकाश में कोई बादल, धूल, वगैरा न हो और वह वस्तु साफ़ देखी जा सके। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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सिम्बाद

स्त्रासबूर्ग की वेधशाला सिम्बाद (अंग्रेज़ी: SIMBAD) हमारे सौर मंडल के बाहर पायी गयी खगोलीय वस्तुओं का एक कोष है। इसकी देख-रेख फ्रांस में स्थित "स्त्रासबूर्ग खगोलीय जानकारी केंद्र" (Centre de données astronomiques de Strasbourg) करता है। १४ जून २००७ तक इस कोष में ३८,२४,१९५ वस्तुएँ दर्ज थीं जिनके लिए १,१२,००,७९५ नाम भी दर्ज थे। इस केंद्र के योगदान को पहचानते हुए एक क्षुद्रग्रह का नाम इसके ऊपर "४६९२ सिम्बाद" रखा गया। .

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सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा "σ Sgr" से नामांकित है सिग्मा सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (σ Sgr या σ Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २२८ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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स्वाति तारा

सूरज की तुलना में स्वाति का व्यास लगभग 25 गुना है स्वाति या आर्कट्युरस (अंग्रेजी: Arcturus) ग्वाला तारामंडल में स्थित एक नारंगी रंग का दानव तारा है। इसका बायर नाम "अल्फ़ा बोओटीस" (α Boötis) है। यह आकाश का तीसरा सब से रोशन तारा है। इसका सापेक्ष कान्तिमान (चमक) -0.04 मैग्निट्यूड है। स्वातिपृथ्वी से 36.7 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और हमारे सूरज से 25.7 गुना व्यास (डायामीटर) रखता है। इसका सतही तापमान 4,300 कैल्विन अनुमानित किया जाता है। स्वाति के अध्ययन से यह शंका पैदा हो गयी है के इसका द्वितारा होने की सम्भावना है जिसमें इसका साथी तारा इस से 20 गुना कम चमक वाला है, लेकिन यह अभी पूरी तरह प्रमाणित नहीं हुआ है। .

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सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

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हंस तारा

हंस तारा हमारे सूरज से 200 गुना से भी ज़्यादा बड़ा है हंस या डॅनॅब​, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा सिगनाए" (α Cygni या α Cyg) है, हंस तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से उन्नीसवा सब से रोशन तारा है। हंस तारे की अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) बहुत भयंकर है और इसका माप -7.0 मैग्नीट्यूड है। यह सूरज से 60,000 गुना ज़्यादा चमकीला है। .

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ज़ेटा पपिस तारा

ज़ेटा पपिस का एक काल्पनिक चित्रण ज़ेटा पपिस, जिसका बायर नाम भी यही (ζ Puppis या ζ Pup) है, पपिस तारामंडल का सब से रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६२वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग १,०९० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक O श्रेणी का अत्यंत गरम नीला महादानव तारा है। .

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ज़ेटा ओरायोनिस तारा

ज़ेटा ओरायोनिस एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज से बहुत बड़ा है ज़ेटा ओरायोनिस कालपुरुष तारामंडल में आंच नीहारिका (फ़्लेम नेब्युला) के समीप नज़र आता है ज़ेटा ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ζ Ori या ζ Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इसका मुख्य तारा (जिसे "ज़ेटा ओरायोनिस ए" कहा जाता है) एक अति-गरम नीला महादानव तारा है और यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०४ है। अगर तीनों तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७२ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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ज्येष्ठा तारा

स्वाती (आर्कत्युरस) भी दिखाया गया है ज्येष्ठा या अन्तारॅस, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा स्कोर्पाए" (α Scorpii या α Sco) है, वॄश्चिक तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सोलहवा सब से रोशन तारा है। ज्येष्ठा समय के साथ अपनी चमक कम-ज़्यादा करने वाला एक परिवर्ती तारा है जिसकी औसत चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +1.09 मैग्नीट्यूड है। यह पृथ्वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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वशिष्ठ और अरुंधती तारे

वशिष्ठ और अरुंधती तारे सप्तर्षि तारामंडल में ध्यान से देखने पर वशिष्ठ के पास अरुंधती तारा धुंधला-सा नज़र आता है वशिष्ठ, जिसका बायर नामांकन "ज़ेटा अर्से मॅजोरिस" (ζ UMa या ζ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का चौथा सब से रोशन तारा है, जो पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७०वाँ सब से रोशन तारा भी है। शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात हुआ है कि यह वास्तव में ४ तारों का एक मंडल है। इसके बहुत पास इस से काफ़ी कम रोशनी वाला अरुंधती तारा (बायर नाम: ८० अर्से मॅजोरिस, 80 UMa) दिखता है जो स्वयं एक द्वितारा है। इन दोनों के मिलकर जो ६ तारे हैं वे एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण से बंधे हुए हैं और पृथ्वी से लगभग ८१ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वशिष्ठ का चार-तारा मंडल और अरुंधती का द्वितारा एक दूसरे से अनुमानित १.१ प्रकाश वर्ष की दूरी रखते हैं। वशिष्ठ की पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२३ है लेकिन इसके सबसे रोशन तारे की चमक +२.२७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे कि मैग्निट्यूड एक उल्टा माप है और यह जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन लगता है। .

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व्याध तारा

व्याध एक द्वितारा है जिसके "व्याध ए" और "व्याध बी" तारे इस तस्वीर में देखे जा सकते हैं (व्याध बी नीचे बाएँ पर स्थित बिंदु है) व्याध तारा(Sirius) पृथ्वी से रात के सभी तारों में सब से ज़्यादा चमकीला नज़र आता है। इसका सापेक्ष कान्तिमान -१.४६ मैग्निट्यूड है जो दुसरे सब से रोशन तारे अगस्ति से दुगना है। दरअसल जो व्याध तारा बिना दूरबीन के आँख से एक तारा लगता है वह वास्तव में एक द्वितारा है, जिसमें से एक तो मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी A1V है जिसे "व्याध ए" कहा जा सकता है और दूसरा DA2 की श्रेणी का सफ़ेद बौना तारा है जिसे "व्याध बी" बुलाया जा सकता है। यह तारे महाश्वान तारामंडल में स्थित हैं। व्याध पृथ्वी से लगभग ८.६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। व्याध ए सूरज से दुगना द्रव्यमान रखता है जबकि व्याध बी का द्रव्यमान लगभग सूरज के बराबर है। .

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खगोलीय मैग्निट्यूड

खगोलशास्त्र में खगोलीय मैग्निट्यूड या खगोलीय कान्तिमान किसी खगोलीय वस्तु की चमक का माप है। इसका अनुमान लगाने के लिए लघुगणक (लॉगरिदम) का इस्तेमाल किया जाता है। मैग्निट्यूड के आंकडे परखते हुए एक ध्यान-योग्य चीज़ यह है के किसी वस्तु का मैग्निट्यूड जितना कम हो वह वस्तु उतनी ही अधिक रोशन होती है। पृथ्वी पर बैठे हुए दर्शक के लिए -.

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खगोलीय वस्तु

आकाशगंगा सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं - एन॰जी॰सी॰ ४४१४ हमारे सौर मण्डल से ६ करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष के व्यास की आकाशगंगा है खगोलीय वस्तु ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है, यानि जिसकी रचना मनुष्यों ने नहीं की होती है। इसमें तारे, ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, गैलेक्सी आदि शामिल हैं। .

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गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा

गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा गामा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (γ And या γ Andromedae) है, देवयानी तारामंडल का तीसरा सब से रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२६ है और यह पृथ्वी से ३५० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६९वाँ सब से रोशन तारा भी है। वैसे पृथ्वी से एक दिखने वाले इस तारे में शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर वास्तव में चार अलग तारे दिखते हैं। कम शक्तिशाली दूरबीन से यह दो तारों सा प्रतीत होता है - एक रोशन पीले रंग का और एक धुंधला सा गहरे नीले रंग का। इन दो अलग रंगों कि वजह से इसे एक सुन्दर दोहरा तारा समझा जाता है। .

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गामा ड्रेकोनिस तारा

शिशुमार तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें गामा ड्रेकोनिस नीचे बाई तरफ स्थित "γ" के चिह्न वाला तारा है गामा ड्रेकोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Draconis या γ Dra) है, शिशुमार तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६४वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२३ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग १४८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक K श्रेणी का नारंगी दानव तारा है। .

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गामा लियोनिस तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में गामा लियोनिस तारा 'γ' द्वारा नामांकित है ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण गामा लियोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Leonis या γ Leo) है, सिंह तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है (जो बिना दूरबीन से देखने पर एक ही तारा प्रतीत होता है)। इस जोड़े का अधिक रोशन तारा पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२८ मैग्नीट्यूड है और दोनों तारों की चमक मिलाकर +१.९८ मैग्नीट्यूड है (ध्यान दें की मैग्नीट्यूड ऐसा उल्टा माप है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। यह द्वितारा पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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गामा सिगनाए तारा

गामा सिगनाए आई॰सी॰१३१८ (IC1318) नामक नीहारिका (नॅब्युला) से घिरा हुआ है, जो इस चित्र में दिखाई गई है गामा सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (γ Cygni या γ Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६६वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२४ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग १,५०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। गामा सिगनाए तारा एक आई॰सी॰१३१८ (IC1318) नामक नीहारिका (नॅब्युला) से घिरा हुआ है। .

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गामा जॅमिनोरम तारा

मिथुन तारामंडल (फ़्रांसीसी में) - गामा जॅमिनोरम 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा जॅमिनोरम (γ Gem, γ Geminorum), जिसका बायर नाम में भी यही है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है (पुनर्वसु-पॅलक्स तारे के बाद)। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १०५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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गामा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें गामा वलोरम "γ" के चिह्न वाला सबसे दाएँ पर स्थित तारा है गामा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (γ Vel या γ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक पाँच तारों का मंडल है जो एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षक बंधन रखते हैं। इसका मुख्य तारा, जिसे "γ वलोरम ए" या "γ२ वलोरम" कहते हैं, वास्तव में एक द्वितारा है जिसका एक तारा एक नीला महादानव तारा है और दूसरा एक बहुत ही रोशन वुल्फ़-रायेट तारा है। पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७८ है और यह पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ३४वां सब से रोशन तारा है। अगर गामा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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गामा कैसिओपिये तारा

गामा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (γ Cassiopeiae या γ Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल का एक तारा है। यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२० और +३.४० मैग्नीट्यूड के बीच बदलती रहती है। यह तारा बहुत तेज़ी से अपने अक्ष (ऐक्सिस) पर घूर्णन कर रहा है जिस से एक तो इसका अकार पिचक गया है और दूसरा इसकी सतह से कुछ द्रव्य उखड़-उखड़कर इसके इर्द-गिर्द एक छल्ले के रूप में घूमता है। इसी छल्ले की वजह से इस तारे की चमक कम-ज़्यादा होती रहती है। खगोलशास्त्र में ऐसे सभी तारों की एक श्रेणी बनी हुई है जिसके सदस्यों को इसी तारे के नाम पर "गामा कैसिओपिये परिवर्ती" तारे कहा जाता है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से एक है। गामा कैसिओपिये हमसे लगभग ६१० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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गेक्रक्स तारा

त्रिशंकु तारामंडल के इस चित्र में गेक्रक्स सब से ऊपर का रोशन तारा है गेक्रक्स, जिसका बायर नाम "गामा क्रूसिस" (γ Crucis या γ Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का से स्थित एक लाल दानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग ८८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं और पृथ्वी का सब से समीपी लाल दानव तारा है। इसका गहरा लाल-नारंगी रंग खगोलशास्त्रियों में प्रसिद्ध है। गेक्रक्स वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। मुख्य लाल दानव तारे का एक सफ़ेद बौना साथी तारा भी है। .

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आयोटा कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में आयोटा कराइनी तारा आयोटा कराइनी, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (ι Car या ι Carinae) है, कराइना तारामंडल का एक तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२५ है और यह पृथ्वी से ६९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६८वाँ सब से रोशन तारा भी है। .

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आर्द्रा तारा

आर्द्रा या बीटलजूस, जिसका बायर नाम α ओरायनिस (α Orionis) है, कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक लाल महादानव तारा है।, Stephen D. Butz, Cengage Learning, 2002, ISBN 978-0-7668-3391-3,...

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आकरनार तारा

बहुत तेज़ी से घूर्णन करने की वजह से आकरनार का आकार पिचका हुआ है आकरनार स्रोतास्विनी तारामंडल के आख़िर में स्थित है - "स्रोतास्विनी" का अर्थ "नहर" होता है और "आकरनार" नाम "आख़िर अन-नहर" का बिगड़ा रूप है आकरनार, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऍरिडानी" (α Eridani या α Eri) है, स्रोतास्विनी तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से नौवा सब से रोशन तारा भी है। आकरनार बहुत गरम है और इसलिए इसका रंग नीला है। हालाँकि यह सूरज की ही तरह का एक मुख्य अनुक्रम तारा है, फिर भी इसकी चमक सूरज की 3,000 गुना है। तारों के श्रेणीकरण के हिसाब से इसे B3 की श्रेणी दी जाती है। यह पृथ्वी से 144 प्रकाश-वर्षों की दूरी पर है। आकरनार की एक सिफ़्त यह है की यह तारा बहुत तेज़ी से घूर्णन कर रहा है (यानि अपने अक्ष पर घूम रहा है) के इसका गोल अकार पिचक गया है और इसके मध्यरेखा की चौड़ाई इसके अक्ष की लम्बाई से 56% ज़्यादा है। पूरी आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में जितने तारों का अध्ययन हुआ है यह उन सारों में से सब से पिचका हुआ तारा है। .

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कापा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें कापा स्कोर्पाए 'κ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है कापा स्कोर्पाए (κ Sco, κ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह पृथ्वी से लगभग ४६० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३९ है। .

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कापा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें कापा वलोरम "κ" के चिह्न वाला तारा है कापा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (κ Velorum या κ Vel) है, पाल तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४७ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५४० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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कापा ओरायोनिस तारा

कालपुरुष (ओरायन) तारामंडल में कापा ओरायोनिस 'κ' द्वारा नामांकित बाएँ नीचे की तरफ वाला तारा है कापा ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (κ Ori या κ Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल का छठा सब से रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे लगभग ७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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क्रतु तारा

सप्तर्षि तारामंडल में क्रतु तारे (α UMa) का स्थान क्रतु, जिसका बायर नामांकन "अल्फ़ा अर्से मॅजोरिस" (α UMa या α Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का तीसरा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। यह वास्तव में एक बहु तारा मंडल है। .

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अभिजित तारा

अभिजित या वेगा (Vega), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लायरे" (α Lyrae या α Lyr) है, लायरा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से पाँचवा सब से रोशन तारा भी है। अभिजित पृथ्वी से 25 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। खगोलशास्त्री हज़ारों सालों से अभिजित का अध्ययन करते आए हैं और कभी-कभी कहा जाता है के यह "सूरज के बाद शायद आसमान में सब से महत्त्वपूर्ण तारा है"। .

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अलफ़र्द तारा

जलसर्प (हाइड्रा) तारामंडल में स्थित 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अलफ़र्द, जिसका बायर नाम में "अल्फ़ा हाइड्रे" (α Hya, α Hydrae) है, जलसर्प तारामंडल का सब से रोशन तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४७वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १७७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९८ है। .

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अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस तारा

दक्षिण त्रिकोण तारामंडल में अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस बाईं तरफ़ 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस (α TrA, α Trianguli Australis), जिसका बायर नाम में भी यही है, दक्षिण त्रिकोण तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ४२० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९१ है। वैज्ञानिकों को पक्का ज्ञात नहीं है लेकिन इसके दोहरे तारे होने की संभावना है। .

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अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा

अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे देवयानी तारामंडल में अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे का स्थान अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नाम भी यही (α Andromedae या α And) है, देवयानी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५४वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ९७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। पृथ्वी से एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में एक द्वितारा है जिसके दो तारे एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर एक-दूसरे की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें से ज़्यादा रोशन तारे के वातावरण विचित्र है: उसमें बहुत अधिक मात्रा में पारा और मैंगनीज़ पाए गए हैं और वह सब से रोशन ज्ञात पारा-मैंगनीज़ तारा है।See §4 for component parameters and Table 3, §5 for elemental abundances in .

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अल्फ़ा परसई तारा

तारागुच्छ के छोटे तारे भी इसके इर्द-गिर्द नज़र आ रहे हैं अल्फ़ा परसई जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (α Per या α Persei) दर्ज है, आकाश में ययाति तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३६वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे ५९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८२ है। यह एक पीला-सफ़ेद महादानव तारा है। इसके इर्द-गिर्द और भी कई तारों का खुला तारागुच्छ है जिसे "अल्फ़ा परसई तारागुच्छ" कहा जाता है। .

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अल्फ़ा पैवोनिस तारा

मोर तारामंडल (पोलिश भाषा में) - अल्फ़ा पैवोनिस चित्र के ऊपर की तरफ़ 'Peacock' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा पैवोनिस (α Pav, α Pavonis), जिसका बायर नाम में भी यही है, मोर तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १८३ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९४ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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अल्फ़ा पॅगासाई तारा

अल्फ़ा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (α Pegasi या α Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८९वाँ सब से रोशन तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४९ मैग्नीट्यूड है। अल्फ़ा पॅगासाई हमसे लगभग १३३ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा

अमरपक्षी (फ़ीनिक्स) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा फ़ीनाइसिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Phoenicis या α Phe) है, अमरपक्षी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७९वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.४ है। .

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अल्फ़ा लूपाई तारा

वृक (लूपस) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा लूपाई, जिसका बायर नाम भी यही (α Lupi या α Lup) है, वृक तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७४वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ५५० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.३ है। .

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अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (α Cephei या α Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह हमसे क़रीब ४९ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.५ है। .

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अल्फ़ा ग्रुईस तारा

सारस तारामंडल जिसमे अल्फ़ा ग्रुईस 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ग्रुईस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (α Gru या α Gruis) दर्ज है, आकाश में सारस तारामंडल में स्थित एक उपदानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३२वाँ सब से रोशन तारा है। अल्फ़ा ग्रुईस हमसे १०१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७४ है। .

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अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी तारा

सर्पधारी (ऑफ़ीयूकस) तारामंडल में अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी, जिसका बायर नाम भी यही (α Ophiuchi या α Oph) है, सर्पधारी तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५८वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग ४७ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.१० मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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अल्फ़ा कैसिओपिये तारा

अल्फ़ा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (α Cassiopeiae या α Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६७वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२४ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग २२८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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अल्फ़ा अरायटिस तारा

मेष (एरीज़) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा अरायटिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Ari, α Arietis) है, मेष तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४८वाँ सब से रोशन तारा है।, database entry, The Bright Star Catalogue, 5th Revised Ed.

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अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा

उत्तरकिरीट (या कोरोना बोरिऐलिस) तारामंडल में "α" द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा उत्तरकिरीट, जिसका बायर नाम अल्फ़ा कोरोनाए बोरिऐलिस (α Coronae Borealis या α CrB) है, उत्तरकिरीट तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका बड़ा तारा, जिसे अल्फ़ा उत्तरकिरीट 'ए' (α CrB A) कहा जाता है, पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६५वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस द्वितारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ७५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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अगस्ति तारा

अगस्ति तारा एक अत्यंत रोशन तारा है कराइना तारामंडल में अगस्ति तारा अगस्ति या कनोपस कराइना तारामंडल का सबसे रोशन तारा है और और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से दूसरा सब से रोशन तारा है। यह F श्रेणी का तारा है और इसका रंग सफ़ेद या पीला-सफ़ेद है। इसका पृथ्वी से प्रतीत होने वाले चमकीलापन (यानि "सापेक्ष कान्तिमान") -०.७२ मैग्निट्यूड है जबकि इसका अंदरूनी चमकीलापन (यानि "निरपेक्ष कान्तिमान") -५.५३ मापा जाता है। यह पृथ्वी से लगभग ३१० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। .

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अंगिरस तारा

सप्तर्षि तारामंडल में अंगिरस तारे (ε UMa) का स्थान अंगिरस, जिसका बायर नामांकन "ऍप्सिलन अर्से मॅजोरिस" (ε UMa या ε Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ८१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७६ है। .

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उत्तर फाल्गुनी तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में उत्तर फाल्गुनी (डॅनॅबोला) तारा 'Denebola' द्वारा नामांकित है उत्तर फाल्गुनी या डॅनॅबोला, जिसका बायर नाम बेटा लियोनिस (β Leonis या β Leo) है, सिंह तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६१वाँ सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.१४ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ३६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र में यह तारा एक नक्षत्र मना जाता था। यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक चंद घंटों के काल में हलकी-सी ऊपर-नीचे होती रहती है। .

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