4 संबंधों: रायपुर, सतनामी विद्रोह, साध, गुरू घासीदास विश्वविद्यालय।
रायपुर
रायपुर छत्तीसगढ की राजधानी है। यह देश का २६ वां राज्य है। ०१ नवम्बर २००० को मध्यप्रदेश से विभाजित छत्तीसगढ़ का निर्माण किया गया। .
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सतनामी विद्रोह
सनातनी पंथ के अनुयायियों ने सन १६७२ में औरंगजेब के विरुद्ध एक विद्रोह किया था। इस विद्रोह के बारे फारस का इतिहासकार खफ़ी ख़ान लिखता है कि नारनौल में शिकदार (राजस्व अधिकारी) के एक प्यादे (पैदल सैनिक) ने एक सतनामी किसान का लाठी से सिर फोड़ दिया। इसे सतनामियों ने अत्याचार के रूप में लिया और उस सैनिक को मार डाला। शिकदार ने सतनामियों को गिरफ्तार करने के लिये एक टुकड़ी भेजी, पर वह परास्त हो गयी। सतनामियों ने इसे अपने धर्म के विरुद्ध आक्रमण समझा और उन्होंने बादशाह के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा कर दी। उन्होंने नारनौल के फौजदार को मार डाला और अपनी स्वतन्त्र सत्ता स्थापित करके वहाँ के लोगों से राजस्व बसूलने लगे। दिन-पर-दिन हिंसा बढ़ती गयी। इसी बीच आसपास के जमींदारों और राजपूत सरदारों ने अवसर का लाभ उठाकर राजस्व पर अपना कब्जा कर लिया। जब औरंगजेब को इस बग़ावत की खबर मिली, तो उसने राजा बिशेन सिंह, हामिद खाँ और कुछ मुग़ल सरदारों के प्रयास से कई हजार विद्रोही सतनामियों को मरवा दिया, जो बचे वे भाग गये। इस प्रकार यह विद्रोह कुचल दिया गया। .
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साध
साध उन कुछ अन्तर्विवाही में से एक है जो हिन्दू धर्म में गिना जाता है। वो भगवान को सतवगात् के नाम से पुकारते हैं जिसका अर्थ "सत्य नाम"। उनकी अधिकतर प्रथायें और परम्परायें हिन्दू धर्म के संगत होती हैं क्योंकि वो हिन्दू धर्म से परिवर्तन के बाद ही बने हैं। इनकी आबादी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में है। यह भारत के सबसे धनी लोगों में से एक हैं। ये मुख्यतः श्वेत वस्त्र पहनते हैं और मादक द्रव्य तथा मांसाहार से दूरी बनाकर रखते हैं। .
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गुरू घासीदास विश्वविद्यालय
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय भारत का एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना 16 जून 1983 को तत्कालीन मध्यप्रदेश के बिलासपुर में हुई थी। मप्र के विभाजन के पश्चात बिलासपुर छत्तीसगढ़ में शामिल हो गया। जनवरी 2009 में केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश में केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के माध्यम से इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। औपचारिक रूप से गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU), राज्य विधानसभा के अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था, औपचारिक रूप से 16 जून 1983 को उद्घाटन किया गया। यह भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ और राष्ट्रमंडल विश्वविद्यालय संघ का एक सक्रिय सदस्य है। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से बी+ के रूप में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है। सामाजिक और आर्थिक रूप से चुनौती वाले क्षेत्र में स्थित विश्वविद्यालय को उचित नाम, महान संत गुरू घासीदास (जन्म 17 वीं सदी में) के सम्मान स्वरूप दिया गया जिन्होने दलितों, सभी सामाजिक बुराइयों और समाज में प्रचलित अन्याय के खिलाफ एक अनवरत संघर्ष छेड़ा था। विश्वविद्यालय एक आवासीय सह सम्बद्ध संस्था है, इसका अधिकार क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर राजस्व डिवीजन है। .
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