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सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक

सूची सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक

सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक (active galactic nucleus) या स॰गै॰ना॰ (AGN) किसी गैलेक्सी के केन्द्र में ऐसा एक संकुचित क्षेत्र होता है जिसमें असाधारण तेजस्विता हो। यह विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के पूर्ण या ऐसे भाग में हो सकता है जिस से स्पष्ट हो जाए कि इस तेजस्विता का स्रोत केवल तारे नहीं हो सकते। इस प्रकार का विकिरण रेडियो, सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव), अवरक्त (इन्फ़्रारेड), प्रत्यक्ष (ओप्टीकल), पराबैंगनी (अल्ट्रावायोलेट), ऍक्स किरण और गामा किरण के तरंगदैर्घ्य में पाया गया है। सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक रखने वाली गैलेक्सी को सक्रीय गैलेक्सी (active galaxy) कहा जाता है। खगोलशास्त्रियों का मानना है कि सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक से उत्पन्न होने वाला विकिरण ऐसी गैलेक्सियों के केन्द्र में उपस्थित विशालकाय ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एकत्रित होने वाले पदार्थ से पैदा होता है। अक्सर ऐसे सक्रीय गैलेक्सीय नाभिकों से मलबे के विशालकाय खगोलभौतिक फौवारे निकलते हुए दिखते हैं, मसलन ऍम87 नामक सक्रीय गैलेक्सी के नाभिक से एक 5000 प्रकाशवर्ष लम्बा फौवारा निकलता हुआ देखा जा सकता है। बहुत ही भयंकर तेजस्विता रखने वाले सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक को क्वेसार (quasar) कहते हैं। .

19 संबंधों: ऍक्स किरण, तरंगदैर्घ्य, तारा, तेजस्विता, पराबैंगनी, प्रत्यक्ष वर्णक्रम, प्रकाश-वर्ष, मन्दाकिनी, मॅसिये 87, रेडियो तरंग, सूक्ष्मतरंग, विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम, विशालकाय ब्लैक होल, विकिरण, खगोल शास्त्र, खगोलभौतिक फौवारा, गामा किरण, क्वेसार, अवरक्त

ऍक्स किरण

200px ''Hand mit Ringen'': रोएन्टजन की पहली 'मेडिकल' एक्स-किरण का प्रिन्ट - उनकी पत्नी का हाथ का प्रिन्ट जो २२ दिसम्बर सन् १८९५ को लिया गया था जल से शीतलित एक्स-किरण नलिका (सरलीकृत/कालातीत हो चुकी है।) एक्स-किरण या एक्स रे (X-Ray) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसकी तरंगदैर्घ्य 10 से 0.01 नैनोमीटर होती है। यह चिकित्सा में निदान (diagnostics) के लिये सर्वाधिक प्रयोग की जाती है। यह एक प्रकार का आयनकारी विकिरण है, इसलिए खतरनाक भी है। कई भाषाओं में इसे रॉण्टजन विकिरण भी कहते हैं, जो कि इसके अन्वेषक विल्हेल्म कॉनरॅड रॉण्टजन के नाम पर आधारित है। रॉण्टजन ईक्वेलेंट मानव (Röntgen equivalent man / REM) इसकी शास्त्रीय मापक इकाई है। .

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तरंगदैर्घ्य

साइन-आकारीय अनुप्रस्थ तरंग का तरंगदैर्घ्य, '''λ''' भौतिकी में, कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। 'दीर्घ' (.

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तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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तेजस्विता

खगोलशास्त्र में तेजस्विता (luminosity) किसी तारे, गैलेक्सी या अन्य खगोलीय वस्तु द्वारा किसी समय की ईकाई में प्रसारित होने वाली ऊर्जा की मात्रा होती है। यह चमक (brightness) से सम्बन्धित है जो वस्तु की वर्णक्रम के किसी भाग में मापी गई तेजस्विता को कहते हैं। अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में तेजस्विता को जूल प्रति सकैंड या वॉट में मापा जाता है। अक्सर इसे हमारे सूरज की तेजस्विता की तुलना में मापा जाता है, जिसका कुल ऊर्जा उत्पादन है। सौर ज्योति (सौर तेजस्विता) का चिन्ह L⊙ है। .

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पराबैंगनी

सौर्य एवं हैलियोस्फेरिक वेधशाला (SOHO) अंतरिक्ष वाहन से लिया गया था। पृथ्वी की पराबैंगनी छायांकन, जो कि चंद्रमा से अपोलो 16 अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लिया गया था पराबैंगनी किरण (पराबैंगनी लिखीं जाती हैं) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण हैं, जिनकी तरंग दैर्घ्य प्रत्यक्ष प्रकाश से छोटी हो एवं कोमल एक्स किरण से अधिक हो। इनकी ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, इनका वर्णक्रम लिए होता है विद्युत चुम्बकीय तरंग जिनकी आवृत्ति मानव द्वारा दर्शन योग्य बैंगनी वर्ण से ऊपर होती हैं।परा का मतलब होता है कि इस से अधिक अर्थात बैगनी से अधिक आवृत्ति की तरंग। .

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प्रत्यक्ष वर्णक्रम

प्रत्यक्ष वर्णक्रम या दृष्य वर्णक्रम विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम का एक भाग है, जो मानवीय चक्षुओं को दिखाई देता है। इस श्रेणी की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्रकाश कहते हैं। एक आदर्श मानवी चक्षु वायु में देखती है 380 नैनोमीटर से 750 नैनोमीटर तरंगदर्घ्य की प्रकाश को देख सकती है।। इसके अनुसार जल में और अन्य माध्यमों में यह उस माध्यम के अपवर्तन गुणांक (refractive index) के गुणक में दृश्यता घट जाती है। आवृत्ति के अनुसार, यह 400-790 टैरा हर्ट्ज के बराबर की पट्टी में पङता है। आँख द्वारा देखे गए प्रकाश की अधिकतम संवेदनशीलता 555 nm (540 THz) होती है (वर्णक्रम के हरे क्षेत्र में)। वैसे वर्णक्रम में वे सभी रंग नहीं होते जो कि मानवी आँख या मस्तिष्क देख या पहचान सकता है जैसे भूरा, गुलाबी या रानी अनुपस्थित हैं। यह इसलिए क्योंकि ये मिश्रित तरंग दैर्घ्य से बनते हैं, खासकर लाल के छाया। प्रत्यक्ष प्रकाश के वर्णक्रम का sRGB अनुवाद .

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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मन्दाकिनी

समान नाम के अन्य लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी (बहुविकल्पी) जहाँ तक ज्ञात है, गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं। एनजीसी ४४१४ एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष व्यास की गैलेक्सी है मन्दाकिनी या गैलेक्सी, असंख्य तारों का समूह है जो स्वच्छ और अँधेरी रात में, आकाश के बीच से जाते हुए अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वस्तुत: एक पूर्ण चक्र का अंग हैं जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। भारत में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं। हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही १९ अरब गैलेक्सीएँ होने का अनुमान है। ब्रह्मांड के विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग थ्योरी ऑफ युनिवर्स) के अनुसार सभी गैलेक्सीएँ एक दूसरे से बड़ी तेजी से दूर हटती जा रही हैं। ब्रह्माण्ड में सौ अरब गैलेक्सी अस्तित्व में है। जो बड़ी मात्रा में तारे, गैस और खगोलीय धूल को समेटे हुए है। गैलेक्सियों ने अपना जीवन लाखो वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया और धीरे धीरे अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया। प्रत्येक गैलेक्सियाँ अरबों तारों को को समेटे हुए है। गुरुत्वाकर्षण तारों को एक साथ बाँध कर रखता है और इसी तरह अनेक गैलेक्सी एक साथ मिलकर तारा गुच्छ में रहती है। प्रारंभ में खगोलशास्त्रियों की धारणा थी कि ब्रह्मांड में नई गैलेक्सियों और क्वासरों का जन्म संभवत: पुरानी गैलेक्सियों के विस्फोट के फलस्वरूप होता है। लेकिन यार्क विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रियों-डॉ॰सी.आर.

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मॅसिये 87

मॅसिये 87 (Messier 87), जिसे वर्गो ए (Virgo A), ऍनजीसी 4486 (NGC 4486) और ऍम87 (M87) भी कहा जाता है एक भीमकाय अंडाकार गैलेक्सी है। यह आकाश में कन्या तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है और पृथ्वी से लगभग 5.35 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है। यह हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के समीप स्थित सबसे विशाल गैलेक्सियों में से एक है। इसमें गोल तारागुच्छ की संख्या असाधारण है - जहाँ क्षीरमार्ग की केवल 150–200 गोल तारागुच्छ परिक्रमा कर रहें हैं, वहाँ ऍम87 में 12,000 हैं। ऍम87 अपने केन्द्र से उभरते हुए विशाल खगोलभौतिक फौवारे के लिए भी प्रसिद्ध है जो 4,900 प्रकाशवर्ष लम्बा है और जिसमें पदार्थ आपेक्षिक गतियों से यात्रा कर रहा है। In "Source List", click "Row no.

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रेडियो तरंग

रेडियो और टेलीविजन प्रसारण के लिए प्रयुक्त ऐण्टेना रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य १० सेण्टीमीटर से १०० किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंग दैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है। .

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सूक्ष्मतरंग

माइक्रोवेव टॉवर सूक्ष्मतरंगें (माइक्रोवेव) वो विद्युतचुम्बकीय तरंगें हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य १ मीटर से लेकर १ मिलीमीटर के बीच हो। दूसरे शब्दों में, इनकी आवृति 300 MHz (मेगाहर्ट्ज) से लेकर 300 GHz बीच होती है। यह परिभाषा व्यापक रूप से दोनों परा उच्च आवृति (UHF) और अत्यधिक उच्च आवृति (EHF) (मिलीमीटर तरंग) को शामिल करती है। भिन्न-भिन्न स्रोत, विभिन्न सीमाओं का उपयोग करते हैं। .

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विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम

विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम (electromagnetic spectrum) में उन सारी आवृत्तियों के विकिरण आते हैं जो सम्भव हैं। किसी वस्तु का विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम, उस वस्तु से विद्युत चुम्बकीय विकिरणों का अभिलक्षणिक वितरण या प्रायः केवल वर्णक्रम होता है। विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम निम्न आवृत्तियों, जो कि नूतन रेडियो में प्रयोग होतीं हैं (तरंग दैर्घ्य के दीर्घ सिरे पर), से लेकर गामा विकिरण तक (लघु सिरे तक) होता है, जो कि सहस्रों किलोमीटर की तरंगदैर्घ्य से लेकर एक अणु के नाप के एक अंश के बराबर तक की सारी आवृत्तियों को लिये होता है। हमारे ब्रह्माण्ड में लघु तरंगदैर्घ्य सीमित है प्लैंक दूरी के आसपास तक; और दीर्घ तरंग दैर्घ्य सीमित है, ब्रह्माण्ड के आकार तक। वैसे वर्णक्रम को असीमित एवं अविराम ही कहते हैं। .

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विशालकाय ब्लैक होल

विशालकाय ब्लैक होल (Supermassive black hole (SMBH)), ब्लैक होल का सबसे बड़ा प्रकार है | यह हजारों सैकड़ों अरबों सौर द्रव्यमान के क्रम का ब्लैक होल है | अधिकांश - या संभवतः सभी - आकाशगंगाएँ अपने केन्द्रों पर एक विशालकाय ब्लैक होल रखती है ऐसा अनुमान लगाया गया है। हमारी आकाशगंगा के मामले में यह ब्लैक होल धनु A*En की स्थिति के अनुरूप माना गया है। .

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विकिरण

भौतिकी में प्रयुक्त विकिरण ऊर्जा का एक रूप है जो तरंगों या किसी परमाणु या अन्य निकाय द्वारा उत्सर्जित गतिशील उपपरमाणुविक कणों के रूप में उच्च से निम्न ऊर्जा अवस्था की ओर चलती है। विकिरण को परमाणु पदार्थ पर उसके प्रभाव के आधार पर या विआयनीकारक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विकिरण जो अणु या परमाणु का आयनीकरण करने मे सक्षम होता है उसमे उर्जा का स्तर विआयनीकारक विकिरण से अधिक होता है। रेडियोधर्मी पदार्थ वो भौतिक पदार्थ है जो कि आयनीकारक विकिरण उत्सर्जित करती है। तीन भिन्न प्रकार के विकिरण और उनका भेदन .

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खगोल शास्त्र

चन्द्र संबंधी खगोल शास्त्र: यह बडा क्रेटर है डेडलस। १९६९ में चन्द्रमा की प्रदक्षिणा करते समय अपोलो ११ के चालक-दल (क्रू) ने यह चित्र लिया था। यह क्रेटर पृथ्वी के चन्द्रमा के मध्य के नज़दीक है और इसका व्यास (diameter) लगभग ९३ किलोमीटर या ५८ मील है। खगोल शास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अंतर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या (explanation) की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरंभ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है। बीसवीं शताब्दी के दौरान, व्यावसायिक खगोल शास्त्र को अवलोकिक खगोल शास्त्र तथा काल्पनिक खगोल तथा भौतिक शास्त्र में बाँटने की कोशिश की गई है। बहुत कम ऐसे खगोल शास्त्री है जो दोनो करते है क्योंकि दोनो क्षेत्रों में अलग अलग प्रवीणताओं की आवश्यकता होती है, पर ज़्यादातर व्यावसायिक खगोलशास्त्री अपने आप को दोनो में से एक पक्ष में पाते है। खगोल शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से अलग है। ज्योतिष शास्त्र एक छद्म-विज्ञान (Pseudoscience) है जो किसी का भविष्य ग्रहों के चाल से जोड़कर बताने कि कोशिश करता है। हालाँकि दोनों शास्त्रों का आरंभ बिंदु एक है फिर भी वे काफ़ी अलग है। खगोल शास्त्री जहाँ वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करते हैं जबकि ज्योतिषी केवल अनुमान आधारित गणनाओं का सहारा लेते हैं। .

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खगोलभौतिक फौवारा

खगोलभौतिक फौवारा (astrophysical jet) एक खगोलीय परिघटना होती है जिसमें किसी घूर्णन करती हुई खगोलीय वस्तु के घूर्णन अक्ष की ऊपरी और निचली दिशाओं में आयनीकृत पदार्थ फौवारों में तेज़ गति से फेंका जाता है। कभी-कभी इन फौवारों में पदार्थ की गति प्रकाश की गति के समीप आने लगती है और यह आपेक्षिक फौवारे (relativistic jets) बन जाते हैं, जिनमें विशिष्ट आपेक्षिकता के प्रभाव दिखने लगते हैं।Morabito, Linda A.; Meyer, David (2012).

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गामा किरण

गामा किरण (γ-किरण) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण या फोटॉन हैं, जो परमाणु-नाभिक के रेडियोसक्रिय क्षय से उत्पन्न होता है। गामा किरणों के फोटॉनों की ऊर्जा अब तक प्रेक्षित अन्य सभी फोटॉनों की ऊर्जा से अधिक होती है। सन १९०० में फ्रांस के भौतिकशास्त्री पॉल विलार्ड ने इसकी खोज की थी जब वे रेडियम से निकलने वाले विकिरण का अध्ययन कर रहे थे। जब परमाणु का नाभिक एक उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर पर क्ष्यित होता है तो इस प्रक्रिया में गामा किरणें निकली हैं। इस प्रक्रिया को गामा-क्षय (gamma decay) कहा जाता है। अपने ऊँचे ऊर्जा स्तर के कारण, जैविक कोशिका द्वारा सोख लिए जाने पर अत्यंत नुकसान पहुँचा सकती हैं। .

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क्वेसार

right क्वासर जो "क्वासी स्टेलर रेडियो स्त्रोत" (quasi-stellar radio source; quasar) का संक्षिप्त रूप है, अरबों प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारों जैसे पिंड है। क्वासर का फैलाव केवल एक प्रकाश माह का होता है। सभी क्वासर रेडियो स्रोत नही होते। क्वासर से आने वाली विधुत चुंबकीय तरंगे क्योंकि पृथ्वी तक पहुँचती है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि इनसे काफी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। अर्थात यदि आकाशगंगा मंदाकिनी की कल्पना एक फुटबॉल मैदान के रूप में करें तो क्वासर उसमें स्थित एक धूल के कण के समान होगा। किंतु आकाशगंगा मंदाकिनी की तुलना में इससे 100 गुना अधिक ऊर्जा निकलती है। श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:प्रकारानुसार सक्रीय गैलेक्सियाँ *.

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अवरक्त

दो व्यक्तियों की मध्य अधोरक्त (तापीय) प्रकाश में छाया चित्र अवरक्त किरणें, अधोरक्त किरणें या इन्फ़्रारेड वह विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसका तरंग दैर्घ्य (वेवलेन्थ) प्रत्यक्ष प्रकाश से बड़ा हो एवं सूक्ष्म तरंग से कम हो। इसका नाम 'अधोरक्त' इसलिए है क्योंकि विद्युत चुम्बकीय तरंग के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) में यह मानव द्वारा दर्शन योग्य लाल वर्ण से नीचे (या अध) होती है। इसका तरंग दैर्घ्य 750 nm and 1 mm के बीच होता है। सामान्य शारिरिक तापमान पर मानव शरीर 10 माइक्रॉन की अधोरक्त तरंग प्रकाशित कर सकता है। .

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