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सकल विकृतिविज्ञान

सूची सकल विकृतिविज्ञान

सकल विकृतिविज्ञान (Gross pathology) शरीर के अंगों, ऊतकों (टिशूओं) और शारीरिक विविरों में रोगों के स्थूलदर्शी (macroscopic, यानि बिना सूक्ष्मदर्शी के दिख सकने वाले) प्रभावों को कहते हैं। इन्हें सकल निरीक्षण में देखकर चिकित्सक रोगों के बारे में अनुमान लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए किसी सिस्ट के आकार, रूप और रंग को देखकर चिकित्सक उसके किसी रोग विशेष से सम्बन्धित होने का अंदाज़ा लगा सकते हैं। .

10 संबंधों: ऊतक, ऊतक विकृतिविज्ञान, चिकित्सक, फुलाव, रोग, सिस्ट, सकल निरीक्षण, सूक्ष्मदर्शी, विकृतिविज्ञान, अंग (शारीरिकी)

ऊतक

ऊतक (tissue) किसी जीव के शरीर में कोशिकाओं के ऐसे समूह को कहते हैं जिनकी उत्पत्ति एक समान हो तथा वे एक विशेष कार्य करती हो। अधिकांशतः ऊतको का आकार एंव आकृति एक समान होती है। परंतु कभी कभी कुछ उतकों के आकार एंव आकृति में असमानता पाई जाती है, मगर उनकी उत्पत्ति एंव कार्य समान ही होते हैं। कोशिकाएँ मिलकर ऊतक का निर्माण करती हैं। ऊतक के अध्ययन को ऊतक विज्ञान (Histology) के रूप में जाना जाता है। .

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ऊतक विकृतिविज्ञान

ऊतक विकृतिविज्ञान (Histopathology) शरीर के किसी भाग में स्थित या वहाँ से लिए गए ऊतक (टिशू) का सूक्ष्मदर्शी द्वारा किया गया निरीक्षण है, जिसमें रोग के प्रभावों को ढूंढने या समझने की चेष्टा की जाती है। अक्सर इसमें करी जा रही ऊतक परीक्षा के लिए ऊतक के नमूनों को शल्यचिकित्सा (सर्जरी) या सुई द्वारा शरीर से निकाला जाता है और उसे महीनता से काटकर सूक्ष्मदर्शी के नीचे उसकी जाँच की जाती है। .

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चिकित्सक

चिकित्सक वो व्यक्ति हैं जो दवाओं, रोग तथा आयुर्विज्ञान का ज्ञान रखतें हैं। श्रेणी:व्यवसाय.

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फुलाव

बृहदांत्र उच्छेदन, आक्रामक बृहदांत्र-मलाशय संबंधी कार्सिनोमा (crater की तरह, लाल, अनियमित आकार का ट्यूमर) नामक एक घातक सूजन युक्त नमूना है। गर्भाशय फाइब्रॉएड नामक सौम्य रसौली को दर्शाता एक चित्र. नियोप्लासिया या नववर्धन(अर्बुदता) के परिणामस्वरुप उत्पन होने वाले असामान्य अतिरिक्त ऊतक को नियोप्लासम नववृद्धि कहा जाता है। नियोप्लासिया (ग्रीक में नई वृद्धि) कोशिकाओं का असामान्य प्रसार है। कोशिकाओं के विकास से अधिक है और उसके चारों ओर सामान्य ऊतकों के साथ असंगठित रहेता है। स्तिमुली की समाप्ति के बाद भी कोशिकाओं का निरंतर अतिशय विकास होता रहता है यह आमतौर पर ट्यूमर या कैन्सर का कारण बनता है। नियोप्लासमसौम्य, पूर्व घातक कार्सिनोमा इन सूट, या घातक कैन्सर,हो सकती है। आधुनिक चिकित्सा में ट्यूमरको नियोप्लासम (जिससे गांठ बनती है) का पर्याय है पहले, ट्यूमर अलग से इस्तेमाल किया गया था। कुछ नियोप्लासम गांठ नहीं बनाते है। .

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रोग

पहले मोटापा को 'बड़प्पन' का सूचक माना जाता था। आजकल प्राय: इसे रोग माना जाता है। रोग अर्थात अस्वस्थ होना। यह चिकित्साविज्ञान का मूलभूत संकल्पना है। प्रायः शरीर के पूर्णरूपेण कार्य करने में में किसी प्रकार की कमी होना 'रोग' कहलाता है। किन्तु रोग की परिभाषा करना उतना ही कठिन है जितना 'स्वास्थ्य' को परिभाषित करना। .

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सिस्ट

सिस्ट (cyst), जिसे गाँठ या पुटि भी कहते हैं, शरीर के भीतर झिल्ली (मेम्ब्रेन) में बंद एक असाधारण (अनुचित) थैली होती है, जिसकी अंदर कोशिकाएँ आसपास के ऊतकों (टिशू) से अलग आयोजित होती हैं। सिस्ट की परिभाषा के अनुसार यह एक विकृत ढांचा माना जाता है, हालांकि बहुत से सिस्ट शारीर में बिना हानि के आजीवन रह सकते हैं। सिस्ट के भीतर वायु, द्रव या अर्ध-ठोस सामग्री हो सकती है। कुछ सिस्टों स्वयं ही समय के साथ-साथ छोटे होकर लुप्त हो जाते हैं जबकि कुछ एक ही आकार बनाए हुए दशकों तक रह सकते हैं। अन्य सिस्ट आकार में बढ़ते रहते हैं और उनका उपचार दवा से या फिर शल्यचिकित्सा (सर्जरी) से करा जाता है। कुछ सिस्ट आगे चलकर कर्क रोग (कैंसर) के फुलाव (ट्यूमर) बन सकते हैं। .

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सकल निरीक्षण

चिकित्सा में सकल निरीक्षण (Gross examination) वह प्रक्रिया होती है जिसमें विकृतिवैज्ञानिक नमूनो की बिना सूक्ष्मदर्शी के प्रयोग के, केवल आँखों से देखकर रोगों के अनुमान के लिए जाँच की जाती है। उदाहरण के लिए शल्यचिकित्सा (सर्जरी) द्वारा शरीर से निकाले गए फुलाव (ट्यूमर) की जाँच से उसके कैंसर होने या न होने का अनुमान लगाया जा सकता है। अक्सर सकल निरीक्षण के उपरांत नमूनों को सूक्ष्मदर्शी द्वारा जाँचने के लिए उसकी ऊतक विकृतिवैज्ञानिक जाँच भी की जाती है। .

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सूक्ष्मदर्शी

सूक्ष्मदर्शी या सूक्ष्मबीन (माइक्रोस्कोप) वह यंत्र है जिसकी सहायता से आँख से न दिखने योग्य सूक्ष्म वस्तुओं को भी देखा जा सकता है। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से चीजों का अवलोकन व जांच किया जाता है वह सूक्ष्मदर्शन कहलाता है। सूक्ष्मदर्शी का इतिहास लगभग ४०० वर्ष पुराना है। सबसे पहले नीदरलैण्ड में सन १६०० के आस-पास किसी काम के योग्य सूक्ष्मदर्शी का विकास हुआ। .

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विकृतिविज्ञान

जिन कारणों से शरीर के विभिन्न अंगों की साम्यावस्था, या स्वास्थ्यावस्था, नष्ट होकर उनमें विकृतियाँ उत्पन्न होती हैं, उनको हेतुकीकारक (Etiological factors) और उनके शास्त्र को हेतुविज्ञान (Etiology) कहते हैं। ये कारण अनेक हैं। इन्हें निम्नलिखित भागों में विभक्त किया गया है.

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अंग (शारीरिकी)

जीवविज्ञान (biology) की दृष्टि से एक विशिष्ट कार्य करने वाले उत्तकों के समूह को अंग (organ) कहते हैं। .

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