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संस्पर्श प्रक्रम

सूची संस्पर्श प्रक्रम

संस्पर्श प्रक्रम (contact process) गन्धकाम्ल निर्माण की वर्तमान समय में प्रचलित विधि है। यह उच्च सान्द्रता वाले अम्ल के निर्माण में उपयोगी है। इस अभिक्रिया में प्लेटिनम का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है। किन्तु इस प्लेटिनम के साथ आर्सैनिक की अशुद्धियाँ अभिक्रिया करने का दर रहता है, अतः आजकल वेनेडियम आक्साइड (V2O5) का उत्प्रेरक के रूप में उपयोग होता है। सन १८३१ में इस प्रक्रम का पैटेन्ट ब्रिटेन के सिरका व्यापारी पेरेगिन फिलिप्स ने किया था। उच्च सान्द्रता वाले गन्धकाम्ल के उत्पादन के अलावा इस प्रक्रम की विशेषता यह है कि इससे सल्फर ट्राइऑक्साइड और ओलिअम भी प्राप्त होता है। .

4 संबंधों: प्लैटिनम, गन्धकाम्ल, आर्द्र गन्धकाम्ल प्रक्रम, उत्प्रेरण

प्लैटिनम

यह एक रायानिक धातु तत्व है। सबसे कठोर धातु प्लैटिनम है श्रेणी:धातु श्रेणी:रासायनिक तत्व श्रेणी:कीमती धातुएँ श्रेणी:संक्रमण धातु.

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गन्धकाम्ल

गन्धकाम्ल (सल्फ्युरिक एसिड) एक तीव्र अकार्बनिक अम्ल है। प्राय: सभी आधुनिक उद्योगों में गन्धकाम्ल अत्यावश्यक होता है। अत: ऐसा माना जाता है कि किसी देश द्वारा गन्धकाम्ल का उपभोग उस देश के औद्योगीकरण का सूचक है। गन्धकाम्ल के विपुल उपभोगवाले देश अधिक समृद्ध माने जाते हैं। शुद्ध गन्धकाम्ल रंगहीन, गंधहीन, तेल जैसा भारी तरल पदार्थ है जो जल में हर परिमाण में विलेय है। इसका उपयोग प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में तथा अनेक रासायनिक उद्योगों में विभिन्न रासायनिक पदार्थों के संश्लेषण में होता है। बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करने के लिए सम्पर्क विधि का प्रयोग किया जाता है जिसमें गन्धक को वायु की उपस्थिति में जलाकर विभिन्न प्रतिकारकों से क्रिया कराई जाती है। खनिज अम्लों में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला यह महत्त्वपूर्ण अम्ल है। प्राचीन काल में हराकसीस (फेरस सल्फेट) के द्वारा तैयार गन्धक द्विजारकिक गैस को जल में घोलकर इसे तैयार किया गया। यह तेल जैसा चिपचिपा होता है। इन्ही कारणों से प्राचीन काल में इसका नाम 'आयँल ऑफ विट्रिआँल' रखा गया था। हाइड्रोजन, गन्धक तथा जारक तीन तत्वों के परमाणुओं द्वारा गन्धकाम्ल के अणु का संश्लेषण होता है। आक्सीजन युक्ति होने के कारण इस अम्ल को 'आक्सी अम्ल' कहा जाता है। इसका अणुसूत्र H2SO4 है तथा अणु भार ९८ है। गन्धकाम्ल प्राचीनकाल के कीमियागर एवं रसविद् आचार्यों को गन्धकाम्ल के संबंध में बहुत समय से पता था। उस समय हरे कसीस को गरम करने से यह अम्ल प्राप्त होता था। बाद में फिटकरी को तेज आँच पर गरम करने से भी यह अम्ल प्राप्त होने लगा। प्रारंभ में गन्धकाम्ल चूँकि हरे कसीस से प्राप्त होता था, अत: इसे "कसीस का तेल' कहा जाता था। तेल शब्द का प्रयोग इसलिए हुआ कि इस अम्ल का प्रकृत स्वरूप तेल सा है। .

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आर्द्र गन्धकाम्ल प्रक्रम

आर्द्र गन्धकाम्ल प्रक्रम (wet sulfuric acid process (WSA process)) का विकास १९८० के दशक में हुआ था। आजकल यह गैसों के विगन्धकीकरण (desulfurization) की मुख्य प्रक्रम बन गया है। इसके साथ ही वाणिज्यिक क्वालिटी का गन्धकाम्ल प्राप्त होता है और उच्च दाब की भाप भी प्राप्त होती है। सबसे पहले सल्फर को जलाकर सल्फर डाइऑक्साइड बनाते हैं- या, हाइड्रोजन सल्फाइड के भस्मीकरण द्वारा गैस बनाते हैं: इसको आक्सीकृत करके सल्फर ट्राईऑक्साइड बनाया जाता है। इसके लिये वेनेडियम ऑक्साइड को उत्प्रेरक की तरह काम लिया जाता है। सल्फर ट्राईऑक्साइड को जलयोजित करके गंधकाम्ल बनाया जाता है। और अन्त में, गैस रूप वाले इस गन्धकाम्ल को द्रवित करके 97–98% सान्द्रता का बना लेते हैं: व्यापारिक गन्धकाम्ल शुद्ध नहीं होता। आंशिक शोधित अम्ल के प्रभाजित क्रिस्टलन से शुद्ध अम्ल प्राप्त होता है। आर्द्र गन्धकाम्ल प्रक्रम का आरेख श्रेणी:औद्योगिक विधियाँ.

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उत्प्रेरण

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया की गति किसी पदार्थ की उपस्थिति मात्र से बढ जाती है तो इसे उत्प्रेरण (Catalysis) कहते हैं। जिस पदार्थ की उपस्थिति से अभिक्रिया की गति बढ जाती है उसे उत्प्रेरक (catalyst) कहते हैं। उत्प्रेरक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल क्रिया की गति को प्रभावित करता है। औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण रसायनों के निर्माण में उत्प्रेरकों की बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि इनके प्रयोग से अभिक्रिया की गति बढ जाती है जिससे अनेक प्रकार से आर्थिक लाभ होता है और उत्पादन तेज होता है। इसलिये उत्प्रेरण के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये बहुत सा धन एवं मानव श्रम लगा हुआ है। .

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